नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको बताने वाले हैं, भारत के कुश्ती में विजेता रहे बजरंग पूनिया के बारे में, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में कुश्ती में ब्रोंज मेडल जीता है। इन्होंने यह पोजीशन अपने शानदार प्रदर्शन के कारण प्राप्त किया है।
बजरंग पूनिया अब तक बहुत से चैंपियनशिप मैचों को जीत चुके हैं, इन मैचों में से इन्होंने एशियाई खेल में गोल्ड मेडल भी जीता था, जिसको इन्होंने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई को समर्पित कर दिया। इस लेख में बजरंग पूनिया के जीवन परिचय के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे।
बजरंग पूनिया का जीवन परिचय (जन्म, परिवार, मैडल, जाति, शादी, पुरस्कार)
बजरंग पूनिया के विषय में संक्षिप्त जानकारी
वास्तविक नाम | बजरंग पूनिया |
ओलंपिक से मिला नाम | बजरंगबली |
जन्म | 26 फरवरी 1994 |
उम्र | 28 वर्ष |
जन्म स्थान | खुदान गांव, झज्जर, हरियाणा |
पिता | बलवान सिंह पूनिया |
माता | ओम प्यारी पूनिया |
पेशा | फ्रीस्टाइल रेसलर |
कोच | एमजारिया बेंटीनिटी |
बजरंग पूनिया कौन है?
बजरंग पूनिया भारत के एक फ्रीस्टाइल रेसलर हैं, अर्थात कुश्ती खेल के खिलाड़ी है। इन्होने टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लिया और अच्छे प्रदर्शन के साथ ब्रोंज मेडल जीता।
ब्रोंज मेडल जीतने के बाद इन्हें भारत के माने जाने रेसलर की लिस्ट में शामिल कर लिया गया है। इसके पहले भी बजरंग पूनिया ने बहुत से ऐसे मैच खेले, जिसमें उन्होंने गोल्ड मेडल तक प्राप्त किया। बजरंग पूनिया ने एशियाई खेल में गोल्ड मेडल प्राप्त किया और इन्होंने इस मेडल को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई को समर्पित कर दिया।
बजरंग पूनिया का जन्म और परिवार
बजरंग पूनिया का जन्म हिंदू धर्म के जाट समुदाय में 26 फरवरी 1994 को भारत के हरियाणा में स्थित झज्जर में खुदान गांव में हुआ था। बजरंग पूनिया के पिता का नाम बलवान सिंह पूनिया हैं, जो खुद पेशे से एक पहलवान हैं, जिनके कारण इन्हें भी पहलवानी का शौक चढ़ा और इन्होंने पहलवानी में ही अपना करियर चुना।
इनकी माता का नाम ओम प्यारी पुनिया है, जो कि पेशे से एक गृहणी है। इनके एक भाई भी है, जिसका नाम हरेंद्र पुनिया है, जो पेशे से एक पहलवान है।
बजरंग पूनिया को प्राप्त शिक्षा
बजरंग पूनिया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने जन्म स्थान झज्जर के खुदान गांव के एक विद्यालय से प्राप्त किया। अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद अपना ग्रेजुएशन महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से पूरा किया।
इनको मात्र 7 वर्ष की उम्र से ही कुश्ती खेलने का शौक हो गया था और उन्होंने कुश्ती खेलना शुरू भी कर दिया। इन्होंने अपने पिता का सहयोग प्राप्त करके इन बुलंदियों को प्राप्त किया और बाद में कुश्ती के एक कोचिंग को भी ज्वाइन कर लिया।
बजरंग पूनिया के प्रारंभिक कोच का नाम योगेश्वर दत्त है और इन्होंने इसके बाद अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतिभा सीखने के लिए एक कोचिंग क्लास ज्वाइन किया। इन्होंने जिस कोचिंग को जॉइन किया था, उस कोचिंग के कोच एमजारिया बेंटीनिटी थे। बजरंग पूनिया ने इन्हीं के अंतर्गत रेसलिंग का यह खेल सीखा और पूरे विश्व में अपनी एक पहचान बना ली।
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बजरंग पूनिया का व्यक्तिगत जीवन
बजरंग पूनिया का विवाह 25 नवंबर 2020 को हुआ और इनकी पत्नी का नाम संगीता फोगोट है।
बजरंग पूनिया का करियर
जैसा कि हमने ऊपर आपको बताया की बजरंग पूनिया को बचपन से ही कुश्ती खेलने का शौक था, जिसके कारण इन्होंने अपना करियर कुश्ती के क्षेत्र में ही चुना। इन्होने वर्ष 2013 में एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में पार्टिसिपेट किया था।
यह चैंपियनशिप अपने ही देश की राजधानी दिल्ली में हो रहा था। बजरंग पूनिया ने इस चैंपियनशिप में धमाकेदार प्रदर्शन के साथ सेमीफाइनल तक का सफर तय किया। एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में बजरंग पूनिया को सेमीफाइनल के मैच में हार का सामना करना पड़ा और इनकी निराशाजनक वापसी हुई।
वर्ष 2013 में ही बजरंग पूनिया ने वर्ल्ड कुश्ती चैंपियनशिप बुद्धपेस्ट (जोकि हंगरी में हो रहा था) में 60 किलोग्राम की कैटेगरी में कांस्य पदक को अपने नाम कर लिया। इन सभी के बाद वर्ष 2014 में राष्ट्रीय मंडल खेल (जोकि स्कॉटलैंड में आयोजित किया गया था) में बजरंग पूनिया ने 61 किलोग्राम की कैटेगरी में इन्होंने गोल्ड मेडल हासिल किया और ऐसा करके इन्होंने भारत के लिए एक इतिहास रच दिया।
इन सभी के बाद 2017 में दक्षिण कोरिया में आयोजित किए गए एशियाई खेल में इन्होंने फिर से गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इसी के साथ इन्होंने वर्ष 2017 में ही दिल्ली में आयोजित किया गया एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में एक बार फिर से गोल्ड मेडल हासिल करके पूरे विश्व में अपनी एक पहचान बना ली। बजरंग पुनिया ने अपने इस गोल्ड मेडल को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई को समर्पित कर दिया।
इन सभी के बाद वर्ष 2018 में बजरंग पूनिया ने फिर से हिस्सा लिया और उन्होंने इस मैच में फिर से गोल्ड मेडल जीता। इन सभी के बाद बजरंग पूनिया ने लगभग 3 ब्रांच मेडल, 4 सिल्वर मेडल और 5 गोल्ड मेडल को अपने नाम कर लिया है।
बजरंग पूनिया का टोक्यो ओलंपिक करियर
बजरंग पूनिया ने वर्ष 2021 में आयोजित किए गए टोक्यो ओलंपिक में 65 किलोग्राम की कैटेगरी में शुरू से शानदार प्रदर्शन रहा। बजरंग पूनिया ने टोक्यो ओलंपिक के इस मैच में खुद को क्वालीफाई कर लिया और सेमीफाइनल राउंड तक पहुंचे।
परंतु इन्हें सेमीफाइनल राउंड में निराशाजनक हार का सामना करना पड़ा, परंतु इन्होंने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक प्राप्त किया, जिसमें इन्होंने 8-0 से हार जीत हासिल की थी। बजरंग पूनिया ने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर भारत का सर गर्व से ऊंचा कर दिया।
बजरंग पूनिया की कुल संपत्ति
बजरंग पूनिया टिकट कलेक्टर के रूप में भी काम कर चुके हैं। टिकट कलेक्टर के रूप में इन्हें महीने के ₹35000 मिला करते थे। वर्तमान में बजरंग पूनिया की कुल संपत्ति करीब ₹30 करोड़ तक है।
स्पष्टीकरण: यह सम्पति मीडिया रिपोर्टस के अनुसार बताई गई है हम इसकी सटीकता की पुष्टि नहीं करते हैं।
बजरंग पूनिया को प्राप्त पुरस्कार
वर्ष | पुरस्कार |
2013 | सिल्वर मेडल |
2015 | अर्जुन अवॉर्ड |
2015 | सिल्वर मेडल |
2019 | राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड |
2019 | पद्मश्री अवार्ड |
बजरंग पूनिया के विषय में रोचक तथ्य
- बजरंग पूनिया को किसी भी प्रकार की कोई बुरी लत नहीं है।
- इन्होने एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में प्राप्त गोल्ड मेडल को भारतीय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई को समर्पित कर दिया।
- इनको कुश्ती के साथ-साथ बास्केटबॉल, फुटबॉल और रिवर राफ्टिंग करना काफी पसंद है।
- इनको चूरमा खाना काफी ज्यादा पसंद है।
- इनके पसंदीदा पहलवान कप्तान चंद्रुप्त और योगेश्वर दत्त है।
भारतीय रेसलर।
जाट।
बजरंग पूनिया की शादी 25 नवंबर 2020 को संगीता फोगाट के साथ हुई। संगीता फोगाट जानी-मानी पहलवान है और यह गीता, बबीता और ऋतु फोगाट की बहन हैं। इनके पिता का नाम महावीर फोगाट है, जो द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित है।
कांस्य पदक।
बजरंग पूनिया का गाँव हरियाणा के झाझर जिले में स्थित है।
28 वर्ष
बजरंग पूनिया हिंदू धर्म से है और यह एक जाट परिवार से संबंध रखते हैं।
एमजारिया बेंटीनिटी
निष्कर्ष
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