Biography of Vishnu Prabhakar in Hindi: नमस्कार दोस्तों, आज हम सभी लोग हिंदी साहित्य के बहुत ही सम्माननीय लेखक श्री विष्णु प्रभाकर जी के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे। विष्णु प्रभाकर जी हिंदी साहित्य के ज्ञाता और हिंदी साहित्य के इतिहास में अपना विशेष स्थान रखते हैं। विष्णु प्रभाकर जी पूरी दुनिया पूरे भारत में बहुत ही प्रतिष्ठित लेखक बन चुके हैं।
इन्होंने हिंदी साहित्य के बहुत ही मशहूर उपन्यास, निबंध, नाटक इत्यादि लिखे है। विष्णु प्रभाकर जी ने प्रभाकर परीक्षा को उत्तीर्ण किया है, इसीलिए उनके नाम के पीछे प्रभाकर शब्द जोड़ा जाता है। विष्णु प्रभाकर जी को हिंदी साहित्य के ज्ञानी लेखकों में से एक माना जाता है।
आज आप सभी लोगों को इस लेख में जानने को मिलेगा कि विष्णु प्रभाकर जी कौन है? (vishnu prabhakar ji ka jeevan parichay), विष्णु प्रभाकर का जन्म, विष्णु प्रभाकर को प्राप्त शिक्षा, विष्णु प्रभाकर का व्यवसाय, विष्णु प्रभाकर के द्वारा लिखी गई कृतियां, विष्णु प्रभाकर को प्राप्त पुरस्कार इत्यादि। यदि आप विष्णु प्रभाकर जी के विषय में विस्तृत जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो कृपया आप हमारे द्वारा लिखे गए इस महत्वपूर्ण लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
विष्णु प्रभाकर का जीवन परिचय | Biography of Vishnu Prabhakar in Hindi
विष्णु प्रभाकर के विषय में संक्षिप्त जानकारी
नाम | विष्णु प्रभाकर |
वास्तविक नाम | विष्णु दयाल |
जन्म | 21 जून 1912 |
जन्म स्थान | मीरापुर उत्तर प्रदेश |
माता | महादेवी |
पिता | दुर्गा प्रसाद |
शिक्षा | बीए |
पत्नी | सुशीला |
पेशा | लेखक |
काल | आधुनिक काल |
लेखनी विधा | गद्य साहित्य |
मृत्यु | 11 अप्रैल 2009 |
मृत्यु स्थान | नई दिल्ली |
विष्णु प्रभाकर कौन थे?
विष्णु प्रभाकर जी हिंदी साहित्य के एक जाने-माने लेखक थे। हिंदी साहित्य में अपना विशेष योगदान दिया। विष्णु प्रभाकर जी के द्वारा अनिल को रचनाएं लिखी गई है, जो कि लोगों के दिलों में आज भी विराजमान हैं। हिंदी साहित्य में विष्णु दयाल जी को हिंदी साहित्य का ज्ञाता कहा जाता है। विष्णु प्रभाकर जी ने हिंदी साहित्य के विकास में अपना विशेष योगदान दिया है और इनके द्वारा लिखी गई सभी कृतियां वर्तमान समय में बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध हो चुकी है।
विष्णु प्रभाकर जी के द्वारा लिखी गई कृतियों का अभिवादन विद्यार्थियों को शैक्षणिक व्यवस्था के अंतर्गत पढ़ाई जाती हैं, ताकि विद्यार्थी भी इनके द्वारा लिखी गई कृतियों से प्रेरित हो सके और देश दुनिया की खबरें को प्राप्त करने की जिज्ञासा उत्पन्न करें।
विष्णु प्रभाकर जी ने अपने साहित्य में भारतीय वाद्मिता और अस्मिता को व्यक्त करते हुए विशेष ज्ञान वितरित किया है और इसीलिए इन्हें वनिता और अस्मिता के लिए प्रसिद्धि प्राप्त है। विष्णु प्रभाकर जी ने कहानी, उपन्यास, निबंध, नाटक, जीवनी, एकाकी, यात्रा वृतांत और कविताओं जैसी विशेष और प्रमुख विधाओं में अपने बहुमूल्य रचनाओं को प्रस्तुत किया है।
विष्णु प्रभाकर जी ने अनेकों पत्रिकाओं का संपादन भी किया, जिसके कारण आकाशवाणी, दूरदर्शन, पत्र-पत्रिकाओं तथा प्रकाशन संबंधी मीडिया के अन्य क्षेत्र में भी ख्याति प्राप्त की। विष्णु प्रभाकर जी देश विदेश की अनेकों यात्राओं को कर चुके हैं और इसके बाद इन्होंने जीवन पर्यंत, पूर्ण कालीन, मासिजीवी रचनाओं के रूप में साहित्य क्षेत्र की साधना में सदैव लीन थे।
विष्णु प्रभाकर का जन्म
विष्णु प्रभाकर जी का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में 21 जून वर्ष 1912 ईस्वी में उत्तर प्रदेश राज्य के मुजफ्फरपुर जिले के मीरापुर गांव में हुआ था। विष्णु प्रभाकर जी का वास्तविक नाम विष्णु दयाल था। इन्होंने हाई स्कूल से पहले ही प्रभाकर परीक्षा दिया था और उसे उत्तीर्ण किया था, इसी कारण इनके नाम के साथ प्रभाकर शब्द जोड़ा गया है।
विष्णु प्रभाकर का पारिवारिक संबंध
विष्णु प्रभाकर जी के पिता का नाम दुर्गा प्रसाद था। दुर्गा प्रसाद जी धार्मिक विचारधारा वाले व्यक्तित्व के बहुत ही धनी व्यक्ति थे। विष्णु प्रभाकर जी की माता का नाम महादेवी था। महादेवी जी एक पढ़ी-लिखी शिक्षित महिला थी, इन्होंने अपने समय में चल रही पर्दा प्रथा का घोर विरोध किया था।
विष्णु प्रभाकर को प्राप्त शिक्षा
विष्णु प्रभाकर जी की प्रारंभिक शिक्षा इन के ग्रामीण क्षेत्र मीरापुर से ही शुरू हुई थी। विष्णु प्रभाकर जी ने 1929 ईस्वी में हिसार में स्थित चंदूलाल एंग्लो वैदिक हाई स्कूल में एडमिशन ले लिया। इसी विद्यालय से विष्णु प्रभाकर जी ने मैट्रिक की परीक्षा पास की।
बेटे की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय में भूषण, प्राज्ञ, विशाररद और प्रभाकर आदि की हिंदी संस्कृत परीक्षाएं दी और इन परीक्षाओं को उत्तीर्ण भी किया। विष्णु प्रभाकर जी ने पंजाब विश्वविद्यालय से ही बीए अर्थात बैचलर ऑफ आर्ट की शिक्षा प्राप्त की।
विष्णु प्रभाकर का विवाह
विष्णु प्रभाकर जी का विवाह सुशीला नाम की एक महिला से हुआ था। सुशीला एक गृहणी थी। अपनी पति और सासू मां अर्थात महादेवी जी से प्रेरणा प्राप्त करके इन्होंने भी कुछ सामाजिक सुधार कार्य किए थे।
विष्णु प्रभाकर का व्यवसाय
विष्णु प्रभाकर जी के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही ज्यादा कमजोर थी, इसी कारण से विष्णु प्रभाकर जी को इनके शुरुआती समय में बहुत सी कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा था। विष्णु प्रभाकर जी ने अपनी शिक्षा को तो भली-भांति प्राप्त नहीं कर पाए। परंतु अपने घर ही परेशानियों और जिम्मेदारियों के बोझ को समझने लगे थे और इसीलिए उन्होंने स्वयं को इन सभी के अनुरूप अनुकूलित कर लिया।
विष्णु प्रभाकर जी ने चतुर्थ श्रेणी की एक सरकारी नौकरी प्राप्त की। विष्णु प्रभाकर जी जो नौकरी करते थे उसके लिए इन्हें परिश्रमिक रूप से मात्र ₹18 प्रतिमाह वेतन के रूप में दिया जाता था। विष्णु प्रभाकर जी जो भी डिग्रियां और उच्च शिक्षा प्राप्त की थी, उसे इन्होंने अपने परिवार वालों की देखरेख के लिए सही से उपयोग किया। विष्णु प्रभाकर जी ने अपने घर परिवार की जिम्मेदारियों को पूरी तरह से निभाया और उनके अथक प्रयासों का ही परिणाम था कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति थोड़ी बदल गई।
विष्णु प्रभाकर का करियर
विष्णु प्रभाकर जी प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी महात्मा गांधी जी के जीवन आदर्शों से काफी प्रेम करते थे, इसी कारण से प्रभाकर जी का रुझान कांग्रेस पार्टी की तरफ हो गया था। प्रभाकर जी ने आजादी के दौर में बज रहे राजनीतिक बिगुल में अपनी लेखनी का एक आधार बना लिया था, जो कि आजादी के संघर्ष के लिए काफी कार्यरत साबित हुई।
विष्णु प्रभाकर जी ने अपने लेखन के समय में मुंशी प्रेमचंद्र, यशपाल और महान लेखक अज्ञेय जी जैसे महारथियों के सहयात्री भी रह चुके हैं। इन सभी के अलावा विष्णु प्रभाकर जी की रचना के क्षेत्र में एक अलग ही पहचान बन चुकी थी। विष्णु प्रभाकर जी ने 1931 ईस्वी में हिंदी मिलाप नाम एक पत्रिका में अपनी पहली कहानी लिखी थी। यह पत्रिका प्रत्येक वर्ष के दीपावली के दिन छपती थी और लोगों तक पहुंचाई जाती थी।
नाथूराम शर्मा प्रेम जी के द्वारा कहने के बाद प्रभाकर जी ने शरद चंद्र की जीवनी, आवारा मसीहा इत्यादि लिखने के लिए बहुत ही ज्यादा प्रेरित हुए, जिसके लिए उन्होंने शरतचंद्र को जानने के लिए अनेकों जगहों तक भ्रमण किया। इतना ही नहीं उन्होंने शरद चंद्र की जीवनी लिखने के लिए बांग्ला भाषा भी सीखी। जब विष्णु प्रभाकर जी ने शरद चंद्र की जीवनी लिखकर छपाई और उसे लोगों तक पहुंचाया तो हिंदी साहित्य में विष्णु जी की और ही लग गई और यह निकल पड़े।
विष्णु प्रभाकर जी ने कहानी उपन्यास नाटक संस्मरण एकाकी बाल साहित्य इत्यादि विधा में लेखनी लिखी। इसके बाद इन्होंने आवारा मसीहा लेखनी लिखी, जो कि इन्हें पहचान प्राप्त कराने के लिए पर्याप्त थी। इसके बाद इन्होंने अर्धनारीश्वर लिखा, जिसके लिए उन्हें अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
विष्णु प्रभाकर के द्वारा लिखी गई कृतियां
विष्णु प्रभाकर जी के द्वारा अनेकों विधा में कृतियां लिखी गई है, जो अपने आप में विशेष भूमिका रहती है। हमने उनकी सभी विधाओं के कुछ कृतियों के विषय में नीचे निम्नलिखित बताया है।
कहानी संग्रह
- धरती अब भी घूम रही है
- संघर्ष के बाद
- खिलौने
- आदि और अंत
- एक आसमान के नीचे
- एक और कुंती
- मेरा वतन
- अधूरी कहानी
- पाप का घड़ा
कविता
- चलता चला जाऊंगा
उपन्यास
- अर्धनारीश्वर
- तट के बंधन
- संकल्प
- स्वराज्य की कहानी
- ढलती रात
- दर्पण का व्यक्ति
- परछाई
नाटक
- समाधि
- रक्त चंदन
- युगे युगे क्रांति
- सत्ता के आर पार
- डॉक्टर
- गांधार की भिक्षुणी
- लिपस्टिक की मुस्कान
- श्वेत कमल
आत्मकथा
- मुक्त गगन में
- क्षमादान और पंख हीन
- पंछी उड़ गया
जीवनी
- अमर शहीद भगत सिंह
- दिशांत
- यादों की तीर्थ यात्रा
- समांतर रेखाएं
- जाने अनजाने
- सरदार बल्लभ भाई पटेल
- मेरे हमसफर
एकांकी
- प्रकाश और परछाई
- ऊंचा पर्वत गहरा सागर
- दस बजे रात
- क्या वह दोषी था
- इंसान
निबंध
- क्या खोया क्या पाया
- जंग समाज और संस्कृति
विष्णु प्रभाकर को प्राप्त पुरस्कार एवं सम्मान
विष्णु प्रभाकर जी को बहुत से पुरस्कार प्राप्त हैं, जिनकी सूची नीचे निम्नलिखित है:
- मूर्ति देवी पुरस्कार
- पद्मभूषण
- सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार
- महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार
- साहित्य अकादमी पुरस्कार
निष्कर्ष
हम आप सभी लोगों से उम्मीद करते हैं कि आप सभी लोगों को हमारे द्वारा लिखा गया यह महत्वपूर्ण लेख विष्णु प्रभाकर का जीवन परिचय (Biography of Vishnu Prabhakar in Hindi) अवश्य ही पसंद आया होगा। यदि आपको हमारा यह लेख वाकई में पसंद आया हो तो कृपया इसे अवश्य शेयर करें। यदि आपके मन में इस लेख को लेकर किसी भी प्रकार का कोई सवाल या फिर सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में हमें अवश्य बताएं।
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