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सर्कस पर निबंध

Essay on Circus in Hindi: हर चीज को दिखने की एक कला होती हैं, इसी कला को सर्कस कहते हैं। कुछ ऐसी घटनाएँ जो होती तो हैं परन्तु दिखती नहीं हैं। सर्कस को हम कई अलग-अलग परिभाषा से भी परिभाषित करते हैं।

Essay on Circus in Hindi
Image: Essay on Circus in Hindi

हम यहां पर अलग-अलग शब्द सीमा में सर्कस पर निबंध (Essay on Circus in Hindi) शेयर कर रहे हैं। यह निबन्ध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होंगे।

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सर्कस पर निबंध | Essay on Circus in Hindi

सर्कस पर निबंध (250 शब्द) 

वर्तमान में सर्कस मनोरंजन के एक साधन हैं। देश और विदेश में भी भारत के सर्कस के कलाकारों की पहचान बन चुकी हैं। यह एक ऐसा करतब हैं जिसे बच्चे, बड़े, बुड्ढों द्वारा काफी पसंद किया जाता हैं। यह एक खेल के साथ-साथ शारीरक करतब भी हैं। सर्कस करने वाले कई अलग-अलग करतब दिखाते हैं और लोगों का मनोरंजन करते हैं।

राजस्थान में कटपुतली भी इसी प्रकार के एक खेल हैं। इस खेल में धागों की मदद से कई करतब कर्पुतालियों द्वारा करवाए जाते हैं। ऐसे खेलों को हम हाथ की सफाई भी कहते हैं। इस खेल में मनोरंजन करवाने के पूरा साधन होता हैं।

वर्तमान में मनोरंजन के कई साधन हैं, जिससे लोग अपना समय व्यतीत करते हैं पर प्राचीन समय और मध्यकालीन समय में ऐसे लोग अपना मनोरंजन करने के लिए ऐसे ही सर्कस का आयोजन करते हैं। कुछ कलाकार तो दूसरे गाँवों में जाकर सर्कस दिखाते और लोगों का मनोरंजन करने के साथ अपनी आमदनी भी करते थे।

भारत में आधुनिक विकास के चलते और आर्थिक चीजों के पैरों तले यह सर्कस लुप्त होते जा रहे हैं। देश में लुप्त हो रही इस कला को बचाने के लिए देश की जनता को आगे आने की जरुरत हैं और साथ ही सरकार को भी इसके लिए काम करना चाहिए। ऐसे कलाकार हमारे राज्य और देश की धरोहर हैं। इन्हें बचाना और इनका सरंक्षण करना हमारा भी फर्ज हैं। हम सरकार से इनके सरक्षण और इनके उद्धार की आशा करते हैं और उम्मीद करते हैं कि सरकार इन कलाकारों पर ध्यान देगी।

सर्कस पर निबंध (600 शब्द) 

प्रस्तावना

वर्तमान में लुप्त हो रहा यह सर्कस प्राचीन और मध्यकालीन समय में लोगों के लिए मनोरंजन करने के एक साधन था और लोग इससे काफी आनंदित होते थे। वर्तमान में यह सर्कस काफी कम देखने को मिलता हैं। आज मनोरंजन के लिए कई साधन हमारे पास मोजूद हैं यही वजह हैं कि जमीनी खेलों को और मनोरंजन के साधन को भूलते जा रहे हैं।

इस मनोरंजन को हम हाथ की सफाई वाला खेल भी कहते हैं। सर्कस गाँवों में काफी पसंद किया जाता हैं। सर्कस दिखाने के लिए कई कलाकार हैं जो अपनी कला से सर्कस दिखाते हैं। वर्तमान में इसे जादू ही कहा जा सकता हैं। लोग वर्तमान में जादू की कलाकारी को काफी पसंद करते हैं।

सर्कस मनोरंजन का मुख्य साधन

एक समय था जब सर्कस को हर कोई पसंद करता था। गाँव हो या शहर हर कोई इस का आनंद लेता था और यह लोगो के मनोरंजन का मुख्य साधन था। वर्तमान में विज्ञान की दें भी काफी बढ़ गई हैं जिस वजह से सर्कस लुप्त होता नजर आ रहा हैं। विज्ञान की बदोलत मनोरंजन के कई साधन बाज़ार में उपलब्ध हैं जिसके बाद सर्कस की और लोगो का रूख ख़त्म होता नजर आ रहा हैं। 

वर्तमान में सर्कस कही लुप्त होता नजर आ रहा हैं और ऐसा लग रह हैं कि विज्ञान की इस दुनिया में सर्कस और प्राचीन खेल कई खो रहे हैं। हमारे देश में सर्कस और इससे जुड़े कलाकारों का सरंक्षण जरुरी हैं वर्ना वो दिन दूर नहीं जब इसको कोई याद भी नहीं रखेगा। इसके लिए हमें और सरकार को भी कदम उठाने की जरुरत हैं।

सर्कस का भारत में इतिहास

हम इस बात से तो वाकिफ हैं कि भारत में सर्कस का काफी पुराना इतिहास हैं। भारत का पहला आधुनिक सर्कस “द ग्रेट इंडियन सर्कस” थे जिसे पहली बार मुम्बई में 20 मार्च 1980 को आयोजित किया गया था। किल्लेरी कुन्हिकन्नन (Keeleri Kunhikannan), जिसे भारतीय सर्कस का जनक कहा जाता है।

वह मार्शल आर्ट और जिमनास्टिक्स के शिक्षक थे। इन्होंने 1901 में पहला सर्कस स्कूल खोला था, जिसमें वे लड़कों को सर्कस के बारे में सिखाया करता थे। दामोदर गंगाराम धोत्रे वह अब तक के भारत के सबसे प्रसिद्ध रिंग मास्टर में से एक थे। 1902 में एक गरीब परिवार में जन्मे, वह एक मालिक के रूप में ‘इसाको’ नामक रूसी सर्कस में शामिल हो गए। इसके बाद वे फ्रांस चले गये।

सर्कस में मेरा अनुभव

यह उस समय की बात हैं जब हमारे गाँव के बाहर हनुमानजी के मंदिर के पास एक बड़ा मैला हर साल अप्रैल माह में भरा जाता था। उस मेले मैं भी गया। मैंने वहां जाते ही देखा कि एक बड़ा सा तम्बू लगा हुआ हैं, जिसके अंदर से काफी तेजी से आवाजें आ ही थी। मैं भी अंदर जाने के लिए उत्सुक था। मैंने सर्कस का टिकेट लिया और अंदर गया।

मैंने उस तम्बू में एक अंकल को सर्कस करते हुए देखा। उन अंकल के साथ एक बन्दर भी था, जो रस्सी पे चल रहा था और एक साइकिल वाला लड़का भी था जो उलटी साइकिल चला रहा था। वो लड़का काफी होशियार था, उसने अपनी कला से साइकिल को हवा में कूदना शुरू किया, यह देख कर में एक मिनट के लिए तो चोंक गया। वो सर्कस करीब 1 घंटे तक देखा।

इस दोहरान मुझे काफी कुछ नया देखने को मिला और कुछ नया सीखने को मिला। मैंने सर्कस को काफी एन्जॉय किया। मुझे बहुत मझा आया और मैं फिर शाम को सर्कस देख के घर आ गया।

निष्कर्ष

सर्कस मेरा सबसे पसंदीदा मनोरंजन का साधन हैं। हम जब स्कूल में थे तब यह काफी देखने को मिलता था पर आज के समय में यह लुप्त होता दिखाई दे रहा हैं। ऐसा लग रहा हैं कि मानो सर्कस कही हैं ही नहीं।

अंतिम शब्द

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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