Biography of APJ Abdul Kalam in Hindi: मेरे टीचर हमेशा कहते थे कि 1000 हजार साल जीने के लिए 1000 साल जिंदा रहने की जरूरत नहीं होती। आप केवल एक ऐसा काम कर दीजिये, जिससे आप लोगों के दिल में 1000 साल जिंदा रहे।
मैं जब भी इन वाक्यों को याद करता हूँ तो मेरे दिमाग में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की तस्वीर आन पड़ती है, जिन्हें लोग देश के लिए अपने अतुलीय योगदान के लिए याद करते हैं।
उनके व्यक्तित्व, सादगी और योगदान के कारण वो हर हिन्दुस्तानी के दिल में आज भी जिंदा है और जब तक भारत का अस्तित्व है तब तक वो भी हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।
अब्दुल कलाम को सभी धर्म, जाति और नस्ल के लोग सम्मान की नजरों से देखते हैं और उनके योगदान के लिए उन्हें श्रद्धांजलि भी देते हैं। तो आज के इस लेख में हम आपको इसी महान व्यक्ति के बारे में बता रहे हैं। इस लेख में हम आपको डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम बायोग्राफी से संबंधित सभी जानकारियां देने की कोशिश करेंगे।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन परिचय (जन्म, शिक्षा, करियर, किताबें, पुरस्कार, निधन) | Biography of APJ Abdul Kalam in Hindi
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी (apj abdul kalam biography in hindi)
नाम | डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम |
पूरा नाम | अबुल पकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम |
उपनाम | मिसाइल मैन |
जन्म और स्थान | 15 अक्टूबर 1931, रामेश्वरम (तमिलनाडु) |
पिताजी | जैनुलअबिदीन मारकयार |
माताजी | अशिअम्मा जैनुलअबिदीन |
भाई | कासीक मोहम्मद, मुस्ताफ कमल, मोहम्मद मुथु मीरा लेबाई मारिकायर |
बहन | असिम जोहरा (बड़ी) |
शिक्षा | इंजीनियारिंग, स्नातक (भौतिक विज्ञान) |
स्कूल | रामनाथपुरम स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन |
कॉलेज | सेंट जोसेफ्स कॉलेज, मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी |
पेशा | लेखक, प्रोफेसर, एयररोस्पेस वैज्ञानिक |
धर्म | इस्लाम |
नागरिकता | भारतीय |
उपलब्धि | भारत रत्न, पद्म विभूषण और पद्म भूषण (नीचे विस्तार में) |
स्टेटस | अविवाहित |
निधन | 27 जुलाई 2015, शिलोंग (दिल का दौरा पड़ने से) |
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का शुरुआती जीवन
अब्दुल कलाम का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम जिले में 15 अक्टूबर 1931 को एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता जैनुलअबिदीन मस्जिद के इमाम और एक नाविक थे जबकि उनकी माता अशिअम्मा गृहणी थी।
अब्दुल कलाम के चार भाई और एक बहन थी। अब्दुल कलाम अपने भाइयों और बहन से बहुत प्यार और इज्जत करते थे। इसलिए जब तक वो जिंदा रहे तब तक उन्हें थोड़े-थोड़े पैसे भिजवाते रहे। इन्होंने शादी नहीं की।
डॉ. ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम की शिक्षा
अब्दुल कलाम का जीवन बचपन से ही संषर्घ भरा रहा, उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, जिसके कारण उन्हें छोटी सी उम्र में ही काम करना पड़ा था। परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए ये स्कूल के साथ अखबार बांटने का भी काम करते थे।
वैसे कलाम पढ़ाई-लिखाई में सामान्य बच्चे की ही तरह थे। मगर उनको नई-नई चीजों को सीखने का बहुत शौक था। उनकी गणित में बहुत रुचि थी, इसलिए वो घंटो गणित सीखने में बिता देते थे।
कलाम ने अपनी स्कूली पढ़ाई रामनाथपुरम स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन से पूरी की थी, जिसके बाद उन्होने तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में एडमिशन लिया। अब्दुल कलाम ने तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज से ही भौतिक विज्ञान में स्नातक किया था। कलाम ने अपनी इंजीनियारिंग की पढ़ाई मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से पुरी की थी।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का करियर
कलाम ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में एक वैज्ञानिक के रूप में शामिल हुए। जहां उन्होंने एक हेलीकॉप्टर का डिजाइन बना कर अपने करियर की शुरुआत की थी। लेकिन वहाँ कलाम का दिल नहीं लगा और ना ही उन्हें काम से संतुष्टि मिल रही थी, जिसके बाद वो ‘इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च’ के सदस्य बन गए।
कुछ समय बाद अब्दुल कलाम का स्थानांतरण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में हो गया। इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च में काम करने के दौरान ही अब्दुल कलाम को एक प्रसिद्ध भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ काम करने का मौका मिला।
इसरो में काम करने के दौरान अब्दुल कलाम को सैटेलाइट लांच व्हीकल परियोजना के निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था, जिसकी सफलता के बाद अब्दुल कलाम को लगने लगा कि ये वही काम है, जिसकी वह वर्षों से तलाश कर रहे थे।
भारत को अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें देने वाली परियोजना इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम के मुख्य कार्यकारी भी डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ही थे।
अब्दुल कलाम भारत के प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के सचिव भी रहे थे। वो 1992 से दिसम्बर 1999 तक इन पदों पर रह कर देश की निस्वार्थ सेवा करते रहे। भारत का दूसरा परमाणु परीक्षण इन्ही की रेख-देख में हुआ था।
क्योंकि उस समय मीडिया ने परमाणु परीक्षण को बड़े पैमाने पर कवरेज किया था। इसलिए कलाम भारत के हीरो और सबसे प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक बन गए।
भारत के राष्ट्रपति के रूप में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
भारत के राष्ट्रपति के रूप में कलाम काफी प्रसिद्ध रहे और उन्हें देश की जनता का भरपूर प्यार भी मिला। वैज्ञानिक के रूप में उनके महान कार्यों और सेवाओं को देखते हुए उस समय की एन.डी.ए. की गठबंधन सरकार ने कलाम को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था।
लक्ष्मी सहगल को भारी मतों से हराते हुए कलाम 25 जुलाई सन 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति बने। अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनने से पहले भी भारत रत्न मिल चुका था। वो ऐसे चुनिंदा लोगों में से थे, जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पहले ही भारत रत्न मिला।
जैसा कि हमने पहले कहा अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति रहते हुए जनता का भरपूर प्यार मिला, जिसके कारण उन्होंने दोबारा राष्ट्रपति बनने की इच्छा भी प्रकट की। मगर राजनीतिक पार्टियों के समीकरण ना मिल पाने के कारण वो दोबारा राष्ट्रपति नहीं बन पाये।
राष्ट्रपति पद से सेवामुक्त होने के बाद डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने क्या किया?
- डॉ. कलाम को लेखन, मार्गदर्शन और शिक्षण का भी बहुत शौक था। इसलिए उन्होने राष्ट्रपति पद से सेवामुक्त होने के बाद इन्ही में अपना समय बिताया। वो देश के कई प्रमुख संस्थानों के प्रोफेसर, विजिटिंग प्रोफेसर और चांसलर भी रहे।
- अब्दुल कलाम ने अन्ना यूनिवर्सिटी, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी और आई. आई. आई. टी. हैदराबाद जैसे जगहों पर कई विषयों को पढ़ाया भी था।
- कलाम को हमेशा से देश के युवाओं की चिंता थी, इसलिए उन्होंने युवाओं के लिए कई कार्यक्रम चलाए और किताबे भी लिखी। भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए कलाम ने व्हाट कैन आई गिव नाम की पहल भी शुरू की थी।
- कलाम देश के युवाओं में बहुत प्रसिद्ध हो चुके थे और उन्होंने युवाओं के लिए काफी योगदान भी किया था, जिसके कारण उन्हें दो बार एम.टी.वी. यूथ आइकॉन ऑफ़ द इयर अवार्ड सम्मानित भी किया गया था।
- 2011 में डॉ. कलाम के जीवन पर आधारित आई एम कलाम नाम की फिल्म आई थी, जो युवाओं में काफी लोकप्रिय हुई।
एपीजे अब्दुल कलाम की मिसाइल के नाम
- त्रिशूल
- नाग
- पृथ्वी
- ब्रह्मोस
- आकाश
एपीजे अब्दुल कलाम ने इनके अलावा भी कई मिसाइल बनाई। इन्हीं की बदौलत भारत को स्वदेशी मिसाइल मिल पाई है।
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डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के द्वारा लिखी गई प्रसिद्ध किताबे
कलाम को लेखन का बहुत शौक था और वो विभिन्न विषयों पर अच्छा ज्ञान भी रखते थे। इसलिए उन्होने कई किताबे लिखी थी। जिनमें इंडोमिटेबल स्पिरिट, इंडिया 2020: अ विज़न फॉर द न्यू मिलेनियम’ इग्नाइटेड माइंडस: अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया, विंग्स ऑफ़ फायर: ऐन ऑटोबायोग्राफी शामिल है।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को प्राप्त पुरस्कार और सम्मान
डॉ. कलाम को देश के लिए योगदान और निस्वार्थ सेवा के कारण अनेकों पुरूस्कारों से नवाज़ा गया। जिनमें डॉक्टर ऑफ साइंस, डॉक्टर ऑफ़ लॉ (मानद), आईईईई मानद सदस्यता, डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग, मानद डॉक्टरेट, हूवर मेडल, अंतर्राष्ट्रीय करमन वॉन विंग्स पुरस्कार, डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग, चार्ल्स द्वितीय पदक, साइंस की मानद डाक्टरेट, रामानुजन पुरस्कार, वीर सावरकर पुरस्कार, राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार, भारत रत्न, विशिष्ट फेलो, पद्म विभूषण, और पद्म भूषण शामिल है।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का निधन
27 जुलाई 2015 की शाम को पूरे देश की आँखें नम हो गई जब उन्होंने सुना कि डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम इस दुनिया में नहीं रहे। उस दिन कलाम IIM, Shilong में किसी विषय पर भाषण दे रहे थे तभी भाषण के बीच कलाम को तेज दिल का दौरा पड़ा और कलाम वहीँ बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े।
आनन-फानन में बेथानी अस्पताल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जहाँ दो घंटे बाद डॉक्टरों ने उन्हें मरा हुआ घोषित कर दिया।
भले ही आज डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम हमारे बीच नहीं है। मगर उनके द्वारा देश के लिए की गई निस्वार्थ सेवा और योगदान हमेशा देशवासियों के दिल में जिंदा रहेंगे।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम था, जो एक नेता, एक वैज्ञानिक और लेखक के रूप में पूरे देश में प्रसिद्ध रहे। उन्होंने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में एक वैज्ञानिक बन कर काम किया। अब्दुल कलाम ने इन संगठनों में रहते हुए कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर काम कर के देश की सेवा की।
एपीजे अब्दुल कलाम एक बहुत ही अच्छे इंसान थे, जो अच्छे कार्यों को देख हर किसी की प्रशंसा करते थे। यहां तक कि बच्चों की प्रशंसा करने से भी वे नहीं रुकते थे। इसी पर एक घटना है कि एक बार एपीजे अब्दुल कलाम इंदौर की फ्लाइट में थे, जहां पर 2 साल की बच्ची फ्लाइट में बैठी हुई थी।
छोटी सी बच्ची अपने चिप्स के पैकेट को सबके साथ ऑफर कर रही थी, उसकी मासूमियत और उदार भाव देख एपीजे अब्दुल कलाम उसकी प्रशंसा किए बिना रुक नहीं पाए। सभी यात्रियों को चिप्स ऑफर की और उसके बाद वो डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के पास चिप्स ऑफर करने आई।
बच्चे की इस मासूमियत और प्यार भरी हरकत को देख एपीजे अब्दुल कलाम बहुत भावुक हो गए और छोटी सी बच्ची को गले लगा लिया और उसके साथ फोटो भी खींचवाया। कलाम ने इसके बारे में उस समय ट्वीट भी किया था।
अब्दुल कलाम एक पॉपुलर वैज्ञानिक होने के साथ ही भारत के 11वें राष्ट्रपति भी रहे। उन्होंने अंतरिक्ष और रक्षा से जुड़े कई संगठनो में काम किया और कई जरूरी योजनाओं में अपना योगदान भी दिया।
एपीजे अब्दुल कलाम अच्छी तरीके से जानते थे कि किसी भी राष्ट्रीय व्यक्ति के विकास में शिक्षा की क्या भूमिका होती है, यही कारण था कि वह हमारे देश को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा को एक महत्वपूर्ण हथियार मानते थे। वे एक अच्छे और प्रख्यात वैज्ञानिक के साथ ही साथ शिक्षक और लेखक भी थे, जिन्होंने कई सारी किताबें लिखी, जिसे पढ़ आज भी युवा प्रेरित होते हैं।
मीडिया द्वारा नकारात्मक खबरें फैलाने पर एपीजे अब्दुल कलाम ने एक बार कहा था कि देश की तरक्की में मीडिया भी भूमिका निभाती है। लेकिन उन्हें इस मामले में गंभीर होने की जरूरत है। नकारात्मक खबरें नकारात्मकता बढ़ाती है, इससे कुछ नहीं हो सकता। लेकिन सकारात्मक और विकास से जुड़ी खबरें लोगों में उम्मीद जगाती हैं।
1998 में उन्होंने पोखरण के द्वितीय परमाणु परीक्षण में अहम रोल निभाया, जिसके कारण उन्हें देश भर में प्रसिद्धि मिली। उन्होने मिसाइलों से जुडे़ कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में योगदान देकर उन्हें सफल बनाने में मदद की, जिसके कारण उनको “मिसाइल मैन” के नाम से जाना जाने लगा।
एपीजे अब्दुल कलाम 1958 में डीआरडीओ डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट से जुड़े थे। उसी समय उनके पास विदेश में शानदार करियर बनाने का भी अवसर था। इसके बारे में अपनी आत्मकथा माय जर्नी में लिखा था, जिसमें उन्होंने बताया था कि उनके लिए वह दिन काफी कसमसाहट था।
एक ओर इनके पास विदेश में जाकर शानदार कैरियर बनाने का अवसर था, जहां वे मालामाल हो सकते थे। वहीं दूसरी ओर देश सेवा का आदर्श था। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। लेकिन अंत: उन्होंने निर्णय लिया कि वे देश की सेवा करेंगे। अपने बचपन के सपने और विदेश में करियर बनाने की परवाह किए बिना इन्होंने देश सेवा का अवसर नहीं गवाया।
अब्दुल कलाम नें 5 साल राष्ट्रपति के पद पर रह कर देश की सेवा की। अब्दुल कलाम 2002 मे भारत के राष्ट्रपति बने। इसके बाद अब्दुल कलाम ने लेखन और शिक्षण का काम दोबारा शुरू कर दिया।
अब्दुल कलाम को सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न और दूसरे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी नवाज़ा गया।
FAQ
एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम है।
एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु की एक छोटे से गांव रामेश्वरम में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था।
एपीजे अब्दुल कलाम के पिता का नाम जैनुलअबिदीन मारकयार है और माता का नाम अशिअम्मा जैनुलअबिदीन है।
एपीजे अब्दुल कलाम भारत के राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त वह एक बहुत अच्छे भारतीय वैज्ञानिक थे, जिन्होंने भारत में मिसाइल का निर्माण किया। यही कारण है कि इन्हें मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता है।
एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा लिखी गई पुस्तक विंग्स ऑफ़ फायर के शीर्षक पर बताते हैं कि शीर्षक बहुत ही उचित है। क्योंकि पुस्तक की सामग्री के अनुसार यह महसूस होता है कि उसने अपने सपने के पंख को किस तरह देखा है और फिर परिस्थितियों का सामना करने के बावजूद उस हौसले को प्राप्त करने के लिए उसने दृढ़ संकल्प किया है।
एपीजे अब्दुल कलाम ने साल 1957 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की, इसके बाद वे 1958 में डीआरडीओ के विकास प्रतिष्ठान में शामिल हुए।
एपीजे अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति के रूप में बहुत ही प्रशंसा और प्रतिष्ठा देश को दिलाई। इन्होंने वर्गीकृत एयरोस्पेस परियोजनाओं की वास्तविक प्रकृति को छिपाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल को समझाने में एक अभिन्न भूमिका निभाई। उनके अनुसंधान और शैक्षिक नेतृत्व के कारण यह एक बहुत अच्छे राजनीतिज्ञ थे। इनके निर्देश में सरकार को एक उन्नत मिसाइल कार्यक्रम शुरू करने के लिए प्रेरित किया।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की आर्थिक स्थिति बचपन में बहुत अच्छी नहीं थी जिस कारण इन्होंने बचपन से ही आजीविका कमाने के लिए समाचार पत्र बेचना शुरू कर दिया था। इसके बाद आगे चलकर यह वैज्ञानिक बने। इनके द्वारा ही भारत का मिसाइल का निर्माण किया गया और आगे यह भारत के राष्ट्रपति भी बने। इन्होंने अपने जीवन में आजीविका कमाने के लिए की पेशे तौर पर कार्य किया। लेकिन सभी पेशो से बढ़कर यह सबसे अच्छे इंसान थे।
27 जुलाई 2015 के दिन कलाम IIM, Shilong में किसी विषय पर भाषण दे रहे थे तभी भाषण के बीच कलाम को तेज दिल का दौरा पड़ा और कलाम वहीँ बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े।
निष्कर्ष
हमने यहाँ पर बायोग्राफी ऑफ एपीजे अब्दुल कलाम (apj abdul kalam ka jivan parichay) विस्तारपूर्वक बताई है साथ में एपीजे अब्दुल कलाम का शिक्षा में योगदान के बारे में भी विस्तार से जानकारी शेयर की है। उम्मीद करते हैं आपको यह लेख अवश्य पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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