प्राचीन समय में एक बगदाद नामक शहर हुआ करता था। उस शहर में एक राजा का राज चलता था, जिसका नाम था हारू राशिद। राजा हर मामले में निपुण था, जिसकी वजह से प्रजा भी उसका साथ दिया करती थी और उसके राज में बहुत खुश थी। हारू राशिद का एक भाई भी था, जिससे वह बहुत प्रेम करता था।
जिसके कारण उसने अपने बगदाद शहर में से एक शहर बसरा जिसका राजा अपने भाई को बना दिया था। जिसका नाम जुबैनी था। जुबानी ने दरबार में दो मंत्री रखे थे, जिनका नाम खकान और सुएखाकान था।
खकान बहुत ही सीधा और मेहनती था, लेकिन जितना खकान मेहनती और सीधा था, सुएखकान उसका उल्टा था। वह बहुत दुष्ट और लालची किस्म का इंसान था। एक दिन जुबैनी ने अपने मंत्री से कहा कि मुझे एक लड़की चाहिए, जो देखने में बहुत ही सुंदर और अच्छा संगीत गाती हो और बहुत सारी कलाओं में निपुण हो।
राजा की बात सुनकर उस दुष्ट मंत्री सुएखाकान ने कहा कि ऐसी लड़की के लिए बहुत सारे धन की आवश्यकता होगी। जिसके बाद राजा ने पूछा कि कितने धन की आवश्यकता होगी। जिसके बाद सुएखाकान ने कहा लगभग दस हजार रूपयों की। राजा सुएखाकान को बहुत अच्छी तरह से जानता था।
जिसके कारण उसने खाकान से लड़की का इंतजाम करने के लिए कहा। बहुत दिन गुजर जाने के बाद के बाद खाकान को एक लड़की मिल गई, जिसकी उसको तलास थी। जो देखने में बहुत ही सुंदर और संगीत में बहुत अच्छी और बहुत सी कलाओं में निपुण थी। जिसको खाकान ने एक व्यक्ति से दस हजार रूपए देकर खरीदा था।
लड़की यात्रा करते करते बहुत थक चुकी थी। जिसके बाद उस व्यक्ति ने कहा कि आप इसे कुछ दिनों के बाद राजा के पास ले जाइएगा। पहले आप इसको अच्छे से खाना खिलाइए और थोड़ा स्वस्थ कर लीजिए। थकावट की वजह से यह थोड़ा सा अस्वस्थ हो चुकी है, जिसके बाद खकान ने वही किया, जो उस व्यक्ति ने उससे करने के लिए कहा।
जिसके बाद खाकान ने कहा कि तुम मेरे घर में सुरक्षित रहो, कुछ दिनों बाद में राजा के पास ले चलूंगा। खाकान का एक लड़का भी था, जिसका नाम नूरुद्दीन था। उसने उस दासी जो राजा के लिए पारस देश से आई थी, उससे कहा कि तुम मेरे बेटे से बच कर रहना, वह बहुत ही सुंदर और दुष्ट प्रवृत्ति का है। जिसके बाद उस लड़की ने कहा ठीक है, आप जैसा बोलते हैं वैसा ही होगा।
कुछ समय बाद जब खाकान राजा के पास चला गया। तब उसका लड़का नूरुद्दीन घर आया और घर आकर उसने उस लड़की को देखा। जिसको देखते ही वह पागल हो गया और अपनी माता से पूछने लगा कि यह सुंदर सी कन्या कौन है। जिसके बाद उसकी माता ने बताया कि यह सुंदर सी कन्या राजा के लिए बाहर से आई है।
लड़की की सुंदरता को देखकर उसकी ओर आकर्षित हुआ जा रहा था और मन ही मन सोच रहा था कि मैं इसको अपने साथ कैसे ले जाऊं। जिसके बाद वह रोज घर आता था और उस सुंदर सी कन्या को छुप छुप कर देखा करता था। कन्या भी नूरुद्दीन को देखती थी। कुछ दिनों में जब नूरुद्दीन की मां ने उस पर उस देश से आई हुई दासी को स्नान करने के लिए भेजा, स्नान करने के बाद वह लड़की और भी सुंदर हो गई थी।
जिसके बाद उससे कोई अच्छे ढंग से पहचान नहीं पा रहा था। जिस कारण नूरुद्दीन की मां भी पहचान नहीं पाई थी। उस लड़की ने बताया कि मैं वही हूं, जिसको आप लोग राजा के पास ले जाने के लिए लाए हैं। जिसको देखकर नूरुद्दीन की मां कहने लगी तुम तो वाकई में बहुत सुंदर हो।
जिसके बाद वह खुद भी स्नान करने के लिए चली गई। जैसे ही नूरुद्दीन की मां स्नान करने के लिए गए वह तुरंत उदासी के पास पहुंच गया और उसने तुरंत सुंदर सी लड़की का हाथ पकड़ लिया। जिसके बाद वह उसे एक कमरे में ले गया। वहां पर उसने उसके साथ संभोग किया। जिसके बाद नौकरानी रोते हुए नूरुद्दीन की मां के पास गई, उनको पूरी घटना के बारे में बताया।
सारी बातें को सुनने के बाद नूरुद्दीन की मां बहुत ही डर गई और उस लड़की से कहने लगी कि कलमुही तूने यह क्या कर दिया। मैंने और मेरे पति ने तुमको बोला था कि मेरे लड़के से दूर रहना। जिसके बाद भी तुमने हमारी बात नहीं मानी और तुमने यह कांड कर दिया।
अगर यह बात हमारे पति को पता चलेगी तो वह हम लोगों को जान से मार देंगे। जिसके बाद उस लड़की ने कहा कि मेरी कोई गलती नहीं है, आपके बेटे ने ही मुझसे कहा था कि मैं तुमको राजा के पास नहीं जाने दूंगा और तुम से विवाह कर लूंगा। जिसके बाद मैंने यह सब किया है और मैं भी उस राजा के पास नहीं जाना चाहती हूं।
मैं इस से विवाह करना चाहती हूं। कुछ देर बाद जब खाकान राज महल से वापस आया तब उसने अपनी पत्नी को रोता हुआ देखकर उससे पूछा कि क्या हुआ। तब उसकी पत्नी ने अपने लड़के की सारी करतूत के बारे में बता दिया। जिसके बाद खाकान बहुत जोर जोर से रोने लगा और कहने लगा कि मैंने इस लड़की को मना किया था फिर भी नहीं मानी।
अगर यह बात राजा को पता चलेगी तो वह हम लोगों को दंड के रूप में मृत्युदंड दे देगा और अगर यह बात सुएखाकान को पता लगी तुरंत जाकर महाराजा को बता देगा, जिसके बाद वह हम लोगों को मृत्यु दंड देंगे।
जिसके बाद वह लड़की को कोसने लगा कि अगर नूरुद्दीन मेरे हाथ लग गया तो मैं उसे जान से मार दूंगा, जिसने हमें कहीं का नहीं छोड़ा है। जिसके बाद खाकान की पत्नी ने कहा कि हमारे लड़के से इतनी बड़ी गलती नहीं हो गई है, जिसकी सजा आप उसे दे रहे हैं। अभी लड़का है, लड़कों से गलती होती रहती है।
आप अपने महाराजाओं को कोई और दासी लाकर दे देना। बोल देना कि वह लड़की जो पारस देश से आई थी, वह आपके लिए सही नहीं थी। पत्नी की बात मानकर खाकान ने नूरुद्दीन की शादी पारस देश से आई हुई लड़की के साथ करवा दी और वह दोनों खुशी से अपना जीवन व्यतीत करने लगे।
कुछ समय बीतने के बाद जब खाकान की तबियत अचानक से खराब हो जाने के कारण खाकान का निधन हो गया। नूरुद्दीन ने अपने पिता का अंतिम संस्कार बहुत धूमधाम से किया। अपने पिता के निधन के कुछ समय बीतने के बाद नूरुद्दीन दोस्तों की बुरी संगत में पड़ गया।
धीरे-धीरे सारा धन अपने दोस्तों में उड़ाना शुरू कर दिया। बहुत से दोस्तों ने उससे उसके मकान भी अपने नाम करवा लिए। नूरुद्दीन की पत्नी ने यह सब देखते हुए कहा कि तुम अपनी दोस्तों की संगति कम कर दो। जिसके बाद भी नूरुद्दीन ने अपनी पत्नी की बात नहीं मानी और दोस्तों के साथ बुरी संगत में पड़ा रहा।
देखते ही देखते कुछ समय में नूरुद्दीन के पास सारा धन समाप्त हो गया। जिसके बाद उसके पास खाना खाने के लिए भी पैसे नहीं थे। जब नूरुद्दीन ले अपने दोस्तों से कुछ पैसे की मदद मांगी तो सभी दोस्तों ने उसे दुत्कार कर भगा दिया, किसी ने भी उसकी मदद नहीं की।
वह उदास होकर अपने घर गया। जिसके बाद उसकी पत्नी ने कहा कि अब हमारे पास एक ही रास्ता है। अब तुम हमको बाजार में भेज दो। चलकर जैसे तुम्हारे पिताजी ने हमको खरीदा था। तुमको कुछ पैसे मिल जाएंगे, जिससे तुम खूब सारा धन कमा कर वापस मुझे खरीद लेना। लेकिन नूरुद्दीन ने कहा मैंने अपने पिताजी से वादा किया है कि मैं तुम्हें किसी को नहीं बेचूंगा।
जिसके बाद उसकी पत्नी के जोर देने के बाद नूरुद्दीन ने बाजार में जाकर अपनी पत्नी को बेचने के लिए कई दलाल से कहा। जिसके बाद एक दलाल ने नूरुद्दीन की पत्नी को बेचने के लिए बोली लगानी शुरू की। बोली लगाते समय अचानक से वहां पर सुएखाकान आ गया।
उसने भी बोली लगाई। जिसके बाद नूरुद्दीन के दलाल ने जाकर नूरुद्दीन को बताया कि आपके दूसरे मंत्री सुएखाकान ने आपकी पत्नी को खरीदने के लिए बोली लगाई है। क्या आप उनको बेचना चाहते हैं? जिसके बाद नूरुद्दीन ने अपनी पत्नी को बेचने के लिए मना कर दिया और कहने लगा कि मैं उस इंसान को अपनी पत्नी भी नहीं दूंगा।
जिसके बाद उस दलाल ने सुएखाकान से आकर मना कर दिया कि मेरा मालिक तुमको यह लड़की नहीं देगा। दलाल की बात सुनने के बाद सुएखाकान बहुत क्रोधित हुआ और उसने नूरुद्दीन से जाकर लड़ाई करना शुरू कर दी और देखते ही देखते थोड़ी देर में दोनों के बीच में बहुत हाथापाई शुरू हो गई।
जिसके बाद नूरुद्दीन ने सुएखाकान को बहुत मारा और अपनी पत्नी को लेकर वहां से चला गया। जिसके बाद सुएखाकान तुरंत दौड़ता हुआ महाराजा के पास पहुंचा और महाराजा को नूरुद्दीन और उसकी पत्नी के बारे में खूब बढ़-चढ़कर बता दिया।
जिससे क्रोध होकर राजा ने तुरंत दोनों को बंदी बनाने का निर्णय लिया। जिसके बाद वहां पर मौजूद एक व्यक्ति ने जाकर तुरंत नूरुद्दीन और उसकी पत्नी को महाराजा द्वारा दिए गए आदेश को तुरंत बता दिया। जिसके बाद नूरुद्दीन ने अपनी पत्नी के साथ वहां से भाग कर अपनी जान बचाते हुए नदी के रास्ते होते हुए बगदाद पहुंच गया।
कुछ देर इधर-उधर भटकने के बाद वह दोनों राजा हारु रसीद के बगीचे में पहुंच गए। ज्यादा थकावट होने के कारण जहां पर पहुंचकर कर उन लोगों ने आराम किया। आराम करते हुए थोड़ी देर में वहां पर उस बगीचे का मालिक आ गया। उसने दोनों को सोता देख तुरंत उनके पास गया और कहने लगा तुम लोग कौन हो?, कहां से आए हो?, यहां क्या कर रहे हो?
जिसके बाद दोनों ने बताया कि मैं बाहर देश से आये है। ज्यादा थक जाने के कारण मैंने सोचा मैं यहां आराम कर लूं। जिसके बाद उस बगीचे के मालिक ने दोनों से कहा कि ठीक है, अगर तुम दोनों को आराम करना है तो तुम लोग मेरे साथ चलो, मैं तुमको अच्छी जगह पर सोने के लिए जगह दे देता हूं।
जिसके बाद में दोनों उस बगीचे के मालिक के साथ चल दिए। थोड़ी ही देर में बगीचे के मालिक ने उन लोगों को खाने के लिए बहुत कुछ दिया और पीने के लिए शराब दी। जिसके बाद नूरुद्दीन और उसकी पत्नी नशे में हो गए और खूब मजे करने लगे। थोड़ी ही देर में जब महाराज हारू राशिद ने अपनी खिड़की से झांक कर देखा तो उन्होंने देखा कि बगीचे में बहुत सी हलचल हो रही हैं।
जिसको ध्यान से देखने के बाद महाराज को पता लगा कि वहां पर बगीचे का मालिक जिसको महाराज ने बगीचे का जिम्मा सौंपा था और एक लड़का और सुंदर स्त्री जिसके साथ वह आनंद करने में लगा है, जिसको देखकर महाराज बहुत आश्चर्यचकित हो गए। उन्होंने यह दृश्य अपनी आंखों के सामने देखने का निर्णय लिया।
जिसके बाद उन्होंने एक मछुआरे का भेष रखकर अपने बगीचे के अंदर गए। मछुआरे के भेष में होने के कारण कोई उन्हें पहचान नहीं पाया। जिसके बाद उन्होंने वहां पर सभी को मछलियां खिलाना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में जब महाराज की नजर नूरुद्दीन की पत्नी पर पड़ी तो वह उसे देखकर मोहित हो गए।
जिसके बाद नूरुद्दीन की पत्नी ने उनको गाना सुनाना शुरू कर दिया। नूरुद्दीन की पत्नी का गाना सुनकर महाराज बहुत प्रसन्न हो गए। जिसके बाद उन्होंने नूरुद्दीन को दो मछलियां और खिलाई। जिससे नूरुद्दीन बहुत खुश हुआ और उसने खुश होकर मछुआरे को अपनी पत्नी सौंप दी।
जिसके बाद महाराज ने नूरुद्दीन को एक पत्र लिख कर दिया, जिसमें लिखा था कि बसरा का राजा नूरुद्दीन को बना दिया जाए। उस पत्र को लेकर नूरुद्दीन वापस अपने शहर बसरा चला गया और वहां जाकर उसने उस पत्र को अपने शत्रु सुएखाकन को दे दिया और कहने लगा कि जाकर अपने राजा को दे दो। सुएखाकन ने जैसे ही पत्र पढ़ा, बहुत आश्चर्यचकित हो गया।
उसने नूरुद्दीन से कहा ठीक है, मैं यह पत्र राजा को दे दूंगा। लेकिन उसने उस पत्र में कुछ गड़बड़ी कर दी और उसको ले जाकर राजा को दे दिया। जिसके बाद राजा ने पत्र पढ़ा और उस पत्र को झूठा समझ कर नूरुद्दीन को बंदी बनाकर कारागृह में डाल दिया।
कुछ समय बाद सबके सामने उसको जान से मारने का निर्णय लिया। जिसके बाद जब नूरुद्दीन को मारने के लिए सबके सामने लाया गया। जैसे ही उस पर जान से मारने के लिए वार किया जाने लगा तभी अचानक से वहां पर नूरुद्दीन की पत्नी एक बड़ी फौज लेकर वहां पर आ गई।
उसने अपनी पति को बचाते हुए और वहां के राजा जुबैनी और सुएखाकन को बंदी बनाकर बगदाद के महाराजा हारू रशीद के पास ले गई। वहां पर उन्होंने नूरुद्दीन और उसकी पत्नी के साथ न्याय करते हुए नूरुद्दीन को बसरा शहर का राजा बना दिया और जुबैनी और सुएखाकन को कठोर दंड देने की आज्ञा सुना दी।
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