हरियाणा राज्य की बात ही अलग है, जो अपनी सभ्यता और परंपरा के साथ ही साथ खिलाड़ियों के लिए भी जानी जाती है। यह राज्य कई ऐसे खिलाडियों को जन्म दे चुकी है जो कुश्ती से लेकर निशानेबाज और मुक्केबाजी तक विश्व में भारत के नाम का तिरंगा लहरा चुकी है। हजारों खिलाड़ी यहां अपने मेहनत और पसीने को पदकों में बदल चुके हैं। इन्ही खिलाड़ियों में से एक अमित पंघाल भी हैं।
रूस के एकातेरिनबर्ग में आयोजित वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में अमित पंघाल ने इतिहास रच दिया। हालांकि वे चाइना में आयोजित ओलंपिक में चैंपियन उज्बेकिस्तान के शाखोबिदिन जोइरोव के खिलाफ 52 किग्रा भार वर्ग के फाइनल में 0-5 से हार गए। हालांकि इसमें हार पाने के बावजूद भी विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर उन्होंने भारतीय मुक्केबाज के इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों से लिखवा दिया।

यह पहले ऐसे भारतीय मुक्केबाज बने जिन्होंने विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीता। यदि आप अमित पंघाल के जीवन के बारे में जानना चाहते हैं तो बिल्कुल सही लेख पर आए हैं क्योंकि आज के इस लेख में हम अमित पंघाल की प्रारंभिक जीवन, इनकी शिक्षा इनका परिवार और इनके सफर और कामयाबी के बारे में जानने वाले हैं।
अमित पंघाल का जीवन परिचय ( जन्म, शिक्षा, परिवार, नेट वर्थ और रिकार्ड्स)
अमित पंघाल की जीवनी एक नजर में
नाम | अमित पंघाल |
पेशा | मुक्केबाज |
जन्म | 16 अक्टूबर 1995 |
जन्मस्थान | गाँव मयाना, जिला रोहतक, |
माता का नाम | ज्ञात नहीं |
पिता का नाम | विजेंद्र सिंह |
भाई का नाम | अजय सिंह |
बालों का रंग | गहरा भूरा |
आंखों का रंग | काला |
वजन | 50 किलोग्राम |
लंबाई | 5 फुट 2 इंच |
आयु | 26 साल |
एकेडमी | सर छोटूराम बॉक्सिंग ऐकेडमी |
कोच | अनिल धनखड़ |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
कौन हैं अमित पंघाल
अमित पंघाल भारतीय मुक्केबाज हैं, जिन्होंने वर्ल्ड विश्व चैंपियन में रजत पदक जीतकर इतिहास रचा। मई 2018 के एशियाई खेलों में इन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया। इन्होंने 52 किग्रा वर्ग में शीर्ष वरीयता प्राप्त की है। एशियाई एलिट बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक प्राप्त करने में ये विफल रहे लेकिन 2019 में इन्होंने इसमें जीत प्राप्त की। वर्तमान में यह भारतीय सेना के जूनियर का कमीशंड अधिकारी हैं।
अमित पंघाल का प्रारंभिक जीवन
अमित पंघाल का जन्म हरियाणा के रोहतक के मायाना गांव में 16 अक्तूबर 1995 को हुआ था। इनके पिता का नाम विजेंद्र सिंह है जो एक सामान्य किसान है। इनके बड़े भाई का नाम अजय है जो खुद भी बॉक्सिंग करने का शौक रखते हैं और इनके भाई ने अमित को बॉक्सिंग करने के लिए प्रेरित किया जिससे इन्हें बचपन से ही मुक्केबाजी का माहौल प्राप्त हुआ।
वर्तमान में इनके बड़े भाई अजय भारतीय सेना में नौकरी कर रहे हैं। अपने भाई के प्रेरणा पर ही अमित पंघाल अपने मेहनत के बलबूते बेहतरीन भारतीय मुक्केबाज बने। हालांकि इनके भाई अजय एक बहुत अच्छे बॉक्सिंग प्लेयर थे लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि इनके पिता अमित और अजय दोनों को ही बॉक्सिंग की ट्रेनिंग का खर्च दे सके।
उनके बड़े भाई ने समझदारी दिखाई और खुद सामने आकर अपने छोटे भाई अमित को प्रशिक्षण दिलाने पर जोर दिया और अपने बड़े भाई के उम्मीद पर खड़े हुए।अमित पंघाल खुद अपनी सफलता का श्रेय अपने बड़े भाई को देते हैं और अक्सर कहते हैं कि इनके ज्यादातर खेलों में इनके बड़े भाई रणनीति बनाते हैं। वह एक बेहतरीन कोच है इस कारण किसी भी मैच में जाने से पहले वे उनसे बात जरूर करते हैं।
अमित पंघाल के संघर्ष की कहानी
अमित पंगाल के बॉक्सर बनने की सफर इनके छोटे उम्र से ही शुरू हो गए। इनके बड़े भाई अमित जो बॉक्सिंग का शौक रखते थे। शुरुआत में रोहतक में स्थित “सर छोटूराम बॉक्सिंग ऐकेडमी” में ट्रेनिंग के लिए जाया करते थे। बाद में अमित भी इसी एकेडमी में ट्रेनिंग के लिए जाने लगे। अमित पंघाल की उम्र बहुत छोटी है वह 5 फीट 2 इंच है जिस कारण इनके कोच इन्हें रिंग में उतारने से अक्सर कतराते थे।
लेकिन अमित ने कभी भी अपने छोटे ऊंचाई को नुकसान नहीं समझा। अपने छोटे उम्र पर ध्यान ना देते हुए अपने सफलता पाने पर ध्यान दिया जिस कारण वे एक ऐसे मुक्केबाज बने जो जब रिंग में खुद जाते हैं तो सामने वाले मुक्केबाज का बच पाना मुश्किल हो जाता है।
अमित पंघाल को बदलना पड़ा भारवर्ग
अमित पंघाल पहले 49 किलोग्राम भार वर्ग में खेला करते थे लेकिन ओलंपिक में 49 किलोग्राम भार वर्ग के खेल में गोल्ड मेडल जीतने में असफल रहे। तब इन्होंने 52 क्रिगा में खेलने का फैसला किया और 2019 में रूस के विश्व चैंपियनशिप में बॉक्सिंग के 52 क्रिगा वर्ग में जीत हासिल करके सिल्वर मेडल अपने नाम किया और भारतीय मुक्केबाजी के इतिहास को रचा रिया।
अमित की बॉक्सिंग में उपलब्धियाँ
साल 2009 में अमित पंघाल ने सबसे पहले भारतीय सब-जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भाग लिया और इसमें जीत प्राप्त करके गोल्ड मेडल हासिल किया। उसके बाद साल 2010 के भारत के जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में इन्होंने सिल्वर मेडल प्राप्त की।
साल 2011 में दुबारा भारतीय जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में अपनी जीत से सिल्वर मेडल प्राप्त की। 2016 के राष्ट्रीय चैंपियनशिप में ये गोल्ड मेडल को हासिल करने में सक्षम हुए। वहीं साल 2017 में स्ट्रैंड्जा मेमोरियल टूर्नामेंट में रजत पदक प्राप्त की।
2017 के ASBC एशियाई परिसंघ मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भाग लेकर रजत पदक प्राप्त की। इसी साल के ग्रांड प्रिक्स उस्ती नाद लाबेम में गोल्ड मेडल हासिल की। 2018 के इंडियन ओपन इंटरनेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप और 69वां स्ट्रैंड्जा मेमोरियल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। इसी साल के राष्ट्रीय मंडल खेल में इन्होंने सिल्वर मेडल प्राप्त की वहीं केमिस्ट्री का अपने ब्रोंज मेडल और एशियाई खेल में गोल्ड मेडल अपने नाम किया।
2019 में रूस में आयोजित विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल प्राप्त करके उन्होंने इतिहास रचा क्योंकि अब तक कोई भी भारत के मुक्केबाज ने विश्व मुक्केबाजी चैंपियन में सिल्वर मेडल नहीं प्राप्त किया था अब तक केवल कांस्य पदक प्राप्त किए थे। लेकिन अमित बंगाल पहले मुक्केबाज प्लेयर हुए जिन्होंने विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल प्राप्त की।
FAQ
अमित पंघाल का जन्म हरियाणा राज्य के रोहतक के मायाना गांव में 16 अक्टूबर 1995 को हुआ था।
अमित पंघाल के भाई का नाम अजय सिंह है, जो वर्तमान में भारतीय सेना के अंतर्गत कार्य करते हैं इन्हें भी बॉक्सिंग का बहुत शौक है।
अमित पंघाल ने अब तक मुक्केबाजी के अलग-अलग खेलों में कांस्य, रजत और स्वर्ण पदक हासिल कर चुके हैं।
निष्कर्ष
आज के लेख में हमने आपको प्रसिद्ध भारतीय मुक्केबाज अमित पंघाल के जीवन के बारे में बताया। आज के इस लेख में आपने अमित पंघाल का प्रारंभिक जीवन, इनका परिवार और मुक्केबाजी के क्षेत्र में इनके द्वारा प्राप्त उपलब्धियों के बारे में जाना।
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