Pateti festival Essay in Hindi: आज हम पारसी धर्म से जुड़े एक त्यौहार के बारे में आपको बताने जा रहे हैं। हम यहां पर पतेती पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में पतेती के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।
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पतेती पर निबंध | Pateti Festival Essay in Hindi
पतेती पर निबंध (250 शब्दो में)
हमारे देश में सभी धर्मों के लोग निवास करते हैं। जिनमें हिंदू मुस्लिम ,सिख ,ईसाई ,पंजाबी ,पारसी प्रमुख है। कई बहुत से धर्म ऐसे हैं, जिनकी तो जनसंख्या बहुत कम है और कई धर्मों की संख्या हमारे देश में बहुत अधिक है। उन सभी को समान रूप से देखा जाता है और सभी धर्मों का बहुत सम्मान किया जाता है। जिस प्रकार से हिंदू लोग होली, दिवाली ,दशहरा मनाते हैं, मुसलमान ईद मनाते हैं ठीक वैसे ही पारसी धर्म के लोग पतेती त्यौहार मनाते हैं। यह त्यौहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
वैसे तो हमारे भारत में पारसी धर्म के लोगों की संख्या बहुत कम है, फिर भी पतेती त्यौहार को बहुत अच्छे ढंग से भारत में मनाया जाता है। यह त्यौहार पारसी धर्म का प्रमुख त्यौहार होता है। यह त्यौहार प्रतिवर्ष अगस्त के महीने में आता है। पारसी धर्म के सबसे ज्यादा लोग भारत में ही रहते हैं । लगभग आज से 3000 साल पहले पारसी लोग जब ईरान में रहते थे, उस समय धर्म परिवर्तन के कारण अधिकांश लोगों ने अपना पारसी धर्म को त्याग दिया।
धर्म परिवर्तन का विरोध करने वाले पारसी लोगों के खिलाफ अत्याचार किया गया । उस समय पारसी लोग भारत में आ गए थे और अपने उन्होंने धर्म की रक्षा की। इसीलिए भारत में पारसी धर्म के लोगों की जनसंख्या लगभग लाख के करीब है।
पारसी धर्म का नया वर्ष पतेती त्योहार से शुरू होता है। इसको पारसी लोग नवरोज या नफरज भी कहते हैं। पतेती त्योहार के दिन अपनी गलतियों पर पछताने का दिन होता है । सभी लोग पतेती के दिन सारे वर्ष की गलतियों को और किसी के साथ भला बुरा कहने पर माफी मांगते हैं। इस त्यौहार के दिन लोग खुद की गलती को स्वीकार करते हैं।
पतेती पर निबंध (250 शब्दो में)
प्रस्तावना
पतेती त्यौहार की शुरुआत प्राचीन समय से ही हुई है। आज से लगभग 3000 साल पूर्व पहले शाह जमशेद का जलाभिषेक किया गया। इस दिन जमशेदपुर में नए साल की शुरुआत की। इसी कारण इस त्यौहार को पतेती के रूप में मनाते हैं। पारसी कैलेंडर के अनुसार यह त्यौहार हर वर्ष 19 अगस्त को मनाया जाता है क्योंकि यह पारसी कैलेंडर का अंतिम दिन होता है। इस दिन के बाद एक नए साल की शुरुआत हो जाती हैं। भारत प्राचीन समय से ही बहुत परोपकारी रहा है। हमारे देश में अनेक धर्मों को यहां पर शरण दी है, जिसमें से पारसी धर्म भी एक है। तेरहवीं शताब्दी के समय तक तो पारसी लोग काफी संख्या में ईरान में ही रहते थे।
पारसियों का भारत आगमन
1380 में ईरान के शासकों के द्वारा पारसी धर्म के लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए बहुत उकसाया गया। परंतु पारसी धर्म के लोगों ने यह नहीं किया। अपने धर्म की रक्षा के लिए अनेक लोगों को मार तक दिया गया। परंतु कुछ लोगों से तो जबरन धर्म परिवर्तन करवा दिया। इन सब घटना के बाद पारसी लोग भारत में आकर बस से।
भारत दुनियाँ का एक मात्र ऐसा देश है, जहाँ सभी धर्मों के लोग एक साथ मिलजुल कर रहते हैं। इसीलिए भारत के बारे में कहा जाता है कि यहाँ विविधता में एकता है।
पतेती उत्सव कब मनाया जाता है
यह त्योहार अगस्त के महीने में नव वर्ष के रूप में पारसी समुदाय के लोग बड़ी धूमधाम और खुशियों के साथ मनाते हैं। पतेती त्यौहार को नववर्ष नवरोज भी कहा जाता है। पतेती त्यौहार के समय सभी के घरों में एक महीने पहले से तैयारी शुरू हो जाती है क्योंकि यह है त्यौहार पारसी समुदाय के लोगों के लिए बहुत ही खुशियां लेकर आता है।
पतेती त्यौहार क्यों मनाया जाता है
पतेती त्यौहार को पारसी समुदाय के अनुसार 3000 वर्ष पहले ईरान में चाहा जमशेद इस दिन सिंहासन पर बैठे थे और पारसी समुदाय के लोगों ने शाह जमशेद का जलाभिषेक किया उसके बाद सिंहासन पर बैठा है तभी से पारसी समुदाय के लोग इस दिन को नव वर्ष के रूप में मनाते हैं।
पारसी समुदाय के लोग प्रति वर्ष पतेती उत्सव बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं। अग्नि को ईश्वरपुत्र समान और अत्यंत ही पवित्र माना जाता है।अग्यारी में अग्नि की पूजा की जाती है। फारसी में आतिश का अर्थ “अग्नि” होता है।
पतेती त्यौहार कैसे मनाया जाता है
यह त्योहार पारसी समुदायों के लोगों के लिए बहुत खुशियां लेकर आता है। इस त्यौहार की तैयारी लगभग एक महीने पहले से ही शुरू हो जाती है। इस दिन लोग दरवाजे पर रंगोली डिजाइन करते है तथा तोरण और फूल लगाते हैं ।और सभी लोग अपने अपने घरों में मछली, पुलाव, मीठा, रवा ,सेवइयां और भी तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं। पारसी समुदाय में लोग इस दिन पारंपरिक पोशाक दागली पहनते हैं और महिलाएं गारा साड़ी पहनती है। इस उत्सव पर सभी लोग एक जगह इकट्ठे होते हैं। सभी अपनी अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं। सभी लोग कुछ ना कुछ कार्यक्रम करके अपनी अपनी खुशी एक दूसरे के साथ बांटते हैं। एक दूसरे को गले लगाते हैं।अग्यारी में पूजा की जाती है और आग को चंदन समर्पित किया जाता है। इसके बाद पारसी लोग अपने घरों में भी पूजा पाठ करते हैं।
पतेती त्यौहार पर शुभकामनाएं देने का तरीका
पतेती की उत्पत्ति पतित शब्द से हुई है जिसका अर्थ होता है पछतावा। यदि हम किसी को पतेती त्योहार की शुभकामनाएं सही तरीके से देना चाहते हैं तो हमें पहले अपनी शरीर, आत्मा और बुद्धि को पतेती त्यौहार में बताए गए नियमों के अनुसार शुद्ध कर लेना चाहिए। उसके बाद ही हम किसी को पतेती मुबारक कह सकते हैं।
निष्कर्ष
हर धर्म की भांति ही पारसी धर्म को मानने वाले लोग भी अपने रीति-रिवाजों पर बहुत ज्यादा आस्थावान है। भारत के अलावा, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, नेपाल जैसे देशों में पारसी लोग रहते हैं और अपने सभी त्यौहार मनाते हैं। इसीलिए इस पतेती त्यौहार को भारत में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है क्योंकि पारसी धर्म का इस त्यौहार से नव वर्ष प्रारंभ हो जाता है।
अंतिम शब्द
आज के आर्टिकल में हमने पतेती पर निबंध (Pateti festival Essay in Hindi) के बारे में बात की है। मुझे पूरी उम्मीद है, की हमारे द्वारा इस आर्टिकल में जानकारी आप तक पहुंचाई गयी है, वह पसंद आई होगी। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल से सम्बंधित कोई भी सवाल है। तो वह हमें कमेंट में बता सकता है।
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