Sanskrit Slokas on Mother With Hindi Meaning
माँ पर श्लोक संस्कृत हिंदी अर्थ सहित | Sanskrit Slokas on Mother With Hindi Meaning
सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता
मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्।
भावार्थ:
माता का स्थान सभी तीर्थों से भी ऊपर होता है और पिता का स्थान सभी
देवताओं के भी ऊपर होता है इसीलिए हर मनुष्य का यह कर्तव्य है
कि वह अपने माता-पिता के साथ अच्छे से व्यवहार करें और उनका
हमेशा आदर सत्कार करें और सेवा करें।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।
भावार्थ:
हमारी माता और हमारी मातृभूमि हमारे लिए स्वर्ग से भी ऊपर है।
माता पर संस्कृत श्लोक (sanskrit shlok for mother)
आदाय मांसमखिलं स्तनवर्जमंगे
मां मुञ्च वागुरिक याहि कुरु प्रसादम्।
अद्यापि शष्पकवलग्रहणानभिज्ञः
मद्वर्त्मचञ्चलदृशः शिशवो मदीयाः।।
भावार्थ:
एक मां आदमखोर के सामने आग्रह करती है कि तुम मेरे इस
शरीर के हर भाग को काट कर ले लो लेकिन मेरे दोनों स्तनों को
छोड़ दो क्योंकि मेरा एक छोटा सा बच्चा है, जिसने अभी तक घास
खाने के लिए नहीं सीखा है वह केवल मेरे स्तनों का दूध पीकर ही
रहता है वह बड़ी व्याकुलता से मेरा इंतजार कर रहा होगा इसलिए है
आदमखोर मेरे शरीर के स्तनों को छोड़ दो।
आपदामापन्तीनां हितोऽप्यायाति हेतुताम्।
मातृजङ्घा हि वत्सस्य स्तम्भीभवति बन्धने।।
भावार्थ:
जब कोई आपदा आने को होती है तो जो आपके
हितकर हैं वह भी उस आपदा का कारण बन जाते
हैं लेकिन एक मां अपने बछड़े को बांधने के लिए
कभी-कभी अपनी जांघ को ही खंबे का काम में ले लेती।
माता पर संस्कृत श्लोक (sanskrit shlok on mother)
नास्ति मातृसमा छाया नास्ति मातृसमा गतिः।
नास्ति मातृसमं त्राणं नास्ति मातृसमा प्रपा।।
भावार्थ:
मां के जैसा ना कोई छाया दे सकता है और ना
ही कोई आश्रय ही दे सकता है और मां के समान
ना ही कोई हमें सुरक्षा ही दे सकता है मां इस पूरे
ब्रह्मांड में जीवन दायिनी है और उसके जैसा कोई दूसरा नहीं है।
आयु: पुमान् यश: स्वर्ग कीर्ति पुण्यं बलं श्रियं।
पशु सुखं धनं धान्यं प्राप्नुयान्मातृ वन्दनात्।।
भावार्थ:
जो मनुष्य सच्चे मन से माता की सेवा करता है,
उसे लम्बी आयु, यश, स्वर्ग, यश, लक्ष्मी, धन,
पशु, अन्न और सब कुछ मिलता है।
Sanskrit Shlok on Mother
मातृपितृकृताभ्यासो गुणितामेति बालकः।
न गर्भच्युतिमात्रेण पुत्रो भवति पण्डितः।।
भावार्थ:
भारतीय माता और पिता पढ़ाई पर जोर देते हैं
ताकि उनके बच्चे को सम्मानजनक जीवन जीने के लिए
पर्याप्त ज्ञान और कौशल प्राप्त हो। जैसे कि राजा का सम्मान उसके राज्य
में होता है, लेकिन ज्ञानी व्यक्ति का हर जगह सम्मान होता है।
माँ पर संस्कृत श्लोक (shlok on mother in sanskrit)
मातृवत परदारेषु परद्रव्येषु लोष्टवत्। आत्मवत् सर्वभूतेषु यः पश्यति स पंडितः।।
भावार्थ:
एक सज्जन व्यक्ति सभी महिलाओं और माताओं के साथ अच्छे से व्यवहार और
सम्मान करते हैं और अपनी पत्नी को छोड़कर सभी को अपने माता के समान
समझते हैं वह दूसरों के धन से कुछ भी प्राप्त करने का कोई भी इरादा नहीं रखते हैं।
माता मित्रं पिता चेति स्वभावात् त्रतयं हितम्।
कार्यकारणतश्चान्ये भवन्ति हितबुद्धय:।।
भावार्थ:
माता-पिता और मित्र यह ऐसे लोग हैं जो आपके
जीवन में काफी महत्वपूर्ण हैं और आपकी भलाई
के बारे में ही हमेशा सोचते हैं आपके अच्छे स्वभाव
आपके लिए अच्छी सोच यह वह बिना किसी शर्त
यह अपेक्षा या व्यक्तिगत लाभ के करते हैं इसीलिए
हमें दूसरों से ज्यादा अपने माता-पिता और अपने मित्र
को महत्व देना चाहिए क्योंकि हमारे जीवन में दूसरे
रिश्ते व्यवसाय या पेशेवर संबंध से हो सकते हैं या
बोले गए संबंध से हो सकते हैं या अनकहे नियम
और शर्त पर होते हैं।
आदौ माता गुरौ पत्नी ब्राह्मणी राजपत्निका
धेनुर्धात्री तथा प्रथ्वी सप्तैता मातरः स्मृतः।
भावार्थ:
हमारी भारतीय संस्कृति हमें सबसे पहले अपनी
मां का सम्मान करना सिखाती है और फिर अपने
शिक्षक की पत्नी एक रानी की पत्नी एक गाय एक
बालक के मां और धरती मां हम उन्हें भी अपनी
मां के समान मानते हैं और यह सभी बातें हमें
हमारी भारतीय संस्कृति सिखाती है।
shlok on mother in hindi
मातृदेवीम नमस्तुभ्यं मम जन्मदात्रिम त्वम् नमो नमः।
बाल्यकाले मां पालन कृत्वा मातृकाभ्यो त्वम् नमाम्यहम।।
भावार्थ:
मुझे जन्म देने वाली माँ को मैं प्रणाम करता हूँ, मैं अपनी अन्य माताओं, महिलाओं
को भी नमन करता हूं जिन्होंने मुझे एक अच्छा इंसान बनाने के लिए मेरे कार्यों और जीवन में ज्ञान और ज्ञान को जोड़ा।
Sanskrit Slokas on Mother With Hindi Meaning
मातृ देवो भव् पितृ देवो भव्
आचार्य देवो भव्, अतिथि देवो भव्।
भावार्थ:
माता, पिता, गुरु और अतिथि को ‘ईश्वर’ मानकर पूजते हो।
हस्तस्पर्शो हि मातृणामजलस्य जलांजलि:।
भावार्थ:
माँ के हाथ का स्पर्श उस मुट्ठी भर पानी के समान होता है, जो उसके लिए अभावग्रस्त हो।
गुरु पत्नी राजपत्नी ज्येष्ठ पत्नी तथैव च।
पत्नी माता स्वमाता च पंचैता मातर: स्मृता:।।
भावार्थ:
गुरु की पत्नी, राजा की पत्नी, बड़े भाई की पत्नी,
पत्नी की माता और स्वयं की माता – इन पांचों को माता कहा गया है
माता पर संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (mata shlok in sanskrit)
सहस्त्रं हि पितुर्माता गौरवेणातिरिच्यते।
भावार्थ:
महत्व के मामले में माँ पिता से हजार गुना अधिक होती है।
माता गुरुतरा भूमे: खात् पितोच्चतरस्तथा।
भावार्थ:
माँ पृथ्वी से भी अधिक वजनी है। पिता आकाश से भी ऊँचे हैं।
माँ पर संस्कृत श्लोक (maa sanskrit shlok)
मातरं पितरं चैव यस्तु कुर्यात् प्रदक्षिणम्।
प्रदक्षिणीकृता तेन सप्तद्वीपा वसुन्धरा।।
भावार्थ:
जो माता और पिता की परिक्रमा करता है, उसने पृथ्वी को उसके सात महाद्वीपों के साथ परिभ्रमण किया है।
मातृ दिवस संस्कृत श्लोक (maa shlok in sanskrit)
पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहवः सन्ति सरलाः
परं तेषां मध्ये विरलतरलोऽहं तव सुतः।
मदीयोऽयं त्यागः समुचितमिदं नो तव शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति।।
भावार्थ:
हे जगत जननी मां! इस पृथ्वी पर तुम्हारी कई सारे पुत्र हैं
जो कि सरल स्वभाव के हैं लेकिन उनमें मैं ही एक ऐसा हूं
जो कि चंचल और बहुत ही बुरा और अशांत हूं। तुम मुझसे
यूं मुंह मत फेर ओ मां क्योंकि यह उचित नहीं है।
हे शिवे! हे अंबे! पुत्र का बूरा होना संभव है लेकिन मां
कभी भी बुरी या कुमाता नहीं बन सकती।
अथ शिक्षा प्रवक्ष्यामः
मातृमान् पितृमानाचार्यवान पुरूषो वेदः।
भावार्थ:
जब कोई भी मनुष्य के पास तीन उत्तम शिक्षक हो
अर्थात एक मां दूसरा पिता और तीसरा गुरु तो वह मनुष्य हमेशा ज्ञानवान बनता है।
‘माँ’ के गुणों का उल्लेख करते हुए आगे कहा गया है-
‘प्रशस्ता धार्मिकी विदुषी माता विद्यते यस्य स मातृमान।’
भावार्थ:
बहुत महान है वह मां जो अपने बच्चे को अपने गर्भ से
लेकर जब तक उस बच्चे की शिक्षा पूरी नहीं हो जाती
है तब तक उसकी शिक्षा और उसके सही आचरण का
पूरा ध्यान देती है।
माँ पर श्लोक संस्कृत में (sanskrit shlok on maa)
‘स्त्री ना होती जग म्हं, सृष्टि को रचावै कौण।
ब्रह्मा विष्णु शिवजी तीनों, मन म्हं धारें बैठे मौन।
एक ब्रह्मा नैं शतरूपा रच दी, जबसे लागी सृष्टि हौण।’
भावार्थ:
यदि स्त्री की रचना नहीं होती तो इस सृष्टि की भी कल्पना करना
असंभव होता क्योंकि स्वयं ब्रह्मा विष्णु और महेश तक इस सृष्टि की
रचना करने में असमर्थ है जब ब्रह्मा जी ने श्री की रचना की तब
जाकर इस सृष्टि की रचना की शुरुआत आरंभ हुई।
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