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चंद्रशेखर आजाद पर निबंध

Essay on Chandra Shekhar Azad in Hindi: अंग्रेजों के खिलाफ आज़ादी की लड़ाई में अनेक भारतीयों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था, जिसमें से एक चंद्रशेखर आजाद भी थे। चंद्रशेखर आजाद अंग्रेज़ों के खिलाफ आज़ादी की लड़ाई में बहुत कम उम्र में शहीद हो गए थे।

Essay on Chandra Shekhar Azad in Hindi

हम यहां पर चंद्रशेखर आजाद पर निबंध हिंदी में शेयर कर रहे है। इस निबंध में चंद्रशेखर आजाद के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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चंद्रशेखर आजाद पर निबंध (Essay on Chandra Shekhar Azad in Hindi)

यहाँ पर हम चंद्रशेखर आजाद के बारे में निबंध अलग अलग शब्दों में शेयर कर रहे हैं, जिससे विद्यार्थियों को निबन्ध लिखने में आसानी रहेगी। यहाँ पर हमने चंद्र शेखर आजाद निबंध 250 और 850 शब्दों में बहुत ही सरल भाषा में उपलब्ध किया है।

चंद्रशेखर आजाद पर निबंध (250 शब्द)

भारत की आजादी से पहले भारत के कई क्रांतिकारियों ने अपने जीवन की आहुति दी थी। उसमें चंद्रशेखर आजाद का नाम भी शामिल है। चंद्रशेखर आजाद भारत एक बहादुर क्रांतिकारी व्यक्ति थे। जिन्होंने भारत की आजादी में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया और अंग्रेजों के खिलाफ कई प्रकार के अभियान और क्रांतिकारी गतिविधियां चलाई।

चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्यप्रदेश में हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महान नायक के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया। चंद्रशेखर आजाद ने 14 वर्ष की उम्र में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन करने शुरू कर दिए थे। चंद्रशेखर आजाद ने गांधीजी के असहयोग आंदोलन में भाग लिया और उसके पश्चात ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार करके जेल में भेज दिया था।

ब्रिटिश सरकार की हजारों लाठियां खाने के बाद भी वंदे मातरम का नारा लगाते रहे। चंद्रशेखर आजाद ने लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला भी लिया और हर कदम पर भारत को आजाद कराने के लिए ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ते रहे।

1919 में जब जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ तब चंद्रशेखर आजाद सिर्फ 13 साल के थे और उनके मन में इस हत्याकांड से देश को आजाद कराने की एक चिंगारी जाग उठी। उसके पश्चात 14 साल की उम्र में चंद्रशेखर आजाद ने बनारस आकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन करने शुरू कर दिए। 16 साल की उम्र में ब्रिटिश सरकार के द्वारा इनको गिरफ्तार कर दिया गया।

उसके बाद भी चंद्रशेखर आजाद ने आज़ादी की लड़ाई को जारी रखा। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन में कोई कसर नहीं छोड़ी। इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क से पहले पुलिसकर्मियों ने घेर दिया। चंद्रशेखर आजाद उन पुलिस वालों से लड़ते-लड़ते घायल हो गए और आखिर में अपनी बंदूक में मौजूद आखिरी गोली को खुद की छाती पर मार कर खुद को खत्म कर दिया।

Essay on Chandra Shekhar Azad in Hindi

चंद्रशेखर आजाद पर निबंध (850 शब्द)

प्रस्तावना

चंद्रशेखर आजाद जिनको आज बहादुर और क्रांतिकारी के नाम से जाना जाता है। आज भी स्वतंत्रता सेनानी के रूप में चंद्रशेखर आजाद का नाम सबसे पहले आता है। सभी सरकारी दफ्तरों में चंद्रशेखर आजाद की तस्वीरें लगी हुई है। चंद्रशेखर आजाद का जन्म मध्यप्रदेश के झाबुआ गांव में 23 जुलाई 1906 को हुआ।

इनके पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी और माता का नाम जगदानी देवी था। चंद्रशेखर आजाद के पिता पंडित सीताराम तिवारी जो ईमानदार, स्वाभिमान और साहसी थे। पंडित सीताराम अपने वचन के बहुत अधिक पक्के थे और उसी तरह चंद्रशेखर आजाद भी साहसी, इमानदार और निडर थे।

चंद्रशेखर आजाद का शुरुआती जीवन

चंद्रशेखर आजाद ने अपने प्रारंभिक शिक्षा को अपने शहर से ही ग्रहण किया था। उसके पश्चात 14 साल की उम्र में चंद्रशेखर आजाद बनारस आ गए। यहां संस्कृत पाठशाला में एडमिशन लेकर अपनी पढ़ाई शुरू की। चंद्रशेखर आजाद ने सबसे पहले कानून भंग आंदोलन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

उसके पश्चात 1921 में महात्मा गांधी के द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाई। असहयोग आंदोलन में चंद्रशेखर आजाद को गिरफ्तार कर लिया गया और जज के सामने उन्हें पेश किया गया।

जज के पूछने पर चंद्रशेखर आजाद ने अपना नाम आजाद और पिता का नाम स्वतंत्रता बताया और अपना निवास स्थान जेल को बताया है। ऐसे में चंद्रशेखर आजाद का साहस देख कर जज ने उन्हें 15 कोड़ों की सजा सुना दी।

हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन ने चंद्रशेखर आजाद का योगदान

1922 में महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन पूरी तरह से खत्म होने के बाद चंद्रशेखर आजाद रामप्रसाद विलियमसन के संपर्क में आए और क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होते हुए हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की।

एसोसिएशन को शुरू करने के पश्चात चंद्रशेखर आजाद को मोतीलाल नेहरू का समर्थन मिला और उसके पश्चात चंद्रशेखर आजाद भगत सिंह, सुखदेव जगदीश, चंद्र चटर्जी से मिले और इनसे मिलने के पश्चात हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन को हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन ने बदल दिया।

चंद्रशेखर आजाद की क्रांतिकारी गतिविधियां

उसके पश्चात चंद्रशेखर आजाद ने कामकोड़ी ट्रेन रूट वायसराय ट्रेन को उड़ाने की कोशिश और लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए साडर्स की शूटिंग में शामिल हुए।

चंद्रशेखर आजाद ब्रिटिश पुलिस के लिए एक खतरा बन गए थे। ब्रिटिश पुलिस पूरी तरह से चंद्रशेखर आजाद को जिंदा पकड़ने की कोशिश में चंद्रशेखर आजाद के पीछे पड़ी हुई थी। चंद्रशेखर आजाद द्वारा किए गए आंदोलन जो भारत को आजाद कराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका रखते हैं।

वायसराय इरविन की ट्रेन को बम से उड़ाने का प्लान चंद्रशेखर आजाद और उनके साथियों ने बनाया था। लेकिन वयसराय इरविन को पता चल गया और इस घटना के दौरान वायसराय इरविन बच गया था। चंद्रशेखर आजाद में साइमन कमीशन में भारत आगमन का विरोध देश के सभी हिस्सों में किया था। लेकिन साइमन कमीशन में लाला लाजपत राय ने भी विरोध प्रदर्शन जताया था।

उस दौरान अंग्रेज अधिकारी साडर्स के आदेश और लाठीचार्ज में लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई है। ऐसे में आजाद जी ज्वाला भड़क उठी और साडर्स के हत्या की योजना बनाई।

1929 में अंग्रेजों के द्वारा पब्लिक सेफ्टी बिल बनाया गया। जिसमें भारतीय मजदूर ना तो हड़ताल कर सकते हैं और ना ही विरोध की लड़ाई कर सकते हैं। इस बिल का विरोध करने के लिए चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह दिल्ली पहुंचे और विरोध प्रदर्शन जताया।

जब 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजों के द्वारा फांसी दे दी गई तब चंद्रशेखर आजाद ने संकल्प ले लिया कि मुझे कभी भी अंग्रेज गिरफ्तार नहीं कर पाएंगे और इसलिए चंद्रशेखर आजाद हमेशा अपने साथ एक पिस्तौल रखते थे।

चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु

इलाहाबाद के अल्फ्रेड गार्डन जिसे आज के समय में आजाद पार्क के नाम से पहचाना जाता है। यहां पर चंद्रशेखर आजाद को पुलिस ने चारों तरफ से घेर लिया था। ऐसे में चंद्रशेखर आजाद ने एक पेड़ का सहारा लेते हुए जवाबी गोलियां चलाई।

लेकिन चंद्रशेखर आजाद की बंदूक से गोलियां खत्म होने वाली थी और पुलिस वालों का घेरा अधिक होने की वजह से बंदूक की आखिरी गोली चंद्रशेखर आजाद ने खुद के सीने पर मार दी और आत्महत्या कर ली। इसी वजह से चंद्रशेखर आजाद को शहीद का दर्जा दिया गया और इतिहास में चंद्रशेखर आजाद के नाम को स्वर्णिम अक्षरों के साथ दर्ज किया गया।

उपसंहार

चंद्रशेखर आजाद ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास किए। जलियांवाला बाग हत्याकांड चंद्रशेखर आजाद की आंखों के सामने हुआ और ऐसे में चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों से लड़ने का संकल्प ले लिया। अंग्रेजों के खिलाफ कई आंदोलन में भाग लिया। आज़ादी की लड़ाई में चंद्रशेखर आजाद के योगदान के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।

अंतिम शब्द

आज के इस आर्टिकल में हमने आपको चंद्रशेखर आजाद पर निबंध (chandra shekhar azad par nibandh) के रूप में जानकारी पेश की है। हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी।आपको यह जानकारी कैसी लगी, हमें कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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