Blacksmith Essay in Hindi: लोहार एक जाति समुदाय हैं। लोहार जाति समुदाय के बारे में आप जरुर जानते होंगे। लोहार जाति समुदाय हर गांव में रहने वाला एक ऐसा समुदाय है। जो अपने पुश्तैनी व्यवसाय को आगे बढ़ा रहे हैं। लोहार का कार्य लोहे से संबंधित वस्तुओं को बनाना होता है। आज के इस आर्टिकल में हम लोहार पर निबंध के बारे में जानकारी आप तक पहुंचाने वाले हैं।
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लोहार पर निबंध | Blacksmith Essay in Hindi
लोहार पर निबंध (250 शब्द)
यह जाति समुदाय के लोग जो अनुसूचित जाति वर्ग में आते हैं। इस वर्ग के व्यक्ति जो अपना जीवन यापन करने के लिए लोहे से संबंधित कई प्रकार की वस्तुएं जैसे कुल्हाड़ी, हथौड़ी,कई, लोहे के चुल्ले इत्यादि वस्तुओं का निर्माण करते हैं। लोहार के बारे में देखा जाए, तो यह एक पिछड़ा जाति वर्ग है। जो अपने जीवन यापन करने के लिए लोहे की वस्तुओं का निर्माण करके उन वस्तुओं को बाजार में बेचते हैं।
ऐसे आपने अपने निजी जीवन में भी सुना होगा कि लोहार दो प्रकार के होते हैं। एक वह लोहार होते हैं, जो गाड़ी पर अपना सारा सामान लादकर एक गांव से दूसरे गांव तक घूमते रहते हैं और जिस गांव में रुकते हैं 10-15 दिन वहां पर काम करते हैं और उसके पश्चात अगले गांव के लिए निकल जाते हैं। उन्हें गाड़िया लोहार कहते हैं और दूसरे लोहार जो स्थाई रूप से एक ही गांव में निवास करते हैं। उन्हें मालवीय लोहार कहा जाता है।
लोहार समुदाय में भी अपने धार्मिक कानून को बहुत माना जाता है। इस जाति समुदाय के लोगों में कई प्रकार के पाबंद और सख्त कानून बनाए गए हैं। जिनका पालन करना लोहार जाति समुदाय के लोगों के लिए काफी जरूरी माना जा रहा है। लोहार जाति समुदाय में रहने वाली महिलाओं के कमर में काला धागा बांधा हुआ होता है और लोहार जाति समुदाय के लोग कुएं से पानी नहीं भर सकते हैं। लोहार जाति के लोगों के लिए एक और कानून बनाया गया है, कि यह जाति वर्ग जिससे संबंधित कोई भी व्यक्ति अन्य जाति से विवाह नहीं रचा सकता है। हालांकि वर्तमान समय में लव मैरिज के रूप में कई ऐसे के सामने आए हैं। जिसमें कोई प्रकार की उच्च नीच नहीं देखी गई है।
लोहार पर निबंध (800 शब्द)
प्रस्तावना
व्यक्ति अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए कई प्रकार के कार्य करता है। कोई व्यक्ति अपने पुराने पुश्तैनी व्यवसाय को बढ़ाने में रुचि रखता है और हर इंसान का कोई न कोई पुश्तैनी कार्य जरूर होता है। जिस प्रकार से सुनार का बेटा आगे जाकर सुनार ही बनता है। उसी प्रकार से लोहार का बेटा आगे जाकर लोहार ही बनता है और अपने पुश्तैनी कार्य को आगे बढ़ाता है। लोहार एक ऐसा जाति समुदाय है। जो लोहे इस्टील इत्यादि के सामान को निर्मित करते हैं। उनका जीवन पूरी तरह से धर्म से भरा हुआ होता है। लोहार अपने जीवन में कई प्रकार के श्रम भरे कार्य करता है।
भारत में लोहार समुदाय की करोड़ों लोग अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इन सभी लोगों का मुख्य व्यवसाय या मुख्य पेशा लोहे की वस्तुओं को बनाना है। लोहार समुदाय के लोगों द्वारा अपने पुश्तैनी व्यवसाय को आगे बढ़ाया जा रहा है। लोहार दो लोहे और स्टील की वस्तुएं हथोड़ा, छेनी और अन्य उपकरणों के माध्यम से बनाता है। लोहार समुदाय के लोगों द्वारा कृषि के औजार कार्य करके हो जाए और अन्य प्रकार के कई स्टील के बर्तन लोहे के बर्तन इत्यादि बनाए जाते हैं। लोहार समुदाय के लोगों को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया है। पुराने समय की व्यवस्था के अनुसार लोहार को शुद्र वर्ण से संबंधित माना जाता था।
लोहार जाति समुदाय के प्रकार
लोहार जाति कितने प्रकार की होती है। उसके बारे में बात करें तो लोहार मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं।
1. गाड़िया लोहार
गाड़िया लोहार उन्हें बोला जाता है,जो अपने परिवार के साथ गाड़ी पर लद कर एक गांव से दूसरे गांव काम की खोज में निकलते हैं और उनका कोई स्थाई आवाज नहीं होता है। इतिहास के माध्यम से बताया जाता है, कि पूर्व में गाड़िया लोहार राजपूत हुआ करते थे। जिन्होंने चित्तौड़ पर मुगलों के आक्रमण के पश्चात अपना जीवन घुमंतू रुप से जीना शुरू कर दिया और लोहार का कार्य करना शुरू कर दिया।
2. मालवीय लोहार
दूसरे लोहार ने मालवीय लोहार के नाम से जाना जाता है। मालवीय लोहार जो मध्यप्रदेश के मालवा शहर से आकर देशभर के विभिन्न स्थलों में बस गए। उन्होंने शुरुआत में लकड़ी का कार्य करना शुरू किया था और मालवीय लोहार में से कई लोहार हिंदू धर्म को छोड़कर मुस्लिम धर्म में चले गए। जिन्हें मुल्तानी और नागौरी अलग-अलग जाति समुदाय के रूप में जाना जाता है।
गाड़िया लोहार मुख्यतः कहां रहते हैं?
लोहार के रहने की बात करें, तो गाड़िया लोहार मुख्य तो राजस्थान में ही रहते हैं। राजस्थान के विभिन्न स्थलों में गाड़िया लोहार अपनी गाड़ी के माध्यम से परिवार के साथ एक गांव से दूसरे गांव की ओर घूमते रहते हैं। उनका घर बैलगाड़ी पर ही निर्भर है। बेल गाड़ी के ऊपर ही इनका पूरा सारा सामान लदा रहता है और बेल गाड़ी के ऊपर ही इनके बाल बच्चे और सारा परिवार रहता है।
गाड़िया लोहार का जीवन यापन
यह लोहार का जीवन यापन मेल गाड़ी के ऊपर होता है।जीवन में जन्म से लेकर मरण तक का सारा सफर यदि बैलगाड़ी के भीतर संपन्न होता है। जीवन के 16 संस्कार गाड़िया लोहार के इसी गाड़ी के ऊपर होते हैं। उनका कोई स्थाई घर नहीं होता है। इतिहास के अनुसार बताया जाता है, कि लोहार समुदाय के व्यक्ति पुराने समय में राजपूत हुआ करते थे। जिन्होंने चित्तौड़ पर मुगलों के आक्रमण के पश्चात अपना घुमंतू शुरू किया।
लोहार को राणा प्रताप का मुख्य सहयोगी माना जाता था। पुराने जमाने में लोहार समुदाय के लोग राजपूत लोगों के लिए हथियार बनाने का काम किया करते थे। युद्ध में हथियार बनाने का मुख्य काम लोहार समुदाय के लोगों द्वारा ही किया जाता था।
लोहार समुदाय के लोगों को भगवान का वरदान
एक समय की बात है, जब युद्ध से अभियान लौट रहे थे तब उनके बीच रस्ते में भगवान का रथ जिसका टूटा हुआ पहिया पड़ा था। युद्ध से वापस लौट रहे, लोगों ने भगवान के रथ की घुरी जोड़ती और भगवान इससे प्रसन्न हो गए हैं। भगवान ने प्रसन्न होकर उन लोगों को लोहे के काम में कभी भी हार ना मानने का वरदान दे दिया। भगवान के इस वरदान के पश्चात हजारों पीढ़ियां गुजर गई, लेकिन अभी भी लोहार अपना वही कार्य करने में पूरी तरह से सक्षम है।
गाड़िया लोहार जिनको उनकी कला के माध्यम से भेज दी समृद्ध माना जाता है। गाड़िया लोहार समुदाय में महिलाएं भी पुरुषों की भांति ही कार्य करती है और लोहे को पीठ पर विभिन्न प्रकार के उपकरण बनाने में महिलाएं भी पूरी तरह से निपुण होती है। लोहार के घर में महिलाओं की मदद से औजार बनाए जाते हैं और लोहे को गर्म करके पीटने में भी लोहारन मदद करती है।
लोहार के कार्य
लोहे और स्टील से संबंधित संपूर्ण प्रकार के कार्य लोहार द्वारा किया जाते हैं लोहार द्वारा लोहे से संबंधित कई प्रकार के उपकरण हथियार इत्यादि बनाए जाते हैं कृषि कार्य के लिए उपयोग होने वाले कई उपकरण भी लोहार द्वारा ही बनाए जाते हैं इसके अलावा इस टीम के कई बर्तन एलुमिनियम के बर्तन बनाने में भी लोहार सक्षम होते हैं लोहार द्वारा लोहे को तपा कर उसे अलग रूप में डाला जाता है।
लोहार समुदाय का पहनावा
लोहार जाति के सदस्य के प्राचीन धर्म और रिवाज की बात करें,तो इनकी संस्कृति में बहुत ही कठोर कानून बनाए गए हैं। इन लोगों के समुदाय में अपने नियमों का पालन कठोरता से करना पड़ता है। लोहा समुदाय के सभी लोगों की एक ही भाषा होती है। इसके अलावा जो लोहार समुदाय के लोगों के लिए आभूषण होते हैं। वह विशिष्ट प्रकार के होते हैं।
महिलाओं की भुजाओं में कांच या तांबे की चूड़ियां पहनी हुई होती है। नाक में नथ पहनी हुई होती है। साथ ही साथ महिलाओं के गले में लोहे का कड़ा पहना हुआ होता है। महिलाओं के कमर में काला धागा बांधा हुआ होता है और उनके सिर पर कई छोटी-छोटी चोटियां गुथी हुई होती है। जिसकी वजह से लोहार जाति की पहचान होती है।
इसके अलावा लोहार समुदाय के लोगों के लिए और भी कई कानून बनाए हैं। लोहार समुदाय के लोगों के लिए जमीन पर सोना निर्धारित किया गया है। पक्के घर में रहना भी लोहार समुदाय के लोगों के लिए उनके धर्म के खिलाफ माना जाता है। लोहा समुदाय के लोगों के घर में कोई भी दीपक नहीं जला सकता है।
निष्कर्ष
भारत में रहने वाले संपूर्ण लोहार समुदाय के लोग जो अपने जीवन में श्रम भरे कार्य करते हैं। लोहार का संपूर्ण जीवन लोहे के उपकरण बनाकर बेचने में व्यतीत होता है। लोहार समुदाय के लोगों के लिए उनके धर्म से जुड़े कई कठिन कानून भी बने हुए हैं। जिन्हें पालना करना आज के समय में काफी मुश्किल है।
अंतिम शब्द
आज के आर्टिकल में हमने लोहार पर निबंध (Blacksmith Essay in Hindi) के बारे में संपूर्ण जानकारी आप तक पहुंचाई हैं। हमें उम्मीद है, कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी। यदि कोई व्यक्ति जिसे हमारे आर्टिकल से जुड़ा कोई सवाल है। तो वहां हमें कमेंट के माध्यम से बता सकता है।
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