पिनोकियो की कहानी | Pinocchio Story In Hindi
बहुत समय पहले की बात है एक छोटे से शहर में एक खिलौने वाला रहता था, जिसका नाम जेपेटो था। जेपेटो बहुत अच्छे खिलौने बनाता और उन्ही को बेचकर अपना गुजारा करता था। जेपेटो निःसंतान था और उसे ये बात हमेशा परेशान करती थी।
एक दिन वह एक जंगल से गुजर रहा था तभी उसे रास्ते में एक लकड़ी का तना मिला।
जेपेटो- “अरे वाह कितना मजबूत तना है इससे तो बहुत अच्छा खिलौना बनेगा”।
जेपेटो वह लकड़ी अपने साथ ले गया।
वह घर जाकर लकड़ी से खिलौना बनाना शुरू करता है। जैसे ही वह खिलौना बनाने लगा लकड़ी से एक आवाज निकली जेपेटो रुका और बोला-“ये कैसी आवाज थी। शायद मुझे कोई गलतफहमी हो गई”।
जेपेटो अपना काम जारी रखता है। फिर से उसे आवाज सुनाई देती है। जेपेटो फिर से सोचने लगता है कि ये आवाज कहाँ से आ रही थी। लेकिन उसने आवाज को अपना वहम समझकर काम पूरा कर लिया।
उस खिलौने को बनाने के बाद कुर्सी पर रखकर जेपेटो साफसफाई करने लगा तभी उसने देखा कि कुर्सी पर रखा खिलौना अपने आप उठकर चलने फिरने लगा और इधर उधर उछलने कूदने लगा ये सब देख जेपेटो बहुत हैरान हुआ। फिर उस खिलौने ने अपना हाथ जेपेटो की तरफ उठाया और कहा “हैलो”।
जेपेटो ये देख बहुत आश्चर्यचकित हुआ उसने भी उससे हाथ मिला लिया। अब जेपेटो और खिलौने की अच्छी दोस्ती हो गई। जेपेटो ने खिलौने को एक इंसान के रूप में देख उसे अपना बच्चा बनाने की सोची। जेपेटो ने खिलौने का नाम पिनोकियो रख दिया इस तरह दोनों खुशी-खुशी साथ रहने लगे।
कुछ दिन बीत गए अब पिनोकियो की विद्यालय जाने की इच्छा हुई लेकिन जेपेटो के पास उसकी किताबे खरीदने के पैसे नहीं थे जिसके कारण उसने अपना कोट बेचकर वो पैसे पनोकियो को दिये पिनोकियो वो पैसे लेकर विद्यालय की तरफ चल दिया।
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रास्ते में उसने देखा कि बहुत भीड़ जमा थी उसने उस भीड़ में जाकर देखा कि वहाँ सर्कस दिखाया रहा था। पिनोकियो की इच्छा अंदर जाकर सर्कस देखने की हुई जैसे ही उसने अंदर जाना चाहा उसे एक आदमी ने रोक लिया और कहा कि अंदर जाने के लिए तुम्हे पैसे देने पड़ेंगें। पिनोकियो बिना सोचे समझे वह पैसे उसे देकर अंदर भाग जाता है।
पिनोकियो मंच पर पुतलों का खेल देखकर बहुत खुश हुआ उससे रहा न गया और वह भी मंच पर जाकर उनके साथ नाचने लगा। सर्कस के मालिक ने देखा कि नकली पुतलों के साथ ये पुतले जैसा बच्चा जो बिना किसी सहायता से नाच सकता है और उछल कूद कर सकता है अगर ये हमारे सर्कस में हो तो बहुत पैसा कमाया जा सकता है। सर्कस खत्म होने के बाद मालिक पिनोकियो को एक पिंजरे में बंद कर देता है।
पिनोकियो बहुत जोर से रोने लगा। उसने कहा-“मैं अपने पिता के पास जाना चाहता हूँ और विद्यालय जाना चाहता हूँ मुझे छोड़ दो”।
उसकी आवाज सुनकर एक परी वहाँ आती है और पिनोकियो से कहती है – “तुम एक अच्छे बच्चे हो और तुम्हें अपनी गलती का एहसास भी है इसलिए मैं तुम्हे ये पैसे देती हूं और तुम्हे इस पिंजरे से आजाद करती हूँ”
परी आगे कहती है कि इन पैसों से तुम अपनी किताबें ही खरीदना और विद्यालय जाना। पिनोकियो वो पैसे लेकर वहाँ से विद्यालय की तरफ जाता है।
अब रास्ते मे पिनोकियो को एक चालाक लोमड़ी और एक बिल्ली मिलती है वो दोनों पैसे देखकर बोलती है कि इन पैसों से तुम क्या करोगें।
पिनोकियो कहता है ये मेरी किताबों के पैसे है।
लोमड़ी कहती है “तुम ये पैसे हमे दे दो हम इन पैसों का एक पेड़ लगा देंगे फिर उससे खूब सारे पैसे उगेंगे तुम्हें जब भी जरूरत हो तुम उस पेड़ से पैसे तोड़ सकते हो।
पिनोकियो भोला था उसने वो पैसे उन्हें दे दिये।
लोमड़ी और बिल्ली दोनों पैसे लेकर भाग गए।
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अब पिनोकियो फिर से रोने लगा उसे देखकर परी वहाँ आती है और कहती है कि “अब तुम्हे क्या हुआ? क्या! तुमने अपनी किताबें खरीद ली?
पिनोकियो इस बार परी से झूठ बोलता है कि उसने किताबें खरीद ली लेकिन परी को तो सच पहले से ही पता होता है। जब वह झूठ बोलता है तो उसकी नाक बड़ी हो जाती है। आखिरकार वह परी को सच बता देता है और परी उसकी नाक ठीक कर देती है।
अब परी उसे फिर से पैसे देती है और कहती है कि अब पैसों का सही इस्तेमाल करके किताबें ही खरीदें।
पिनोकियो वो पैसे लेकर फिर से आगे बढ़ जाता है।समुद्र के पास वाले रास्ते से गुजरते हुए उसे सर्कस का मालिक पकड़ लेता है क्योंकि वह सर्कस से भाग गया था। मालिक पिनोकियो को गुस्से में समुद्र में फेंक देता है।
पिनोकियो डूबा नही क्योंकि वह लकड़ी का था इसलिए वह पानी के ऊपर तैरने का मजा ले रहा था। वह किनारे पर पहुँचने ही वाला था कि अचानक सब तरफ अंधेरा हो जाता है। क्योंकि एक बड़ी मछली ने उसे निघल लिया।
पिनोकियो-“अरे ये इतना अंधेरा क्यों है ये मैं कहाँ पहुंच गया”।
इधर जेपेटो परेशान होकर अपने बच्चे को ढूँढने निकलता है। समुद्र के किनारे जाकर उसने कुछ मछुआरों से पिनोकियो के बारे में पूछा तो उन में से एक ने बताया कि उसने देखा था कि एक आदमी ने बच्चे को पानी में फेंक दिया।
जेपेटो और भी ज्यादा परेशान होकर समुद्र के किनारे पड़ी नाव को लेकर पानी में चला जाता है। और पिनोकियो को ढूंढने लगता है। अचानक से समुद्र में बाढ़ आ जाती है और जेपेटो कि नाव पलट जाती है। जेपेटो को तैरना नही आता था इसलिए वो डूबने लगा तभी वह बड़ी मछली वहाँ आकर जेपेटो को भी खा जाती है। जेपेटो के अंदर जाने पर उसे एक बच्चे के रोने की आवाज आती है। वह देखता है कि पिनोकियो वही पर था और रो रहा था। दोनों पिता-बेटा एक दूसरे को देखकर गले मिल जाते है। तभी वह परी वहाँ आकर दोनों को सुरक्षित घर पहुँचा देती है।
अब पिनोकियो और जेपेटो दोनों खुशी-खुशी साथ मे रहने लगे और पिनोकियो ने अब झूठ बोलना भी बंद कर दिया और वह अच्छा और सच्चा बच्चा बनकर विद्यायल जाता और वापस आने पर अपने पिता की मदद करता था।
एकदिन जब पिनोकियो सो रहा था तो वह परी अपने जादू से उसे पूरी तरह से इंसान का रूप दे देती है।
पिनोकियो जब उठा तो उसने महसूस किया कि उसके शरीर मे कुछ अलग सा लग रहा था। उसने अपने हाथ पैर हिलाये और खुशी से झूम उठा क्योंकि अब उसका शरीर इंसानों के जैसा हो गया, वह दौड़कर जेपेटो के पास गया और जेपेटो को पूरी बात बताई।
जेपेटो पिनोकियो को गले लगाकर कहता है कि अब तुम सचमुच मेरे बेटे हो।
सीख: झूठ बोलने से नुकसान होता है, इसलिए सदैव सच बोलना चाहिए।
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