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काशगर के बादशाह के सामने दरजी की कहानी (अलिफ लैला की कहानी)

काशगर के बादशाह के सामने दरजी की कहानी | Kaashgar Ke Badshah Ke Samne Darji Ki Kahani Alif Laila Ki Kahani

हेलो दोस्तो आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको काशगर के बादशाह  की कहानी प्रस्तुत करने जा रहे हैं।

दर्जी ने अपनी कहानी प्रस्तुत करने लगा, उसने बताया कि उस स्थान पर सुंदर  सजावट थी और बहुत सारे लोग उपस्थित थे और ऐसा मानों की कोई उत्सव मनाया जा रहा था। दर्जी एक दिन अपने मित्र व्यापारी के यहां भोजन के लिए गया।

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वहां जा रहा था तभी उसे कई सारे ऐसे लोग मिले, जो इससे पूछते रहे कि आप भोजन के लिए जा रहे हैं। वह सोच में पड़ गया लेकिन वहां अपने मित्र के यहां पहुंचा तो वहां पर कई सारे लोग उपस्थित थे।

लेकिन वहां पर वहां का मालिक नहीं था। तरह-तरह के व्यंजन पकवान मिष्ठान सब बने हुए थे। कुछ देर तक मैं वहां पर रुका और जैसे ही मैं बैठने वाला था तभी मुझे वहां के मालिक के ऊपर नजर पड़ी। बहुत सुंदर एक लंगड़े व्यक्ति को लेकर आ रहे थे। वह बहुत ही दयालु तथा सज्जन व्यक्ति थे। उन्होंने उस व्यक्ति को लाकर कुर्सी पर बैठा दिया।

Kaashgar Ke Badshah Ke Samne Darji Ki Kahani Alif Laila Ki Kahani
Image: Kaashgar Ke Badshah Ke Samne Darji Ki Kahani Alif Laila Ki Kahani

लंगड़ा मित्र कुर्सी पर बैठने ही वाला था तभी उसकी नजर एक वहां पर नाई पर पड़ी और वह क्रोधित हो गया और कुर्सी से उठकर सभा से बाहर जाने लगा। व्यापारी मित्र ने आश्चर्य से पूछा कि तुम कहां जा रहे हो? अभी तो आए हो। भोजन करके जाना। तुम ऐसे कैसे जा सकते हो।

लंगड़ा व्यक्ति बोला मुझे आप की सभा में रहकर मरने की इच्छा नहीं है। मैं इस तुच्छ प्राणी मनहूस व्यक्ति के सामने कभी नहीं रह सकता। जिस व्यक्ति को आपने इस दावत में बुलाया है।

दर्जी अपनी कहानी बताते हुए कहता है कि अब हम लोग भी बहुत परेशान थे। हम लोग कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें? आखिर उस लंगड़े और उस नाई के बीच ऐसा क्या हुआ जिससे कि वह एक दूसरे से नफरत करते थे और लंगड़ा व्यक्ति उस नाई को देखना भी नहीं पसंद का था।

दर्जी अपनी कहानी बताते हुए कहता है कि हम सब यह जानने के लिए आखिर वह उससे नफरत क्यों करता है? इसलिए हम लोगों ने उस लंगड़े को चारों तरफ से घेर लिया और पूछने लगे हैं कि आखिर क्या हुआ भाई?, जो आपकी शक्ल देखना नहीं चाहते हैं।

लंगड़ा कहता है कि भाई मैं आज लंगड़ा हूं तो सिर्फ इस नई की वजह से। यह मनहूस है। इसी की वजह से मैं आज लंगड़ा हुआ हूं और मुझे अपाहिज करने का कारण सबसे बड़ा इसी का है। इसलिए मैंने कसम खाई है कि यह जहां रहेगा वहां नहीं रहूंगा और हां मैं इसकी कभी सूरत नही देखगा।

दोस्तों मैं यहां का रहने वाला नहीं हूं। मैंने अपना नगर सिर्फ इसके कारण छोड़ा क्योंकि यह वहाँ  पर रहता था और इसने मुझे धोखा दिया जिसके कारण मैं लंगड़ा हो गया और यह मेरे पीछे पीछे यहां तक भी आ गया। मैं यहां पर 1 सेकंड तक नहीं रुक सकता। मुझे क्षमा करें मैं यहां से तुरंत जाना चाहता हूं। नहीं तो यह और क्या क्या कर सकता है मुझे खुद पता नहीं। यह मेरी दुर्गत करके ही मानेगा।

लगड़ा जाने लगा। लेकिन हम लोगों ने उसे दौड़ कर पकड़ लिया और एक कक्ष में बैठा कर उसे भोजन कराया। काफी समय बीतने के बाद वहां के मालिक ने उनसे आग्रह किया कि कृपया आप के साथ क्या हुआ है? इस नाई आपके साथ क्या किया जो आप इतना क्रोधित होते हैं।

इसके ऊपर कई बार पूछने के बाद उस लंगड़े ने अपनी कहानी बताने के लिए इच्छा जताई। लेकिन वह उस नाई की शक्ल देखना नहीं चाहता था। उधर हम लोग देख रहे थे कि नाई भी चुपचाप एक किनारे बैठा हुआ था।

दोस्तों इस कहानी का अंत यही होता है। यह कहानी सुनकर आपको कैसा लगा? यदि पसंद आई हो तो कमेंट बॉक्स में कमेंट अवश्य करें और हमें फॉलो करना ना भूलें धन्यवाद।

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Ripal
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