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राज्यपाल की शक्तियां और कार्य

Rajyapal ki Shaktiyan

Rajyapal ki Shaktiyan: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 153 में प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल का प्रावधान किया गया है, जो एक साथ दो से अधिक राज्यों के राज्यपाल पद का प्रभार संभाल सकता है।

जिस प्रकार संघ के कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति के पास होती है, उसी तरीके से राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहींत होती है। राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा 5 वर्ष के लिए की जाती है।

इस लेख में राज्यपाल की शक्तियां (Rajyapal ki Shaktiyan), राज्यपाल के कार्य और राज्यपाल के अधिकार के बारे में जानेंगे।

राज्यपाल की कार्यकारी शक्तियां

राज्य की कार्यपालिका शक्तियां राज्यपाल में निहित होती है। राज्यपाल अपने शक्तियों का प्रयोग स्वयं या प्रत्यक्ष रूप से करते हैं। राज्यपाल को निम्नलिखित कार्यकारी शक्तियां प्राप्त है:

  • राज्य का पूरा शासन राज्यपाल के नाम पर चलता है। विधानमंडल को जिन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है, उन सभी विषयों पर राज्यपाल का शासन चलता है।
  • राज्य की विधान मंडल के द्वारा कोई भी विधेयक जब पेश किया जाता है तो वहां से पारित होने के बाद उस पर राज्यपाल का हस्ताक्षर होता हैं। तभी वह‌ पूरे राज्य में पारित होता है।
  • राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है और फिर मुख्यमंत्री के सलाह पर ही राज्यपाल राज्य के मंत्रीमंडल का गठन करता है।
  • मंत्रिमंडल के सभी मंत्रियों का नियुक्ति मुख्यमंत्री के सलाह पर राज्यपाल भी करते हैं और राज्यपाल मुख्यमंत्री के सलाह पर उन्हें पद से हटा भी सकते हैं।
  • राज्यपाल राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष, महाधिवक्ता और अन्य सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल ही करता है।
  • राज्य प्रशासन के संबंध में और मंत्रिमंडल के किसी भी विषय संबंधित जानकारी राज्यपाल मुख्यमंत्री से प्राप्त कर सकता है।
  • राज्यपाल राज्य के विश्वविद्यालय का कुलाधिपति होता है। राज्यपाल विश्वविद्यालय के उपकुलपति की भी नियुक्ति करता है।
  • राज्यपाल के पास राज्य के विधानसभा में एक आंग्ल भारतीय समुदाय के सदस्य को नियुक्त करने की शक्ति प्राप्त है।

राज्यपाल की विधायी शक्तियां

  • राज्य के विधान मंडल के किसी सदस्य की योग्यता संबंधी कोई विवाद उत्पन्न होने पर उससे संबंधित निर्णय लेने का अधिकार राज्यपाल को है।
  • विधान परिषद के सभापति और उपसभापति का पद खाली होने पर राज्यपाल सभा के किसी भी सदस्य को परिषद की अध्यक्षता करने के लिए अस्थाई रूप से नियुक्त कर सकता है।
  • विधानमंडल का जब कोई भी अधिवेशन नहीं चल रहा होता है और कोई असामान्य स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिसके लिए कोई भी कानून नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में राज्यपाल को अध्यादेश जारी करने का अधिकार है। राज्यपाल को अध्यादेश जारी करने की स्वतंत्रता है और इसे न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती। यह अध्यादेश विधानमंडल के द्वारा बनाए गए अन्य कानून के जितना ही प्रभावित होता है। हालांकि यह अध्यादेश विधानमंडल की बैठक आरंभ होने के 6 सप्ताह के पश्चात लागू नहीं रह सकता है।
  • जिन राज्यों में विधान परिषद होता है यानी कि विधानमंडल का उच्च सदन, राज्यपाल सदन के एक ⅙ सदस्यों को कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा, सहकारिता से जुड़े क्षेत्र से मनोनीत कर सकते हैं।
  • राज्य विधान मंडल के द्वारा कोई भी बिल पास होने के बाद राज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेजा जाता है। धन बिलों को छोड़कर राज्यपाल दूसरे साधारण बिलों को पूर्ण विचार के लिए वापस भेज सकते हैं।
  • राज्यपाल को विधानसभा के क्षेत्र को आहुत करने या विघटित करने का अधिकार है। राज्यपाल विधान मंडल के दोनों सदन में भाषण दे सकते हैं।
  • यदि राज्यपाल को लगे कि राज्य का संवैधानिक शासन सही तरीके से नहीं चल पा रहा है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए राष्ट्रपति को सिफारिश कर सकते हैं।

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राज्यपाल की वित्तीय शक्तियां

राज्यपाल राज्यपाल को कई सारी वित्तीय शक्तियां भी दी गई है। राज्यपाल के सिफारिश पर ही विधानसभा में धन विधेयक पेश किया जाता है। राज्यपाल भी वित्त मंत्री के द्वारा हर साल वार्षिक बजट विधानसभा में पेश करवाता है। बिना उनकी अनुमति के बजट पेश नहीं हो सकता।

राज्य के आकस्मिक निधि पर भी राज्यपाल का पूरा नियंत्रण होता है। राज्यपाल जरूरत के अनुसार इस निधि में से कुछ व्यय कर सकता है, उसके बाद में वह राज्य विधान मंडल की स्वीकृति ले सकता है।

राज्यपाल पंचायत और नगर पालिकाओं की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करने के लिए हर 5 वर्ष के बाद वित्त आयोग का गठन कर सकता है।

राज्यपाल की न्यायिक शक्तियां

राज्यपाल को कई न्यायिक शक्तियां प्राप्त है। राज्यपाल ही जिले के न्यायाधीश की नियुक्ति करता है।

न्यायालय में अधिक काम होने पर राज्यपाल चाहे तो एक से अधिक न्यायाधीशों की भी नियुक्ति कर सकता है।

राज्यपाल को अपराधी के दंड को क्षमा करने, घटाने या कुछ समय के लिए स्थगित करने का भी अधिकार दिया गया है। हालांकि राज्यपाल उन आपराधिक मामलों में निर्णय नहीं ले सकता है, जो संघ सरकार के कार्यपालिका के अधीन होती है।

निष्कर्ष

उपरोक्त लेख में आपने राज्यपाल के कार्य और उसकी शक्तियों के बारे में जाना। जिस तरह केंद्र में राष्ट्रपति होते हैं उसी तरीके से राज्य में राज्यपाल होते हैं। दोनों की भूमिका एक समान होती है।

हमें उम्मीद है कि इस लेख के जरिए आप राज्यपाल की शक्तियां (Rajyapal ki Shaktiyan) और राज्यपाल के कार्य से अवगत हो गए होंगे।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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