Brahmagupta Biography In Hindi: नमस्कार दोस्तों, आज हम आप सभी लोगों को भारत के ही एक ऐसे ज्ञाता से मिलवाने वाले हैं, जिन्होंने अपनी शिक्षा को ध्यान में रखकर ऐसे अंको की खोज कर दी, जिसके बिना वर्तमान में किसी भी विशेष संखिकिय कार्य को पूरी शुद्धता के साथ नहीं किया जा सकता है और ना ही इसके बिना किसी भी स्पेस कार्य को किया जा सकता था। इन्होंने ही भारत के गणितीय विभाग को ही सर्वोच्च शिखर प्रदान किया। गणित के क्षेत्र में सबसे बड़ी उपलब्धि इन्हें अनिवार्य वर्ग समीकरण से प्राप्त हुआ है।
इन्होंने गणित के इतिहास में इस समीकरण के हल का से श्रेय जोल पेल को दिया है और शायद यही कारण है कि इस अनिवार्य समीकरण को पेल समीकरण भी कहा जाता है। गणित को एक विशेष उपलब्धि देने के लिए इन्होंने अनेकों मत प्रस्तुत किए जिसके कारण 12 वीं शताब्दी में विख्यात ज्योतिष गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इन्हें गणक चक्र चूड़ामणि की उपाधि से सम्मानित किया। इस महान गणितज्ञ के द्वारा गणित के सबसे महत्वपूर्ण अंक की खोज की गई।
हमारे इतना कहने के बाद आप अब तो समझ गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं। जी हां, आप सभी लोगों ने बिल्कुल ही सही समझा हम बात कर रहे हैं, महान गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त के जीवन परिचय के विषय में। आज हम सभी लोग अपने इस महत्वपूर्ण लेख के माध्यम से गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त के विषय में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे।
आज आप सभी लोगों को हमारे द्वारा लिखे गए इस लेख में जानने को मिलेगा कि ब्रह्मगुप्त कौन थे?, ब्रह्मगुप्त का जन्म, ब्रह्मगुप्त को प्राप्त शिक्षा, क्या है ब्रह्मगुप्त सूत्र, गणितज्ञ ब्रह्मगुप्ता का गणित के क्षेत्र में योगदान इत्यादि। यदि आप ब्रह्मगुप्त के जीवन परिचय से संबंधित सभी जानकारियां प्राप्त करना चाहते हैं तो कृपया हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
महान गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त का जीवन परिचय | Brahmagupta Biography In Hindi
ब्रह्मगुप्त के विषय में संक्षिप्त जानकारी
नाम | ब्रह्मगुप्त |
उपाधि | गड़क चक्र चूड़ामणि |
चूड़ामणि की उपाधि | भास्कर आचार्य |
उपलब्धि | शून्य के विषय में जानकारी |
ब्रह्मगुप्त के द्वारा दिया गया प्रमुख सूत्र | ब्रह्मगुप्त फार्मूला |
ब्रह्मगुप्त कौन थे?
ब्रह्मगुप्त एक बहुत ही महान गणितज्ञ थे। ब्रह्मगुप्त ने ज्योतिष शास्त्र की शिक्षा प्राप्त कर के दो प्रसिद्ध ग्रंथों की रचना की इन ग्रंथों के नाम ब्रह्मा स्फुट सिद्धांत और खंड खाद्य। ब्रह्मगुप्त ने ब्रह्मा सिद्धांत की भी रचना की इसकी रचना ब्रह्मगुप्त ने मात्र 30 वर्ष की अवस्था में ही कर दी थी।
ब्रह्मगुप्त ने अपने इन ज्योतिष ग्रंथों का अनुवाद भी किया। अपने ज्योतिष ग्रंथों का अनुवाद इन्होंने अरबी और अतहर कंदन भाषा में किया है। ब्रह्मगुप्त महान ज्योतिषी और महान गणितज्ञ थे, इनके इन्हें ग्रंथों से ही भारत को सबसे पहली बार गणित और ज्योतिष का ज्ञान प्राप्त हुआ था।
इस ज्ञान को बाद में अरबो ने यूरोप तक पहुंचाया था। हालांकि वर्तमान समय में यह ग्रंथ उपलब्ध में नहीं है। हम सभी लोगों को यह हमेशा स्मरण रखना चाहिए कि अरेबिया गणितज्ञ और ज्योतिषी के गुरु हमारे भारतीय गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त ही है।
ब्रह्मगुप्त जी ने पहले भारत में कई सिद्धांत ग्रंथ भी लिखे थे, उनमें से सबसे प्रमुख ग्रंथ ब्राह्मण सिद्धांत था। पहले ब्रह्मगुप्त ने इस सिद्धांत में कई बातें कही थी जो कि समय के अनुसार बहुत ही पुरानी हो गई थी और नवीन ज्ञान से कोई भी तालमेल नहीं रखती थी, इसके बाद ब्रह्मगुप्त ने नया सिद्धांत लिखा, जिसे ब्रह्म स्फुट सिद्धांत कहा। स्फुट का अर्थ विस्तृत अर्थात संशोधित होता है।
ब्रह्मगुप्त के द्वारा दिए गए ब्रह्म स्फुट सिद्धांत हे ब्रह्मगुप्त का सबसे पहला ग्रंथ माना जाता है। ब्रह्मगुप्त ने इस ग्रंथ में 0 का एक विशेष अर्थ बताया है और इन्होंने ही इसे एक अलग अंग के रूप में उल्लेखित भी किया है। इतना ही नहीं बल्कि ब्रह्मगुप्त का का यह सिद्धांत रात मकान को और शून्य पर गणित करने के सभी नियमों को भी वर्णित करता था। ब्रह्मपुत्र के द्वारा दिया गया यह नियम वर्तमान गणित के बहुत ही ज्यादा निकट है।
ब्रह्मगुप्त ने इस नियम में यह बताया था कि शून्य का शून्य से भाग देने पर शून्य ही आता है। इनका यह नियम पूरी तरह से सत्य तो नहीं बल्कि काफी हद तक सत्य था, जिसके फलस्वरूप बाद में संशोधन किए गए और बताया गया कि शून्य का शून्य से भाग देने पर शून्य नहीं बल्कि अनंत आता है।
धीरे-धीरे ब्रह्मगुप्त ने अंक गणित के साथ-साथ बीजगणित और रेखा गणित पर भी अपनी दृष्टि डालने शुरू की और इन्होंने π का मान 10 माना। ब्रह्मगुप्त ने ही वर्गीकरण विधि का वर्णन सबसे पहले किया था। इतना ही नहीं ब्रह्मगुप्त के द्वारा ही सबसे पहले विलोम विधि का भी वर्णन किया गया था। इन्हीं सब के अनुसार बाद में ब्रह्मगुप्त को 12 वीं शताब्दी के सम्माननीय ज्योतिष और गणितज्ञ भास्कर आचार्य ने इन्हें गणक चक्र चूड़ामणि कहा है।
ब्रह्मगुप्त का जन्म
महान गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त का जन्म 598 असली में पश्चिम भारत में हुआ था। ब्रह्मगुप्त का जन्म पश्चिम भारत के भीनमाल में हुआ था। भीनमाल पहले गुजरात की राजधानी हुआ करती थी। भास्कर आचार्य की कथा अनुसार इनका जन्म पंजाब के भीलनालका में हुआ था।
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ब्रह्मगुप्त को प्राप्त शिक्षा
ब्रह्मगुप्त के शिक्षा के विषय में अब तक कोई भी विशेष मत प्रस्तुत नहीं है, हालांकि ब्रह्मगुप्त के रचनाओं और उनके खोज की वजह से अंदाजा लगाया जाता है कि ब्रह्मपुत्र एक ग्रेजुएट व्यक्ति रहे होंगे। ब्रह्मगुप्त बहुत ही ज्यादा तेज दिमाग के थे। आप सभी लोग ब्रह्मगुप्त के काबिलियत का अंदाज़ा इसी बात से लगा सकते हैं कि उन्होंने मात्र 30 वर्ष की उम्र में ब्रह्मा स्फुट सिद्धांत की रचना कर दी थी।
ब्रह्मगुप्त सूत्र क्या है?
ब्रह्मगुप्त ने अपना सबसे बड़ा योगदान गणित के क्षेत्र में रेखा गणित पर दिया। रेखा गणित के चक्रीय चतुर्भुज में ब्रह्मगुप्त ने अपना विशेष योगदान दिया। उन्होंने कई प्रयोगों के बाद यह बताया कि चक्रीय चतुर्भुज के विकर्ण परस्पर लंब होते हैं।
इतना ही नहीं ब्रह्मगुप्त ने चक्रीय चतुर्भुज के क्षेत्रफल को ज्ञान करने के लिए सन्निकट सूत्र और यथातथ सूत्र भी प्रस्तुत किया है। ब्रह्मपुत्र के दोनों ही सूत्र बहुत ही ज्यादा उपयोग में लाए जाते हैं। वर्तमान समय में जिस हेरोन के सूत्र का उपयोग करके हम सभी लोग त्रिभुज का क्षेत्रफल ज्ञात करते हैं, वह इनके सन्निकट सूत्र तथा यथातथ सूत्र का ही एक विशिष्ट रूप है।
शून्य अंक के विषय में
ब्रह्मगुप्त ने शून्य की खोज को लेकर बहुत से मत प्रस्तुत किए हैं। इन्होंने सबसे पहले बताया था कि शून्य क्या होता है?, सुन का उपयोग कैसे किया जाता है? इतना ही नहीं उन्होंने यह भी बताया था कि 0 से 0 में भाग देने पर कितना आता है, परंतु शून्य से शून्य में भाग देने का इनका यह मत गलत सिद्ध हो गया, क्योंकि शून्य से शून्य में भाग देने पर संख्या अनंत आती है।
ब्रम्हगुप्त की मृत्यु
ब्रह्मगुप्त की मृत्यु सन 668 ईसवी में हुई थी। अब तक कोई भी यह नहीं बता सका है कि आखिर इनकी मृत्यु का कारण क्या था।
ब्रह्मगुप्त के शिक्षा के विषय में अब तक कोई भी विशेष मत प्रस्तुत नहीं है, हालांकि ब्रह्मगुप्त के रचनाओं और उनके खोज की वजह से अंदाजा लगाया जाता है कि ब्रह्मपुत्र एक ग्रेजुएट व्यक्ति रहे होंगे।
भीनमाल, जालोर (राजस्थान)
महान गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त का जन्म 598 असली में पश्चिम भारत में हुआ था।
जालोर (राजस्थान)
निष्कर्ष
हम आप सभी लोगों से उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह महत्वपूर्ण लेख महान गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त का जीवन परिचय (Brahmagupta Biography In Hindi) अवश्य ही पसंद आया होगा। यदि आपको हमारा यह लेख वाकई में पसंद आया हो तो कृपया इसे अवश्य शेयर करें और यदि आपके मन में इस लेख को लेकर किसी भी प्रकार का कोई सवाल या फिर सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में हमें अवश्य बताएं।
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