सिंदबाद ने सभी को सभा में बुलाकर अपनी पांचवी जहाज यात्रा का वर्णन करना शुरू किया। कुछ दिन घर में आराम करने के बाद मैंने फिर से एक नई जगह जाने का निर्णय लिया और अपना सामान लेकर जहाज के कप्तान के पास चला गया। लेकिन कप्तान ने मुझे अपने साथ ले जाने से मना कर दिया और कहने लगा कि तुम जहां जाना चाहते हो, वहां मैं नहीं ले जा सकता।
मैंने बहुत से जहाज के कप्तानों से बात की, लेकिन सभी ने मुझे ले जाने से मना कर दिया। जिसके बाद थक हार कर मैंने पिछली चार यात्रा से कमाए हुए पैसों से अपने लिए खुद का जहाज बनवाया और यात्रा के लिए कुछ व्यापारियों को अपने साथ ले जाने का निर्णय लिया। जिसके बाद हम सभी लोग अपनी नई यात्रा के लिए निकल पड़े।
यात्रा के कुछ दिन बीत जाने के बाद हम लोगों एक टापू पर पहुंचे, जहां पर रुक कर हम लोगों ने थोड़ा आराम किया और टापू घूमने के लिए निकल पड़े। कुछ देर चलने के बाद मैंने देखा कि हम लोगों के सामने एक बड़ा सा अंडा पड़ा हुआ है। अंडे का आकार देखकर मैंने यह अंदाजा लगा लिया कि यह बहुत भयानक रुख पक्षी का अंडा है।
मैंने अपने सभी व्यापारियों से अंडे के बारे में बता दिया। देखते ही देखते थोड़ी देर में उस अंडे से बच्चा बाहर आ गया, जिसको देखकर व्यापारी बहुत ही खुश हो गए और सभी ने रुख पक्षी के बच्चे को को मारकर खाने का निर्णय कर लिया। लेकिन मैंने उनसे ऐसा करने से मना किया और उनको बताया कि यह बहुत ही भयानक पक्षी है। अगर आप लोग उसके बच्चे को खाओगे तो वह पक्षी हमसे किसी को नहीं छोड़ेगा।
लेकिन किसी ने मेरी बात नहीं मानी और अंडे से बच्चे को निकालकर मारकर खा गए। बच्चे को खाने के कुछ देर बाद ही अचानक आसमान में हलचल देख मैं समझ गया कि रुख पक्षी हमारी ओर आ रहे हैं। मैंने सभी व्यापारियों को इस बारे में बताया और वहां से जल्द से जल्द निकलने के लिए कहा।
जिसके बाद मैं और सभी व्यापारी वापस अपने जहाज में बैठ कर आगे की ओर बढ़ने लगे और कुछ देर चलने के बाद हम लोगों ने देखा कि रुख पक्षियों का पूरा समूह हम लोगों की ओर उड़ता हुआ चला आ रहा है और उन्होंने अपने बड़े-बड़े पंजों में बहुत बड़े आकार के पत्थर को दबा के रखा है।
थोड़ी ही देर में वह पक्षी हम लोगों के ऊपर आ गए और उन्होंने हमारे ऊपर पत्थर से आक्रमण कर दिया। जिसके कारण हमारा जहाज दो भागों में टूट गया और मेरे साथ सभी व्यापारी पानी में डूबने लगे। मैंने टूटे हुए जहाज का कुछ हिस्से में बैठकर अपनी जान बचाते हुए तैरकर एक टापू से दूसरे टापू में पहुंच गया।
टापू पर पहुंचने के बाद मैंने राहत की सांस ली और और मैंने देखा कि सामने फलों के पेड़ों से भरा एक बहुत ही सुंदर सा उपवन नजर आ रहा है, जहाँ पर जाकर मैंने अपनी भूख को शांत किया और बहुत अंधेरा हो जाने के कारण मैं वहीँ सो गया।
सवेरा होते ही जैसे सूरज की पहली किरण मेरे ऊपर पड़ी, मैं जग गया और इस टापू से निकलने के लिए इधर उधर भटकने लगा। अपने आप को कोसने लगा कि मैं पागल हूं, जो मैं हर बार कुछ ना कुछ नया करने चला आता हूं। टापू में चलने के पश्चात मैंने देखा कि एक बुजुर्ग व्यक्ति सामने बैठा हुआ है, जिसको देखकर मुझे लगा कि यह भी मेरी तरह इस टापू पर भटक गया है।
जिसको देखने के बाद में उस बुजुर्ग व्यक्ति के पास चला गया और मैंने उस व्यक्ति से कहा कि तुम कौन हो और यहां क्या कर हो। लेकिन उस बुजुर्ग व्यक्ति ने मेरी बात का कोई उत्तर नहीं दिया और बस अपना सिर हिलाने लगा। उसने मुझे इशारों से कहा कि क्या तुम मुझे पीठ पर बैठाकर सामने दिख रही नदी को पार करा सकते हो।
जिसके बाद मैंने उस बुजुर्ग व्यक्ति को अपनी पीठ पर बैठाकर नदी पार करते हुए एक ओर से दूसरी ओर चला गया। दूसरी ओर जाने के पश्चात जब मैंने उस बुजुर्ग व्यक्ति को अपनी ओर से उतरने के लिए कहा। लेकिन उस बुजुर्ग व्यक्ति ने मेरी बात नहीं मानी और अचानक से ही उसके शरीर में एक ऐसी ऊर्जा का आवाहन हो गया।
जिसके बाद उस बुजुर्ग व्यक्ति ने मेरे गले को अपने पैरों से दबाना शुरू कर दिया और थोड़ी ही देर में मुझे बेहोश कर दिया। बेहोश होने के कुछ देर बाद जब मुझे होश आया तो मैंने देखा कि वह बुजुर्ग व्यक्ति मेरे सामने बैठा है और इशारों से ही कहने लगा कि तुम मेरे हिसाब से काम करोगे, नहीं तो मैं तुम्हें जान से मार दूंगा।
बुजुर्ग व्यक्ति की बात सुनते ही मैं बहुत डर गया और मैंने वही किया, जो वह बोलने लगा। वह बुजुर्ग व्यक्ति मुझे अपने साथ टापू में चारों और मेरी पीठ पर बैठकर घूमता रहता और मुझे मारता पीटता। एक दिन जब वह बुजुर्ग व्यक्ति मेरी पीठ पर बैठकर घूम रहा था तभी मैंने एक कद्दू को अपने सामने पड़ा देखा।
जिसके बाद मैंने अंगूर के पेड़ से अंगूर तोड़कर उस कद्दू में छोड़कर अंगूर से शराब बना ली और मैं उसको पीने लगा। थोड़ी देर में मुझे शराब का नशा हो गया। मुझे शराब पीता देख उस बुजुर्ग व्यक्ति ने मुझसे शराब छीनकर पूरी शराब पी गया और थोड़ी देर में खूब नशे में हो गया। इसके बाद मैंने उसको जमीन में पटक पटक कर जान से मार दिया और समुद्र की ओर भाग गया।
समुद्र के पास पहुंचते ही मैंने देखा कि एक जहाज सामने से चला आ रहा है। तभी मैंने उस जहाज को अपनी ओर बुलाया और जहाज पर चढ गया। जहाज के कप्तान को मैंने अपने ऊपर बीती हुई सारी बातें बता दी। जिसके बाद उसको मेरे ऊपर दया आ गई और और वह मुझे अपने साथ ले जाने के लिए तैयार हो गया। कुछ दिन यात्रा करने के बाद वह मुझे अपने साथ टापू पर ले गए टापू पर बहुत सारे नारियल के पेड़ थे।
जहां पर उन्होंने मुझसे और बाकी सारे नौकरों से नारियल तोड़कर लाने के लिए कहा, जिसके बाद हम लोगों ने बहुत सारे नारियल को इक्कठा करके उनका व्यापार किया और उनसे बहुत धन कमाया।
जब मेरे पास बहुत सारा धन इकट्ठा हो गया तब मै एक दूसरे जहाज की वजह से कई टापू होते हुए बहुत सी वस्तुओं का व्यापार करते हुए जैसे चंदन, काली मिर्च और समुद्र में पाए जाने वाले मोतियों आदि का व्यापार करते हुए बहुत अधिक मात्रा में धन कमाया और कुछ ही दिनों में अपने घर वापस आ गया।
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