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भादवा की चौथ माता की कहानी

बढ़ती हुई कहानी के क्रम में आज आपको भादवा की चौथ की कहानी (bhadwa ki chauth ki kahani) के विषय मे बताएंगे। यह कहानी बहुत रोचक है और बहुचर्चित भी। आप इस कहानी को अंत तक जरूर पढ़िएगा।

भादवा की चौथ की कहानी (Bhadwa ki Chauth ki Kahani)

एक बार एक शहर में एक व्यापारी रहा करता था। व्यापारी बहुत ही आलसी किस्मका इंसान था। उसके पास उसके दादा परदादा की कमाई हुई दौलत उसको विरासत में मिली थी, जिसके कारण वही व्यापारी कोई काम धंधा नहीं किया करता था।

उन्हीं पैसों से अय्याशी किया करता था और अपने सारे मजे किया करता था। व्यापारी का एक बेटा था, जो व्यापारी की तरह बहुत आलसी और मक्कार था। व्यापारी ने अपने बेटे का विवाह एक अच्छी सुंदर और सुशील कन्या से किया था।

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विवाह होने के बाद भी व्यापारी का बेटा कुछ नहीं करता था। वह घर पर आलसी बना पड़ा रहता था। व्यापारी और उसका बेटा दोनों घर पर ही रहते थे और विरासत में मिली दौलत को उड़ाया करते थे और अपनी जिंदगी के मजे लिया करते थे और अपनी जिंदगी जी रहे थे।

व्यापारी के बेटे की पत्नी जब भी बाहर कूड़ा फेंकने के लिए जाती थी, तब उससे उसके पड़ोस में रहने वाली महिला उससे पूछती थी कि, “आज तुमने खाने में क्या खाया है?”

पड़ोसी महिला की बात सुनकर व्यापारी के बेटे की पत्नी उस महिला से कहती है कि, “मैंने आज खाने में ठंडी ठंडी और बासी रोटी खाई है और वह यह बोलकर अंदर आ गई।

Bhadwa ki chauth Mata Ki Kahani
भादवा चौथ की कहानी (Bhadwa ki chauth Mata Ki Kahani)

जब भी व्यापारी के लड़के की पत्नी कूड़ा फेंकने बाहर आती तो, पड़ोस में रहने वाली महिला उससे रोज यही पूछने लगी और व्यापारी की बहू बस यही जवाब देती थी कि ठंडी ठंडी और बासी रोटी खाई है।

एक दिन अचानक से जब व्यापारी के लड़के की पत्नी कूड़ा फेंकने के लिए बाहर आई, तब पड़ोस में रहने वाली महिला ने जब उससे पूछा कि आज तुमने खाने में क्या खाया है? तब लड़के की पत्नी ने बताया कि ठंडी ठंडी बासी रोटी खाई है, तो यह बात व्यापारी के बेटे ने सुन ली।

जिसके बाद व्यापारी का बेटा अपनी मां के पास और उससे कहने लगा कि, “मां तुम तो हम लोगों को रोज खाना गर्म करते ही खिलाती हो, लेकिन मेरी पत्नी बाहर जाकर पड़ोस में रहने वाली महिला से बोलती है कि उसने आज ठंडी और बासी रोटी खाई है।”

लेकिन मेरी पत्नी ऐसा क्यों बोलती है? लड़के की मां ने कहां कि, “बेटा मैं तो तुम लोगों के सामने ही गरम खाना तुम लोगों को खिलाती हूं। पता नहीं तुम्हारी पत्नी ऐसा क्यों सभी लोगों से बोलती है?”

तब लड़के की मां ने कहा, “अगर तुमको मेरी बातों पर भरोसा नहीं है तो कल तुम खुद ही देख लेना कि मैं कैसा खाना तुम सभी को खिलाती हूं? और तुम्हारी पत्नी को देती हूं। लड़के ने कहा ठीक है। व्यापारी के लड़के ने सच्चाई जानने के लिए एक नाटक किया।

व्यापारी के बेटे ने अपनी तबीयत खराब होने का नाटक करने लगा। वह पलंग में जाकर चद्दर ओढ़ कर लेट गया और चद्दर में से चुपचाप चुप कर सब कुछ देखने लगा और जब लड़के की मां ने सभी को खाना परोसा तब उसने देखा कि मेरी मां ने तो गर्म खाना ही मेरी पत्नी को खिलाया है। मेरी मां तो एकदम सत्य बोल रही है।

जैसे ही उसकी पत्नी खाना खा कर उठी तो वह लड़का अपनी पत्नी के पीछे पीछे गया और उसने देखा कि जब उसकी पत्नी कूड़ा फेंकने के लिए बाहर गई है, तब पड़ोस में रहने वाली महिला ने उससे एक बार फिर से वही पूछा कि आज तुमने खाने में क्या खाया है?

जिसके बाद उसकी पत्नी ने एक बार फिर से उस पड़ोसी महिला को वही बताया, जो वह हर बार बताती आई थी कि आज मैंने ठंडी और बासी रोटी खाई है।

अपनी पत्नी कि यह करतूत देख कर उसने अपनी पत्नी से कहा कि मेरी मां तो तुम्हें रोज गर्म खाना ही खिलाती है तो, तुम पड़ोसी को क्यों बोलती हो कि वह तुमको ठंडा और बासी खाना खिलाती है।

लड़के की पत्नी बहुत बुद्धिमान और चालाक थी। उसने अपने पति को समझाया कि ना तो आप बाहर जाकर पैसे कमाते हो और ना ही आपके पिताजी बाहर जाकर पैसे कमाते हैं। यह तो आपके पिताजी को विरासत में मिले धन की रोटी है। अगर आप लोग अभी भी नहीं समझेंगे तो एक दिन सारा धन खत्म हो जाएगा और घर में खाने के लिए रोटी तक नहीं मिलेगी।

लड़के को अपनी पत्नी की बात सुनकर समझ में आ जाता है कि वह सही बोल रही है। अगर अगर मैंने अभी धन नहीं कमाया तो आगे बहुत बड़ी दिक्कत हो सकती है, जिसके वाद लड़के ने यह तय कर लिया कि अब वह पैसा कमाएगा। जिसके लिए व्यापारी के बेटे ने यह तय किया कि वह विदेश जाएगा और विदेश में बहुत सारा धन कमाएगा।

व्यापारी का बेटा धन कमाने के लिए विदेश चला जाता है। अपने पति के विदेश जाने के बाद उसकी पत्नी बारह महीने के लिए भादवा की चौथ माता का व्रत रखने लगती है और धीरे धीरे बारह महीने महीने गुजर जाते हैं।

तब चौथ माता और बिंदायक जी ने उसकी पत्नी की व्रत रखने और पूजा करने से खुश हो जाती है। जिसके बाद चौथ माता और बिंदायक जी यह तय करते हैं कि अब इस कन्या को इसके पति से मिलवा देना चाहिए क्योंकि बारह महीने गुजर चुके हैं।

जिसके बाद चौथ माता और बिंदायक जी एक बार जब व्यापारी का बेटा विदेश में अपने घर में गहरी नींद में सो रहा होता है। तब उसके सपने में जाकर चौथ माता ने कहा कि तुम अपने घर चले जाओ, तुम्हारी पत्नी तुमको बहुत याद कर रही है और वह तुम्हारा इंतजार कर रही है।

लड़के ने चौथ माता से कहा कि, “मैं यहां से कैसे जा सकता हूं, मेरा यहां पर बहुत सारा व्यापार फैला हुआ है और मेरे जाने के बाद इस व्यापार को कौन देखेगा? चौथ माता ने लड़के से कहा कि तुम चिंता मत करो, कल तुम सुबह एक दिए को जलाकर उसको लेकर अपने साथ बैठ जाना।

जिन जिन लोगों को तुमको पैसा देना है, वह तुम को पैसे दे जाएंगे और जिन जिन लोगों को तुम्हें पैसा देना है, वह तुमसे पैसा ले जाएंगे और इस प्रकार से तुम्हारा सारा व्यापार एक ही दिन में सिमट जाएगा।

व्यापारी के लड़के ने चौथ माता की बात मानकर अगले दिन वैसा ही किया जैसा चौथ माता ने उससे करने के लिए कहा था। उसने अपने हाथ में सूरज दीपक जला कर बैठ गया। जिसके बाद व्यापारी आए, उसको पैसा दे गए और जिसको उसे पैसा देना था, वह उससे पैसा ले गए और व्यापारी के लड़के का व्यापार एक ही दिन में सिमट गया।

जिसके बाद व्यापारी का बेटा अपने घर जाने के लिए निकल पड़ा। थोड़ी दूर चलने के बाद जब व्यापारी का बेटा आधे रास्ते पहुंच गया था। तब उसको रास्ते में एक सांप दिखाई दिया। वह सांप एक जगह जल रही अग्नि के पास जा रहा था।

जिसको देखकर व्यापारी के बेटे ने सांप को अग्नि के पास जाने से रोक दिया। व्यापारी के बेटे के ऐसा करने के बाद वह सांप बहुत क्रोधित हो गया। वह कोई और नहीं बल्कि नागराज थे। तभी नागराज ने उस लड़के से कहा कि, “तुमने यह क्या किया?, मैं नाग योनि से छुटकारा पाने के लिए जा रहा था।”

लेकिन तुमने ऐसा होने नहीं दिया। अब मैं तुमको जान से मार दूंगा। जिसके बाद व्यापारी के बेटे ने कहा कि, “मैं पिछले एक साल से विदेश में हूं। मेरी पत्नी मुझे बहुत याद कर रही है और मैं एक साल बाद अपने घर जा रहा हूं, आप अभी मुझे छोड़ दीजिए। मैं अपनी पत्नी से एक बार मिल लूँ, तब कल आप मेरे घर आकर मुझे मार दीजिएगा।”

जिसके बाद नागराज ने व्यापारी के बेटे को जाने दिया और थोड़ी ही देर में अपने घर पहुंच गया लेकिन व्यापारी का बेटा बहुत डरा हुआ था। तभी उसकी पत्नी ने पूछा कि आप इतने भयभीत क्यों हैं?

तब उसने अपनी पत्नी को बताया कि मेरे साथ रास्ते में है यह दुर्घटना घटी थी कि एक नागराज अपनी नाग योनि से मुक्त होने जा रहे थे लेकिन मैंने उनको जाने से रोक दिया, जिससे वह बहुत क्रोधित हो गए हैं और उन्होंने मुझे मारने का वचन लिया है कल वह मुझे मारने के लिए आएंगे।

व्यापारी के बेटे की पत्नी बहुत चालाक और बुद्धिमान थी और उसने अपने पति की बात सुनकर अपने घर की सीढ़ियों पर कुछ ना कुछ रख दिया।

उसकी पत्नी ने पहली सीढ़ी पर दूध रख दिया, दूसरी सीढ़ी पर बालू बिखेर दी और तीसरी सीढ़ी पर फूल बिखेर दिए, चौथी सीढ़ी पर सुगंधित इत्र डाल दिया और पांचवी सीढ़ी पर बहुत स्वादिष्ट मिठाईयां रख दी और जाकर पलंग पर अपनी चोटी लटका कर लेट गई और अपने दरवाजे को खुला छोड़ दिया।

नागराज जब उसके पति को मारने के लिए आए, तब उन्होंने सीढ़ियों में दूध देखा तो उन्होंने उस दूध को पी लिया और एक एक करते सभी सीढ़ियों की सारी चीजें खा लिए और तब उन्होंने बोला कि व्यापारी तुमने मुझे बहुत प्रसन्न किया है।

लेकिन मैंने तुमको वचन दिया है कि मैं तुमको मारूंगा जरूर। अब मैं कुछ नहीं कर सकता। मैं अपने वचन से बंधा हुआ हूं, जिसके बाद नागराज व्यापारी के बेटे को मारने के लिए सातों सीढ़ी पार करके उसके कमरे के पास जाने लगे।

तब वहां पर चौथ माता और बिंदायक जी ने आकर उस नागराज को अपनी तलवार से काट काट कर चारों तरफ फेंक देते हैं और जिसके बाद नागराज का एक हिस्सा लड़के के जूते में चला गया।

नागराज ने कहा, “मैं यही छुपा रहूंगा और कल जब सुबह वह व्यापारी जूता पहनेगा तब, मैं उसको काट लूंगा” लेकिन तभी अचानक से वहां पर बहुत सारी चीटियां आ गई और उन्होंने नागराज को देखा कि जूते के अंदर हैं।

तब चीटियों ने कहा कि, “इसकी पत्नी तो हमको रोज कुछ ना कुछ खाने के लिए देती थी। आज हम लोग इसके पति की जान बचाते हैं। चीटियों ने नागराज को खा लिया। चीटियों के खाने के बाद चारों तरफ खून ही खून फैल गया था।

जैसे ही सुबह हुई तब लड़के की मां उसके कमरे में आई और लड़के की मां ने कमरे से खून निकलता देख वह बहुत डर गई और उसने सोचा कि मेरे बेटे और मेरी बहू को किसी ने जान से मार दिया है। वह बहुत जोर जोर से चिल्लाने लगी।

अपनी मां की आवाज सुनकर व्यापारी का लड़का और उसकी पत्नी तुरंत कमरे से बाहर निकल आए। तभी लड़के की मां अपने बेटे और अपनी बहू को जिंदा देखकर बहुत खुश हो गई। लड़के ने अपनी मां से कहा कि, “मां तुम रो क्यों रही हो? आज तो खुशी का दिन है। क्योंकि आज मेरा दुश्मन मर गया है लेकिन मेरे जाने के बाद मेरी लंबी आयु के लिए किसने पूजा की थी और किस ने व्रत रखा था।”

तब लड़के की मां ने कहा कि, “बेटा मैंने तो कोई व्रत नहीं रखा था। तब लड़के ने अपनी पत्नी से पूछा कि, “तुमने व्रत रखा था।” तब उसकी पत्नी ने कहा कि, “हां, जी मैंने आपके जाने के बाद बारह महीने तक चौथ माता की पूजा की थी और उनका व्रत रखा था।” उन्हीं ने आपकी जान बचाई है।

तभी लड़के की मां ने लड़के से कहा कि, “मैं तो तुम्हारी पत्नी को रोज खाना देने जाती थी। तब इसने बारह महीने व्रत कैसे रख लिया। तुम्हारी पत्नी झूठ बोल रही है। मैं रोज उसको खाने के लिए चार रोटी देती थी। तो यह मैं कैसे मान लूं कि तुम्हारी पत्नी ने व्रत रखा था।”

तब लड़के की पत्नी ने बताया कि माजी में एक रोटी गाय माता को खिलाती थी और एक रोटी जमीन में गाड़ देती थी और एक रोटी मेहतरानी को देती थी और बची हुई एक रोटी रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर खाती थी लेकिन तभी लड़के की मां ने कहा, “मैं तेरी बातों का विश्वास कैसे मान लूं?”

जिसके बाद लड़के की पत्नी कहा कि, “मां जी आप गाय माता से पूछ लो”। जैसे ही गाय माता से पूछा कि यह बात सत्य है तो, गाय माता बहुत जोर जोर से हंसने लगी और उनके मुंह से पलाश के फूल गिरने लगे, जिससे यह बात सच साबित हुई और फिर पत्नी ने जमीन खोदकर देखा तो रोटी की जगह सोने की रोटी थी और यह बात भी सच साबित हुई।

फिर लड़के की पत्नी ने मेहतरानी से पूछा उन्होंने हां कर दिया, यह बात भी सच साबित हो गई और तभी लड़की की मां ने मान लिया कि मेरी बहू ने चौथ माता और बिंदायक जी की पूजा की थी। लड़के ने अपनी पत्नी को धन्यवाद दिया और सभी लोग मिलजुल कर हंसी खुशी रहने लगे।

निष्कर्ष

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