सप्तशती शब्द में समास (Sptshati Mein Kaun sa Samas Hai)
सप्तशती में प्रयुक्त समास का नाम क्या है?
सप्तशती में बहुब्रीहि समास है।
Sptshati Mein Kaun sa Samas Hai?
Sptshati Shabd mein Bahuvrihi Samas Hai.
सप्तशती का समास विग्रह क्या है?
सप्तशती का समास विग्रह सात सौ का समूह है।
Sptshati ka Samas Vigrah kya hai?
Saat sau ka samuh
सात सौ का समूह का समस्त पद है?
सप्तशती
बहुब्रीहि समास की परिभाषा
बहुब्रीहि समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं। यहां पर दोनों पद मिलकर किसी अन्य पद के महत्व को दर्शाते हैं, जहां पर दोनों पदों का महत्त्व ना हो और तीसरे पद को महत्व दिया जाता हो, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
बहुव्रीहि समास में दोनों पद अप्रधान होते हैं। उदहारण के लिए जैसे- दशानन इसका अर्थ है दस है मुख जिसके अर्थात् रावण, यहां पर रावण मुख्य पद के रूप है।
बहुब्रीहि समास में कौन सा पद प्रधान होता है?
बहुब्रीहि समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं, यहां दोनों पद अप्रधान होते हैं। इनके द्वारा बनने वाला तीसरा पद प्रधान होता है, जिसमें दोनों पद प्रधान नहीं हो, बहुब्रीहि समास के अंतर्गत आयेंगे।
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कुछ अन्य उदहारण
- पुण्डरीकाक्ष – कमल के समान आँखें है जिसकी
- पद्मासना – पद्म है आसन जिसका
- नीलकण्ठ – नीला है कण्ठ जिसका
बहुब्रीहि समास का विग्रह
समस्त पद | विग्रह |
शेषशायी | जो शेष नाग पर शयन करते हैं अर्थात विष्णु |
विषधर | जिसने विष का पान किया है अर्थात शिव |
रतिकांत | वह जो रति का पति है अर्थात – कामदेव |
मंदोदरी | जिसका उदर मंद हो वह स्त्री अर्थात – रावण की पत्नी |
इन सभी पदों में बहुब्रीहि समास का विग्रह आता है। यदि यहां दोनों पद मुख्य होते तो यह बहुब्रीहि समास नहीं कहलाता।
परीक्षा में यह भी पूछे जा सकते हैं
- चंद्रशेखर में कौन सा समास है?
- पूर्व-पश्चिम में कौन सा समास है?
- धर्माधर्म में कौन सा समास है?
- माँ-बाप में कौन सा समास है?