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ईसाई द्वारा सुनाई गयी कहानी (अलिफ लैला की कहानी)

ईसाई द्वारा सुनाई गयी कहानी (अलिफ लैला की कहानी) | Isaai Dwara Sunai Gai Kahani Alif Laila Ki Kahani

हेलो दोस्तों नमस्कार आज हम आपके लिए अलिफ़ लैला की कहानियों की तिज़ोरी से एक मशहूर कहानी, जो एक ईसाई द्वारा सुनाई गई है वह लेकर आएं है। आप इस कहानी को अंत तक पढ़िएगा।

मेरे पिताजी एक बहुत बड़े व्यापारी थे। उन्होंने व्यापार करके बहुत सारा पैसा कमा लिया था। हम लोग मिस्र के रहने वाले थे। अचानक एक दिन पिताजी की तबीयत खराब होने के कारण उनका निधन हो गया और पिताजी के निधन के बाद मैं उनका सारा व्यापार संभालने लगा। हर बार की तरह रोज मैं अनाज की मंडी में व्यापार करने जाया करता था।

तभी एक दिन जब मैं व्यापार करने के लिए मंडी गया तब मुझे एक बहुत ही अमीर व्यक्ति दिखाई दिया जिसने मुझे अपनी ओर बुलाया और अपनी बोरी से कुछ तिल के दाने निकाल कर मुझे दिए और पूछने लगा कि यहां पर तिल का क्या भाव चल रहा है? उस अमीर व्यक्ति के पूछने पर मैंने उत्तर दिया कि यहां पर तिल का भाव सौ मुद्रा प्रति मन के हिसाब से चल रहा है।

उस अमीर व्यक्ति ने मुझसे कहा कि तुम यह सारे तिल को कोई अच्छा व्यापारी मिलते ही उसे अच्छे मोल भाव पर तैयार कर कर मेरे पास ले आओ। मैं तुम्हें अपने गोदाम का पता दे रहा हूं। जब कोई व्यापारी तुम्हें मिल जाए तो, उस व्यापारी को लेकर तुम इस पते पर आ जाना और यह कहकर वह अमीर व्यक्ति चला गया। थोड़ी देर में एक व्यापारी आया और मुझसे तिल के बारे में पूछने लगा।

थोड़ी देर मोलभाव करने के बाद उस व्यापारी ने कहा कि मैं तुम्हारे सारे तिल को एक सौ मुद्रा प्रति मन में खरीद लूंगा। तभी मैंने अपनी सारी तिल की बोरियों को गधे में लादकर उस दिए हुए अमीर व्यक्ति के पते पर चला गया और वहां पहुंच कर मैंने उस व्यापारी को उन से मिलवाया और अंदर जाकर सारे तिल को तौलवाने लगा। सारा माल तौलवाने के बाद जो कि एक सौ पचास मन निकला, जिनका मूल्य लगभग साडे छ हजार के आस पास था। मैंने उस व्यापारी को सारा माल बेच दिया और पैसे लेकर उस अमीर व्यक्ति को दे दिए।

Isaai Dwara Sunai Gai Kahani Alif Laila Ki Kahani
Image: Isaai Dwara Sunai Gai Kahani Alif Laila Ki Kahani

इसके बाद अमीर व्यक्ति ने मुझे दस प्रतिशत के हिसाब से मुझे मेरा हिस्सा दे दिया जो कि लगभग डेढ़ हजार रुपए हुए थे और उसके अलावा उसने मुझे अपने पन्द्रह हजार रुपये भी दे दिए और कहने लगा कि इसको तुम अपने पास रख लो। जब मुझे इनकी आवश्यकता होगी तब मैं यह रुपये तुमसे आकर ले लूंगा और थोड़ी देर में वह अमीर व्यक्ति वहां से चला गया।

कुछ महीने बीत जाने के बाद वह अमीर व्यक्ति मेरे पास आया और  कहने लगा कि मैंने तुम्हें कुछ पैसे उधार दिए थे। अब वह पैसे तुम मुझे वापस दे दो। तुम उन पैसों को निकाल कर रखो। मैं अभी थोड़ी देर में आ रहा हूं।

यह कहकर चला गया जिसके बाद वह लौट कर नहीं आया। मैंने बहुत दिनों तक उसका इंतजार किया लेकिन फिर भी नहीं आया। करीबन तीन से चार महीने बीतने के बाद वह अमीर व्यक्ति आया। तो मैंने उससे कहा कि आप अपने दिए हुए पैसे वापस ले लीजिए लेकिन उस अमीर व्यक्ति ने मेरी बात को हंसकर टाल दिया और कहने लगा अभी तुम इन रुपयों को अपने पास रखे रहो।

मैं तुमसे बाद में इनको ले लूंगा और वहां से चला गया। एक साल बाद फिर से वह अमीर व्यक्ति मेरे पास आया और मैंने उससे कहा कि सरकार आप अपने पैसे ले लेकिन एक बार फिर से उसने मेरी बात को हंसकर टाल दिया। लेकिन इस बार मैं उसके पीछे ही पड़ गया। मेरे कुछ देर मनाने के बाद मैंने उससे कहा आप मेरे घर चलिए मैं आपको वहीं पर आपके पैसे दे दूंगा।

और आप वहां पर थोड़ा आराम कर लीजिएगा और ऐसा कह कर मैं उसे अपने घर ले गया। घर पहुंच कर मैंने अपने नौकरों से खाना लगाने के लिए कहा और हम लोग बैठकर खाना लगे। जब हम लोग खाना खा रहे थे तब मेरी नजर उस अमीर व्यक्ति पर पड़ी है, जो बाएं हाथ से खाना खा रहा था।

वह अपने सारे काम बाएं हाथ से कर रहा था जिसको देखकर मैंने सोचा कि यह व्यक्ति कितना भाग्यशाली है। थोड़ी ही देर में हम लोगों ने अपना पूरा खाना खा लिया और टहलने के लिए चलने लगे। तभी मैंने उस अमीर व्यक्ति से कहा की आप अपना सारा काम बाएं हाथ से क्यों करते हैं? तभी उसने मुझे अपना दाहिना हाथ दिखाया, जो कलाई के पास से कटा हुआ था। मैं जिसे देखकर बहुत ही आश्चर्य में पड़ गया और उस अमीर व्यक्ति से इसकी वजह जानने लगा।

मेरे बहुत कहने पर उस अमीर व्यक्ति ने अपने बारे मे बताना शुरू कर दिया। मैं एक बगदादी हूँ। मेरे पिता जी रसोइ का काम किया करते थे। मेरा हर जगह घूमने का बहुत मन हुआ करता था लेकिन पिताजी मेरे को कहीं बहार जाने की अनुमति नहीं देते थे। लेकिन कुछ समय बाद मेरे पिताजी का निधन हो गया। जिसके बाद मैंने बाहर घूमने का निर्णय लिया और व्यापार के लिए कई वस्तुएं खरीदी और मिस्र के लिए चल पड़ा।

थोड़े दिन यात्रा करने के बाद मै एक मसरूर नामक जगह पर पहुंच गया, जो मिस्र की राजधानी काहिरा के पास थी। मैंने वहां पहुंचकर एक घर को किराए में लिया और कई नौकरों को उस घर में रखा और उन को आदेश दिया कि जाओ मेरे लिए खूब अच्छे-अच्छे व्यंजन लेकर आओ।

मेरी आज्ञा का पालन करते हुए वह बाहर से बहुत सारी खाने की चीजें ले आए, जिनको खाने के बाद मैं फिर से घूमने के लिए निकल पड़ा और पूरा दिन इन्हीं सब में बिता डाला। फिर दूसरे दिन जब मैं अपना सारा व्यापार का सामान लेकर मैं बाजार गया।

और रोज थोड़ा थोड़ा सामान बेचने लगा। मैं रोज इसी तरीके से थोड़ा सामान लाता था और बाजार में बेच दिया करता था। तभी एक दिन एक व्यक्ति ने मुझसे कहा कि तुम रोज रोज थोड़ा-थोड़ा सामान लाते हो और यहां बेचते हो। एक काम करो तुम अपना पूरा सामान ही लाकर मेरी दुकान में जमा कर दो और कुछ दिन में आकर व्यापारियों से अपने सामान के पैसे ले जाया करो। जिसके बाद मैंने उस व्यक्ति की बात मानकर बिल्कुल वैसा ही किया जैसा उसने मुझसे बोला मैंने अपना सारा सामान उस व्यक्ति के दुकान में रखवा दिया।

थोड़े-थोड़े दिनों में आकर व्यापारियों से अपना पैसा ले जाने लगा। बाकी दिन मैंने अपना समय घूमने फ़िरने में व्यतीत करता था और बहुत सारी अच्छी-अच्छी जगह गया। कुछ दिनों के बाद जब एक दिन बाद व्यापारी के पास अपना पैसा लेने गया, तब मुझे वहां पर एक बहुत ही सुंदर सी कन्या सामने से आती हुई दिखाई दि, जो हमारी दुकान की ओर आ रही थी और उसके साथ उसकी कई नौकरियां भी थी। कुछ ही देर में वह सुंदर स्त्री हमारी दुकान पर आ गई ।

जिसको देखकर मैं बहुत ही प्रसन्न हो गया। उसने मेरे व्यापारी से पूछा कि आप यह धान कितने रुपए में दे रहे हैं। तब मेरे व्यापारी ने बताया कि यह धान छ हज़ार छ सौ मुद्रा का है। सुंदर स्त्री को धान बहुत पसंद आया और कहने लगी कि आप इसको पैक करवा दीजिए मैं इसका पैसा कल दे दूंगी। 

तब मेरे व्यापारी ने सुंदर स्त्री को बताया कि यह धान इनका है और मैंने इनको वचन दिया है कि आज ही इस धान का सारा पैसा इनको दे दूंगा। मैं यह आपको नहीं दे सकता हूं। अगर आपको यह चाहिए तो आपको तुरंत पैसे देने होंगे, जिसके बाद वह सुंदर कन्या गुस्सा होकर वहां से चली गई।

सुंदर कन्या की थोड़ी दूर जाते ही मैंने उस कन्या को आवाज लगाकर वापस अपने पास बुला लिया और उससे कहा कि आप इसको ले जाइए। लेकिन उसके बदले में आपको मुझे अपना चेहरा दिखाना होगा और सुंदर कन्या ने मेरी बात मान ली और धान के बदले में चुपके से अपना चेहरा मुझे दिखा दिया। जिसको देखकर मैं बहुत ही मन मोहित हो गया था और उसके ख्यालों में खो गया था।

थोड़ी देर बाद मैंने अपने व्यापारी से उस सुंदर कन्या के बारे में पूछा। तब मेरे व्यापारी ने बताया कि वह यहां के बहुत बड़े अमीर व्यापारी की बेटी है। उनके पास बहुत सारा धन है। लेकिन एक दुर्घटना के कारण और उसके पिताजी की मृत्यु हो चुकी है जिसके कारण वह सारी संपत्ति सुंदर कन्या की ही है।

व्यापारी की सारी बातें सुनने के बाद मैं अपने घर वापस चला गया और और अगले दिन जब मैं दोबारा दुकान पहुंचा। तब मैंने देखा कि वह सुंदर कन्या अपनी नौकरानी के साथ हमारी दुकान की ओर चली आ रही है।

उसने हमारी दुकान पहुंच कर कल लिए हुए धान के सारे पैसे मुझे देकर मेरे बगल में बैठ गई। जैसे ही वह सुंदर कन्या मेरे बगल में बैठी मैंने उस सुंदर कन्या से अपने प्रेम का प्रस्ताव रखा जिसको सुनने के बाद वह वहां से तुरंत ही उठ कर चली गई। जिसके कारण मैं दुखी होकर व्यापारी के पास से चलकर थोड़ी दूर एक सुनसान जगह पर चला गया।

तभी अचानक से मैंने देखा कि उस सुंदर कन्या की एक नौकरानी मेरी ओर चली आ रही है और उसने मेरे पास आकर मुझसे कहा कि मेरी मालकिन तुमसे बात करना चाहती हैं। जिसके लिए उन्होंने तुमको बुलाया है। मैं तुरंत उस नौकरानी के साथ चला गया और कुछ दूर पहुंचने के बाद मैंने देखा कि वह सुंदर सी कन्या एक जगह पर बैठी हुई है और बहुत ही बेसब्री से मेरा इंतजार कर रही है।

मैं वहां पहुंचा तो उस उस कन्या ने तुरंत मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने पास बैठा लिया और मुझसे कहने लगी कि मैं भी तुमसे बहुत प्रेम करती हूं और कहने लगी कि तुम कल मेरे घर आ जाओ। हम लोग वही बैठ कर आराम से बात करेंगे ।

मैं उस की आज्ञा का पालन करते हुए उसके बताए हुए पते पर पहुंच गया और और मैंने उसके घर के बाहर जाकर जोर-जोर से तालियां बजाना शुरू कर दिया, जिससे दो नौकर बाहर आए और मुझे सुंदर कन्या के महल के अंदर ले गए। महल के अंदर जाते समय मैंने बहुत ही सुंदर सुंदर पेड़ उपवन और बहुत से पक्षियों की आवाज सुनी।

थोड़ी ही देर में दोनों नौकर मुझे उस सुंदर कन्या के पास ले गए। जैसे ही उस सुंदर कन्या ने मुझे देखा वह बहुत प्रसन्न हो गई और मुझे एक कमरे में ले गई। जहां पर बैठकर हम लोगों ने खाना खाया और बहुत सारी बातें की बात करते-करते कब सुबह हो गई पता ही नहीं चला।

सुबह होते ही मैंने सुंदर कन्या के महल से जाने का निर्णय लिया, जिसके बाद कुछ सुंदर कन्या ने मुझसे पूछा कि अब आप मुझसे दोबारा मिलने कब आएंगे। जिसके बाद मैंने उस सुंदर कन्या की बातों का उत्तर दिया कि आज शाम को ही वापस मैं दोबारा फिर से तुम्हारे महल आऊंगा। यह सुनकर वह बहुत ही प्रसन्न हो गई और यह कहकर मैं वहां से चला और कई दिनों तक मैं रोज सुंदर स्त्री के महल जाने लगा और जब सुबह आता था तो उसकी तकिया के नीचे कुछ पैसे रख आता था।

कुछ दिनों तक ऐसा करने के बाद मेरे पास पैसे खत्म हो गए जिसके कारण मुझे कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि मैं कैसे उस कन्या से मिलने जाऊं? एक दिन जब मैं बाहर घूमने के लिए जा रहा था तभी मैंने देखा कि एक चोर घोड़े में बैठकर महल से सारे पैसे चोरी करके भागता हुआ मेरी ओर आ रहा है और उसके पास चोरी किए हुए बहुत सारे पैसों की गड्डी है। जैसे ही वह चोर मेरे पास से गुजर रहा था तो उसकी एक गड्डी मेरे पास आकर गिर पड़ी। जिसको मैंने उठा लिया जैसे ही मैंने उस पैसों की गड्डी को उठाया।

घोड़े पर सवार चोर ने मुझे देख लिया और उसने मेरे ऊपर वार किया। जिसकी वजह से मैं जमीन गिर पड़ा और सभी से कहने लगा यह चोर है। इसने मेरे पैसे चुराए हैं। उसी समय अचानक से दरोगा साहब यह वहां पहुंच गए और जिसके बाद उस चोर ने दरोगा साहब को बताया कि इसने मेरे पैसे चुराए हैं।

दरोगा साहब के बार बार पूछने पर मैंने मना करा कि मैंने पैसे नहीं चुराए हैं। लेकिन दरोगा साहब ने अपने सिपाहियों से कह कर मेरी तलाशी करवाई। तब उनको वह गड्डी मिल गई और वह मुझे काजी के पास ले गए, जहां पर उस काजी ने मुझे दंड के रूप में मेरा दाहिना हाथ काटने की सजा दी। जिसके बाद सिपाहियों ने मेरा दाहिना हाथ काट दिया।

काजी के द्वारा सुनाएं हुए दंड को पाकर जब मैं आ रहा था तभी अचानक से रास्ते में मुझे वह सुंदर स्त्री मेरी ओर आती हुई दिखाई दी। तभी मैंने तुरंत अपना कटा हुआ हाथ छुपा लिया और उसके सामने ऐसा व्यवहार करने लगा कि जैसे कुछ हुआ ही ना हो लेकिन हाथ कटने के कारण मेरे शरीर में बहुत ही भयानक दर्द हो रहा था जिसकी वजह से मैं उस दर्द को को सहन नहीं कर पा रहा था।

तभी उस सुंदर कन्या ने मुझसे पूछा तुमको क्या हुआ है? तुम अजीबोगरीब बर्ताव क्यों कर रहे हो? लेकिन मैंने उसकी बातों का उत्तर नहीं दिया। फिर वह मुझे अपने साथ अपने घर ले गई जहां पर उसने मुझे खाना खाने के लिए बोला लेकिन मैंने उसको मना कर दिया। फिर उसने मुझसे कहा कि खाना ना सही थोड़ी शराब पी लो।

उसके बाद मैंने उसके द्वारा दी हुई शराब को पी लिया और सो गया तभी उसने मेरे कटे हुए हाथ को देख लिया। जब सुबह हुई तब मैंने देखा कि वह बहुत ही चिंता और दुख में है। तब मुझे एहसास हुआ कि उसने मुझे मेरा कटा हुआ हाथ देख लिया है।

उसने अपने नौकरों से दवा बनाने के लिए कहा। कुछ ही देर में उसके नौकर एक प्याले में दवा बनाकर ले आए और उसने मुझे उस दवा को पिला दिया। जिसके बाद मुझे बहुत आराम मिला। थोड़ी ही देर बाद जब मैं वहां से आने लगा सब कुछ सुंदर कन्या ने मुझे जाने से मना कर दिया कि तुम कहीं नहीं जाओगे। तुम मेरे पास ही रहोगे। तुम्हारे साथ जो कुछ भी हुआ है यह मेरे मेरे कारण ही हुआ है और थोड़ी देर बाद उसने सभी को बुला लिया और अपनी सारी धन-संपत्ति मेरा नाम कर दी।

मेरे साथ प्रेम से रहने लगी। कुछ दिन बाद अचानक से उसकी तबीयत खराब होने के कारण उसका देहांत हो गया, जिसके बाद मैंने उस सुंदर स्त्री का अंतिम संस्कार कर मैं वापस अपने घर बगदाद आ गया और यहां आकर तुमसे मिला।

मैंने तुमको जो तिल बेचने के लिए दिए थे वह तिल भी उसी सुंदर कन्या के धन से लाए हुए थे। जिसके बाद मैंने उस व्यापारी के साथ मिलकर कई जगहों पर जाकर बहुत सारा व्यापार किया और व्यापार से कमाए हुए पैसों को आधा-आधा बांट कर अपने अपने घर वापस चले गए।

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