Essay On Ambedkar Jayanti In Hindi: यहां पर हम अंबेडकर जयंती पर निबंध शेयर कर रहे है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार होगा।
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अंबेडकर जयंती पर निबंध | Essay On Ambedkar Jayanti In Hindi
अंबेडकर जयंती पर निबंध (200 शब्द)
बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को हर कोई व्यक्ति जानता है। क्योंकि इन्होंने भारत में कई महत्वपूर्ण कार्य किये है और संविधान जैसे महान कार्य इन्हीं के द्वारा किए गए हैं। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा शुरुआत से ही देश में समानता लाने के लिए निम्न जाति और पिछड़ी जाति के लोगों का संपूर्ण सहयोग किया गया। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की जयंती 14 अप्रैल को प्रतिवर्ष मनाई जाती है और इसमें राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया गया है।
बाबा साहब अंबेडकर जब छोटे थे तब पिछड़ी जाति से संबंधित होने की वजह से कई प्रकार की भेदभाव से संबंधित लोगों की बातें सुननी पड़ी और सहन करनी पड़ी जब बाबा साहेब आंबेडकर पढ़ने के लिए स्कूल जाते थे। तब उनको अपने साथ बिछाने के लिए दरी लेकर जानी पड़ती थी। क्योंकि स्कूलों में पिछड़ी जाति के लोगों को बिछाने के लिए कुछ नहीं किया जाता था।
आज के समय में अंबेडकर जयंती के दिन देशभर के सभी सरकारी दफ्तरों में अंबेडकर जी की तस्वीर या मूर्ति लगाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को पिछड़ी जाति के लोग भगवान के समान मानते हैं और 14 अप्रैल के दिन डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती को बड़े धूमधाम से मनाते हैं। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य सांसद गण भी संसद भवन में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की मूर्ति को रखकर 14 अप्रैल के दिन श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
14 अप्रैल के दिन डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की मूर्ति के साथ-साथ संविधान की किताब को भी पूजा जाता है। क्योंकि संविधान के निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की रहे हैं और इसी वजह से डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का नाम देश भर में इतना ऊंचा हुआ है।
अंबेडकर जयंती पर निबंध (600 शब्द)
प्रस्तावना
14 अप्रैल को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जाती हैं। भीमराव अंबेडकर जी को श्रद्धांजलि देने के लिए इस दिन को पूरे देश में अवकाश के रुप मे घोषित किया गया हैं। डॉ भीमराव अंबेडकर ने अपने बचपन में छुआछूत को सहन किया था, उस समय निम्न जाति के लोगों को स्कूल में बिछाने के लिए अपने साथ दरी ले जानी पड़ती थी।
वह उच्च कुल के बच्चों के साथ नहीं बैठे सकते थे। इस छुआछूत वाले व्यवहार को देख कर उनके मन में बहुत ज्यादा आक्रोश पैदा हुआ था। यह घटनाएं उनके हृदय को बहुत ज्यादा तकलीफ पहुंचाती थी। इस कारण वह हिंदू धर्म में विश्वास नहीं रखते थे। उनका मानना था हिंदू धर्म मैं समानता का अभाव है। इसने छुआछूत ऊंच-नीच को बढ़ावा दिया हैं।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर
उनका प्रमुख उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति व वर्ग को सामाजिक और राजनीतिक समानता दिलाने का था। इसके लिए उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर हमेशा अछूतों तथा पिछड़ी जाति के लोगों के विकास के लिए और उन्हें समानता दिलाने के लिए प्रयासरत रहते थे। आज भी दलित समाज के लोग उनके द्वारा किए गए कार्यों तथा उनके द्वारा लाए गए परिवर्तनों के लिए उनका आभार व्यक्त करते हैं।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर स्वतंत्र भारत के समाज सुधारक थे। उन्होंने सामाजिक असमानता और भेदभाव से भरी जाति व्यवस्था को समाप्त करने मे योगदान दिया। वह स्वतंत्र भारत के संविधान के निर्माता। अंबेडकर जी कानून, अर्थशास्त्र, राजनीति सहित कई क्षेत्रों में उत्कृष्ट थे। वह भारत गणराज्य के प्रमुख नेताओं वह वास्तुकारो मे से एक थे।
अंबेडकर जी का जन्म मध्य प्रदेश के सेना छावनी क्षेत्र में हुआ था, उस समय उनके पिता भारतीय सेना में कर्मचारी थे। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर हिंदू धर्म की निचली जाति में पैदा हुए थे। इस कारण उन्हें छुआछूत और भेदभाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा। वह स्कूल तो जाते थे। परंतु उन्हें वहां पर किसी भी चीज को छूने की इजाजत नहीं थी।
कक्षा में शिक्षिकों द्वारा नीची जाति के छात्रों पर ध्यान नहीं दिया जाता था, उन्हें कक्षा से अलग बाहर बिठाया जाता था। इस प्रकार के अपमानित व्यवहार ने उन्हें अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए और उच्च शिक्षित होने के लिए प्रेरित किया। ओशो और ओबामा जैसे कई सुशिक्षित व्यक्तियों ने अंबेडकर जी के के कार्य और विचारों को प्रोत्साहित किया और उनकी प्रशंसा की।
अंबेडकर जी को सम्मान देने के लिए एक दिन रखा गया, जिसे हम अंबेडकर जयंती के रूप में मनाते हैं और उन्हें सम्मान देने के लिए कई संस्थाओं का नाम उनके नाम पर रखा गया और कई फिल्मों और कई पुस्तकों में उनके महान विचारों का वर्णन किया गया हैं। उन्होंने देश के कई लोगों को असमानत के विरुद्ध लड़ने के लिए प्रेरित किया और कई वर्गों को सामाजिक राजनीति समानता दिलाई।
अंबेडकर जयंती पर अवकाश कब घोषित हुआ?
उनको उनके मूल अधिकार प्राप्त कराने में योगदान दिया। असमानताओं को समाप्त करने में उनके द्वारा दिए गए योगदान के लिए हर वर्ष 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती पूरे देश में हर्ष और उल्लास के साथ मनाई जाती हैं। 2015 से 14 अप्रैल को सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया गया। इतना ही नहीं बल्कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, समेत्त उच्च रैंक के लोग भारतीय संसद दिल्ली में अंबेडकर जी की मूर्ति को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एकत्रित होते हैं।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी ने जातिगत व्यवस्था और भेदभाव के खिलाफ तथा निम्न जाति को उनके अधिकार दिलाने के लिए कड़ा संघर्ष किया और इस वजह से वह दलित समुदाय में लोकप्रिय बन गए। अंबेडकर जी ने कानून व राजनीति विज्ञान मैं डिग्री प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने एक दल बनाया, जिसका नाम स्वतंत्र श्रम दल रखा।
वह दलित वर्ग के लिए विधानसभा मे कुछ सिटे सुरक्षित करने में कामयाब रहे। स्वतंत्र भारत की संविधान का प्रारुप तैयार करने के लिए उत्तरदाई समिति के अध्यक्ष और स्वतंत्र समिति के अध्यक्ष के रुप में उनको नियुक्त किया गया।
अंबेडकर जी स्वतंत्र भारत के संविधान के वास्तुकार थे। जाति व्यवस्था के साथ बाल-विवाह कैसी कुप्रथा को समाप्त किया, उन्होंने अपने निधन से कुछ समय पहले बौद्ध धर्म अपना लिया था।
उनका मानना था हिंदू धर्म में कभी भी उनके वर्ग को समानता नहीं मिलने वाली। वह ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते थे, जहां पर किसी भी प्रकार की असमानता व भेदभाव न हो। अंबेडकर जयंती हमारे देश के महापुरुष और महान राजनेता को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाई जाती हैं। वह लेखक, इतिहासकार, संपादक वक्ता थे। महानव्यक्तित्व के धनी थे। वह हमेशा अपने आस-आस के लोगों की सहायता की हमेशा तत्पर रहते थे।
निष्कर्ष
सभी प्रकार के सरकारी दफ्तरों में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जयंती को मनाया जाता है। इस दिन सरकारी दफ्तरों में छुट्टी की घोषणा भी होती है। सरकारी दफ्तरों में सभी महान लोगों की तस्वीरों के साथ डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की तस्वीर भी लगी हुई मिलती है। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल को प्रतिवर्ष मनाई जाती है।
अंतिम शब्द
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