प्राचीन समय में एक बहुत ही पुराना गांव हुआ करता था, जिसमें एक बहुत ही अमीर व्यक्ति रहता था। उस व्यक्ति के गांव के अंदर बहुत सारे घर और कारखाने थे। इन सब चीजों के अलावा उस आदमी को जानवरों के प्रति बहुत लगाव था, जिसके कारण उसने पशुपालन खोल रखा था। जिसमें गधा, बैल, कुत्ता, घोड़ा, बिल्ली जैसे बहुत सारे जानवर रहा करते थे।
जानवरों से बहुत अधिक लगाव होने के कारण वह उनकी बोली और भाषा को समझता था। एक दिन वह अपने पूरे परिवार को अपने पाले हुए जानवरों को दिखाने के लिए लाया। उसने वहा देखा कि उसके दो जानवर गधा और बैल आपस में बात करने में कह रहे है, वह चुपचाप उनके पास जाकर उनकी बातें सुनने लगता है।
वह सुनता है कि बैल गधे से कह रहा है कि भाई तुम्हारा जीवन बहुत ही अच्छा है, तुमको खाने-पीने के लिए अच्छा-अच्छा मिलता है, तुम्हारा बहुत सम्मान किया जाता है, बस तुम्हारा काम इतना ही होता है कि मालिक को अपनी पीठ में बैठा कर दूर-दूर तक घुमा कर लाना और दिन भर घर में आराम करना।
बैल ने बड़े दुख के साथ कहा कि भाई तेरा जीवन जितना अच्छा है, उससे कई ज्यादा खराब मेरा जीवन है। सुबह होते ही मेरे पीठ के ऊपर हल को लादकर सुबह से शाम तक पूरे खेत को जुत्वाया जाता है और खाने पीने के लिए भूसे और चारे के अलावा कुछ भी नहीं दिया जाता है, जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं आता है। मुझे तुम्हारी इतनी खातिरदारी देखकर तुमसे जलन होने लगी है।
बैल की दुःख भरी दास्तां सुनकर गधे ने कहा सच में तुम्हारा जीवन बहुत ही कठिन है। लेकिन मुझे तुम्हारी यह हालत देखकर लगता है कि तुम इन सब चीजों में खुश हो। अगर तुम इतने कष्ट से छुटकारा पाना चाहते हो तो तुम अपने आप को ऐसा दिखाओ कि तुम बीमार हो और तुम चल फिर भी नहीं पा रहे हो। बैल गधे की यह बात सुनकर बहुत अच्छा लगा और उसने अगले ही दिन से यह करना शुरू कर दिया।
दूसरे ही दिन जब हल चलाने वाला व्यक्ति खेत जोतने के लिए बैल के पास गया तब उसने देखा कि बैल को दिया हुआ रात का खाना वैसे का वैसा ही रखा है, बैल ने उसे खाया नहीं है। बैल की यह हालत देखकर उसे लगा कि बैल बीमार है। वह यह बात को अपने मालिक को बताने के लिए गया।
मालिक यह बात सुनकर समझ गया कि बैल गधे के दिए हुए आदेश का पालन कर रहा है। जिसकी वजह से मालिक ने बैल को ना ले जाकर गधे को ले जाकर खेत जुतवाने के लिए कहा। अपने मालिक की यह बात सुनकर हल चलाने वाले व्यक्ति ने गधे को ले जाकर उसे सारा दिन पूरे खेत की जुताई करवाई और उसकी खूब पिटाई भी की।
शाम को वापस जाते समय गधा सही से चल फिर नहीं पा रहा था और दूसरी ओर बैल घर में पड़ा दिन भर आराम कर रहा था। शाम को जब गधा घर पहुंचा तब बैल ने उससे कहा कि भाई तेरा दिया हुआ उपाय काम कर गया। लेकिन गधा अपनी यह हालत देखकर मन ही मन बैल को खरी-खोटी सुनाने लगा।
शहरजाद के पिता ने इतनी कहानी सुना कर कहा कि बिटिया तुम अपने जीवन को क्यों गधे की तरह कष्ट में डाल रही हो। इस पर शहजाद ने उत्तर दिया कि मैं शादी करूंगी तो सिर्फ बादशाह से ही करूंगी और किसी से नहीं। मैं तब तक आप आपके पीछे पड़ी रहूंगी जब तक आप मेरी शादी बादशाह से नहीं करवा देंगे।
शहरजाद की यह बात सुनकर उसके पिता ने कहा कि अगर तुम इसी तरह जिद पर अड़ी रहोगी तो तुमको उस तरह ही दंड दिया जाएगा, जैसे उस अमीर व्यक्ति ने अपनी पत्नी को दिया था। यह सुनकर शहरजाद ने पूछा कि अमीर व्यक्ति ने अपनी पत्नी को क्या दंड दिया था और क्यों और उनके गधे और बैल के साथ क्या हुआ।
आगे की कहानी बताते हुए शहजाद के पिता ने कहा अगले दिन वह अमीर व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ बैठकर गधे और बैल की बातें सुन रहा था तब उसने सुना गधा बैल से कह रहा है कि जब तक तुम्हारे पास हल चलाने वाला व्यक्ति आएगा तब तुम क्या करोगे। यह सुनकर कहा कि जैसा तुमने करने के लिए मुझसे कहा था, वैसा ही करूंगा।
बैल की यह बात सुनकर गधे ने कहा कि यह बिल्कुल भी मत करना। क्योंकि कल मैंने रात को आते समय हल चलाने वाले व्यक्ति से किसी को बात करते हुए सुना था कि मेरा बैल बीमार हो गया है, अब वह किसी काम का नहीं है, तुम उसको मार देना।
गधे की यह बात सुनकर बैल घबरा गया और कहने लगा कि दोस्त तुमने मुझको बचा लिया कल से मैं इस नाटक को बंद कर दूंगा और फिर से अपने काम पर जाने लगूंगा। वहीँ बगल पर बैठा अमीर व्यक्ति दोनों की बातें सुनकर जोर जोर से हंसने लगा। अमीर व्यक्ति को हंसते हुए देख उसकी पत्नी ने पूछा क्यों इतनी जोर जोर से हंस रहे हो, मुझको भी बताओ हसने की वजह।
अमीर व्यक्ति ने अपनी पत्नी को बताया कि मैं गधे और बैल की बातें सुनकर हंस रहा था। क्योंकि मुझे जानवरों की भाषा समझने का ज्ञान प्राप्त है। यह सुनकर उसकी पत्नी ने कहा आप मुझे भी सिखाइए, जिससे मैं इन जानवरों की बातें समझ सकूं। लेकिन अमीर व्यक्ति ने अपनी पत्नी को यह ज्ञान सिखाने से मना कर दिया।
क्योंकि अगर वह ज्ञान किसी और को सिखाएगा तो वह मर जाएगा, लेकिन उसकी पत्नी जिद पर अड़ गई कि आप मुझे यह ज्ञान नहीं सिखाएंगे तो मैं अपनी जान दे दूंगी। देखते ही देखते कुछ दिन बीत गए, लेकिन उसकी पत्नी ने अपनी जिद नहीं छोड़ी। जिसके कारण वह परेशान हो गया और उसने अपने परिवार वालों को बुलाया कि वह इनको समझाए और इसकी जिद को खत्म करने के लिए कहे।
लेकिन परिवार वालों के समझाने के बाद भी उसकी पत्नी नहीं मानी और अपनी जिद पर अड़ी रही, जिससे मैं अमीर व्यक्ति बहुत परेशान हो गया और अपने जानवरों के पास जाकर बैठ गया। उसने वहां पर देखा कि मुर्गा अपनी मुर्गियों के साथ संभोग करने में लगा हुआ है, वहां पास में बैठा कुत्ता बहुत तेज क्रोधित हो रहा है।
कुत्ते ने मुर्गे से जाकर कहा तुम को जरा सी शर्म नहीं आ रही है, आज हमारे मालिक बहुत परेशान है और तुमको संभोग करना सूझ रहा है। यह सुनकर मुर्गे ने कहा कि ऐसा क्या हो गया है कि मैं यह सब क्यों ना करूं। तब कुत्ते ने मुर्गे को सारी बात बताई कि किस प्रकार उसके अन्नदाता की पत्नी जिद पर अड़ी हुई है।
कुत्ते की यह बात सुनकर मुर्गे ने कहा कि हमारे अन्ननदता पागल है, उनको एक मोटा डंडा ले जाकर अपनी पत्नी की पिटाई करना शुरू कर दे, जिसके बाद वह अपनी जिद को त्याग कर देगी। मुर्गे की यह बात सुनकर अमीर व्यक्ति ने वैसा ही किया जैसा मुर्गे ने बोला। जाकर अपनी पत्नी की पिटाई करना शुरू कर दिया। पिटाई करते करते थोड़ी देर में उसकी पत्नी मुझे कुछ बोलने लगी कि मुझे यह नहीं देखना है, मैं अपनी जिद को त्याग रही हूं।
कहानी को पूरी सुना करके शहरजाद के पिता ने शहरजाद से कहा कि अगर तुम अपनी जिद नहीं छोड़ोगी तो तुमको भी यही सजा मिलेगी। पिता की सारी बातें सुनने के बाद भी शहरजाद अपनी जिद पर अड़ी रही और कहने लगी कि वह शादी करेगी तो सिर्फ बादशाह से ही करेगी। अगर आप मेरी शादी हुआ था कि नहीं कर पाओगे तो मैं खुद ही जाकर उनसे विवाह रचा लूंगी।
शहरजाद की बात सुनकर उसके पिता परेशान हो गए और अपनी परेशानी को लेकर बादशाह के पहुँचते है और कहने लगे कि बादशाह मेरी बेटी आपसे शादी करना चाहती है। यह बात सुनकर बादशाह बहुत ही आश्चर्यचकित हो गया और कहने लगा कि तुम को सब कुछ पता होने के बाद भी तुम अपनी बेटी का विवाह मेरे साथ करना चाहते हो।
इस पर शहरजाद के पिता ने उत्तर दिया कि शहजाद खुद ही चाहती है कि वह एक रात के लिए आपकी पत्नी बने हैं और सुबह अपनी जान गवा दे। यह सुनकर बादशाह ने शहरजाद के पिता से कहा मैं अपने लिए हुए वचन को नहीं छोडूंगा। सुबह होते ही तुम्हारी बेटी को तुम को सौंप दूंगा और तुम स्वयं ही उसकी जान लोगे। अगर ऐसा करने में तुम को जरा सी भी देर हुई तो मैं तुम्हारी जान लेने के आदेश दे दूंगा।
बादशाह के दरबार में वापस लौटने के बाद शहजाद के पिता की सारी बातें शहजाद को बताइ, जिसको सुनकर शहरजाद बहुत ही खुश हो गई। शादी की तैयारियों में लग गई। शहरजाद ने अपनी छोटी बहन दुनियाजाद को अकेले में ले जाकर कहा कि वह उसकी मदद करें, जिससे वह मरने से बच सकेगी।
शहजाद ने अपनी छोटी बहन से कहा कि शादी की रात मैं तुमको अपने साथ ही सोने लिए कहूंगी। जिसके कारण मेरे अंदर उत्साह वर्धन होगा, जिससे मैं अपनी कहानी बादशाह को सुना पाऊंगी और मेरी जान बच जाएगी। शहरजाद की छोटी बहन यह सब करने के लिए तैयार हो गई और रात को शहरजाद के पिता शहरजाद को बादशाह के घर विवाह करवा कर वहीं छोड़ दिया।
जिसके बाद बादशाह ने शहरजाद को एकांत में ले जाकर कहां कि वह अपने मुंह से अपना घुघट हटाए। जैसे ही शहरजाद ने अपना घुघट उठाया, उसने देखा कि शहरजाद रो रही है। उसको रोता देख बादशाह ने पूछा क्यों रो रही हो। तब शहरजाद ने बताया कि वह अपनी छोटी बहन को बहुत याद कर रही है और मैं यही चाहती हूं कि सुबह होने से पहले मैं उसको गले लगा लूं और अपने पास ही सुला लू।
बादशाह ने शहरजाद को इसकी अनुमति दे दी और कहा कि तुम उसको अपने कमरे में सुला दो। यह सुनकर शहरजाद बहुत खुश हुई और उसने तुरंत ही अपनी छोटी बहन को अपने पास बुला लिया और अपने पास में सुला लिया। आधी रात बीतने बाद उसकी छोटी बहन को नींद नहीं आ गई और तब शहरजाद ने अपनी छोटी बहन को कहानी सुनाने के लिए बादशाह से आज्ञा मांगी और बादशाह ने इसकी मंजूरी दे दी।
जिसके बाद शहरजाद ने अपनी छोटी बहन को कहानी सुनाना शुरू किया और कहानी सुनाते सुनाते सुबह हो गई। बादशाह को यह पता ही नहीं लगा, जिसके कारण शहरजाद की जान बच गई और बादशाह की प्रतिज्ञा भी टूट गई।
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