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सरवर नीर की कहानी

नमस्कार दोस्तों, कहानी की बढ़ती श्रृंखला में सरवर नीर की कहानी लेकर आएं हैं। आप इस कहानी के माध्यम से सतयुग के समय हुए चमत्कार से रूबरू होंगे। यह बहुचर्चित कहानियों में से एक है। आप इस कहानी को अंत तक जरूर पढ़िएगा।

बहुत समय पहले जब सतयुग का समय चल रहा था। तब एक राज्य में एक राजा रहा करता था। राजा बहुत ही बुद्धिमानी और शक्तिशाली था, जिससे आसपास के राजा उसके राज्य की तरफ आंख उठाकर नहीं देखते थे। इसके साथ-साथ राजा बहुत दानवीर भी था। राजा यम हमेशा से ब्राह्मणों को बहुत सारा दान दिया करते थे। इस राजा का नाम यम था।

राजा के राज्य में सभी लोग बहुत ही खुशी-खुशी रहा करते थे और राजा यम के राज्य को चलाने के तौर तरीके से बहुत खुश थे। सभी लोग राजा यम की बहुत प्रशंसा किया करते थे। राजा यम राज्य मे सभी लोग आपस में मिल जुल कर रहा करते थे। राजा यम ने अपना विवाह एक बहुत ही अमीर देश की रानी अमली से किया था।

राजा अपनी पत्नी अमली को बहुत प्यार करते थे और उनको किसी भी चीज की कमी नहीं होने देते थे। जिसके बाद राजा यम और रानी अमली ने दो बेटों को जन्म दिया था, उन्होंने अपने एक बेटे का नाम सरवन और दूसरे बेटे का नाम नीर रखा था। राजा यम और उसकी पत्नी अमली अपने बेटों से बहुत प्रेम करते थे।

Sarvar Neer Ki Kahani

राजा ने अपने बेटे सरवर और नीर का पालन पोषण बहुत ही अच्छे ढंग से किया था। उनको बहुत अच्छे अच्छे संस्कार दिए थे। राजा अपने पूरे परिवार के साथ राज्य में बहुत ही शान और शौकत के साथ रहा करता था। राजा हम अपने परिवार के साथ बहुत खुश थे और अपने राजधर्म का भी पालन बहुत अच्छे से कर रहे थे।

जब राजा यम एक बार अपने दरबार में बैठकर राजा होने के अपने सारे नियमों का पालन कर रहे थे तभी अचानक से वहां पर एक गेरुआ रंग के कपड़े पहनकर एक ब्राह्मण राजा यम के दरबार में आया। राजा ने उस ब्राह्मण का स्वागत किया और उनको अपने महल में ले गया। राजा ने उस ब्राह्मण का आदर सत्कार बहुत अच्छे ढंग से किया और उनको बहुत से अच्छे अच्छे स्वादिष्ट व्यंजन बनवाकर खिलाएं।

जिसके बाद उस ब्राह्मण ने राजा यम की परीक्षा लेने के लिए राजा यम से तीन वचन मांगे और उस ब्राह्मण ने राजा यम से उनका पूरा राज्य दान में मांग लिया। राजा यम बहुत ही दानवीर प्रवृत्ति के थे, जिसलिए राजा यम अपना पूरा राज उस ब्राह्मण को खुशी-खुशी सौंप दिया और राजा यम खुशी-खुशी अपने दोनों बच्चों सरवर व नीर और अपनी पत्नी अमली को लेकर राज्य का त्याग करते हुए राज्य को छोड़कर चले गए।

थोड़ी दूर यात्रा करने के दौरान राजा यम को एक टापू दिखाई देता है। जिसके बाद राजा यम अपनी पत्नी अमली और अपने बच्चों सरवर और नीर को ले कर उस टापू में चले जाते है। जिसके बाद राजा यम अपनी पत्नी और बच्चों को उस टापू पर बैठा कर लकड़ी को काटने के लिए चले जाते हैं। जैसे ही राजा यम लकड़ी काटने के लिए जंगल में जाते हैं तो उस टापू में जहां पर राजा उनकी पत्नी अमली और उनके बच्चे सरवर और नीर थे, उनके पास एक महिला आती है।

उनसे कहती है कि मैं तुमको भोजन दूंगी, तुम लोग मेरे साथ चलो। जिसके बाद रानी अमली और उनके बच्चे सरवर और नीर उस महिला के साथ चले जाते हैं। जब राजा यम लकड़ी काटने के लिए जंगल में जाते हैं तो सामने से उनको एक शव यात्रा आती हुई नजर आती है।

वह शव यात्रा किसी और की नहीं बल्कि राजा धर्म सिंह की होती है। राजा धर्म सिंह बहुत प्रतापी राजा थे और बहुत ही बहादुर थे। राजा धर्म सिंह किसी भी शत्रु से डरते नहीं थे। राजा धर्म सिंह ने कई शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर रखी थी। जिसके कारण कोई भी शत्रु उनके राज्य पर आक्रमण करने से पहले सौ बार सोचता था। राजा धर्म सिंह के राज्य में प्रजा बहुत खुश थी।

राजा धर्म सिंह के राज्य में सभी लोग आपस में मिलजुल कर और बहुत ही प्रेम पूर्वक रहा करते थे। लेकिन राजा धर्म सिंह को एक ही बात का दुख था कि राजा धर्म सिंह की कोई संतान नहीं थी और वह अपने सैनिकों को ही अपनी संतान मानते थे। एक दिन राजा धर्म सिंह की अचानक से तबीयत बिगड़ जाने के कारण उनकी हालत बहुत खराब हो गई।

तभी राजा धर्म सिंह ने अपने सैनिकों को अपने पास बुलाया और कहा कि मेरे मरने के बाद तुम लोग जब मुझे अंतिम संस्कार के लिए ले जाओगे तब मेरी शव यात्रा के दौरान मुझे ले जाते समय जो भी पहला व्यक्ति सामने नजर आए, तुम उसको मेरा पूरा राज्य शौप देना और उसको यहां का राजा बना देना और तुम लोग मुझको यह वचन दो।

सैनिकों ने अपने राजा धर्म सिंह की बात स्वीकार ली और राजा धर्म सिंह को वचन दिया कि आपने जो कहा है वैसा ही होगा। जब राजा धर्म सिंह की बहुत ज्यादा तबीयत बिगड़ जाने के कारण एक दिन उनका निधन हो गया। जिसके बाद पूरे राज्य में शोक का माहौल हो गया और सैनिकों ने राजा धर्म सिंह को अंतिम यात्रा पर ले जाने के लिए पूरी तैयारी कर ली है और सैनिकों ने राजा धर्म सिंह द्वारा दिए हुए वचन को भी याद रखा।

जब सैनिक राजा धर्म सिंह के शव को अंतिम यात्रा के दौरान ले जा रहे थे तभी सामने से उनको सबसे पहले राजा यम दिखाई दिए। जिसके बाद सैनिकों ने अपने राजा धर्म सिंह को दिए हुए वचन का पालन करते हुए राजा यम को सारा राज्य सौंप दिया और उनको अपना राजा स्वीकार लिया। राजा यम यह देखकर बहुत आश्चर्यचकित हो गए और उनको कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उनके साथ क्या हो रहा है।

तभी सैनिकों ने राजा यम को सारी बात बताई की राजा धर्मराज सिंह ने सैनिकों से क्या कहा था। जिसके बाद राजा यम ने सैनिकों की बात सुनकर राज्य को खुशी-खुशी स्वीकार लिया और राजा यम ने राजा धर्मराज सिंह का अंतिम संस्कार करने के बाद उनके राज्य को खुशी-खुशी संभालने लगे धीरे-धीरे दिन बीतते गए। एक दिन एक व्यक्ति राजा यम की पत्नी अमली और उनके बेटे सरवर और नीर को लेकर उस राज्य में आ जाता है।

जिसके बाद जब यह बात राजा यम पता लगती है कि उनके राज्य में एक दलाल एक महिला को लिए है और दो बच्चों को लेकर राज्य में आया है तो वह तुरंत उस व्यक्ति और उसके साथ आए हुई महिला और उसके बच्चों को देखने के लिए अपने दरबार में बुलाते हैं। जैसे ही राजा यम उस महिला और बच्चों को देखते हैं तो वह तुरंत उनको पहचान जाते हैं कि यह तो मेरी पत्नी और मेरे बच्चे हैं।

जिसके बाद राजा यम अपनी पत्नी अमली और अपने बच्चे सरवर और नीर को गले से लगा लेते हैं और फिर सभी लोग खुशी-खुशी राज्य में रहने लगते हैं। इस प्रकार राजा यम का खोया हुआ परिवार भी उनको मिल जाता है।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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