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सोते-जागते आदमी की कहानी (अलिफ लैला की कहानी)

सोते-जागते आदमी की कहानी (अलिफ लैला की कहानी) | Sote Jagate Admi Ki Kahani Alif Laila Ki Kahani

हेलो दोस्तों नमस्कार अलिफ लैला की कहानियों की श्रृंखला में आपका स्वागत है। आज हम आपके लिए अलिफ लैला की प्रसिद्ध सोते-जागते आदमी की कहानी – अलिफ लैला को लेकर आएं हैं। आप इस कहानी को अंत तक पढ़िएगा।

एक बार एक शहर में बहुत ही बड़ा व्यापारी रहता था, जो बहुत ही अमीर था। अमीर होने के साथ-साथ में बहुत चालक किस्म का इंसान था। उसका एक बेटा भी था, जिसका नाम अबुल हसन था। व्यापारी की अचानक से तबीयत खराब हो जाने के कारण उसका निधन हो गया। जिसके बाद अबुल हसन ने अपने पिताजी के व्यापार को संभाल लिया।

कुछ दिन गुजरने के बाद अबुल हसन अपने दोस्तों की बुरी संगत में पड़ गया थाm जिसके बाद अबुल हसन ने धीरे-धीरे अपना सारा धन अपने दोस्तों ने उड़ाना शुरू कर दिया और खूब मजे करने लगा। जब धीरे-धीरे उसका सारा धन समाप्त होने लगा तब अबुल हसन की मां ने उसको समझाया कि बेटा तुम गलत कर रहे हो, अगर तुम ऐसा करते रहोगे तो हम लोग रोड पर आ जाएंगे।

अपनी मां की बातें सुनकर अबुल को बहुत अफसोस हुआ और उसने अपने दोस्तों से मदद मांगने का फैसला लिया। वे एक-एक करके सभी दोस्तों के पास गया और उनसे मदद मांगने लगा लेकिन सभी दोस्तों ने अबुल को अपने घर से भगा दिया। वह बहुत ही अफसोस करता अपने घर पर आया। 

Sote Jagate Admi Ki Kahani Alif Laila Ki Kahani
Image: Sote Jagate Admi Ki Kahani Alif Laila Ki Kahani

उसने कुछ पैसा इकट्ठा करके दोबारा से नया व्यापार करना शुरू कर दिया। अबुल हर रोज एक आदमी को अपने घर पर लाता था और उस को भोजन कराकर सुबह वापस भेज दिया था। ऐसा इसलिए करता था क्योंकि जब अपने दोस्तों के साथ मस्ती करने में व्यस्त था, तभी वह उन लोगों के साथ अपने घर पर खाना खाया करता था जिस की आदत अब उनको लग चुकी थी।

उस आदत के कारण ही अबुल हर रोज ऐसा किया करता था। एक दिन जब वह एक व्यक्ति को ढूंढने के लिए बाहर निकला तब उसने एक ऐसे आदमी को पकड़ा जो दिखने में तो बहुत बड़ा व्यापारी लग रहा था लेकिन वह बगदाद का खलीफा  हारू राशिद था, जो अपना रूप बदलकर नगर में चक्कर लगाने आया था।

अबुल उनको बिल्कुल भी पहचान नहीं सका और उसने एक व्यापारी समझ कर वह हारु रासिद को अपने घर ले गया, जहां पर अबुल ने राशिद को बहुत सारा खाना खिलाया और खूब शराब पीने के लिए दी ।

तभी बगदाद के महाराजा ने अब उनसे पूछा कि तुम ऐसा क्यों करते हो? जिसके बाद अबुल ने उनको बताया कि मैं अपने कुछ दोस्तों की बुरी संगत में फस गया था और उनके साथ रोज भोजन किया करता था, जिस कारण मैं रोज यह सब किया करता हूं। बगदाद का महाराजा हारू राशिद यह सब सुनकर बहुत खुश हो गया।

उसने यह फैसला लिया कि क्यों ना मैं इसको एक दिन का महाराजा बना दूं? जिसके बाद हारु राशिद ने अपने साथ अबुल को भी शराब पिलाई लेकिन शराब में हारून रशीद में नशे की कुछ गोलियां मिला दी थी, जिसको पीते ही अबुल बेहोश हो गया और तभी हारू रशीद ने अपने सिपाही को बुलाया और अबुल को साथ में ले चलने के लिए कहने लगा। जिसके बाद कुछ ही देर में महाराजा अपने नगर पहुंच गए।

वहां पर जाकर महाराजा ने सभी से कहा इसके साथ बिल्कुल वैसा व्यवहार करना जैसा तुम लोग मेरे साथ करते हो और क्योंकि मैं इसको कुछ समय के लिए यहां का राजा बना रहा हूं। जिसके बाद सभी ने महाराजा की बात मानते हुए अबुल के साथ वही बर्ताव करने लगे। जैसा महाराजा ने सभी से करने के लिए बोला था।

जब अबुल को होश आया तब उसने अपने चारों तरफ देखा कि वह एक बड़े से महल में है, जहां पर कई कोई नौकरानी या उसके आगे पीछे खड़ी है। यह देखकर अबुल हसन को बहुत आश्चर्य हुआ।

थोड़ी ही देर में मशरूर नामका मंत्री वहां पर आया। उसने अबुल को राजा महाराजा वाले कपड़े पहनाकर दरबार में लेकर गया और वहां पर जाकर मशरूर ने अबुल हसन को खलीफा हारून रशीद के सिंहासन पर बैठा दिया। जैसे ही अबुल महाराजा के सिंहासन पर बैठा, सभी लोग उसका सम्मान करने लगे। यह सब देख कर अबुल को यह पक्का हो गया कि वही यहां का राजा है।

जिसके बाद उसने अपने मंत्री से कहा जाओ दरोगा को बुलाकर लाओ। मंत्री ने राजा की आज्ञा मानते हुए वही किया, जो अबुल ने मंत्री से करने के लिए कहा था। दरोगा वहां पर आया और कहने लगा कि – “जाओ तुम एक बुजुर्ग व्यक्ति और उसके चार साथियों को पकड़कर कारागार में डाल दो!

जहां पर तुम उन को दंड के रूप में बुजुर्ग व्यक्ति चार सौ कोड़े और उनके साथियों को सौ सौ कोड़े मरने की सजा दो और उनको इस शहर से बाहर निकाल दो। जिसके बाद दरोगा ने वही किया जो अबुल ने करने के लिए बोला खलीफा हारू रशीद छुप छुप कर यह सब देखने में लगा था।

और उसको बहुत आनंद आ रहा था। थोड़ी देर बाद मंत्री अबुल को एक एक पूरे महल के कमरे दिखाने लगा और एक एक कर के सभी कमरों में ले गया। सभी कमरों में अलग-अलग नौकर नौकरानी थे। सभी नौकरानियों के नाम पूछना शुरू कर दिया और और उनसे वार्तालाप भी करने लगा। तभी खलीफा हारू रशीद ने एक नौकरानी को अपने पास बुलाया और उसने उस नौकरानी को एक शराब का प्याला दिया, जिसमें उसने नशे की गोलियां मिलाई थी।

वह अबुल को पिलाने के लिए बोला। नौकरानी ने वही किया जो हारू राशिद ने उससे करने के लिए बोला। उसने वह प्याला अबुल को पिला दिया। जिसके बाद अबुल बेहोश हो गया और उसने तभी अपने नौकरों से कहा कि इसको ले जाकर इसके घर छोड़ आओ।

नौकरों ने अबुल को ले जाकर उसके घर पर छोड़ दिया। जब अबुल को होश आया तब उसने देखा कि वह अपने घर पर सो रहा है। जिसको देखकर वह आश्चर्यचकित हो गया और कहने लगा अभी तो मैं खलीफा था और अब मैं यहां कैसे पहुंच गया? जब अबुल की मां उसके पास आई तब उसने उनसे अपनी मां से बहुत बदतमीजी से बात करना शुरू कर दिया ।

वह कहने लगा कौन हो तुम? मैं कोई तुम्हारा बेटा नहीं हूं। मैं यहां का राजा हूं और यह कहकर वह अपनी मां को मारने लगा मारपीट की आवाज सुनकर आसपास के लोग भी अबुल हसन के घर पहुंच गए।

जहां पर सभी लोगों ने अबुल से पूछा कि तुम अपनी मां को क्यों मार रहे हो? तब उसने बताया कि मैं यहां का राजा हूं और यह कह रही है कि मैं उसका बेटा हूं सभी लोग अब उनकी बात सुनकर बहुत आश्चर्यचकित हो गए और उन्होंने अबुल को पागल समझ कर दरोगा के हवाले कर दिया।

दरोगा ने अबुल को ले जाकर कारागार में बंद कर दिया और अपने सिपाहियों से कहां अबुल को तीन चार दिनों तक खूब मारो। जब तक वह अपने होश में ना आ जाए। दरोगा की बात मानकर सिपाहियों ने अबुल को बहुत मारा। तीन-चार दिनों तक मार खाने के बाद अबुल को समझ में आ गया कि उसके साथ यह जो कुछ भी हो रहा है वह उस व्यापारी की वजह से है।

जिसके बाद अबुल ने अपनी मां से माफी मांग ली और तभी दरोगा ने उसको सही देख कर कारागार से मुक्त कर दिया। अब उन्हें घर आकर अपना व्यापार फिर से शुरू कर दिया। तभी अचानक से एक दिन राजा हारू रसीद फिर से व्यापारी का रूप रखकर अबुल हसन के पास पहुंच गया।

जैसे ही उस व्यापारी को अब बोलने देखा तो वह उसको खरी खोटी सुनाने लगा और कहने लगा तुम्हारी वजह से मेरा यह हाल हुआ है। राजा हारू रशीद ने उनसे कहा कि सुना है महल में तुमको एक लड़की से प्रेम हो गया था। यह सुनकर अबुल बहुत खुश हुआ और और कहने लगा हां पर वह मेरे योग्य नहीं है।

क्योंकि वह राजाओं की दासी है। यह कहकर हारु रसीद ने फिर से वही किया, जो उसने पिछली बार अबुल हसन के साथ किया था। उसने फिर से अबुल हसन को शराब पिलाई जिसमें नींद की गोलियां मिली थी। पिछली बार की तरह इस बार भी अपने सैनिकों से बोलकर अबुल हसन को अपने दरबार में ले गया।

और वही सब करने के लिए कहा जो पिछली बार कहा था। जिसके बाद जब को होश आया तो उसने देखा कि वह राजमहल में है। यह देख कर अब समझ गया कि यह जरूर कोई उस व्यापारी की चाल हो गई है। इसने ही मुझ पर कोई जादू किया है। यह बोलकर वह से सो गया। लेकिन अबुल हसन जिस लड़की से प्यार करता था वह उसके पास आई और कहने लगी महाराज मैंने कोई गलती की है क्या? जो आप मुझे इतनी बड़ी सजा दे रहे हैं।

यह सुनकर अबुल को एक बार फिर से यकीन हो गया कि वह राजा है और वह सभी के साथ मस्ती करने लगा। जिसके बाद वहां पर महाराजा हारू रशीद आ गए। महाराजा को देखकर अबुल हसन समझ गया कि यह किया धरा सब इनका ही हैं। फिर खलीफा हारू राशिद ने से कहा मैंने तुम्हारे साथ मजाक किया है और अब मैं तुम्हें अपने दरबार का दरबारी बनाता हूं और तुम्हारी शादी महजबीन से करवाने का आदेश देता हूं।

जिसके बाद हारु रसीद ने अबुल और महजबीनन का विवाह खूब धूम धाम से करवा दिया। खुशी-खुशी दोनों अपना जीवन व्यतीत करने लगे और कुछ दिनों तक मस्ती करने के बाद उनका धन धीरे-धीरे समाप्त होने लगा और फिर दोनों ने एक योजना बनाई थी क्यों ना हम लोग एक एक करके अपने मरने की खबर राजा तक पहुंचाएं?

जिससे वह हम लोगों को बहुत सारा धन देगा। अबुल की मरने की खबर महजबीन ने जुबैदा को दी। जुबैदा ने महजबीन बहुत सारा धन दिया, जिसको लेकर वह अपने घर आ गई और फिर अबुल हसन ने अपनी पत्नी के मरने का नाटक किया और राजा के पास रोता हुआ पहुंच गया।

राजा ने अब उनको बहुत सारा धन दिया लेकिन कुछ दिनों के बाद जब जुबैदा दरबार में आई तब महाराजा हारू रशीद ने उससे कहा कि मुझे तुम्हारी दासी के मरने का बहुत खेद है। यह सुनकर जुबैदा ने कहा कि महाराज आप यह क्या बोल रहे है? अबुल हसन मरा है ना कि मेरी महजबीन। दोनों ने उनके घर जाने का फैसला लिया।

वहां जाकर महाराजा हारून राशिद और जुबैदा ने देखा कि वहां पर दो लोग कफन ओढ़ कर लेटे हुए है। राजा कुछ शक हुआ और उसने कहा की जो भी व्यक्ति इन दोनों के मरने में सबसे पहले मुझे यह बताएं सबसे पहले किसकी मृत्यु हुई है? तो मैं उसको बहुत सारा धन दूंगा।

यह सुनकर अबुल हसन और महजबीन दोनों उठ गए और कहने लगे महाराज पहले मैं मरा था। वह बोली पहले में मरी थी। इस प्रकार इन दोनों का भांडा फूट गया। जिसके बाद राजा ने दोनों से पूछा यह तुमने क्यों किया? तब उन्होंने सब कुछ बता दिया। जिसके बाद राजा ने उनको बहुत सारा धन दिया और उनके इस नाटक पर तालियां भी बजवाई।

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