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लक्ष्मी माता की कहानी

हेलो दोस्तों नमस्कार कहानी के बढ़ते क्रम में आज हम आपके बीच प्रस्तुत कर रहे है लक्ष्मी माता की कहानी। यह कहानी एक ईमानदार व्यक्ति की है और एक सच्ची भक्ति की। यह कहानी बहुचर्चित कहानियों में से एक है। आप इस कहानी को अंत तक पढ़िएगा।

एक बार एक शहर में एक बहुत ही गरीब और इमानदार व्यापारी रहा करता था। उस व्यापारी की एक लड़की थी। वह लड़की रोज पीपल के पेड़ में जाकर जल चढ़ाया करती थी और उस पीपल की खास बात यह थी कि उस पीपल के पेड़ से लक्ष्मी माता प्रकट होती थी और थोड़ी ही देर में वह अपने आप वहां से चली जाया करती थी।

एक दिन जब उस व्यापारी की लड़की रोज की तरह पीपल के पेड़ में जल चढ़ाने के लिए आई, तब पीपल के पेड़ से लक्ष्मी माता प्रकट हुई। लक्ष्मी माता ने व्यापारी की लड़की से कहा कि,” क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी?” लेकिन उस व्यापारी की लड़की ने कहा की,” पहले मैं घर जाकर अपने पिताजी से पूछ लूं, फिर उसके बाद आपको बताऊंगी।”

जिसके बाद उस व्यापारी की लड़की घर गई। घर पहुंच कर उसने अपने पिताजी से कहा कि,”आज जब मैं पीपल के पेड़ में जल चढ़ा रही थी, तब लक्ष्मी माता वहां पर प्रकट हुई और उन्होंने मुझसे कहा कि तुम मेरी दोस्त बनोगी”। तब उस व्यापारी ने अपनी लड़की से कहा कि,” स्वयं लक्ष्मी माता तुमको अपना दोस्त बनाने के लिए बोल रही है। इससे बड़ा सौभाग्य और कहां प्राप्त हो सकता है। तुम उनको अपना दोस्त बना लो”।

जिसके बाद अगले ही दिन जब उस व्यापारी की लड़की पीपल के पेड़ में जल चढ़ाने के लिए गए, तभी वहां फिर से लक्ष्मी माता आई और उन्होंने उस व्यापारी की लड़की से एक बार फिर से पूछा की, “क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी?”

Lakshmi Mata Ki Kahani

जिसके बाद उस व्यापारी की लड़की ने कहा कि,” हां माता मैं आपकी दोस्त बनूंगी”। लक्ष्मी माता और उस व्यापारी की लड़की आपस में दोस्त बन गए। थोड़े ही दिनों में लक्ष्मी माता और व्यापारी की लड़की के बीच में गहरी मित्रता हो गई। एक दिन जब व्यापारी की लड़की पीपल पर जल चढ़ाने के लिए गई, तब लक्ष्मी माता ने व्यापारी की लड़की से कहा कि,” तुम मेरे घर पर भोजन करने के लिए आओ।”

व्यापारी की लड़की ने घर जाकर अपने पिताजी से पूछा कि,” लक्ष्मी माता मुझे अपने घर पर बुला रही हैं। भोजन करने के लिए क्या मैं वहां जा सकती हूं? उस व्यापारी ने अपनी बेटी से कहा कि लक्ष्मी माता ने तुमको भोजन पर बुलाया है, वहां पर जा सकती हो। व्यापारी की लड़की लक्ष्मी माता के घर भोजन पर चली गई।

जैसे ही व्यापारी की लड़की लक्ष्मी माता के घर पहुंची तब लक्ष्मी माता ने अपनी सहेली का स्वागत किया और और लक्ष्मी माता ने अपनी सहेली को साल ओढ़ने के लिए दी और सोने के सिक्के और सोने की थाल और सोने की चौकी और अपनी सहेली को छत्तीस प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर खिलाएं।

लक्ष्मी माता के घर से भोजन करके जाने लगी, तब लक्ष्मी माता ने अपनी दोस्त से कहा कि मैं भी तुम्हारे घर पर भोजन करने के लिए आऊंगी। उस व्यापारी की लड़की ने कहा कि बिल्कुल आइए। व्यापारी की लड़की अपने घर चली गई। घर पहुंचकर वह  एक जगह जाकर शांति से बैठ गई।

अपनी लड़की को शांति से बैठा देख और चिंतित देख व्यापारी ने अपनी लड़की से पूछा,” क्या हुआ बेटा?, तुम इतनी चिंतित क्यों हो।” तभी उसकी बेटी ने बताया कि लक्ष्मी माता हमारे घर पर भोजन के लिए आने के लिए बोल रही है। कल वह हमारे घर पर भोजन करने आएगी। उन्होंने तो मेरा स्वागत बहुत अच्छे तरीके से किया और मुझे सोने के सिक्के सोने की थाल, सोने की चौकी और छत्तीस प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर खिलाएं।

लेकिन मैं उनको क्या खिलाऊंगी? हमारे पास तो कुछ भी नहीं है। तभी व्यापारी ने अपनी लड़की से कहा कि तुम अपने घर को गोबर से अच्छी तरीके से चारों तरफ से लिप लेना और पूरे घर की सही ढंग से सफाई कर लेना और एक दीया जलाकर जो चारों तरफ से जलता हो। उसको लेकर लक्ष्मी माता का नाम लेकर रसोई के पास बैठ जाना। व्यापारी की लड़की ने अपने पिताजी की बात मानते हुए वैसा ही किया जैसा उसके पिताजी ने उससे करने के लिए बोला।

जिसके बाद व्यापारी की लड़की घर की साफ सफाई करके रसोई के पास लक्ष्मी जी का नाम लेकर और एक लड्डू लेकर बैठ गई। तभी अचानक से एक जगह पर एक रानी स्नान कर रही थी, तो उसका सोने का हार जो बहुत कीमती था। उसको चील वहां से उड़ा कर ले आया। उस चील ने उस हार को उस व्यापारी की लड़की के पास गिरा दिया और उस व्यापारी की लड़की के हाथ से लड्डू को छीनकर ले गया।

व्यापारी की लड़की सोने के हार को देखकर बहुत प्रसन्न हो गई और वह तुरंत उस हार को लेकर बाजार गई। बाजार पहुंचकर उसने सुनार को वह सोने का हार दिया और उसके बदले में उस व्यापारी की लड़की ने सुनार से कुछ पैसे लिए, जिससे वह छत्तीस प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बना सके और सोने के सिक्के सोने की चौकी, सोने की थाली उस हार के बदले में सुनार से ले ली और यह सब लेकर वह वापस अपने घर आ गई ।

घर पहुंच कर उसने छत्तीस प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाएं। व्यापारी की लड़की ने गणेश जी से कहा कि अब आप लक्ष्मी माता को लेकर आइए। गणेश जी लक्ष्मी माता को लेकर उस व्यापारी के घर में आ गए। व्यापारी की लड़की ने लक्ष्मी माता का स्वागत किया और उनको बैठने के लिए चौकी दी और लक्ष्मी माता से कहा कि दोस्त आप इस चौकी पर बैठ जाइए।

लक्ष्मी माता ने अपनी दोस्त से कहा कि मैं आज तक किसी के घर में चौकी में नहीं बैठी हूं। व्यापारी की लड़की ने कहा कि आज आपको मेरे घर पर चौकी में बैठना पड़ेगा। लक्ष्मी माता ने अपनी दोस्त की बात मानकर चौकी में बैठ गई और फिर व्यापारी की लड़की ने लक्ष्मी माता को छत्तीस प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन खिलाएं और जैसे लक्ष्मी माता ने अपने घर पर व्यापारी की लड़की का स्वागत किया था ।

और उसको छत्तीस प्रकार के व्यंजन बनाकर खिलाए थे ठीक उसी प्रकार व्यापारी की लड़की ने लक्ष्मी माता को अपने घर पर छत्तीस प्रकार  के व्यंजन बनाकर खिलाएं और जैसा जैसा लक्ष्मी माता ने किया था वैसा वैसा व्यापारी की लड़की ने भी किया जिससे लक्ष्मी जी अपनी दोस्त से बहुत खुश हो गई और उन्होंने अपनी दोस्त को बहुत सारा धन दिया, जिससे उस व्यापारी की और उसकी लड़की की सारी गरीबी दूर हो गई। लोगों ने अपना जीवन खुशी खुशी व्यतीत करना शुरू कर दिया।

दोस्तों उम्मीद करते हैं आपको यह कहानी रोचक लगी होगी। ऐसे बहुत ही कहानियां है, जो हमारी वेबसाइट में उपलब्ध हैं। आप इन्हें पढ़ सकते हैं और अपने बच्चों आदि को पढ़ा कर उनका मनोरंजन करवा सकते हैं और इस कहानी को साझा कर हमारा हौसला अफजाई कर सकते हैं और कहानी से संबंधित यदि कोई भी प्रश्न है आपका तो, आप कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते हैं।

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