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महिला सशक्तिकरण पर निबंध

Mahila Sashaktikaran Par Nibandh : हमारे देश में आज महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने वाला यह एक शब्द महिला सशक्तिकरण काफी ज्यादा चर्चा में आ रहा है। हमारे देश में नारी का स्थान सबसे ऊँचा माना जाता हैं। देश के संविधान में भी महिलाओं के बारे में कई अधिकारों का वर्णन हैं। इस निबंध में आपको महिला सशक्तिकरण पर निबंध अलग – अलग शब्द में बताने जा रहे हैं। यह निबंध आपके लिए हर परीक्षा के लिए उपयोगी साबित होंगा। 

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध | Mahila Sashaktikaran Par Nibandh

महिला सशक्तिकरण पर निबंध ( 250 शब्द ) 

आज के समय में महिला सशक्तिकरण एक मुख्य और चर्चा का मुद्दा बन गया हैं। हमारे देश की महिलाएं हर क्षेत्र में विकास की ओर आगे बढ़ रही है। इतना ही नही हमारे देश की महिलाएं देश और दुनिया में अपना और देश का नाम रोशन कर रही है। 

हम अक्सर सुनते हैं ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:’ , इसका मतलब और अर्थ काफी महत्वपूर्ण हैं। इसका शाब्दिक अर्थ होता हैं ‘जहा नारियों की पूजा वहा स्वयं देवता निवास करते हैं’ लेकिन देश और दुनिया के साथ भारत में भी नारियों की इतनी मजबूत स्थिति होने के बावजूद भी महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता होती है। 

महिला सशक्तिकरण की सामान्य परिभाषा में इनका अर्थ होता हैं की महिलाएं अपने से जुड़े फैसले खुद से ले सके। काम, धन इतियादी से जुड़े फैसले लेने में आज भी हमारे देश की महिलाएं सक्षम नही हैं। 

हमारे इस ‘महिला सशक्तिकरण’ के लेख में भी हम उसी क्षमता की बात कर रहे हैं, जहाँ महिलाएँ परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने निर्णयों की निर्माता खुद हो। देश की महिलाओ में जागृति लाने और उसने विकास के लिए कई कार्यक्रम चलाये जाते हैं और कई दिवस जैसे महिला समानता दिवस इतियादी मानते हैं। 

महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में सजग और जागृत करना जरुरी हैं। देश के संविधान में मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया हैं। इन अधिकारों के बारे में महिलाओं को सजग करना बेहद जरुरी है। उसके बाद ही महिला सशक्तिकरण का मुद्दा सफल हो पायेगा। 

महिला सशक्तिकरण पर निबंध ( 800 शब्द ) 

प्रस्तावना

आज के आधुनिक समय में महिला सशक्तिकरण एक मुख्य चर्चा का मुद्दा बन चूका हैं। हमारे देश में ही नही बल्कि विश्व में कही भी देखो, कही न कही – किसी न किसी रूप में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता होती हैं। 

हमारे धार्मिक ग्रंथो में यह लिखा मिलता हैं। ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:, इसका मतलब और अर्थ काफी महत्वपूर्ण हैं। इसका शाब्दिक अर्थ होता हैं, ‘जहाँ नारियों की पूजा की जाती है, वहां स्वयं देवता निवास करते हैं’। इसके बावजूद विडंबना देखिये की देश में महिलाओं की स्थिति मजबूत होने के बावजूद महिलाओं की सशक्तिकरण की जरूरत पड़ रही हैं। 

महिला सशक्तिकरण का अर्थ

मनुष्य काल में स्त्री को सृजन की शक्ति माना जाता हैं। इसका शाब्दिक अर्थ मानव की उत्पत्ति एक स्त्री से ही मानी जाती हैं। इसी सृजन शक्ति को सृजित – विकसित कर उसे सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक, धर्म और उपासना की स्वंत्रता को ही वास्तव में महिला सशक्तिकरण माना गया हैं। 

दुसरे शब्दों में महिला सशक्तिकरण का मतलब समझे तो इसका सामान्य भाषा अर्थ महिलाओं को सामाजिक, धार्मिक और राजनितिक रूप से एक समान रूप में लाना हैं। देश की महिलाओं के विकास में कुछ अटकले हैं, जैसे कुछ सामाजिक प्रथाएं जैसे कन्या भ्रूण हत्या, दहेज़ पर्था इतियादी। इन प्रथाएं को सबसे पहले ख़त्म करने की जरुरी हैं।

महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता

आखिर महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता क्यों होती हैं। भारत जैसे देश में जहा महिलाओं के सम्मान और उनको बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम चलाये जाते हैं। 

  • हमारे देश में महिलाएं आज देश की बड़े – बड़े पदों पर पदस्थ हैं, इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रो में महिलाएं सामाजिक बन्धनों में बंधी रहती हैं। गाँवों में महिलाएं घर से बाहर आने से आज भी हिचकिचाती हैं। 
  • शिक्षा के क्षेत्र में भी आज महिलाओं के सशक्तिकरण की आवश्यकता हैं। देश के ग्रामीण आँचल में शिक्षा की कमी होती जा रही हैं। गाँवों में लडकियां पढाई के बदले सामाजिक बन्धनों में बंधने को मजबूर हो जाती हैं। इसमें सामाजिक कुरीतियाँ सबसे ज्यादा हावी हो रही हैं जैसे बाल विवाह इतियादी। 
  • देश के शहरी क्षेत्रों में गाँवों की बदोलत रोजगार के क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं। देश के कई ग्रामीण इलाकों में महिला शिक्षा की कमी देखने को मिलती हैं। दक्षिण भारत में शिक्षा के क्षेत्र में महिलाएं काफी आगे हैं, फिर चाहे वो ग्राम में हो या शहर में हो वही उत्तरी भारत में इसकी कमी देखने को मिलती हैं। 
  • हमारे देश में लैंगिकता के आधार पर महिलाओं को कमजोर दर्जा दिया जाता हैं, जो की एक बुरी प्रथा हैं। देश के कई हिस्सों में सामाजिक बुराईयों के तले लडकियों के सपनो को दबा दिया जाता हैं, यही कारण हैं की हमे हमारे देश में महिला सशक्तिकरण की जरूरत होती हैं। 
  • महिलाओं के सम्मान में माँ, बहन इतियादी की पूजा का रिवाज हैं, जो वर्तमान में एक ढोंग मात्र रह गया हैं। वही महिलाओं को हर काम में आगे आने से दबाया जाता हैं। 

महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आने वाली समस्याएं

हमारे देश में महिलाओं का सशक्तिकरण के बीच में आने वाली यह कुछ समस्याएं हैं। यह समस्याएं निम्न हैं – 

  • महिला सशक्तिकरण के बीच में सबसे पहली समस्या तो यह हैं की यहा महिलाओं को घर से दूर भेजने से डरते हैं।
  • पुरानी और रुढ़ीवादी विचारधाराओं के वातावरण में रहने के कारण महिलाएँ खुद को पुरुषों से कम समझने लगती हैं और अपने वर्तमान सामाजिक और आर्थिक दशा को बदलने में नाकाम साबित होती हैं।
  • हमारा देश पुरुष प्रधान देश बनता जा रहा हैं। यह भी इस वक़्त की सबसे बड़ी समस्या हैं, जो महिला सशक्तिकरण के बीच में समस्या आती हैं। 
  • समान कार्य समान लिंग को भी हमारे देश में बढ़ावा नहीं दिया जाता हैं। इसी कारण की वजह से ही देश में महिला सशक्तिकरण में कई रूकावटे आ रही हैं। 

निष्कर्ष

हमारे देश में महिलाओं के सम्मान में कई कार्यक्रम सरकार दुवारा चलाये जाते हैं। बाजवूद इसके भी देश में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता पड़ रही हैं। देश में महिलाओं को भी सम्मान अधिकार मिलना चाहिए तभी महिला सशक्तिकरण की जरुरत पूरी होगी।

अंतिम शब्द  

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Ripal
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