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सीदी नोमान की कहानी (अलिफ लैला की कहानी)

जब खलीफा हारू राशीद अपने राज्य में भेष बदल कर गया था तब उसने वहां पर देखा था कि एक व्यक्ति अपनी घोड़ी को बहुत मार रहा है और उस पर सवारी करके उसको खूब दौड़ा रहा है, जिसके बाद खलीफा हारू राशीद ने अपने मंत्री से जाफर से कहा कि यह पता करो कि यह व्यक्ति अपनी घोड़ी को इस तरह क्यों मार रहा है।

जिसके बाद जाफर ने कई लोगों से पता किया की वह व्यक्ति अपनी घोड़ी को इस तरह क्यों मार रहा है, लेकिन किसी ने भी जाफर की बातों का कोई उत्तर नहीं दिया और कहने लगे कि हमको खुद नहीं पता है कि यह व्यक्ति अपनी घोड़ी को इस तरह क्यों मारता पीटता है।

लेकिन यह व्यक्ति हर रोज अपनी घोड़ी को इसी तरह मारता है, जिसके बाद जाफर ने आकर महाराजा हारु रसीद से कहा कि महाराज यहां के लोगों को भी नहीं पता है कि यह व्यक्ति अपनी घोड़ी को इस तरह मारता पीटता हैं कि उसके मुंह से खून निकल आए।

जिसके बाद खलीफा हारू रशीद ने अपने मंत्री जाफर से कहा कि जाफर तुम उसके पास जाओ और इसका नाम पूछो और इससे कहो कि कल ये मेरे दरबार में आए। जाफर ने कहां जो हुकुम महाराज। जिसके बाद जाफर उस व्यक्ति के पास गया और कहने लगा कि तुम्हारा नाम क्या है? जाफर के पूछने पर उस व्यक्ति ने अपना नाम सीदी नोमान बताया।

Seedi Noman Ki Kahani alif laila ki kahani

तभी जाफर ने सीदी नोमान से कहा कल तुमको हमारे महाराज खलीफा हारून रशीद ने अपने दरबार में बुलाया है। तुमको वहां आना होगा, जिसके बाद सीदी नोमान ने जाफर से कहा कि ठीक है मैं कल समय से दरबार में पहुंच जाऊंगा। रात बीत गई और सुबह जब दरबार लगी।

तब सीदी नोमान वहां पर आया, उसने महाराज हारू राशिद को झुक कर सलाम किया। तभी महाराज ने सीदी नोमान सही कहा कि तुम अपनी घोड़ी को इतनी बेरहमी से क्यों मारते हो, इसके पीछे क्या कारण है। मैंने कल तुमको अपनी घोड़ी को बेरहमी से मारते हुए देखा है। महाराजा हारु रासिद की बात सुनकर सीदी नोमान बहुत डर गया और मन ही मन में यह सोचने लगा कि महाराजा मुझे कहीं इस अपराध के लिए सजा तो नहीं देंगे।

जिसके डर से सीदी नोमान ने महाराजा की बातों का कोई उत्तर नहीं दिया, जिसके बाद महाराजा हारु रसीद ने कहा कि सीदी नोमान मुझे बताओ कि तुम अपनी घोड़ी को ऐसा क्यों मारते हो, तुम डरो बिल्कुल भी नहीं।

जिसके बाद सीदी नोमान अपनी कहानी सुनाना शुरू कर दिया। सीदी नोमान ने कहा मेरे माता पिता एक बहुत अच्छे परिवार से थे और मेरे पिता एक बहुत अच्छे व्यापारी भी थे, उन्होंने वहां सारा धन एकत्र कर लिया था लेकिन एक दुर्घटना के कारण मेरी मां और मेरे पिताजी का निधन हो गया था।

जिसके बाद में अकेला पड़ गया। लेकिन उन लोगों ने अपने मरने से पहले मेरे लिए इतना धन इकट्ठा कर दिया था कि मेरे लिए वह बहुत था। धीरे-धीरे जब मैं बड़ा होता गया तब मेरी इच्छा शादी करने की हुई, जिसके लिए मैंने एक सुंदर सी कन्या को देख कर उससे विवाह कर लिया।

लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि मैंने कितना बड़ा संकट अपने मुंह मोल लिया है। हमारे घर में एक रीति रिवाज था कि शादी से पहले दूल्हा अपनी पत्नी का चेहरा नहीं देख सकता और ना ही उससे बात कर सकता है।

मैं शादी करके उसको अपने घर ले आया। घर ले आकर मैंने अपने नौकरों से कहा कि हम लोगों के लिए कुछ खाने के लिए लेकर आओ। जिसके बाद हमारे नौकर खाना बनाकर ले आए, जिसके बाद मैंने अपनी पत्नी से कहा कि प्रियतमा तुम भी मेरे साथ बैठकर भोजन कर लो।

जैसे ही मैंने खाना खाना शुरू किया तब मैंने देखा कि मेरी पत्नी बहुत ही अजीब गरीब ढंग से खाना खा रही है, वह एक लकड़ी के सहारे चावल का एक दाना उठा कर खा रही है। जिसको देखकर मैंने उससे कहा कि तुम सही ढंग से खाना खा सकती हो। यहां तुमसे कोई कुछ नहीं कहेगा।

लेकिन मेरी पत्नी ने मेरी बात का कोई उत्तर नहीं दिया और उसी तरीके से खाना खाना शुरु कर दिया। जिसको देखकर मुझे लगा कि नई-नई शादी हुई है तो यह शर्म आ रही होगी, लेकिन कई दिन हो जाने के बाद भी मैंने उसको इसी तरह खाना खाते देखा।

मैंने यह भी देखा कि मेरे सो जाने के बाद यह घर से बाहर कहीं जाती है। जिसको देखकर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ। एक दिन जब रात में सो गया तब मेरी पत्नी मुझे सोता देख जाने के लिए बाहर निकली। जिसके बाद मैं भी उसका पीछा करने के लिए उसके पीछे पीछे चल पड़ा।

थोड़ी देर हुए देखा कि मेरी पत्नी एक कब्रिस्तान में पहुंच गई है, जहां पर एक नरभक्षी के साथ बैठकर बातें कर रही है। जिसको देखकर मैं बहुत डर गया और मैंने थोड़ी ही देर में देखा कि दोनों ने कब्र के अंदर से लाश को निकालकर उसको खाना शुरु कर दिया।

जिसको देखकर मुझे यह एहसास हो गया कि मेरी पत्नी भी नरभक्षी है, जिसे देखकर मुझे बहुत गुस्सा आया। लेकिन मैंने इसकी इस आदत को छुड़ाने के लिए सोच लिया और मैं यहां से भाग कर वापस आकर अपने घर में सो गया, जिसके बाद मेरी पत्नी थोड़ी देर में आई और मेरे बगल में लेट गई।

कल जब सुबह हुई तब यह खाना खाने के लिए बैठी। मैंने उससे कहा कि तुमको इंसानों का मांस खाने की जरूरत नहीं है, मैं तुमको एक से एक अच्छे जानवरों का मांस लाकर दूंगा। यह सुनकर मेरी पत्नी बहुत क्रोधित होने लगी और उसने मुझसे कहा कि तुमको मेरी सच्चाई पता लग गई है।

इसीलिए अब मैं तुमको जीवित नहीं छोडूंगी। क्योंकि तू औरों को भी मेरी सच्चाई बता देगा। जिसके बाद मेरी पत्नी ने कोई मंत्र का उच्चारण करना शुरू कर दिया और हाथ में पानी लेकर मेरे ऊपर फेंक दिया। मेरे ऊपर से किए हुए पानी से थोड़ी देर में मैं कुत्ता बन गया।

जिसके बाद मेरी पत्नी ने डंडा लेकर मुझे मारना शुरू किया। मैं अपनी जान बचाते हुए वहां से भाग निकला और थोड़ी दूर जाने के बाद गली के कुछ कुत्तों ने मुझे खदेड़ लिया। जिसके बाद में अपनी जान बचाता हुआ एक दुकान के पास पहुंच गया, जहां पर उस दुकान के व्यापारी ने मुझे उन कुत्तों से तो बचाया और कुछ जानवरों का मांस खाने के लिए भी दिया।

जिसके बाद मैंने उस मांस को नहीं खाया। यह देखकर वह बहुत क्रोधित हो गया और उसने मुझे डंडे से मार कर अपनी दुकान पर भगा दिया। मैं इधर-उधर भटकता हुआ एक बेकर की दुकान में पहुंच गया, जहां पर उसने मुझे देख कर कुछ खाने के लिए दिया।

जिसको मैंने खा लिया, वह देखकर बहुत खुश हो गया। बेकर को जानवरों से बहुत लगाव था खास तौर से कुत्तों से। तभी वह मुझे अपने साथ घर ले गया। वह रोज मुझे अपने साथ घर ले जाता था और अपनी दुकान पर लाता था। एक दिन जब एक महिला दुकान पर आई तब उसने खाने के लिए कुछ चीजें खरीदी।

जिसके बाद उसने कई सिक्के दिए, जिसमें से कुछ खराब खराब सिक्के भी मिला कर लाई थी। उसने मेरे मालिक को दे दिए। जिससे बाद उस बेकर ने उस स्त्री से कहा कि यह खराब सिक्के हैं, इनको तो मेरा कुत्ता भी पहचान लेगा।

जिसके बाद उस बेकर ने मेरे सामने कई सिक्के जो खराब और सही दोनों मिक्स थे, उनको मिलाकर मेरे सामने फेंक दिए और उससे इशारों में कहने लगा कि इनमें से खराब और सही सिक्के के अलग-अलग कर दो। जिसके बाद मैंने वही किया, जो मुझसे बेकर ने करने के लिए कहा। जिसको देखकर वह महिला बहुत आश्चर्यचकित हो गई।

उसने आसपास के लोगों को भी बुला कर मुझसे सिक्के अलग करने के लिए कहने लगी। यह बात पूरे राज्य में फैल गई, जिसके बाद सभी लोग मेरे पास आते और मुझसे सिक्के अलग करवाते। जिससे मेरे मालिक बेकर को अधिक मुनाफा होने लगा धीरे-धीरे वह अत्यधिक धनवान हो गया।

तब एक दिन एक महिला को मेरे बारे में पता लगा। एक कुत्ता है, जो बहुत ही समझदार है, उसको सिक्के की पहचान है। उसको मुझ पर शक हुआ कि यह कोई जानवर नहीं हो सकता, जो सिक्कों की पहचान कर ले। यह जरूर में कोई व्यक्ति ही है।

जिसके बाद उसने अपने सामने मुझसे सिक्के अलग करवाएं और फिर वह मुझे अपने घर साथ ले गई। एक लड़की तंत्र मंत्र को बहुत अच्छी तरह से जानती थी। घर पहुंच कर उसने अपनी लड़की से कहा कि बेटी तुम इस कुत्ते को देखो, मुझे तो यह कोई आदमी ही लग रहा है।

जिसको किसी ने अपने जादू से कुत्ता बना दिया है। इसके बाद उस महिला की लड़की ने मुझे देखा और तुरंत पहचान गई कि यह कोई कुत्ता नहीं है मतलब मनुष्य है और उसने तुरंत मुझे अपने जादू से वापस मनुष्य बना दिया। मैं वापस अपने रूप में आकर बहुत खुश हुआ।

मैंने उस लड़की को बहुत धन्यवाद दिया। जिसके बाद उस लड़की ने मुझसे कहा कि तुमको कुत्ता किसने बनाया। तब मैंने उस स्त्री को अपनी कहानी सुनाई। जिसके बाद उसने मुझे एक ऐसा मंत्र सिखाया और थोड़ा सा पानी दिया और बोला किसे जाकर अपनी पत्नी पर फेंक देना और इस मंत्र का जाप कर लेना।

जिससे वह घोड़ी बन जाएगी। मैंने वही किया जो मुझसे उस लड़की ने कहा। अपनी पत्नी पर उस पानी को छिड़क दिया और उसको घोड़ी बना दिया तभी मैं इसके ऊपर बैठकर उसको मारा करता था।

अब आप ही बताइए महाराज मैंने इसमें क्या गलत किया। तब महाराजा हारू रशीद ने सीदी नोमान से कहा कि नहीं तुमने बिलकुल गलत नहीं किया है। तूने जो किया वह सही है, तुमने अपनी पत्नी को दंड के रूप में यह सजा दी है, जो बिल्कुल सही है।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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