Suryakant Tripathi Nirala Biography in Hindi: आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे हैं विश्व के विख्यात कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के बारे में। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला भारत के ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के सबसे लोकप्रिय कवि में से एक माने जाते हैं।

आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको बतायेंगे कि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म कब हुआ था, उनके विचार क्या थे और साथ ही हम आपको इस लेख के माध्यम से बताने वाले हैं कि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला किन विधा में अपनी रचना करते थे और उनकी कुछ प्रमुख रचनाओं के नाम भी बताने वाले हैं तो कृपया इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जीवन परिचय – Suryakant Tripathi Nirala Biography in Hindi
विषय सूची
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की जीवनी एक नज़र में
नाम | सूर्यकांत त्रिपाठी |
उपनाम | ‘निराला’ |
जन्म | 21 फरवरी 1899 |
आयु | 62 वर्ष |
जन्म स्थान | महिषादल, जिला मेदनीपुर, पश्चिम बंगाल |
पिता का नाम | पंडित रामसहाय |
माता का नाम | – |
पत्नी का नाम | मनोहरा देवी |
पेशा | कवि |
बच्चे | 1 पुत्री |
मृत्यु | 15 अक्टूबर 1961 |
मृत्यु स्थान | — |
अवार्ड | विशिष्ट सेवा पदक |
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला कौन थे?
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला को हिंदी साहित्य के छायावादी युग के चार स्तंभ कारी कवियों में से एक माना जाता है। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला भारत के ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व के एक विख्यात कवि हैं। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला कविताओं को लिखने के साथ-साथ वह एक बहुत ही प्रसिद्ध उपन्यासकार, निबंधकार, कहानीकार थे। वह इन सभी विधाओं में कथा लिखने के साथ-साथ एक बहुत ही विख्यात रेखा चित्रकार भी थे।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का व्यक्तित्व बहुत ही विद्रोही और क्रांतिकारी विचार वाले व्यक्ति थे। ऐसे में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला अपने शुरुआती दिनों में वे अन्य काव्य प्रेमियों के द्वारा गलत सिद्ध किए जा रहे थे, अपितु वह अपनी प्रतिभा के चलते उन्होंने अपनी हिंदी साहित्य में अपने कला को प्रदर्शित किया और संपूर्ण विश्व के विख्यात कवियों में से एक हो गए हैं।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का जन्म
क्या आप जानते हैं कि स्तंभ कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का जन्म कब हुआ था? यदि नहीं तो आपको बता दे कि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म वर्ष 1896 ईस्वी में बंगाल राज्य के महिषादल रियासत में जिला मोदीनी पुर में हुआ था। सूर्यकांत त्रिपाठी जी के पिता का नाम पंडित राम सहाय त्रिपाठी था, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के पिता महिषादल रियासत में एक सिपाही की नौकरी करते थे।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के पिता जब इनकी कुंडली बनवाने के लिए गए तो उनकी कुंडली के अनुसार इनका नाम सूरज कुमार रखा गया था। लोगों का ऐसा कहना है कि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की पिता का पैतृक स्थान बंगाल में नहीं अपितु इनका मूल निवास उत्तर प्रदेश राज्य के उन्नाव जिले के बांसवाड़ा नामक ग्राम है। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के पिता की छोटी पद वाली नौकरी होने के कारण उन्हें कई बार अपमानित भी किया जाता था, परंतु वह बहुत ही शांत स्वभाव के थे, इसलिए वे इतना अपमान होने के बाद भी चुप रहते थे।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की शिक्षा
हम आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने बंगाल के ही एक विद्यालय से की थी। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी ने केवल हाई स्कूल तक की ही शिक्षा प्राप्त की। हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी ने हिंदी, संस्कृत और बंगला आदि भाषाओं का अध्ययन किया।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का प्रारंभिक जीवन
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी जब केवल 3 वर्ष के थे, तभी उनके माता का देहांत हो गया था और जब वह लगभग 20 वर्ष के हुए, तब उनके पिता का देहांत हो गया। उसके बाद प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान एक ऐसी महामारी फैली जिसके दौरान उनकी पत्नी सहित उनके परिवार के कुछ और सदस्यों की भी मृत्यु हो गई। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला भी महिषादल रियासत में नौकरी करने लगे, परंतु यह नौकरी सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के जीवन यापन करने से भी कम था।
इसके बाद सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का शेष जीवन बहुत ही कष्टकारी आर्थिक मंदी के साथ गुजरा। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की सबसे खास बात यह थी कि वह अपनी कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने सिद्धांत का साथ कभी नहीं छोड़ा अर्थात उन्होंने अपने सिद्धांत के साथ कभी भी समझौता नहीं किया, उन्होंने अपने धैर्य और साहस के साथ अपने उसके साथ अंत तक अपना जीवन व्यतीत किया।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का विवाह
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का विवाह महज 15 वर्ष की उम्र में ही हो गया था। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का विवाह रायबरेली जिले के डलमऊ नामक ग्राम में एक पंडित परिवार में हुआ। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की पत्नी का नाम मनोहरा देवी था। सुरेश त्रिपाठी निराला ने मनोहरा देवी का बहुत ख्याल रखा। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की पत्नी मनोहरा देवी सुंदर होने के साथ-साथ शिक्षित औरत भी थी। सूर्यकांत त्रिपाठी की पत्नी को संगीत में काफी रुचि जी।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की पत्नी मनोहरा देवी ने सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी को हिंदी सिखाई। इसके बाद सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी अपनी रचनाएं लिखना शुरू कर दिए। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जीवन विवाह के बाद बहुत ही सुखी पूर्वक व्यतीत होने लगा, परंतु उनकी खुशी बहुत जल्दी ही छीन गई, अर्थात उनकी पत्नी का निधन हो गया। इसके पश्चात वे पुनः आर्थिक मंदी से जूझने लगे। अपनी इसी आर्थिक मंदी को दूर करने के लिए सुंदर कांत त्रिपाठी निराला ने विभिन्न प्रकार के प्रकाशकों के लिए रीडर और संपादक का काम भी किया।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की पत्रिका
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने अपनी सर्वप्रथम कविता को वर्ष 1920 में जन्मभूमि प्रभाव नामक एक मासिक पत्रिका के द्वारा प्रकाशित किया। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला अपनी प्रत्येक नई कविताओं को प्रत्येक माह इसी पत्रिका के द्वारा प्रकाशित करते थे। उन्होंने अपने निबंधों को सरस्वती पत्रिका के माध्यम से भी वर्ष 1920 में प्रकाशित किया। अर्थात सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी ने वर्ष 1920 में दो पत्रिकाओं के माध्यम से अपने कविता और निबंधों को प्रकाशित किया।
त्रिपाठी निराला का काव्य संग्रह
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने वर्ष 1923 में में अपनी प्रथम कविता संग्रह को अनामिका नाम से प्रकाशित किया। उनका प्रथम निबंध बंग भाषा में सरस्वती पत्रिका के द्वारा प्रकाशित हुआ। वर्ष 1922 ईस्वी में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी ने महिषादल की नौकरी को त्याग दिया और उसके बाद स्वतंत्र रूप से लेखन करने लगे। वर्ष 1923 में प्रकाशित होने वाली समन्वय का संपादन भी सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने ही किया।
इन सभी का संपादन करने के बाद भी मतवाला को वर्ष 1923 में एक टीम के साथ मिलकर के संपादित किया। इन सभी कार्यों के उपरांत लखनऊ से उन्होंने गंगा पुस्तक माला के प्रकाशन में भी काम किया। अपने जीवन का कुछ वर्ष लखनऊ में बिताया और उसके बाद भी इलाहाबाद चले गए इलाहाबाद जाने के बाद वे स्वतंत्र रचना करने लगे।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की काव्यगत विशेषता
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने अपनी कविताओं में काल्पनिक घटनाओं को बहुत कम स्थान दिया, उन्होंने अपनी कविताओं में यथार्थ सत्य की प्रमुखता को दर्शाया है। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने अपने एक काव्य संग्रह को परिमल में लिखा है। इनकी इस कविता का अर्थ था कि जिस प्रकार मानव को मुक्ति प्राप्त होती है, ठीक वैसे ही कविताओं को भी मुक्ति प्राप्त होती है।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की प्रमुख कृतियां
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला छायावादी युग के प्रमुख कवि थे। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने अनेकों प्रकार के काव्य संग्रह को प्रकाशित किया जो कि नीचे लिखित प्रकार से है।
- गीतिका (1936)
- अनामिका (1923)
- अनामिका द्वितीय
- कुकुरमुत्ता (1942)
- परिमल (1930)
- तुलसीदास (1939)
- गीत कुंज (1954)
- अणिमा (1983)
- नए पत्ते (1946)
- आराधना (1953)
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का कहानी संग्रह
- लिली (1934)
- शुकुल की बीवी (1941)
- देवी (1948)
- चतुरी चमार (1945)
- सखी (1935)
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का उपन्यास
- प्रभावती (1936)
- अक्षरा (1931)
- अलका (1933)
- चोटी की पकड़ (1946)
- काले कारनामे (1950)
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की मृत्यु
हिंदी साहित्य के छायावादी युग के प्रमुख कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के जीवन का अंतिम समय प्रयागराज के दारागंज नामक मोहल्ले में एक छोटे से कमरे में व्यतीत हुआ था। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की मृत्यु इसी कमरे में 15 अक्टूबर वर्ष 1961 को हुई थी।
निष्कर्ष
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला छायावादी युग के बहुत ही प्रसिद्ध कवि थे, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला को हिंदी साहित्य के चार स्तंभ कवियों में से एक माना जाता है। आज के इस लेख के माध्यम से हमने आपको सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान कराई है। यदि आपको यह लेख “सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जीवन परिचय (Suryakant Tripathi Nirala Biography in Hindi)” पसंद आया हो तो कृपया इसलिए को शेयर करें।
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