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चंद्रयान 2 पर निबंध

Essay on Chandrayaan 2 in Hindi: भारत अंतरिक्ष विज्ञान में जिस तरीके से तरक्की कर रहा है, इसके लिए वह निरंतर अनु संसाधन तथा नई तकनीकी की खोज भी कर रहा है। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी विदेशों के अंतरिक्ष एजेंसी के साथ मिलकर काम कर रही है। इसके साथ रोज अमेरिका जैसे शक्तिशाली देशों को भी टक्कर दे रही है, जो हमारे भारतीय वैज्ञानिक है। वह अंतरिक्ष यान के डिजाइन तथा नई तकनीकी पर गहराई से कार्य कर रहे हैं।

Essay on Chandrayaan 2 in Hindi
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चंद्रयान 2 पर निबंध | Essay on Chandrayaan 2 in Hindi

चंद्रयान 2 पर निबंध (250 शब्दों में)

चंद्रयान 2 मिशन वर्तमान समय में सभी चंद्र मिशन से बिल्कुल अलग है। यह मिशन लगभग 10 साल वैज्ञानिक अनुसंधान विकास के बाद भेजा जा रहा हैं। चंद्र अभियान 2 से चंद्रमा के अछूते भाग जैसे चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव के बारे में जानकारी प्राप्त की जाएगी। इसके अलावा चंद्रयान-2 से चंद्रमा के भौगोलिक और मौसम संबंधित जानकारी पर अध्ययन किया जाएगा। साथ ही भारत द्वारा चंद्रयान मिशन 1 में जिन धातुओं का विश्लेषण हुआ हैं, उन पर भी चंद्रयान-2 के दौरान अध्ययन किया जाएगा।

चंद्रयान-1 में सभी विदेशी तकनीकों के माध्यम से सफलता को प्राप्त किया गया था, परंतु chandrayaan-2 को पूर्णतया स्वदेशी तकनीकी ओं के द्वारा तैयार किया गया है । यह अभियान चंद्रयान-1 के बाद में भारत का दूसरा महत्वपूर्ण चंद्र अन्वेषण अभियान है।

चंद्रयान-2 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने विकसित किया था। इस अभियान की शुरुआत 2019 में की गई थी। यह पूरी तरह चंद्रयान-1 के तर्ज पर ही बनाया गया था। इस मिशन को इसरो के चेयरमैन मिस्टर के सिवन के द्वारा संचालित किया गया था।

जिस तरह से भारत ने चंद्रयान-1 का सफल परीक्षण करके चंद्रमा पर भारत का झंडा पहनाया था। लेकिन चंद्रयान -2 बनाने का उद्देश्य दूसरा था। यह यान इस तरीके से डिजाइन किया गया था कि इसको लैंड करने में बहुत कम समय लगे। Chandrayaan-2 की शुरुआत भारत के अंतरिक्ष एजेंसी के द्वारा की गई थी, जिसका नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन है। इसको जीएसएलवी संस्करण 3 के प्रक्षेपण यान के द्वारा संचालित किया गया।

भारत ने चंद्रयान -2 को 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा से भारतीय समय के अनुसार 2:43 दोपहर में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था।

चंद्रयान सफलतापूर्वक चांद के ऑर्बिट में प्रवेश कर गया था और जो रोवर है। चंद्रमा की परिक्रमा भी करने लग गया था। इस कैलेंडर का नाम विक्रम था, जो इसकी सतह पर उतरने वाला था। पर सतह पर उतरते समय रोवर से संपर्क टूट गया। लेकिन काफी हद तक यह मिशन सफल रहा था। आज भी रो व चंद्रमा की परिक्रमा कर ही रहा है क्योंकि जो रोवर है। वह आज भी भारतीय अनुसंधान केंद्र को वहां से डाटा भेज रहा है।

चंद्रयान 2 पर निबंध (1000 शब्दों में)

प्रस्तावना

चंद्रमा हमारे पृथ्वी का सबसे नजदीकी उपग्रह है। इसके माध्यम से अंतरिक्ष में खोज के बहुत प्रयास किए जा रहे हैं और इससे संबंधित सभी आंकड़ों को भी एकत्रित किया जा सकता है। chandrayaan-2 खोज के एक नए युग को बढ़ावा देने के लिए है। अंतरिक्ष के प्रति हमारी समझ को बढ़ाने प्रौद्योगिकी प्रगति को बढ़ावा देने वैश्विक तालमेल को आगे बढ़ाने तथा वैज्ञानिकों की भावी पीढ़ी को प्रेरित करने में chandrayaan-2 मिशन सफल होते होते असफल हो गया।

रात के समय में हम जब सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करके पृथ्वी पर चांदनी बिखरते हुए तथा समुंदर में ज्वार का कारण बनने वाले चन्द्रमा को पास देखने और छु लेने भर की लालसा हमेशा से मनुष्य के मन में रही हैं।

चंद्रयान 2 की शुरुआत

Chandrayaan-2 की शुरुआत 18 सितंबर 2008 को हमारे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में की गई थी। उस समय केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विषय के लिए स्वीकृति प्रदान की थी। इसके बाद 2009 में chandrayaan-2 के कार्यक्रम के अनुसार पोलेड को अंतिम रूप दे दिया गया था।

2013 में इस अभियान को फिर से स्थगित कर दिया गया। परंतु 2016 में इस अभियान को वापस शुरू कर दिया गया। क्योंकि इस यान में लैंडर की आवश्यकता थी, उसको बनाने का कार्य रूस कर रहा था, जो कि उस समय पर विकसित नहीं कर पाया। बाद में भारत में स्वदेशी तकनीक से लैंडर विकसित कर लिया गया और स्वतंत्र रूप से इस मिशन को अंजाम दिया गया।

इसके बाद भारत ने चंद्रयान -2 को 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा से भारतीय समय के अनुसार 2:43 दोपहर में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था। इसरो के चेयरमैन श्री के.सिवन इस अभियान के अध्यक्ष थे।

चंद्रयान 2 लैंडर और रोवर चंद्रमा पर लगभग 70 डिग्री दक्षिण के अक्षांश पर एक उच्च मैदान पर उतारने का प्रयास किया गया था। लेकिन वह प्रयास असफल नहीं हो पाया। इस समय भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी श्रीहरिकोटा में उपस्थित थे।

चंद्रयान 2 को बनाने का कारण

दुनिया भर के सभी देशों ने चंद्रयान बनाने की बहुत कोशिश की। परंतु अभी तक केवल 4 ही देश ऐसे हैं, जो सफलता हासिल कर पाए हैं। उसी में भारत ने चंद्रयान-1 और chandrayaan-2 बनाया, दोनों के उद्देश्य अलग-अलग रहे।

चंद्रयान बनाने का प्रमुख कारण यह था कि चंद्रमा में उपस्थित मिट्टी के बारे में पता लगाया जा सके और इसके साथ चंद्रमा की सतह पर उपस्थित मृदा में मौजूद पोषक तत्व जो पौधों की वृद्धि में आवश्यक होते हैं, उन सभी तत्वों के बारे में विस्तार पूर्वक अध्ययन किया जा सके। इसके साथ ही चंद्रमा की सतह के बारे में भी पता लगाया जा सके कि चंद्रमा की सतह कितनी नरम है या फिर कठोर है।

वैज्ञानिकों के अध्ययन के लिए वहां की मिट्टी तथा चट्टानों के नमूने को एकत्रित करना भी इसका एक उदेश्य था ताकि चंद्रमा से संबंधित अनुसंधान को अच्छे से किया जा सके और आने वाली पीढ़ी को उसके बारे में ज्ञान प्राप्त अच्छे से हो सके।

चंद्रयान 2 से भारत को लाभ

  • चंद्रयान 2 मिशन अगर सफल होता तो भारत का नाम अंतरिक्ष विज्ञान में भी और दुनिया भर में विख्यात हो जाता।
  • अंतरिक्ष विज्ञान पर भारत को अमेरिका तथा रूस जैसे शक्तिशाली देशों पर निर्भर रहना पड़ता था, परंतु वह अब अपनी तकनीकों के माध्यम से अपने अनुसंधान को आगे बढ़ा सकते है।
  • भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान द्वारा 2022 में प्रस्तावित गगनयान मिशन का रास्ता साफ हुआ, इससे इस मिशन को बड़े आसानी से अंजाम दिया जा सकेगा।
  • भारत उन तीन ताकतवर देशों में शामिल हो गया, जिन्होंने चंद्रयान मिशन पर काम किया है और अब भारत चौथा देश बन गया है।
  • इस मिशन से भारत को किसी भी अंतरिक्ष अभियान के लिए अन्य देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, क्योंकि भारत अपने स्वदेशी तकनीकों के माध्यम से ही अपने रॉकेट पेलोड छोड़ने की क्षमता रखेगा।
  • अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने का मौका मिलता, जिससे चंद्रमा में मानव जीवन संभव है या नहीं है इसका पता चल पाता।

चंद्रयान 2 का लैंडर

Chandrayaan-2 भारत में इसरो का पहला मिशन था, जिसमें लैंडर भी गया था। जो लैंडर था, वह आर्बिट से अलग होकर चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला था। इस तरह से विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला था, जोकि चंद्रमा की सतह में उपस्थित तत्वों के बारे में खोजबीन करता और उनके नमूने भी प्राप्त करता।

इसके अलावा इसमें लूनर क्रश की खुदाई भी करता कुछ इस तरह के सिस्टम इसमे डाल दिए गए थे। इस लैंडर का दूसरा नाम विक्रम था, जिसका वजन 471 किलोग्राम था। इसकी अवधि 15 दिन की थी। चंद्रयान का यह बहुत महत्वपूर्ण अंग था।

चंद्रयान 2 का रोवर

रोवर का दूसरा नाम प्रज्ञान भी है। इसका वजन 27 किलो इसलिए शर्म की अवधि लगभग 15 दिन की थी जो चंद्रमा की दृष्टि से 1 दिन की यह रोवर जब लैंडर से अलग होकर 50 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर घूमता रहा तो वह अपने आसपास की तस्वीरें भी लेता रहा।

सभी तस्वीरें रोवर के द्वारा इसरो को भेज दी जाती थी। यह रासायनिक शक्ति से चलने वाला यंत्र था। परंतु रोवर में किसी भी प्रकार की दिक्कत ना आए इसीलिए इसमें ऊर्जा संचालन के लिए सोलर पॉवर उपकरण लगा दिए गए, जो लेंस के माध्यम से रोवर को ऊर्जा देते और इस तरह से प्रज्ञान निरंतर कार्य करता रहता था।

चंद्रयान 2 की असफलता के कारण

वैसे तो चंद्रयान की असफलता कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि चंद्रयान के पीछे अमेरिका 26 बार तथा रूस  14 बार फेल हो चुका है। एक बार तो चंद्रयान चांद पर गिर गया था, फिर वह उठकर कार्य करने लगा था। इस तरह भारत ने जुलाई 2019 में chandrayaan-2 को रवाना किया।

7 सितंबर को इस मिशन में चंद्रयान चांद की सतह पर उतरने से 2 किलोमीटर दूरी पर ही लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया था। हालांकि इस मशीन का आर्बिट अभी भी चंद्रमा की कक्षा में मौजूद है, इसीलिए हम कह सकते हैं कि chandrayaan-2 95% सफल भी रहा।

भारत मे ही नही बल्कि पूरे विश्व मे हर किसी को इस अभियान से बड़ी उम्मीद थी। इस मिशन के असफल होने से इसरो के चेयरमैन के. सिवन को इस अभियान का बहुत बड़ा धक्का लगा। उस समय वहां पर मौजूद देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कंधे पर सर रखकर वे रोए भी थे।

निष्कर्ष

Chandrayaan-2 मिशन भले ही असफल रहा है लेकिन भारत उन देशों में से एक ऐसा देश बन गया है, जिसने chandrayaan-2 को बनाया और 95% तक वह सफल भी रहा। chandrayaan-2 को चांद के उस क्षेत्र में उतारा जाने वाला था, जहां पर आज तक कोई भी देश नहीं पहुंच सका। इसीलिए यह हमारे देश के लिए बहुत गर्व की बात रही। chandrayaan-2 को चांद के दक्षिणी ध्रुव उतारा जाना था, जहां दुनिया के किसी भी देश में अपने यान को आज तक नहीं उतारा।

अंतिम शब्द

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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