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एकादशी व्रत कथा

एकादशी व्रत कथा | Ekadashi Vrat Katha

एक बार एक राज्य में एक राजा रहा करता था। राजा बहुत ही बुद्धिमान और बलशाली था। राजा सदैव अपनी प्रजा का बहुत अच्छे से ध्यान रखता था। प्रजा भी अपने राजा को बहुत पसंद करती थी। राजा की दो बेटियां थी। राजा अपनी दोनों बेटियों से बहुत प्रेम करता था। राजा की छोटी बेटी देखने में बहुत सुंदर और आकर्षण थी और राजा की बड़ी बेटी छोटी बेटी के मुकाबले थोड़ा कम सुंदर थी।

राजा की छोटी बेटी ग्यारस माता की पूजा किया करती थी और सभी लोग राजा की छोटी बेटी से बहुत प्रेम करते थे और बहुत प्रशंसा किया करते थे। राजा भी अपनी छोटी बेटी को बड़ी बेटी से अधिक प्रेम करता था। जिस कारण राजा की बड़ी बेटी को अपनी छोटी बहन से बहुत नफरत होने लगी थी।

राजा की दोनों बेटियां जब बड़ी हो गई, तब एक पड़ोस राज्य में रहने वाला राजकुमार राजा की बड़ी बेटी के लिए रिश्ता लेकर आया। लेकिन जैसे ही उस राजकुमार की नजर राजा की छोटी बेटी पर पड़ी तो, वह राजकुमार राजा की छोटी बेटी पर आकर्षण हो गया और उससे पहली नजर में प्रेम कर बैठा।

उस राजकुमार ने राजा की बड़ी बेटी के साथ विवाह करने से मना कर दिया और उसने राजा से कहा कि मैं आपकी छोटी बेटी से विवाह करना चाहता हूं। जिसके बाद राजा की बड़ी बेटी यह देखकर अपनी छोटी बहन से बहुत क्रोधित हो गई और राजा की बड़ी बेटी ने अपनी छोटी बहन को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मान लिया। राजा की बड़ी बेटी ने अपनी छोटी बहन से बदला लेने का निर्णय लिया ।

Ekadashi Vrat Katha
Image: Ekadashi Vrat Katha

जिसके लिए उसने अपनी छोटी बहन को जान से मारने का प्लान बनाया। राजा की बड़ी बेटी ने अपनी छोटी बहन को मारने के लिए सबसे पहले एक लड्डू में जहर मिलाकर अपनी छोटी बहन को दे दिया और उसको लड्डू खाने के लिए कहा। लेकिन लड्डू खाने के बाद भी छोटी बहन को कुछ नहीं हुआ। बड़ी बहन यह देखकर बहुत आश्चर्यचकित हो गई लेकिन बड़ी बहन ने हार नहीं मानी है और उसने जब रात में छोटी बहन अपने कमरे में सो रही थी तब एक मटके में सांप रखकर उसे कमरे में छोड़ दिया।

लेकिन सांप भी छोटी बहन का कुछ नहीं कर पाया। जिसके बाद बड़ी बहन ने अपनी छोटी बहन से कहा कि चलो हम लोग कुएं में से पानी भरकर लाते है। जिसके लिए वह अपनी छोटी बहन को पानी भरने के बहाने कुएं के पास ले गई और उसने अपनी छोटी बहन को कुएं में धक्का दे दिया।

लेकिन छोटी बहन को तब भी कुछ नहीं हुआ क्योंकि हर बार ग्यारस माता उसकी रक्षा कर रही थी और उधर बड़ी बहन अपने सारे प्रयासों के बाद असफल हो रही थी जिससे वह बहुत क्रोधित होती जा रही थी।

फिर उसने अपनी छोटी बहन के पास जाकर उससे खुद ही पूछा की मेरी छोटी बहन तुमको पता है, भगवान ने सब की मृत्यु एक निश्चित समय पर लिखी हुई है और कैसे तुम्हारी मृत्यु होगी, क्या यह तुम जानती हो? तब छोटी बहन ने अपनी बड़ी बहन को बताया कि हां मैं तो जानती हूं मेरी मृत्यु कैसे होगी?

छोटी बहन से यह सुनकर बड़ी बहन मन ही मन बहुत प्रसन्न होने लगी और उसने अपनी छोटी बहन से कहा कि तो मुझे अपनी मृत्यु का राज बताओ।छोटी बहन ने अपनी बड़ी बहन से कहा कि मेरी मृत्यु तो एक तोते में है, जो तोते के गले में एक हार है उससे मेरी मृत्यु होगी।

जब तक कोई भी व्यक्ति तोते को मार कर वह हार अपने गले में पहनेगा तो मैं मूर्छित हो जाऊंगी और जैसे ही उस हार को अपने गले से उतारेगा तो मैं वापस से जीवित हो जाऊंगी। अपनी छोटी बहन की मृत्यु का राज जानकर बड़ी बहन बहुत ही खुश हो गई और उसने अपनी छोटी बहन को मारने के लिए उसके पालतू तोते को ढूंढना शुरू कर दिया और छोटी बहन को इस बात का आभास हो गया था कि कोई उसकी जान लेना चाहता है।

जिसके लिए वह अपने पिताजी के पास गई और उसने अपने पिताजी से कहा कि पिताजी मेरी मृत्यु के बाद आप मुझे जलाइएगा मत बल्कि आप मुझे अपनी पुरानी वाली हवेली में एक पलंग में लिटा कर छोड़ दीजिएगा। अपनी छोटी लड़की की यह बात सुनकर राजा बहुत आश्चर्यचकित हो गए।

राजा ने अपनी छोटी बेटी से पूछा बेटी तुम या क्या कह रही हो? तब राजा की छोटी बेटी ने बताया पिताजी समय किसी के लिए नहीं रुका है। कब, क्या हो जाए, किसी को कुछ पता नहीं है और फिर राजा ने अपनी छोटी बेटी से कहा कि तुम ऐसी बातें क्यों कर रही हो? दो-तीन दिन में तो तुम्हारा विवाह है लेकिन छोटी बेटी ने अपने पिताजी को ऐसा करने पर मजबूर कर दिया और उनसे वचन ले लिया।

राजा ने भी अपनी छोटी बेटी की बात स्वीकार कर ली और दो-तीन दिनों के बाद जब शादी का समय आया तब राजकुमार बारात लेकर राजा के घर आया और राजकुमार और राजा की छोटी बेटी का विवाह शुरू हो गया। जैसे ही राजा की छोटी बेटी राजकुमार के साथ फेरे लेना शुरु करती है तो उसकी बड़ी बहन अपनी छोटी बहन के कमरे में जाकर उसके तोते को पकड़ लेती है और उसको जान से मार देती है।

तोते की गले में जो हार था, उसको अपने गले में धारण कर लेती है। जैसे ही बड़ी बहन उस हार को अपने गले में धारण करती है तो उधर छोटी बहन साढ़े तीन ही फेरे ले पाती है और वहीं पर बेहोश होकर गिर जाती है।

जिसके बाद राजा ने बड़े-बड़े दर्द हकीमो को बुलवाया और अपनी छोटी बेटी का इलाज करने के लिए कहा। राजा की बात सुनकर वैद्य ने छोटी बेटी को जब चेक किया तो राजा को बताया की आपकी छोटी बेटी ना तो जीवित है और ना ही मरी हुई है। यह मैं ऐसा पहली बार देख रहा हूं। राजा ने वैद्य और हकीम को यह बात बाहर बताने से मना कर दिया और उनको कहा कि अगर तुमने यह बात किसी को बाहर बताई, तो हम तुम्हें फांसी दे देंगे।

राजा ने अपनी छोटी बेटी को पुराने महल में जाकर एक पलंग में लेटा दिया और वहां पर कुछ सैनिक को तैनात कर दिया। वापस अपने महल पर आ गया। राजा की बड़ी बेटी अपने पिताजी के पास आया और कहने लगी कि पिताजी अगर यह शादी संपन्न नहीं हुई तो, आपकी इज्जत का क्या होगा? आप कहे तो मैं आपकी इज्जत बचाने के लिए राजकुमार से शादी करने के लिए तैयार हूं।

जिसके बाद राजा ने अपनी बड़ी बेटी की बात मान ली और राजा ने बड़ी बेटी को छोटी बेटी की कपड़े पहना कर मंडप पर भेज दिया। लेकिन राजकुमार यह जान गया कि यह राजा की छोटी बेटी नहीं है बल्कि यह राजा की बड़ी बेटी है। लेकिन जब राजकुमार ने शादी करने से मना किया तो, सभी लोगों ने राजकुमार को विवश कर के राजा की बड़ी बेटी से बचे हुए फेरो को संपन्न करा दिया और विवाह करवा दिया।

जिसके बाद राजकुमार राजा की बड़ी बेटी को अपने महल ले गया। राजकुमार राजा की बड़ी बेटी से ना तो बात करता था, नहीं उसको पसंद करता था और ना ही उसके आसपास भटकता था और राजकुमार ने यह फैसला लिया था कि वह अपनी प्रेमिका को ढूंढकर रहेगा और यह जानकर रहेगा कि उसके साथ हुआ क्या है?

एक दिन राजकुमार अपने घोड़े पर सवार होकर राजा के पुराने महल के पास पहुंच गया। जहां पर उसने कुछ सैनिकों को देखा महल के पास पहुंचकर राजकुमार ने जब महल को ध्यान से देखा तो वह समझ गया कि यह तो हमारे ससुर जी का महल है।

तब राजकुमार ने सैनिकों से पूछा तुम लोग यहां क्या कर रहे हो और इस महल के अंदर उस पलंग में कौन लेटा है?  जिसके बाद सैनिकों ने बताया कि यहां पर राजा की छोटी बेटी लेटी है। यह सुनकर राजकुमार बहुत प्रसन्न हो गया और वह तुरंत अपनी प्रेमिका के पास पहुंच गया और उसकी सेवा करने लगा।

जैसे ही रात हुई तो राजा की छोटी बेटी उठ कर खड़ी हो गई। राजकुमार यह देखकर बहुत खुश हो गया और उसने अपनी प्रेमिका से पूछा कि तुम यहां क्या कर रही हो? तुम मेरे साथ मेरे घर चलो।

राजा की छोटी बेटी ने राजकुमार को सारी बातें बता दी की मेरी जान एक तोते में बसी थी और मैंने यह बात सिर्फ अपनी बड़ी बहन को बताया था और मुझे पता है कि उसने ही मुझे मारने का प्रयास किया है। उसके पास एक हार है जिसको वह सुबह पहन लेती है और रात को उतार देती है।

जब तक वह हार को पहने ले रहती है तब तक मैं मूर्छित रहती हूं और जैसे ही वह हार को उतार देती है तो मैं जीवित हो जाती हूं और जब तक मेरी बड़ी बहन के पास वह हार है तब तक मैं ऐसे ही जीवित और मूर्छित होती रहूंगी। अगर मेरी बड़ी बहन के पास जो हारा वह मेरे हाथ में लग जाए तो, मैं हमेशा के लिए जीवित हो जाऊंगी।

राजकुमार यह बात सुनकर राजा की छोटी बेटी के पास रहने का निर्णय ले लिया और उसने अपने बचे हुए सारे फेरे उस पलंग में लेटी राजकुमार की छोटी बेटी के साथ ले लिए और अपना विवाह पूर्ण कर लिया और वहीं पर ही रहने लगा। देखते ही देखते कुछ समय में राजा की छोटी बेटी और राजकुमार की पत्नी पेट से हो गई। एक दिन राजकुमार को किसी काम से बाहर जाना पड़ा, तब छोटी बहन के पेट में बहुत तेज से दर्द होने लगा।

जिसके बाद उसने ग्यारस माता का आवाहन किया जिसके बाद वहां पर ग्यारस माता प्रकट हुई और उन्होंने अपनी भक्तों के दर्द को दूर किया और एक पुत्र की प्राप्ति करवाई और वहीं पर अचानक से राजकुमार भी आ गया।

राजकुमार ने ग्यारस माता को देखा तो वह आश्चर्यचकित हो गया और उसने तुरंत माता को प्रणाम किया और ग्यारस माता ने राजकुमार से कहा कि जब तुम्हारा तो तो पांच वर्ष का हो जाए तो तुम अपनी पत्नी का हार आकर इसके गले में डाल देना और देखते ही देखते राजकुमार और राजा की छोटी बेटी का पुत्र 5 वर्ष का हो जाता है।

तो राजकुमार अपने बेटे से कहता है कि बेटा मैं कुछ काम से बाहर जा रहा हूं। तुम अपनी माता का ध्यान रखना और वहां से चला जाता है। राजा को बाहर निकलता देख बड़ी बहन के सैनिक देख लेते हैं और बड़ी बहन को जाकर सारी बातें बता देते हैं।

जिसके बाद बड़ी बहन अपनी छोटी बहन के पुत्र को वहां से उठवा लेती है और उसको मरवा देती है। छोटी बेटी के पुत्र के दो टुकड़े करवा देती है। पहला टुकड़ा चक्की के पास छुपा देती है और दूसरा टुकड़ा अपनी पलंग के नीचे रख लेती है। अब ग्यारस माता भिखारी का रूप लेकर आते है।

एक भिखारी का रूप रखकर बड़ी बहन के पास चली जाती हैं जिसके बाद वहां पर भिक्षा मांगने लगती हैं। बड़ी बहन अपने नौकरों से कहती है कि जाकर भिक्षा दे दो लेकिन जैसे ही नौकर ग्यारस माता को भिक्षा देने के लिए आते हैं तो, माता उन्हें मना कर देती है और कहती है कि मैं तुम्हारी महारानी से ही भिक्षा लूंगी।

जिसके बाद बड़ी बहन स्वयं ही भिक्षा देने के लिए माता के पास आती हैं। तब माता एक बिल्ली का रूप लेकर उसके कमरे में चली जाती हैं और वहां पर छोटी बेटी के पुत्र कोई दो टुकड़े को आपस में जोड़ देती है और उसे जीवित कर देती हैं। उसे वहां से ले जाती है।

राजकुमार अपने बेटे को लेकर अपनी पत्नी के पास जाता है और उसे कहता है कि तुम इसका ध्यान रखना। अगर तुम इस बच्चे का अच्छे से ध्यान रखोगी तो, मैं तुम से बात करूँगा। एक दिन राजकुमार अपने बच्चे से कहता है कि तुम मम्मी से उनके गले का हार मांग लो। जिसके बाद राजकुमार का लड़का अपनी मम्मी के पास जाता है और कहता है कि मम्मी मुझे तुम्हारा हार चाहिए जो तुमने गले में पहन रखा है।

यह सुनकर पहले तो बड़ी बहन बहुत क्रोधित होती है। पर उसको यह याद आता है कि राजकुमार ने कहा था कि अगर मैं इस बच्चे का ध्यान अच्छे से रखूंगी तो, वह मुझसे बात करेंगे। जिसके कारण वह हर को उस बच्चे को दे देती है और वह तुरंत हर को ले जाकर अपने पिताजी को दे देता है और तभी राजकुमार अपने बेटे को लेकर वहां से जाने लगता है।

और अपनी पत्नी से कहता है कि तुम हमारे लिए खाना बना कर रखना। मैं शाम को आकर तुम्हारे साथ खाऊंगा और वह अपने बेटे को लेकर वहां से चला जाता है। जिसके बाद वह राजा के पास जाता है और उनको सारी बातें बता देता है। राजा अपनी बड़ी बेटी की यह करतूत सुनकर बहुत क्रोधित होते हैं और अपनी परवरिश पर ही दोष देने लगते हैं और राजकुमार को अपनी छोटी बेटी के साथ रहने के लिए आदेश देते हैं।

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