Raksha Bandhan Story In Hindi: रक्षा बंधन एक ऐसा त्योहार है, जो भाई और बहन के बंधन का जश्न मनाता है। यह त्योहार हिंदू धर्म में मनाया जाता है।
यह उनके सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। साथ ही साल भर बहन-भाई इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं। भारत में लोग इसे बहुत जोश और उत्साह के साथ मनाते हैं।
रक्षाबंधन की कहानी (Raksha Bandhan Story In Hindi)
रक्षाबंधन पर्व के पीछे कई ऐतिहासिक और धार्मिक कहानियां जुड़ी हुई है। यहां पर हम रक्षाबंधन की कहानी हिंदी में के बारे में बता रहे हैं।
कृष्ण और द्रौपदी की कहानी
यह कहानी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। एक समय की बात है जब श्री कृष्ण मकर संक्रांति पर गन्ना काट रहे थे तो गलती से उनकी अंगुली कट गई और खून बहने लगा।
ये देखकर कृष्ण की पत्नी रूखमणी ने एक दास को पट्टी लाने को कहा। ये सारा दृश्य दूर खड़ी द्रौपदी देख रही थी। वह कृष्ण के पास आई और अपनी साड़ी का एक टुकड़ा काटकर कृष्ण के हाथ में बांध देती है।
तभी कृष्ण उसे जरूरत पड़ने पर मदद करने का वचन देते हैं। कृष्ण ने द्रौपदी के चीरहरण के समय उसकी साड़ी को बहुत लंबा कर दिया, जो कभी खत्म ही नहीं हुई।
इस तरह से द्रौपदी की लाज बचाकर कृष्ण ने उसकी उस समय मदद की जब उसे मदद की सबसे ज्यादा जरूरत थी तभी से रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा।
युधिष्ठर का सैनिकों को राखी बांधना
राखी की एक अन्य प्रचलित कहानी है कि महाभारत के युद्ध मे युधिष्ठिर ने कृष्ण से पूछा कि मैं सारे दुखों से कैसे पार पा सकता हूँ। तो कृष्ण कहते है कि तुम अपने सभी सैनिकों को रक्षा सूत्र बांधो। इससे तुम्हारी विजय पक्की है।
युधिष्ठिर ऐसा ही करता है और उन्हें विजय मिलती है। ये घटना श्रावण माह की पूर्णिमा को हुई थी, इसलिए इसे रक्षाबंधन के रूप में मनाया जाने लगा और इस दिन सैनिकों को राखी बांधी जाती है।
राजा पुरु और सिकन्दर
एक समय की बात है जब सिकंदर पूरे विश्व को जीतने के मकसद से भारत आया और आक्रमण किया तो उसका सामना राजा पुरु से हुआ। राजा पुरु बहुत शक्तिशाली और साहसी था। उसने सिकंदर को जीतने नहीं दिया और उसे मौत के घाट उतारने लगा।
तभी वहाँ पर सिकंदर की पत्नी आती है और राजा पुरु से कहती है कि कृपया मेरे पति को ना मारे। ऐसा कहते हुए वह राजा पुरु की कलाई पर राखी बांध देती है।
राजा पुरु सिकन्दर को मारना चाहता था लेकिन उसके हाथ पर बंधे रक्षासूत्र के कारण वह मजबूर था तो उसने सिकन्दर को मारा नहीं लेकिन बंधी बना दिया और इसके बाद सिकन्दर ने भी हड़पे हुए राज्य राजा पुरु को वापस कर दिये। इस तरह रक्षाबंधन मनाया जाने लगा।
निष्कर्ष
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