Vani Jairam Biography in Hindi: आधुनिक भारत की मीरा कहीं जाने वाली भारतीय गायिका वाणी जयराम का आज 4 फरवरी 2023 को निधन हो गया है। चेन्नई के हैडोस रोड, नुंगमबक्कम में इनके निवास स्थान पर पुलिस को इनका मृत शरीर मिला।
हालांकि अभी तक इनकी मृत्यु के कारण का पता नहीं लग पाया है। कुछ लोगों का मानना है कि कुछ दिन पहले इन्हें चोट लगी थी, जिस कारण यह लंबे समय से बीमार चल रही थी।
म्यूजिक इंडस्ट्री में वाणी जयराम 1970 के दशक से लेकर 1990 के दशक के अंत तक भारत के लोगों की पसंदीदा संगीतकार रही है, जो मुख्य रूप से भारत के दक्षिण भारतीय सिनेमा में पार्श्व गायिका के रूप में प्रसिद्ध थी।
हालांकि इन्होंने कई सारी भाषाओं में संगीत गाया है जैसे कि उड़िया, मराठी, कन्नड़, हिंदी, तमिल, मलयालम, बंगाली, गुजराती आदि। तो चलिए इस लेख के माध्यम से इस दिग्गज संगीतकार वाणी जयराम के जीवन के सफ़र से परिचित होते हैं।
वाणी जयराम का जीवन परिचय (Vani Jairam Biography in Hindi)
नाम | वाणी जयराम |
बचपन का नाम | कलैवनी |
जन्म | 30 नवंबर 1945 |
जन्मस्थान | वेल्लोर, तमिलनाडु |
पिता का नाम | दुरईसामी अयंगर |
माता का नाम | पद्मावती |
पति का नाम | टीएस जयरमण |
उम्र | 78 वर्ष |
पेशा | पार्श्व गायिका |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राशि | धनु |
पुरस्कार | पद्मभूषण |
मृत्यु | 4 फरवरी 2023 |
वाणी जयराम का प्रारंभिक जीवन
वाणी जयराम दक्षिण भारत का राज्य तमिलनाडु के वेल्लोर में एक तमिल परिवार से ताल्लुक रखती थी। इनका जन्म तमिलनाडु में 30 नवंबर 1945 को हुआ था।
बचपन में वाणी जयराम का नाम कलैवनी था। इनकी माता का नाम पद्मावती था। इनकी माता पद्मावती महान वीणा वादट रंगा रामुनाजा अयंगर की शिष्या रह चुकी थी।
वाणी के पिता का नाम दुरईसामी अयंगर था। वाणी जयराम के तीन भाई और पांच बहने थी। कदलूर श्रीनिवास अयंगर ने वाणी की बहन को संगीत सिखाया था।
मात्र 5 वर्ष की उम्र में ही वाणी जयराम को गायन का शौक चढ़ चुका था। उन्होंने 5 साल की उम्र में भारतीय शास्त्रीय संगीत के विभिन्न रागों को पहचान लिया था। मात्र 8 साल की उम्र में पहली बार इनकी आवाज को ऑल इंडिया रेडियो, मद्रास पर सुनी गई थी।
वाणी जयराम की शिक्षा
वाणी जयराम ने अपनी शिक्षा मद्रास विश्वविद्यालय के क्वीन मैरी कॉलेज से पूरी की थी। उसके बाद उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया मद्रास में कुछ समय तक नौकरी भी की थी। 1967 में मद्रास से उनका ट्रांसफर हैदराबाद स्टेट बैंक ऑफ शाखा में हो गया था।
हालांकि पढ़ाई के साथ-साथ वाणी जयराम संगीत पर भी ध्यान देती थी। इन्होंने टी. आर. बालासुब्रमण्यन, कदलुर श्रीनिवास अयंगर और आर. एस. मणि जैसे संगीत शास्त्रियों के संरक्षण में कर्नाटक में संगीत का प्रशिक्षण लिया था।
वाणी जयराम का विवाह
वाणी जयराम का विवाह टीएस जयरमण से हुआ था। इनकी सास श्रीमती पद्मा स्वामीनाथन खुद सामाजिक कार्यकर्ता और कर्नाटक संगीत गायिका एफजी नटेसा अय्यर की बेटी थी। 25 सितंबर 2018 को 79 साल की उम्र में वाणी जयराम के पति का निधन हो गया था।
वाणी जयराम का करियर
शादी के पश्चात वाणी जयराम अपने पति के साथ 1969 में मुंबई आ गई। उस दौरान वह स्टेट बैंक ऑफ इंडिया हैदराबाद में काम कर रही थी। मुंबई आने के बाद उन्होंने अपना ट्रांसफर मुंबई करवा लिया।
गायन में इनके शौक को देखते हुए इनके पति ने उन्हें पटियाला घराने के उस्ताद अब्दुल रहमान खान से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण दिलवाया था। संगीत सीखने के लिए उन्होंने अपनी बैंक की नौकरी छोड़ दी और आगे उन्होंने संगीत को अपना पेशा बनाया।
इन्होंने संगीत प्रशिक्षण के दौरान भजन, गजल, ठुमरी जैसे कई तरह के संगीत सीखे। साल 1969 में उन्होंने अपना पहला म्यूजिक शो प्रस्तुत किया। उस दौरान वाणी जयराम की मुलाकात संगीतकार वसंत देसाई से हुई थी, जिन्होंने वाणी की आवाज सुनी और उन्हें अपने एल्बम में आने का मौका दिया।
वसंत देसाई ने वाणी जयराम को ऋषिकेश मुखर्जी के द्वारा निर्देशित फिल्म गुड्डी में 3 गाने रिकॉर्ड करने की पेशकश की थी। उसमें वाणी जयराम की गीत “बोले रे पपीहरा” काफी लोकप्रिय हुआ और इस गाने से उन्हें तुरंत पहचान मिल गई।
आगे उन्हें एक के बाद एक कई सारे गानों में आवाज देने का मौका मिला। हिंदी सिनेमा के संगीत निर्देशकों में से कई लोगों के साथ गाने गाएं। जिनमें चित्रगुप्त, नौशाद, 1972 में आई फिल्म पाकीजा में एक शास्त्री गीत गाया।
1977 में आई फिल्म आइना में उन्होंने आशा भोंसले के साथ युगल गीत गाया था। आर डी बर्मन के द्वारा निर्देशित फिल्म छलिया जो 1973 में आई थी, उसमें मुकेश के साथ युगल गीत गाया था।
1974 में आई फिल्म परिणय ने में उन्होंने मन्ना डे के साथ युगल गीत गाया था। 1979 में आई फिल्म सोलवा सावन में भी उन्होंने एक संगीत प्रस्तुत किया था।
1979 में आई फिल्म मीरा जिसमें हेमा मालिनी लीड रोल में थी, इस फिल्म में वाणी जयराम ने गीत “मेरे तो गिरधर गोपाल” गाए थे और इस गाने के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक का पहला फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला।
इस फिल्म के लिए वाणी जयराम ने 12 से भी अधिक भजन को रिकॉर्ड किए थे, जो काफी ज्यादा लोकप्रिय हुए। इस तरीके से वाणी जयराम ने अपने संगीत करियर में 19 अलग-अलग भाषाओं में 10000 से भी अधिक गानों को रिकॉर्ड किया था।
वाणी जयराम को प्राप्त पुरस्कार
वाणी जयराम को उनके सर्वश्रेष्ठ गायन के कारण कई सारे राष्ट्र पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका था। इनको पहली बार फिल्म मीरा में मेरे तो गिरधर गोपाल गीत के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक का फिल्म फेयर पुरस्कार से नवाजा गया था।
उसके बाद भी वह आगे दो बार और सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुकी थी। साल 2012 में इन्हें दक्षिण भारतीय फिल्म संगीत में महान उपलब्धियों के कारण लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका था।
आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा और गुजरात राज्य की राज्य सरकार से भी उन्हें पुरस्कार मिल चुके हैं। साल 2017 में आयोजित कार्यक्रम NAFA 2017 में उन्हें बेस्ट फीमेल वोकलिस्ट के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
FAQ
वाणी जयराम जिन्हें कलैवानी के नाम से भी जाना जाता है। वह एक भारतीय गायिका थी। यह दक्षिण भारत के सिनेमा में एक प्लेबैक के रूप में जानी जाती थी, जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1971 में की थी।
वाणी जयराम ने अब तक हिंदी, तमिल, मलयालम, कन्नड़, हरियाणवी, गुजराती जैसे विभिन्न भाषाओं में 10000 से भी अधिक गाने गाए हैं।
वाणी जयराम का निधन 78 साल की उम्र में 4 फरवरी 2023 को हुआ।
हालांकि अभी तक पुलिस को वाणी जयराम की मृत्यु का कारण पता नहीं चला है।। लेकिन उनके रिलेटिव्स का मानना है कि कुछ समय पहले उन्हें सिर में चोट आई थी, जिसके कारण यह लंबे समय से बीमार चल रही थी। इसी कारण इनकी मृत्यु हो गई।
वाणी जयराम सत्यम, एमएस विश्वनाथ, इलैयाराजा और चक्रवर्ती केवी महादेवन जैसे कई दिग्गज संगीतकारों के साथ काम कर चुकी थी।
साल 1971 में आई फिल्म गुड्डी में उनके द्वारा गाए गये संगीत से उन्हें बड़ी पहचान मिली थी।
निष्कर्ष
उपरोक्त लेख में आपने दक्षिण भारतीय संगीत इंडस्ट्री की पार्श्वगायक का वाणी जयराम जो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के भी कई फिल्मों में गाने गा चुकी हैं, उनके जीवन परिचय के बारे में जाना।
हालांकि वाणी जयराम अब हमारे बीच नहीं रही लेकिन इनके द्वारा गाये गए संगीत हमेशा जीवित रहेंगे, जो आज भी युवाओं के द्वारा खूब पसंद किए जाते हैं।
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