हिंदू धर्म के अंतर्गत अनेक तरह के पंथ आते हैं, इसके अलावा अनेक तरह के सुधार आंदोलन भी हो चुके हैं। इसी तरह का एक सुधार आंदोलन आर्य समाज नाम से हुआ है। बता दें कि हमारे सनातन धर्म का इतिहास शताब्दियों पुराना है। हजारों वर्षों पुराने साक्षी आज भी सनातन धर्म से संबंधित मिलते हैं।
समय-समय पर अनेक सारे लोगों ने हिंदू धर्म को ठेस पहुंचाने की हिम्मत की है, लेकिन वे इस काम में कभी सफल नहीं हो पाए हैं। हालांकि हिंदू धर्म को भी समय-समय पर काफी नुकसान उठाना पड़ा है। हिंदू धर्म को जागृत रखने के लिए, संस्कार, आदर्श, रिती रिवाज और हिंदू धर्म की महत्वकांक्षी को हमेशा जीवित रखने के लिए समय-समय पर अनेक तरह सुधार आंदोलन किए गए हैं।
इन सभी हिंदू सुधार आंदोलन में आर्य समाज हिंदू सुधार आंदोलन में शामिल है। इस हिंदू सुधार आंदोलन को आर्य समाज का नाम दिया गया, जो वर्तमान समय में संपूर्ण भारत में प्रचलित है। आर्य समाज का नाम तो आपने सुना ही होगा, इसे हिंदू धर्म के संरक्षण के लिए स्थापित किया गया है।
आर्य समाज की स्थापना कब हुई?
हिंदू सुधार आंदोलन के अंतर्गत आर्य समाज की स्थापना गुलाम भारत में सन 1875 को की गई थी। उस समय भारत ब्रिटिश हुकूमत के अधीन था। विशेष रूप से उस समय हिंदू धर्म को निशाना बनाया जा रहा था। शताब्दियों से चले आ रहे हिंदू धर्म पर लांछन लगाया जा रहा था।
हिंदू धर्म को नष्ट किया जा रहा था। उसी समय हिंदू धर्म की रक्षा एवं संरक्षण के लिए हिंदू सुधार आंदोलन के अंतर्गत आर्य समाज की स्थापना की गई। वैदिक परंपराओं में विश्वास रखने वाले स्वामी दयानंद सरस्वती ने हिंदू सुधार आंदोलन के अंतर्गत आर्य समाज की स्थापना की थी।
हिंदू सुधार आंदोलन के अंतर्गत स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना कके हिंदू धर्म के अंतर्गत आने वाले सभी जातियों को वेद एवं शास्त्रों का अध्ययन करने का अधिकार दिय। साथ ही ऊंच-नीच एवं जातिवाद को खत्म करने पर जोर दिया। आर्य समाज की स्थापना करने वाले स्वामी दयानंद सरस्वती हमेशा छुआछूत के खिलाफ थे।
आर्य समाज
सबसे पहले भारत में आर्य समाज की स्थापना 7 सितंबर 1872 को बिहार में की गई थी, लेकिन उस समय यह आर्य समाज लंबे समय तक स्थापना के अंतर्गत नहीं रह पाए। जिसके बाद स्वामी दयानंद सरस्वती ने मुंबई में 10 अप्रैल 1875 को आर्य समाज की स्थापना की, जो संपूर्ण भारत में अस्तित्व में आया और आज भी कायम है।
आर्य समाज की स्थापना हिंदू सुधार आंदोलन के अंतर्गत की गई थी। इसलिए धर्म को अधिक महत्व देते हुए आर्य समाज में धूम्रपान, शराब एवं मांस को पूरी तरह से प्रतिबंध किया गया। आर्य समाज के लोग इस तरह के पदार्थों का नाम भी अपने मुख से नहीं लेते हैं।
इसके अलावा आर्य समाज के लोग ईश्वर को निराकार मानते हैं। सभी देवी देवताओं को वे केवल एक ही नाम ओम से पुकारते हैं। उनका कहना है कि ओम शब्द में सभी देवी देवता विद्वान है।
निष्कर्ष
आर्य समाज की स्थापना 10 अप्रैल 1875 को स्वामी दयानंद सरस्वती ने मुंबई महाराष्ट्र में की थी। इसीलिए आज के इस आर्टिकल में हमने आपको पूरी जानकारी के साथ विस्तार से बताया है कि आर्य समाज की स्थापना कब की गई थी? हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए जरूर ही उपयोगी साबित हुई होगी। अगर आपका इस आर्टिकल से संबंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
यह भी पढ़े
आर्य समाज की स्थापना किसने की थी?
अकबर के कितने बेटे थे और उनका नाम क्या था?
सिन्धु सभ्यता के लोग सोना कहाँ से प्राप्त करते थे?
भारत के महत्वपूर्ण दिवस (जनवरी से दिसंबर तक)
विश्व के 7 महाद्वीप संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी और नाम