प्राचीन समय में एक बहुत बड़ा शहर था, जिसका नाम बसरा था। उस शहर में एक बहुत ही शक्तिशाली और बलवान राजा रहा करता था, जो हर कला में निपुण था। कोई भी दूसरे देश का राजा उसके देश पर आक्रमण करने से पहले सौ बार सोचा करता था।
उसके राज में प्रजा बहुत खुश थी और खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत कर रही थी। सभी लोग एक दूसरे से मिल कर रहा करते थे। लेकिन उस बादशाह को सिर्फ एक बात की चिंता हमेशा सताए रहती थी। जिसकी वजह से वह बहुत ही दुखी रहा करता था। चिंता थी उसकी कोई संतान ना होना।
जिसके कारण बादशाह ने कई शादियां की। कई दासियो को भी अपने पास रखा। फिर भी उस राजा को नहीं हुआ, जिसके बाद इस राजा ने बहुत सारे पंडितों को बुलाकर संतान प्राप्ति के लिए हवन करवाएं और गरीबों में बहुत सारा धन भी बटवाया, जिसके कुछ समय बाद उस राजा को संतान की प्राप्ति हुई।
राजा के घर में लड़के का जन्म हुआ। राजा अपने लड़के से बहुत प्रेम करता था और उस राजा ने अपने लड़के का नाम जैनुस्सनम रखा था। राजा ने अपने लड़के की पढ़ाई के लिए उसने बहुत सारे अध्यापकों को भी बुलाया और जैनुस्सनम को पढ़ाई के साथ साथ सारी कलाओं में भी बहुत अच्छे से निपुण करवाया। जैनुस्सनम अब धीरे-धीरे काफी बड़ा हो चुका था।
तभी राजा ने अपने बेटे को सारा राज्य सौंप दिया और बादशाह धीरे-धीरे बुजुर्ग हो जाने के कारण उसकी तबीयत हमेशा खराब रहती थी। एक दिन अचानक से ज्यादा स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण राजा का निधन हो गया। जिसके बाद उसके लड़के जैनुस्सनम ने अपने पिता का अंतिम संस्कार बहुत धूमधाम से किया और कुछ दिन मातम मनाने के बाद उसने राज्य को संभालना शुरू कर दिया।
पिता के निधन के बाद जैनुस्सनम बहुत बुरी संगत में पड़ गया, जिसके कारण उसने राज्य का सारा धन अय्याशी करने में में उड़ाना शूरू कर दिया। जब धीरे-धीरे सारा धन समाप्त होता गया तब जैनुस्सनम की मां ने उसको बहुत समझाया, जिसके बाद जैनुस्सनम को समझ आ गया कि वह बहुत बड़ी गलती कर रहा है। दिन रात यही सोचता रहता था कि पैसों की व्यवस्था कहां से की जाए।
तभी जब वह एक दिन अपने कमरे में सो रहा था तभी उसके सपने में एक बुजुर्ग व्यक्ति आया और कहने लगा कि जैनुस्सनम अगर तुम अपनी इस समस्या से पीछा छुड़ाना चाहते हो तो तुम तुरंत काहिरा आ जाओ। वहां पर तुमको अपनी सारी समस्याओं का समाधान मिल जाएगा।
जिसके बाद जैनुस्सनम ने अपनी मां को अपने सपने के बारे में बताया, जिसके बाद उसकी मां ने उसकी बताई भी बात को हंसी हंसी में टाल दिया। लेकिन जैनुस्सनम बहुत ही जिद्दी कसम का इंसान था। उसने तुरंत ही अपनी मां को बिना बताए काहिरा के लिए निकल पड़ा। बहुत दिनों तक यात्रा करने के बाद वह सकुशल काहिरा पहुंच गया।
वहां पहुंचकर इधर उधर भटकने के बाद वह एक ऐसे स्थान पर पहुंच गया, जहां पर कोई आसपास दिख भी नहीं रहा था। उसने ज्यादा थकावट होने के कारण वहीं पर लेट कर सो गया। जैसे ही वह गहरी नींद में पहुंचा तो फिर से उस बुजुर्ग व्यक्ति ने उसके सपने में आकर कहा कि जैनुस्सनम मैं तुम्हारी परीक्षा ले रहा था कि तुम कितने बलवान और बुद्धिमान हो, तुम इस परीक्षा में पास हुए हो, जाओ तुम अपने घर वापस लौट जाओ।
जिसके बाद जैनुस्सनम उस बुजुर्ग व्यक्ति को भला बुरा कहने लगा कि उसने मुझे बेवकूफ बनाया। यहां पर तो कुछ भी नहीं है और अब बोल रहा है कि वापस चले जाओ। थोड़ी देर सोच विचार करने के बाद जैनुस्सनम वापस अपने घर बसरा आ गया। घर पहुंच कर उसने अपनी मां को बताया कि उस बुजुर्ग व्यक्ति ने मेरा उपहास उड़ाया।
वहां बुला कर वापस भेज दिया। अपने लड़के की बात सुनकर उसकी मां बहुत जोर जोर से हंसने लगी और कहने लगी कि कोई भी सपने सच नहीं होते हैं। यह कह कर वहां से चली गई। जैनुस्सनम यात्रा के दौरान ज्यादा थक चुका था, जिसके बाद उसने कमरे में जाकर आराम करने का फैसला लिया और वहां जाकर सो गया।
जिसके बाद एक बार फिर से वह बुजुर्ग व्यक्ति जैनुस्सनम के सपने में आया और कहने लगा कि मैं तुमको तुम्हारे महल में एक ऐसे कमरे के बारे में बता रहा हूं, जहां पर बहुत सारा खजाना छिपा हुआ है और तुम उसको जाकर वहां से निकाल लो, जो तुम्हारे पिताजी ने छुपा कर रखा था।
जिसके बाद जैनुस्सनम मुझे फिर से अपने सपने के बारे में अपनी मां से कहा। लेकिन उसकी मां ने इस बार भी उसकी बात को हंसी में ही टाल दिया और कहने लगी बेकार में तुम सब चक्कर में पड़ रहे हो, कोई फायदा नहीं है। लेकिन जैनुस्सनम ने पिछली बार की तरह इस बार भी अपनी मां की बात नहीं मानी और चोरी छुपे वह उस बुजुर्ग व्यक्ति के द्वारा बताए हुए कमरे में चला गया।
वहां जाकर उसने बहुत गहरा गड्ढा खोदा, जिसके बाद जैनुस्सनम को एक बहुत बड़ा कमरा दिखाई दिया और वह तुरंत उस कमरे में चला गया। जहां जाकर देखा कि वहां पर बहुत सारा धन एकत्रित है, जिसको लेकर वह तुरंत अपनी मां के पास गया और उसने अपनी मां को उस धन को दिया।
उसकी मां धन को देखकर बहुत आश्चर्यचकित हो गई। जिसके बाद जैनुस्सनम को ले जाकर उस जगह को देखा, जहां पर उसको यह सब प्राप्त हुआ था। वहां पर पहुंचकर उन दोनों को सोने की बनी दरवाजे की चाबी नजर आई, जिसको देखकर वह दोनों सोचने लगे कि अगर चाबी यहां पर है तो दरवाजा भी आसपास कहीं होगा।
थोड़ी देर खोजबीन के बाद उन दोनों को वह दरवाजा मिल गया। जिसके बाद उन लोगों ने उस दरवाजे को खोलकर देखा तो अंदर एक बहुत बड़ा कमरा था, उस कमरे के अंदर बहुत बड़ी-बड़ी सोने की 8 मूर्तियां रखी थी। उस पर लिखा था कि अगर तुम्हें नई मूर्ति चाहिए तो तुम काहिरा चले जाओ, वहां पर तुमको एक मुबारक नाम का राजा मिलेगा, जो तुम्हारी मदद करेगा, उस मूर्ति को ढूंढने में।
जिसके बाद जैनुस्सनम तुरंत काहिरा के लिए निकल गया। वहां पहुंचकर उसने मुबारक नाम के राजा की खोज करना शुरू कर दिया। कुछ ही दिनों में वह राजा उसको मिल गया। वहां जाकर जैनुस्सनम ने मुबारक को अपनी सारी बातें बताई, जो कुछ भी उस बुजुर्ग व्यक्ति ने उससे कहा। उसके बताए हुए मार्ग पर उसको कितना सारा धन प्राप्त हुआ और वह आठ मूर्तियां भी नई मूर्ति ढूंढने के लिए मैं यहां आपके पास आया हूं।
जैनुस्सनम की सारी बातें सुनकर मुबारक तुरंत जैनुस्सनम के पैरों में गिर गया और कहने लगा कि मैं आपके पिता का दास था और इस प्रकार आप मैं आपका भी दास हूं, मैं आपको उस नई मूर्ति तक ले चलूंगा, लेकिन आप अभी थोड़ा आराम कर लो। यात्रा कर कर आप बहुत थक चुके होंगे।
कुछ दिन आराम करने के बाद जैनुस्सनम ने मुबारक ने कहा कि तुम मुझे उस जगह पर ले चलो, जहां पर वह नई मूर्ति है। जिसके बाद मुबारक को अपने महाराजा जैनुस्सनम की आज्ञा का पालन करता हुआ, उसको उस नई मूर्ति को लेने के लिए निकल पड़ा।
तभी मुबारक ने जैनुस्सनम से कहां कि रास्ते में बहुत सारी कठिनाइयां आएंगी और बहुत अजीबोगरीब आवाज सुनाई देगी, लेकिन आप उन सब चीजों को ध्यान में मत रखिएगा और चुपचाप चलते आइएगा, जिसके बाद जैनुस्सनम ने कहा ठीक है जैसा तुम कहते हो, मैं वैसा ही करूंगा।
थोड़ी दूर चलने के बाद वह दोनों एक नदी में पहुंच गए, जहां पहुंचकर मुबारक ने जैनुस्सनम से कहा कि हम लोगों को यह नदी पार करके इस ओर से उस छोर पर जाना है। जहां पर आपको आपकी मंजिल मिलेगी। जैनुस्सनम ने मुबारक से कहा लेकिन हम लोग यहां से कैसे जाएंगे। यहां पर तो कोई भी नाव नजर नहीं आ रही है।
तब मुबारक ने कहा कि आप नदी के उस पार नाव से ही जाएंगे, आप चिंता मत करिए बस देखते रहिए। देखते ही देखते थोड़ी देर में उस नदी पर एक नाव अचानक से प्रकट हो गई है। उस पर एक अजीबो गरीब व्यक्ति बैठा था, जिसका आधा शरीर हाथी का और आधा शरीर शेर का था।
तभी उस व्यक्ति ने दोनों को अपनी नाव में बैठा कर एक पार से दूसरी पार ले गया। जिसके बाद मुबारक ने जैनुस्सनम बताया यह जो आप महल देख रहे हैं, वह महल जिन्नों के बादशाह का है और वही आपको आपकी नई मूर्ति देंगे। लेकिन उससे पहले हम लोगों को उनका आवाहन करना होगा।
जिसके बाद में दोनों जिलों के बादशाह का आवाहन करना शुरू कर दिए। थोड़ी ही देर पर वहां पर वह बादशाह प्रकट हो गया और उसने जैनुस्सनम से कहां कि मेरे बेटे मैं तुम्हारा अपने इस लोक में स्वागत करता हूं। तुम्हारे पिताजी भी यहां पर आया करते थे और हम दोनों बहुत ही परम मित्र थे।
मैंने ही तुम्हारे पिता को वह आठ मूर्तियां दी थी और मैंने ही उनसे कहा था कि मैं तुम्हारे बेटे को नई मूर्ति दूंगा। जिसके बाद मैंने वही किया, जो मैंने तुम्हारे पिताजी से कहा था। मैंने ही तुम्हारे सपनों में आकर तुम्हें यहां तक बुलाया है, जिसके बाद जिन्नों के बादशाह ने जैनुस्सनम से कहां कि पहले तुमको मेरा एक काम करना पड़ेगा, जिसके बाद ही तुमको वह नई मूर्ति मिलेगी।
जैनुस्सनम ने कहा जो हुकुम आपका हुकुम सर आंखों पर। तभी जिन्नों के बादशाह ने जैनुस्सनम से कहा कि तुमको मेरे लिए एक लड़की का इंतजाम करना होगा और याद रहे उसकी उम्र पंद्रह साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए और हां एक बात का विशेष रुप से ध्यान रखना कि अगर तुमने उस लड़की के साथ कुछ भी किया तो तुम्हारा निधन वहीं पर हो जाएगा।
जिसके बाद जैनुस्सनम ने कहा कि आप बिल्कुल भी चिंता ना करें, आप जैसा कहते हैं, वैसा ही होगा। जिसके बाद वह मुबारक को लेकर वापस काहिरा चलाया। वहां पर उसने बहुत दिनों तक उस लड़की की तलाश की। लेकिन वहां पर लड़कियां तो उसको बहुत मिली, लेकिन जो जिन्नों के बादशाह ने बताया था, वह ना मिली। उसने कहा था कि वही लड़की लाना है, जिसका दिल साफ हो और वह देखने में भी बहुत सुंदर होनी चाहिए।
जिसके लिए उसने जैनुस्सनम को एक जादुई शीशा दिया था, जिससे वह किसी भी लड़की का मन ज्ञात कर सकता था। काहिरा में जैनुस्सनम लड़की को बहुत ढूंढने के बाद जब जैनुस्सनम को वह लड़की नहीं मिली तब वह दूसरे देश की ओर निकल पड़ा।
वहां पहुंचने के बाद कई दिनों तक ढूंढने के पश्चात जैनुस्सनम को पता लगा कि एक जगह पर बहुत अमीर व्यक्ति रहता है, जिसकी एक लड़की है। वह तुरंत मुबारक के साथ उस लड़की को देखने के लिए पहुंच गया। वहां जाकर जैनुस्सनम ने जैसे ही उस लड़की का चेहरा देखा, वह उसके ख्यालों में खो गया। उसकी सुंदरता देखकर उसने सोचा कि मैं इसको लेकर वापस अपने शहर बसरा चला जाता हूं, वहां पर अपनी जिंदगी चैन से जी लूंगा।
लेकिन मुबारक ने उस को समझाया कि जो तुम सोच रहे हो, वह करना भी नहीं तो तुम्हारी जान चली जाएगी और चुपचाप वही करोगे जो जिन्नों के बादशाह ने तुमसे करने के लिए कहा है। जिसके बाद जैनुस्सनम ने लड़की से विवाह किया और उसको ले जाकर जिन्नो के बादशाह के हवाले कर दिया है।
जिसको देखकर वह बादशाह बहुत खुश हुआ और कहने लगा तुम जाओ तुमको मेरे नई मूर्ति वहीं पर मिलेगी, जहां पर तुमको बाकी की मूर्तियां मिली थी। जिसके बाद जैनुस्सनम वापस वहां से चला आया और उसने वापस आकर अपनी मां से सारी बातें बताई।
जिसके बाद वह अपनी मां के साथ उस कमरे में गया, जहां पर उसने बाकी की आठ मूर्तियां देखी थी। वहां पहुंच कर उसने देखा कि वहां पर नई मूर्ति की जगह एक बहुत ही सुंदर सी लड़की खड़ी है और वह लड़की और कोई नहीं है, बल्कि वही है, जिसको जैनुस्सनम ने उस जिन्नो के बादशाह को दिया था। जैनुस्सनम उस लड़की को देख बहुत खुश हो गया, उसने उससे पूछा कि तुम यहां कैसे आ गई।
तभी अचानक से वहां पर वो जिन्नो का बादशाह एक व्यक्ति का रूप लेकर प्रकट हो गया और कहने लगा कि मैंने ही इस लड़की को यहां पर भेजा है। मैं तुम्हारी परीक्षा ले रहा था, जिसमें तुम पास हुए हो। तब उसने जैनुस्सनम और उस लड़की का विवाह बहुत ही धूमधाम से करवाया और वहां से चला गया।
अलिफ लैला की सम्पूर्ण कहानियों के लिए यहाँ क्लिक करें