Beta Beti Ek saman Essay in Hindi: आज के समय में सरकार के द्वारा बेटा बेटी को एक ही समान दर्जा दिया गया है। हम यहां पर बेटा बेटी एक समान पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में बेटा बेटी एक समान के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।
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बेटा बेटी एक समान पर निबंध | Beta Beti Ek saman Essay in Hindi
बेटा बेटी एक समान पर निबंध ( 250 शब्द )
आज के समय में बेटा और बेटी को एक ही समान दर्जा दिया गया है। अगर कोई व्यक्ति इस बात को नहीं मानता कि बेटा और बेटी में फर्क है, तो यह बिल्कुल गलत बात होगी क्योंकि आज हर क्षेत्र में लड़कियां आगे निकलती जा रही है, और लड़कों को पीछे छोड़ती जा रही हैं। हमारे देश की कुछ महिलाएं जैसे कल्पना चावला, इंदिरा गांधी, मदर टेरेसा, प्रतिभा पाटिल,आदि महिलाओं ने देश में आगे बढ़कर सहयोग किया है। सभी महिलाओं के जीवन से भी सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए और समझना चाहिए कि आज बेटों से बढ़कर बेटियां होती दोनों को एक ही समान समझना चाहिए।
पहले के समय समय में लोग बेटियों के प्रति इतने जागरूक नहीं थे। बहुत कम लोगों ने ही पुराने जमाने में बेटियों को पढ़ लिखा कर सामाजिक कार्यों के लिए आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। लोगों को बदलते हुए समय के साथ जागरूक होना बहुत जरूरी है और हमेशा एक मन में बात रख लेनी चाहिए कि बेटियां भी आज बेटों से कम नहीं है ।
लोगों को बदलते समय के साथ अपनी सोच बदलने की जरूरत है। बेटा अपने घर का नाम ही रोशन कर सकता है। बेटी दो घरों का नाम रोशन करती है। हम सभी ऐसी सोच क्यों रखें। आज लड़कियों के पैर जमीन में ही नहीं बल्कि अंतरिक्ष में भी पहुँच चुके है। प्राचीन इतिहास में हमारे देश में बहुत बड़ी-बड़ी वीरांगनाओं ने जन्म लिया है जैसे रानी पद्मावती, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्याबाई होलकर, सावित्रीबाई फुले, आदि सभी महिलाओं ने देश के उत्थान में बढ़कर भाग लिया और हमारे देश का नाम रोशन किया।
बेटा बेटी एक समान पर निबंध ( 1000 शब्द )
प्रस्तावना
आज हमारे देश में लड़कियां हर क्षेत्र में अपना नाम रोशन कर रही है। लोगों को इस बदलते समय के साथ बहुत जागरूक होने की जरूरत है और बेटियों के महत्व को समझना भी बहुत जरूरी है। बहुत से लोग अब इस बात को समझ चुके हैं कि बेटा बेटी एक समान होते हैं। अब भी कुछ लोग हैं, जो यही बात मानते हैं कि सिर्फ बेटा ही घर का कुलदीपक होता है। समय के साथ सभी लोगों को जागरूक होकर एकजुट होकर बेटा बेटी के भेद को हमेशा के लिए खत्म करना जरूरी हो गया है। आज लडकिया देश के सम्भालने से लेकर, घर परिवार, नौकरी आदि सभी जगह में बेटियां बेटों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है।
बेटा कुल का दीपक तो बेटी दो कुल की दीपक
समय के बदलने के साथ आज सभी माता-पिता पढ़े लिखे होने लग गए हैं। सभी ने इस सोच को बदलते समय के साथ इस सोच को भी खत्म कर दिया है, वह है बेटा बेटी में अंतर। आज बेटियां हर कार्य क्षेत्र में आगे होती हैं। घर के काम के साथ-साथ को बाहर अच्छे-अच्छे जगह पर नौकरी करके अपने घर परिवार को व्यवस्थित तरीके से चला लेती हैं।इसके अलावा बेटियां देश की बागडोर से लेकर, सेना में, पुलिस बल में, चिकित्सा क्षेत्र में, ओर भी अन्य क्षेत्रों में लड़कियां लड़को से आगे चल रही है। लड़का तो एक ही कुल का दीपक कहलाया जाता है लेकिन बेटी की शादी होने के बाद में वह अपने मायके के साथ-साथ, अपने ससुराल का भी नाम रोशन करती है। दो दो कुल का नाम रोशन बेटियां करती है।
समाज में लड़का लड़की को एक समान दर्जा मिला है
हमारे समाज में जहां एक तरफ लड़कियों को देवी बनाकर पूजा जाता है, वहीं दूसरी ओर लड़कियों की इज्जत के साथ खिलवाड़, बलात्कार जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। लोग कहने को तो यही सोचते हैं कि बेटा बेटी एक समान है लेकिन अंदर से सोच उनकी बहुत गंदी होती है। बाहर दुनिया दिखावे के लिए यह सब बातें मान लेते हैं लेकिन उनके अंदर का शैतान जिंदा रहता है।
सभी गंदी सोच वाले व्यक्ति यह सब बातों को नहीं मानते है और इस तरह की घटना को अंजाम दे देते हैं। सभी लोगों को समाज में इस बात को मानना बहुत जरूरी है और साथ-साथ उसको अपने जीवन में भी उतारना उतना ही जरूरी है बेटा बेटी एक समान ही होते हैं। आज भी बेटा बेटी के अंतर के चक्कर में, समाज में लड़का लड़की को एक समान बिल्कुल नहीं मानते हैं। बहुत से लोग ऐसे हैं, जो आज भी वही पुरानी सोच पर ही चलते हैं।
देश की बेटियां लड़कों से कम नहीं
आज हमारे देश में लड़कियां बहुत ऊंचाइयों पर पहुंच चुकी है। लड़कियों के पैर जमीन पर नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में भी देखने को मिले हैं। कल्पना चावला,सुनीता विलियम को ही आप देख लीजिए इन्होंने अंतरिक्ष में कदम रख कर अपना नाम और देश का नाम रोशन किया। आज हमारे देश में बेटी देश के सभी कामों में अपनी भागीदारी बहुत अच्छे से निभा रही है। हर सामाजिक क्षेत्र में बेटियां बढ़-चढ़कर भाग ले रही हैं। चिकित्सा क्षेत्र से लेकर, पुलिस, सेना, शिक्षक सभी क्षेत्रों में लड़कियां आगे हैं।
बदलते वक्त के साथ अगर लोग अपनी सोच को बदलने और बेटियों को पढ़ा लिखा कर उनको अपने जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दें। सभी माता-पिता के द्वारा बेटियों को इतना काबिल बना दिया जाए कि वह हर कार्य क्षेत्र में अपने माता-पिता का तथा देश का नाम रोशन कर सकें। सभी लोगो के साथ साथ माता-पिताओं को थोड़ा जागरूक होकर बेटियों को पढ़ा लिखा कर आगे बढ़ाने की जरूरत है। इसकी शुरुआत सबसे पहले हमें अपने घर से करनी पड़ेगी जब हम अपने घर में बेटा बेटी में कोई फर्क नहीं समझेंगे तभी आगे लोगों को भी इस बात के लिए जागरूक कर सकते है।
सरकार के द्वारा उठाए गए कदम बेटियों को लेकर
हमारे देश में सरकार लड़का लड़की को एक समान रखने के लिए बहुत से कदम उठा रही है। सरकार के द्वारा सभी लड़कियों को हर क्षेत्र में बहुत अवसर प्रदान किए गए हैं जैसे शिक्षा के क्षेत्र में, चिकित्सा क्षेत्र में,बीमा या अन्य किसी नौकरी के पद के लिए सभी जगह सबसे पहले लड़कियों को ही लिया जाता है। हमारी सरकार ने लड़कियों का साथ देकर उनका हौसला बढ़ाया है।
लड़कियों पर जो अत्याचार किए जाते हैं। उनमे दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या इन सबके लिए लड़कियों को मार दिया जाता है, जला दिया जाता है। ऐसे लोगों के खिलाफ बहुत कठोर कानून बनाए हैं।
सरकार ने लड़कियों के जन्म से लेकर पढ़ाई और शादी तक के लिए सभी लड़कियों को आर्थिक मदद के रूप में एक सहायता राशि प्रदान की जाती है। सरकार के द्वारा हर वह महत्वपूर्ण कदम बेटियों के लिए उठाए जा रहे हैं जिसमें हमारे समाज में जो लड़कों को हौसला मिलता है वह सभी उन लड़कियों को भी मिल पाए।
बेटा बेटी एक समान की शुरुआत घर से
बेटा बेटी को एक समान दर्जा देने के लिए सबसे पहले हम को इसकी शुरुआत अपने घर से ही करनी होगी। उसके बाद ही हम समाज में लोगों को इस बात के लिए जागरूक कर पाएंगे। हमको अपने घरों में ही अपने छोटे बहन – भाई या बेटा- बेटी को इस बात को समझाना होगा कि लड़का- लड़की में कोई अंतर नहीं होता है। अपने घर में भी बहन भाई और बेटा- बेटी में भी अंतर को खत्म करना होगा। तभी हम सभी लोगों को अच्छे से जागरूक कर पाएंगे।
निष्कर्ष
आज भी हमारे समाज में कहीं ना कहीं यह सोच लोगों के बीच में है कि लड़कियां लड़कों से कम होती है बदलते समय के साथ में हमें सभी को एकजुट होकर इस सोच को और इस अंतर को खत्म करना होगा। लड़कियां आज लड़कों के बराबर ही है बस हमको उनके हौसलों की उड़ान को थोड़ी हवा देनी होगी, फिर आप देखिए कि लड़कियां कैसे आसमान को छूती है।
अंतिम शब्द
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TO JAB MENE ISE DEAKHA TO MENE SOCHA KI YE MERE PROJECT KE LIYE ACCHA RAHEGA ISLEYE MENE YE TUMHARA NIBANDH DEAKHA OR LIKHA TO MUJHE 100 OUT OF 100 MILE THANKE FOR UPLODING THIS
VANSHIKA जी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद!
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