Poem on Hindi Diwas in Hindi: नमस्कार दोस्तों, हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा हैं। हिंदी भाषा का इतिहास आज कई कई साल पुराना है। हिंदी भाषा जितनी सरल है, उतनी ही बोलने में सरल भी लगती हैं।
हिंदी दिवस हर साल 14 सितम्बर को मनाया जाता हैं। देश की आजादी के बाद ही हिंदी भाषा को हमारी राष्ट्र भाषा के रूप में मान्यता दी गई थी।
यहां पर हमने हिंदी दिवस पर कविताएं (Hindi Diwas Poems in Hindi) शेयर की है। उम्मीद करते हैं आपको यह कविताएँ पसंद आएगी।
हिंदी दिवस पर कविता | Poem on Hindi Diwas in Hindi
Hindi Diwas Par Kavita – 1
भाषण देते है हमारे नेता महान
क्यों बाद में समझते है अपना
हिन्दी बोलने में अपमान
क्यों समझते है सब अंग्रेजी बोलने में खुद को महान
भूल गये हम क्यों इसी अंग्रेजी ने
बनाया था हमें वर्षों पहले गुलाम
आज उन्हीं की भाषा को क्यों करते है
हम शत् शत् प्रणाम
अरे ओ खोये हुये भारतीय इंसान
अब तो जगाओ अपना सोया हुआ स्वाभिमान
उठे खडे हो करें मिलकर प्रयास हम
दिलाये अपनी मातृभाषा को हम
अन्तरार्ष्टृीय पहचान
ताकि कहे फिर से हम
हिन्दी-हिन्दु-हिन्दुस्तान,
कहते है, सब सीना तान।।
हिंदी भाषा पर कविता – 2
मैं हूं हिंदी वतन की बचा लो मुझे,
राष्ट्रभाषा हूं मैं अभिलाषा हूं मैं,
एक विद्या का घर पाठशाला हूं मैं,
मेरा घर एक मंदिर बचा लो मुझे,
मैं हूं हिंदी वतन की बचा लो मुझे,
देख इस भीड़ में कहां खो गई,
ऐसा लगता है अब नींद से सो गई,
प्यार की एक थपक से जगा लो मुझे,
मैं हूं हिंदी वतन की बचा लो मुझे,
मैं ही गद्य भी बनी और पद्य भी बनी,
दोहे, किससे बनी और छंद भी बनी,
तुमने क्या-क्या ना सीखा बता दो मुझे,
मैं हूं हिंदी वतन की बचा लो मुझे,
मैं हूं भूखी तेरे प्यार की ऐ तू सुन,
दूंगी तुझको मैं हर चीज तू मुझको चुन,
अपने सीने से एक पल लगा लो मुझे,
मैं हूं हिंदी वतन की बचा लो मुझे,
मैं कहां से शुरू में कहां आ गयी,
सर जमी से चली आसमां पा गयी,
वह हंसी पल मेरा फिर लौटा दो मुझे,
मैं हूं हिंदी वतन की बचा लो मुझे,
तेरी कविता हूं मैं हूं कलम तेरी,
मां तो बनके रहूं हर जन्म में तेरी,
अपना ए दोस्त आप बना लो मुझे,
मैं हूं हिंदी वतन की बचा लो मुझे।
हिंदी दिवस पर कविता – 3
राष्ट्रभाषा की व्यथा,
दु:खभरी इसकी गाथ,
क्षेत्रीयता से ग्रस्त है,
राजनीति से त्रस्त है,
हिन्दी का होता अपमान,
घटता है भारत का मान,
हिन्दी दिवस पर्व है,
इस पर हमें गर्व है,
सम्मानित हो राष्ट्रभाषा,
सबकी यही अभिलाषा,
सदा मने हिन्दी दिवस,
शपथ लें मने पूरे बरस,
स्वार्थ को छोड़ना होगा,
हिन्दी से नाता जोड़ना होगा,
हिन्दी का करे कोई अपमान,
कड़ी सजा का हो प्रावधान,
हम सबकी यह पुकार,
सजग हो हिन्दी के लिए सरकार।
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Hindi Diwas Kavita in Hindi – 4
मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम सपनाते हो, अलसाते हो
मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम अपनी कथा सुनाते हो
मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम जीवन साज पे संगत देते
मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम, भाव नदी का अमृत पीते
मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुमने बचपन खेला और बढ़े
हूं वह भाषा, जिसमें तुमने यौवन, प्रीत के पाठ पढ़े
मां! मित्ती का ली मैंने… तुतलाकर मुझमें बोले
मां भी मेरे शब्दों में बोली थी – जा मुंह धो ले
जै जै करना सीखे थे, और बोले थे अल्ला-अल्ला
मेरे शब्द खजाने से ही खूब किया हल्ला गुल्ला
उर्दू मासी के संग भी खूब सजाया कॉलेज मंच
रची शायरी प्रेमिका पे और रचाए प्रेम प्रपंच
आंसू मेरे शब्दों के और प्रथम प्रीत का प्रथम बिछोह
पत्नी और बच्चों के संग फिर, मेरे भाव के मीठे मोह
सब कुछ कैसे तोड़ दिया और सागर पार में जा झूले
मैं तो तुमको भूल न पाई कैसे तुम मुझको भूले
भावों की जननी मैं, मां थी, मैं थी रंग तिरंगे का
जन-जन की आवाज भी थी, स्वर थी भूखे नंगों का
फिर क्यों एक पराई सी मैं, यों देहरी के बाहर खड़ी
इतने लालों की माई मैं, क्यों इतनी असहाय पड़ी।
Hindi Bhasha Par Kavita – 5
हम सबकी प्यारी,
लगती सबसे न्यारी।
कश्मीर से कन्याकुमारी,
राष्ट्रभाषा हमारी।
साहित्य की फुलवारी,
सरल-सुबोध पर है भारी।
अंग्रेजी से जंग जारी,
सम्मान की है अधिकारी।
जन-जन की हो दुलारी,
हिन्दी ही पहचान हमारी।
हिन्दी दिवस पर कविता – 6
हिंदी हमारी आन है, हिंदी हमारी शान है,
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है,
हिंदी हमारी वर्तनी, हिंदी हमारा व्याकरण,
हिंदी हमारी संस्कृति, हिंदी हमारा आचरण,
हिंदी हमारी वेदना, हिंदी हमारा गान है,
हिंदी हमारी आत्मा है, भावना का साज़ है,
हिंदी हमारे देश की हर तोतली आवाज़ है,
हिंदी हमारी अस्मिता, हिंदी हमारा मान है,
हिंदी निराला, प्रेमचंद की लेखनी का गान है,
हिंदी में बच्चन, पंत, दिनकर का मधुर संगीत है,
हिंदी में तुलसी, सूर, मीरा जायसी की तान है,
जब तक गगन में चांद, सूरज की लगी बिंदी रहे,
तब तक वतन की राष्ट्र भाषा ये अमर हिंदी रहे,
हिंदी हमारा शब्द, स्वर व्यंजन अमिट पहचान है,
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
Poem on happy hindi diwas – 7
संस्कृत की एक लाड़ली बेटी है ये हिन्दी,
बहनों को साथ लेकर चलती है ये हिन्दी,
सुंदर है, मनोरम है, मीठी है, सरल है,
ओजस्विनी है और अनूठी है ये हिन्दी,
पाथेय है, प्रवास में, परिचय का सूत्र है,
मैत्री को जोड़ने की सांकल है ये हिन्दी,
पढ़ने व पढ़ाने में सहज़ है सुगम है,
साहित्य का असीम सागर है ये हिन्दी,
तुलसी, कबीर, मीरा ने इसमें ही लिखा है,
कवि सूर के सागर की गागर है ये हिन्दी,
वागेश्वरी के माथे पर वरदहस्त है,
निश्चय ही वंदनीय मां-सम है ये हिंदी,
अंग्रेजी से भी इसका कोई बैर नहीं है,
उसको भी अपने पन से लुभाती है ये हिन्दी,
यूं तो देश में कई भाषाएं और हैं,
पर राष्ट्र के माथे की बिंदी है ये हिन्दी।
14 सितम्बर हिंदी दिवस कविता – 8
वैसे तो हर वर्ष बजता है नगाड़ा,
नाम लूँ तो नाम है हिंदी पखवाड़ा।
हिंदी हैं हम, वतन है हिन्दुस्तान हमारा,
कितना अच्छा व कितना प्यारा है ये नारा।
हिंदी में बात करें तो मूर्ख समझे जाते हैं।
अंग्रेजी में बात करें तो जैंटलमेल हो जाते।
अंग्रेजी का हम पर असर हो गया।
हिंदी का मुश्किल सफ़र हो गया।
देसी घी आजकल बटर हो गया,
चाकू भी आजकल कटर हो गया।
अब मैं आपसे इज़ाज़त चाहती हूँ,
हिंदी की सबसे हिफाज़त चाहती हूँ।।
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बहुत अच्छा लगा आपकी कवितायें पढ़ कर।