टूटी टांग शब्द में समास (Tootee taang Mein Kaun sa Samas Hai)
टूटी टांग में प्रयुक्त समास का नाम क्या है?
टूटी टांग में कर्मधारय समास है।
Tootee taang Mein Kaun sa Samas Hai?
Tootee taang Shabd mein Karmdharay Samas Hai.
टूटी टांग का समास विग्रह क्या है?
टूटी टांग का समास विग्रह टूटी और टांग है।
Tootee taang ka Samas Vigrah kya hai?
Tootee or taang
टूटी और टांग का समस्त पद है?
टूटी टांग
कर्मधारय समास किसे कहते है?
कर्मधारय समास की परिभाषा: ऐसा समास वाक्य जिसका पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य होता है एवं पूर्व पद एवं उत्तर पद में उपमान और उसमें का संबंध हो, उन्हें कर्मधारय समास कहा जाता है।
इस समास में उत्तर पद प्रधान रहता है और वाक्य के विभाजन करते समय दोनों पदों के बीच में “के समान, है जो, रूपी” इत्यादि शब्दों का प्रयोग होता है।
इस समास का उत्तरपद प्रधान होता है एवं विग्रह करते समय दोनों पदों के बीच में ‘के सामान’, ‘है जो’, ‘रुपी’ में से किसी एक शब्द का प्रयोग होता है।
उदाहरण: पीताम्बर, नीलगगन, महावीर, महापुरुष
महाकवि: महान कवि
महापुरुष: महान है जो पुरुष
दुर्जन: दुष्ट है जो जन
चन्द्रमुख: चन्द्र जैसा मुख
कृष्णसर्प: काला सर्प
महाकाव्य: महान काव्य
महावीर: महान वीर
अधमरा: आधा है जो मरा
नवयुवक: नव है जो युवक
महात्मा: महान है जो आत्मा
कर्मधारय समास के बारे में विस्तार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें कर्मधारय समास (परिभाषा और उदाहरण)
कर्मधारय समास के उदाहरण
- नील कमल: नील के समान कमल।
- सूरजमुख: सूरज के समान मुख।
- महारत्न: महान है जो रत्न।
- प्रधानाध्यापक: प्रधान है जो अध्यापक।
- महाराज: महान है जो राजा।
प्रयुक्त में स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि पूर्व पद और उत्तर पद में विशेषण और विशेष्य के साथ-साथ उपमान और उसमें का संबंध भी देखने को नजर आ रहा है। अतः यह सभी उदाहरण कर्मधारय समास के अंतर्गत आएंगे।
- पीलामणि: पीला है जो मणि।
- पीतांबर: पीत है जो अंबर।
- महात्मा: महान है जो आत्मा।
- महाराज: महान है जो राजा।
ऊपर उदाहरण दर्शाए गए हैं, इन उदाहरण में पूर्व पद में उत्तर पद की विशेषता बताई जा रही है और दोनों पदों में उपमेय और उपमान में संबंध भी दिखाई दे रहा है। अतः यह सभी उदाहरण कर्मधारय समास के अंतर्गत आएंगे।
- नव युवा: नव है जो युवा।
- नीलकमल: नीला है जो कमल।
- देहलता: देह रूपी लता।
- कीर्ति लता: कीर्ति रूपी लता।
- बिरहा सागर: बिरहा रूपी सागर।
- पर्णकुटी: पत्तों के समान कुटी।
- भक्ति सुधा: भक्ति रूपी सुधा।
- पुरुष रतन: पुरुष रूपी रतन।
कर्मधारय समास के अन्य उदाहरण
- सज्जन: सत्य है जो जन
- नीलगाय: नीली है जो गाय
- भुजदंड: दंड के समान पूजा
- भुजबंद: भुज है जो बंद
- प्राण प्रिय: प्राणों के समान प्रिय
- ज्ञान धन: ज्ञान रूपी धन
- मृगतृष्णा: मृग रूपी तृष्णा
कर्मधारय समास के अन्य उदाहरण
- सज्जन: सत्य है जो जन
- नीलगाय: नीली है जो गाय
- भुजदंड: दंड के समान पूजा
- भुजबंद: भुज है जो बंद
- प्राण प्रिय: प्राणों के समान प्रिय
- ज्ञान धन: ज्ञान रूपी धन
- मृगतृष्णा: मृग रूपी तृष्णा
- पुत्र रतन: पुत्र रूपी रतन
- भवजल: भव रूपी जल
- कृष्णसर्प: कृष्ण है जो सर्प
हमने क्या सिखा?
हमने यहां पर कर्मधारय समास के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की है। कर्मधारय समास की परिभाषा (Karmdharay Samas ki Paribhasha) और कर्मधारय समास के उदाहरण को बहुत ही गहराई से समझा है। यदि आपका कोई सवाल है तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
महत्वपूर्ण शब्दों में समास और समास विग्रह