Home > General > भारत के प्रधानमंत्री के कार्य एवं शक्तियां

भारत के प्रधानमंत्री के कार्य एवं शक्तियां

Pradhanmantri ke Karya

Pradhanmantri ke Karya: देश के शासन व्यवस्था का सर्वोच्च प्रधान प्रधानमंत्री होता है। राष्ट्रपति नाम मात्र की सरकार होती है, असल में सारी शक्तियां प्रधानमंत्री के पास में ही होती है।

मुख्यमंत्री को राज्य का प्रमुख कहा जाता है तो वहीं प्रधानमंत्री को सरकार का प्रमुख कहा जाता है। प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल के प्रमुख होते हैं। वे जनता के द्वारा सीधे तौर पर चुने गए प्रतिनिधि होते हैं।

प्रधानमंत्री लोकसभा में बहुमत पार्टी का नेता होता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 75 में भारत के प्रधानमंत्री की नियुक्ति, उनके कार्य और शक्तियों के बारे में बताया गया है।

इस लेख में हम प्रधानमंत्री के कार्य एवं शक्तियां (Pradhanmantri ke Karya) के बारे में विस्तार से जानेंगे।

प्रधानमंत्री के कार्य (Pradhanmantri ke Karya)

  • मंत्रिमंडल का गठन करना, कैबिनेट के कार्य का निर्धारण करना, देश के प्रशासन को निर्देश देना यह सब कार्य प्रधानमंत्री के होते हैं।
  • प्रधानमंत्री मंत्री परिषद का प्रमुख होता है, जिसके कारण मंत्री परिषद का प्रतिनिधित्व करना प्रधानमंत्री का सबसे बड़ा कर्तव्य होता है।
  • प्रधानमंत्री को कैबिनेट मंत्री के द्वारा किए गए सभी कार्यों की रिपोर्ट राष्ट्रपति के पास पेश करनी पड़ती है।
  • प्रधानमंत्री देश का सबसे बड़ा नेता होता है। वह सरकार होने के कारण वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करना प्रधानमंत्री की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है।
  • विभिन्न देशों के आर्थिक, वाणिज्य, कूटनीतिक और संसाधनिक आदि संधिया और समझौते तथा उनसे जुड़ी बहस और वार्ताओं में प्रधानमंत्री को अपने देश का प्रतिनिधित्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
  • विभिन्न देशों से हमारे देश में आए राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रतिनिधिमंडलों का स्वागत प्रधानमंत्री करते हैं। उनकी मेजबानी करना प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी होती है।
  • अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश की छवि बरकरार रखना और अन्य देशों के साथ अपने देश के संबंध को और ज्यादा मजबूत करने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री की होती है।
  • भारत सरकार के कुछ विशेष और उच्च स्तरीय विभाग व मंत्रालय का कार्य भार केवल प्रधानमंत्री को ही सोपे जाते हैं। उन्हें उन मंत्रालय के प्रति संसद में जवाबदेह होना पड़ता है। आवश्यकता पड़ने पर संसद में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर उन्हें देना पड़ता है। प्रधानमंत्री को केंद्रीय सचिवालय, कैबिनेट रक्षा समिति, नीति आयोग, केबिनेट नियुक्ति समिति, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, नाभिकीय कमान प्राधिकरण, कैबिनेट आर्थिक समिति, जन शिकायत व पेंशन मंत्रालय जैसे कुछ मंत्रालयों की जिम्मेदारी व कार्य भार प्रधानमंत्री के हाथ में होता है।
  • प्रधानमंत्री देश के नागरिकों के प्रतिनिधि होते हैं, जिसके कारण महत्वपूर्ण राष्ट्रीय दिवस और समारोह में उनका उपस्थित होना अनिवार्य होता है।
  • भारत सरकार और संघ की कार्य प्रणाली से राष्ट्रपति को अवगत कराने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री की होती है।

यह भी पढ़े

प्रधानमंत्री की शक्तियां (Pradhanmantri ki Shaktiyan)

  • मंत्री परिषद का संचालन करना सभी मंत्रालय के कार्यों का निर्देशन, प्रबंधन और आयोजन करने की शक्ति प्रधानमंत्री में होती है।
  • मंत्री परिषद का गठन प्रधानमंत्री के सलाह पर ही राष्ट्रपति करते हैं।
  • मंत्रिपरिषद में किन मंत्रियों को नियुक्त करना है यह राष्ट्रपति ही निर्धारित करते हैं। उनके द्वारा प्रस्तावित मंत्रियों को ही राष्ट्रपति मंत्री परिषद में नियुक्त करते हैं।
  • प्रधानमंत्री चाहे तो किसी भी मंत्री के विभाग को वापस ले सकते हैं। इसके लिए वे राष्ट्रपति से सिफारिश कर सकते हैं।
  • अगर प्रधानमंत्री की मृत्यु और त्यागपत्र हो जाता है तो ऐसी दशा में समस्त मंत्री परिषद को अपना पद छोड़ना पड़ता है।
  • संसद में परिषद के पक्ष में लड़ी जा रही किसी भी बहस में प्रधानमंत्री भाग ले सकते हैं।
  • प्रधानमंत्री किसी भी मंत्रालय से कोई भी सूचना मंगवा सकते हैं।
  • प्रधानमंत्री किसी भी मंत्री को मंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए कह सकता है। अगर कोई मंत्री इसके लिए इंकार करें तो वह राष्ट्रपति से कहकर उसे उसके पद से निलंबित करवाने के शक्ति प्रधानमंत्री में है।
  • मंत्रिमंडल, कैबिनेट की गतिविधियां और सरकार की सभी नीतियों पर प्रधानमंत्री का पूरा नियंत्रण होता है।
  • कैबिनेट बैठक में किन मामलों पर चर्चा होगी, वह सभी विषय सूची प्रधानमंत्री के सहमति से ही निर्धारित होते हैं।
  • कैबिनेट बैठक में हर एक मंत्री को अपनी स्वतंत्रता से अपने सुझाव और प्रस्ताव बैठक के समक्ष रखने का अधिकार है। लेकिन अंत में निर्णय प्रधानमंत्री के सहमति से ही लिया जाता है।
  • मंत्रिमंडल सभा में चर्चा किए गए विषयों में से किन विषयों को गुप्त रखना है और किन जानकारी को राष्ट्रपति के समक्ष रखना है यह केवल प्रधानमंत्री तय करता है।
  • कार्यपालिका पर भी प्रधानमंत्री का बहुत ज्यादा प्रभाव होता है। सरकार का प्रमुख होने के कारण कार्यकारिणी की तमाम नियुक्तियां वास्तविक तौर पर प्रधानमंत्री ही करते हैं। विभिन्न राज्यों के राज्यपाल, लोक सेवा आयोग, महान्यायवादी, महालेखा परीक्षक, विभिन्न देशों के राजदूत जैसे कार्यालयों के उच्च अधिकारी प्रधानमंत्री के सलाह पर ही राष्ट्रपति के द्वारा नियुक्त होते हैं।
  • प्रधानमंत्री संसद के निचले सदन का नेता होता है। परिणाम स्वरुप वह जब चाहे तब लोकसभा को भंग करने की सिफारिश राष्ट्रपति को कर सकते हैं।
  • प्रधानमंत्री संसद का सत्र बुलाने और उसे स्थगित करने के संबंध में राष्ट्रपति को परामर्श दे सकते हैं।
  • भले ही राष्ट्रपति संवैधानिक कार्यकारी अधिकारी होते हैं। लेकिन वह आमतौर पर प्रधानमंत्री के सलाह अनुसार ही हस्ताक्षर करते हैं। इस तरह प्रधानमंत्री कार्यकारी अधिकारों का प्रयोग अपने इच्छा अनुसार कर सकता है।

निष्कर्ष

इस लेख में आपने भारत के प्रधानमंत्री के कार्य एवं शक्तियां के बारे में जाना।

प्रधानमंत्री देश के राजनीतिक-प्रशासनिक ढांचे में एक महत्वपूर्ण और आवश्यक भूमिका निभाता है। ऐसे में प्रधानमंत्री के कार्य और शक्तियों की जानकारी होना बहुत जरूरी है क्योंकि वह जनता के प्रतिनिधि होते हैं।

हमें उम्मीद है कि इस लेख के जरीए आपको प्रधानमंत्री के कार्य और उनके शक्तियों की जानकारी मिल गई होगी। इस लेख तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अन्य लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें।

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

Related Posts

Leave a Comment