Shishtachar Par Nibandh: हम यहां पर शिष्टाचार पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में शिष्टाचार के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।
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शिष्टाचार पर निबंध | Shishtachar Par Nibandh
शिष्टाचार पर निबंध (250 शब्द)
मनुष्य सामाजिक प्राणी हैं। इसलिए उन्हें कुछ सामाजिक मानदंडों का पालन करना होता है।सामाजिक जीवन में इस गुण का अभ्यास बहुत महत्वपूर्ण है। शिष्टाचार’ शब्द का अर्थ विनम्र व्यवहार है। शिष्टाचार नियमों और विनियमों की एक प्रणाली है जो सामाजिक सार्वजनिक या आधिकारिक व्यवहार में अच्छे रूप या “अच्छे तरीके” को परिभाषित करती है।
शिष्टाचार हमें अपने आचरण के बारे में विचारशील होने में मदद करता है। यह हमें दूसरों की भावनाओं और अधिकारों के बारे में जागरूक होने में मदद करता है। शिष्टाचार हमें दूसरों के साथ जुड़ने में मदद करता है। यह सम्मान को बढ़ावा देता है। शिष्टाचार अन्य संस्कृतियों के लोगों के लिए सम्मान को बढ़ावा देता है। शिष्टाचार सांस्कृतिक रूप से बाध्य है।
हमारे जीवन में अनुशासन और शांति बनाए रखने में इनकी बहुत बड़ी भूमिका होती है। यह एक विशिष्ट आचार संहिता को निर्धारित करता है। शिष्टाचार हमें यह जानने में मदद करता है कि दूसरों के साथ कैसे व्यवहार किया जाए। हमें यह जानने में मदद करता है कि विभिन्न वातावरणों में कैसे व्यवहार और आचरण करना है। शिष्टाचार जीवन में विभिन्न परिस्थितियों से निपटने का आत्मविश्वास देता है। यह हमें जीवन कौशल प्रदान करता है। शिष्टाचार आपकी व्यक्तिगत छवि को बढ़ाता है। यह अभद्र व्यवहार को समाप्त करता है।
अच्छे शिष्टाचार का मतलब केवल ‘कृपया’ और ‘धन्यवाद’ कहना नहीं है। यह इस बारे में है कि आप खुद को कैसे पेश करते हैं, आप कैसे व्यवहार करते हैं, आप कैसे बोलते हैं, आप दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, आप कैसे सोचते हैं। हमें अपने जीवन में हमेशा शिष्टाचार को महत्व देना चाहिए ताकि हम समाज में एक बेहतरीन इंसान के रूप में उभर सके।
शिष्टाचार पर निबंध (800 शब्द)
प्रस्तावना
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी होने के नाते उसने अपने जीवन अस्तित्व के लिए समाज की रचना की है। इस समाज में टिकने के लिए उन्हें दुसरो के प्रति अच्छा आचरण करना बेहद जरुरी होता है। दूसरों के प्रति निस्वार्थ भाव से अच्छा व्यवहार करना ही शिष्टाचार होता है। इस गुण के आधार पर ही व्यक्ति के चरित्र का पता चलता है।
एक बहेतरीन जीवन जीने के लिए एक अच्छा आचरण हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। शिष्टाचार हमारी सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है और सार्वजनिक मंच पर हमारी एक अच्छी छाप छोड़ता है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में यह गुण के महत्वपूर्ण रोल अदा करता है। प्रत्येक क्षेत्र में सफलता पाने के लिए शिष्टाचार एक ही एकमात्र सरल तथा सहज साधन है। प्राचीन काल से हमारी भारतीय संस्कृति में शिष्टाचार का मूल्य ज्यादा ही है।
शिष्टाचार का अर्थ
‘शिष्ट’ + ‘आचार’ यह दो शब्दों के समन्वय से शिष्टाचार शब्द बनता है। ‘शिष्ट’ अर्थ हैं सभ्य और ‘आचार’ का अर्थ होता है अच्छा आचरण। किसी भी व्यक्ति के प्रति अच्छा आचरण करना शिष्टाचार कहलाता है। शिष्टाचार की परिभाषा सम्मान की परिभाषा से कहीं अधिक है।
व्यक्ति को दैनिक जीवन में अनुशासन का पालन करना, बड़ो का आदर और छोटों को प्यार देना तथा अतिथि का सम्मान करना यह सब शिष्टाचार की प्रमुख विशेषता होती है। इसआंतरिक गुण का हरेक व्यक्ति के जीवन निर्माण में बड़ा योगदान होता है। शिष्टाचार लोगों के साथ घुलने मिलने की कला और लोगों को खुश करने की कला भी है।
शिष्टाचार का महत्व
दैनिक जीवन में शिष्टाचार का काफी महत्व रहता है। यह वही गुण है, जो हमें पशु से अलग बनाता है। शिष्टाचार के बिना हमारे जीवन का कोई मोल नही रहता। व्यावसायिक जीवन में सफलता पाने के लिए शिष्टाचार बेहद जरुरी है। अच्छा शिष्टाचार हमें नए लोगों के साथ जोड़ता है और हमारे जीवन में नए नए मौके लाता है। वह मनुष्य एक सभ्य व्यक्ति बन जाता हैं।
यह गुण मनुष्य को समाज में एक सभ्य इंसान बनाता है। विनम्रता और दया शिष्टाचार के प्रमुख लक्षण कहलाते है। यह हमें ईमानदार बनाता है और लोगों का हमारे प्रति भरोसा बढ़ता है।शिष्टाचार रिश्ते को जीवंत रखता है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व को भी बहुत पारदर्शी बनाता है। शिष्टाचार जीवन के पहियों को चिकना कर देता है क्योंकि यह प्रेम, करुणा और सम्मान फैलाता है।
शिष्टाचार की शिक्षा
एक अच्छे व्यक्तित्व के लिए हमें शिष्टाचार की शिक्षा बचपन से ही देनी चाहिए। बचपन में माता पिता द्वारा दी गई शिक्षा हमारे जीवन निर्माण के काम आती है क्योंकि शिष्टाचार की शिक्षा देने वाला प्रथम गुरु माता पिता है। बचपन में उनके द्वारा सिखाए गए जीवन मूल्यों से हमारा चरित्र का निर्माण होता है।
माता पिता हमें अच्छी आदतें सिखाते हैं और उन्हें समाज में रहने लायक बनाते हैं। शिष्टाचार के पाठ हमें अध्यापकों और सहपाठियों से भी सीखने को मिलते है। शिष्टाचार की शिक्षा जन्मजात नहीं आती लेकिन समय और जरूरतों के हिसाब से हर व्यक्ति को इसकी शिक्षा मिल ही जाती है। समाज को बहुत अच्छा दृष्टिकोण देने के लिए बच्चों को शिष्टाचार का पालन बचपन से ही करवाना चाहिये।
शिष्टाचार और सफलता
किसी भी व्यक्ति की सफलता के पीछे शिष्टाचार का हाथ जरूर होता है। शिष्टाचार जीवन को सुकून और शांति से रहना सिखाता है। से घ्रणा और द्वेष को नाबूद करने में शिष्टाचार जरुरी है। सफलता के लिए हमें सदा अपने व्यक्तित्व को निखारने का प्रयास करना चाहिए। अच्छे व्यक्तित्व से लोग हमारी तरफ आसानी से आकर्षित होते है। शिष्टाचार व्यक्ति के जीवन में परिष्कार, रिश्तों में प्यार और शब्दों में कोमलता लाता है। मतभेदों को दूर करके संबंधों में निकटता लाने के लिए इस गुण से काफी मदद मिलती है।
शिष्टाचार का जीवन में उपयोग
शिष्टाचार दूसरों पर चुंबकीय प्रभाव डालता है। हमें अपने जीवन में अनुशासन का पालन करना चाहिए।हमें जीवन में सभी के प्रति स्नेह भाव रखना चाहिए। हर काम एक दूसरे के सहयोग से करना चाहिए। अतिथिओं को उचित मान सन्मान देना चाहिए। हमें शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति के लिए मदद के लिए हमेशा आगे होना चाहिए।
कही और कभी भी दूसरों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचानी चाहिए। कभी भी अशिष्ट भाषा का प्रयोग नहीं करें, वो हमारा चरित्र खराब कर सकता है। इसके लिए अच्छे व्यवहार का अभ्यास करना जरुरी है क्योंकि जीवन में शिष्टाचार का होना थोड़ा मुश्किल काम है।
निष्कर्ष
शिष्टाचार व्यक्ति का आंतरिक गुण है। जीवन में हमेशा हमें सभी के साथ अच्छा व्यवहार रखना चाहिए ताकि हमारा मन और शरीर किसी भी प्रकार का तनाव महसूस न करे। हमें शिष्टाचार का अंकुर बच्चे के हृदय में बचपन से बोना चाहिये ताकि वो धीरे-धीरे विकास की ओर अग्रसर होता नजर आए। शिष्टाचार समाज में रहने वाले लोगों के लिए एक टॉनिक की तरह काम करता है। वो सामने वाले व्यक्ति पर एक सकारात्मक छाप छोड़ता है।
अंतिम शब्द
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