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नाई के तीसरे भाई अंधे बूबक की कहानी (अलिफ लैला की कहानी)

नाई के तीसरे भाई अंधे बूबक की कहानी (अलिफ लैला की कहानी) | Nayi Ke Teesre Bhai Andhe Boobak Ki Kahani Alif Laila Ki Kahani

दोस्तों नमस्कार अलिफ लैला की कहानी की  श्रृंखला में आज आपके सामने लाएं है अलिफ लैला की नाई के तीसरे भाई अंधे बूबक की कहानी। आप इस कहानी को अंत तक जरूर पढ़िए।

एक नगर में एक बहुत ही प्रसिद्ध नाई रहा करता था, जो नए-नए तरीके से लोगों के बाल काटा करता था और उस नाई के छह भाई, थे जो आपस में बहुत प्रेम से रहा करते थे। एक दिन नाई अपने तीसरे भाई की कहानी सुना रहा था। नाई ने बताया कि मेरे तीसरे भाई का नाम बबूक था और वह देख नहीं सकता था और उसने अपने जीवन में बहुत सारी ठोकरें खाई थी। वह भीख मांग करके अपना जीवन यापन किया करता था।

उसका भीख मांगने का भी अपना एक अलग अंदाज था। वह भीख मांगने के लिए किसी के भी घर जाता था तो, वह घर के दरवाजे को खटखटा कर चुपचाप खड़ा हो जाया करता था और किसी के कुछ बोलने पर भी वह उनका उत्तर नहीं दिया करता था और जो भी व्यक्ति उसको कुछ भी दान में देता था वह खुशी-खुशी उसको स्वीकार कर लेता था और आगे चला जाता था ।

Nayi Ke Teesre Bhai Andhe Boobak Ki Kahani Alif Laila Ki Kahani
Image: Nayi Ke Teesre Bhai Andhe Boobak Ki Kahani Alif Laila Ki Kahani

एक दिन जब वह भीख मांगते मांगते एक ऐसे व्यक्ति के घर में पहुंचा, जहां पर वह व्यक्ति अपने घर में अकेला रहा करता था। किसी से मतलब नहीं रखता था। जब मेरे भाई ने भीख मांगने के लिए उस व्यक्ति के घर के दरवाजे को खटखटाया तो अंदर से उस व्यक्ति ने पूछा कि कौन है? लेकिन मेरे भाई ने कोई उत्तर नहीं दिया ।

और एक बार फिर से दरवाजे को खटखटाने लगा लेकिन एक बार फिर से अंदर से उस व्यक्ति ने आवाज लगाई कौन है? लेकिन मेरा भाई फिर से कुछ ना बोला और दरवाजे को कस कस के खटखटाने लगा। जिसके थोड़ी देर बाद अंदर से वह व्यक्ति बाहर आया और उसने मेरे भाई से कहा की तुम हो कौन और तुम यहां क्या कर रहे हो?

उस व्यक्ति के पूछने पर मेरे भाई ने उत्तर दिया की मैं एक भिखारी हूं जो सभी के घर जा जाकर भीख मांगता हूं। जिसके बाद उस व्यक्ति ने कहा कि तुमको देख कर लग रहा है कि तुम देख नहीं सकते हो क्या यह सच है?

जिसके बाद मेरे भाई बबूक ने कहा कि जी हां मैं अंधा हूं मैं देख नहीं सकता हूं। जिसके बाद उस व्यक्ति ने मेरे भाई बबूक से कहा कि तुम अपना हाथ आगे बढ़ाओ। जैसे ही मेरे भाई ने अपना हाथ आगे बढ़ाया उस व्यक्ति ने उसको अपनी ओर खींच लिया ।

उसने कहने लगा तुम लोगों से भीख मांगते हो और भीख मांगने के बदले में उन लोगों को कुछ देते भी होगे जिसके बाद मेरे भाई बबूक ने कहा नहीं मैं सिर्फ भीख मांगता हूं और कुछ देता नहीं है। जिसके बाद व्यक्ति ने कहा कि जाओ मेरे पास कुछ नहीं है। तुम यहां से चले जाओ।

उस व्यक्ति की बात सुनकर बबूक ने उससे कहा तुम मुझे नीचे तक इन सीढ़ियों से उतार दो। लेकिन दुष्ट व्यक्ति ने बबूक को सीढ़ियों से उतारने से मना कर दिया और कहने लगा तुम खुद ही उतर जाओ।

जैसे ही बबूक के नीचे उतरने लगा तो, उसका पैर फिसल गया है जिसके कारण वह सीढ़ियों से गिर गया और उसको बहुत चोट आ गई। चोट के कारण बबूक को असहनीय दर्द हो रहा था, जिसके बाद वह उस दर्द को सहलाते हुए आगे की ओर भीख मांगने चला गया। थोड़ी दूर चलने के बाद बबूक के कई दोस्त उसको रास्ते में मिल गए जो वह भी देख नहीं सकते थे और बाबू के साथ ही भी भीख मांगा करते थे।

तभी बबूक ने उनको अपने ऊपर हुई दुर्घटना के बारे में बताया और कहने लगा कि चलो हम लोगों के पास जो पैसा इकट्ठा हुआ है उससे कुछ खाने के लिए ले लेते हैं और अपने कमरे में चलते हैं।

बबूक और बबूक के दोस्त खाना लेकर जब अपने घर जा रहे थे, जहां पर उन्होंने भीख मांग मांग कर कुछ पैसा एकत्र किया था। तभी अचानक से उनके पीछे पीछे वह दुष्ट व्यक्ति भी आने लगा जिसने बबूक के के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया था। वह व्यक्ति कोई आम व्यक्ति नहीं था वह बहुत बड़ा चोर था, जो बबूक और उनके दोस्तों के साथ उनके पीछे-पीछे उनके घर के अंदर आ गया था।

तभी मेरे भाई ने एक अंधे दोस्त से कहा जाओ तुम गेट बंद करके आओ। आज हम लोग उन पैसों का बंटवारा कर लेते हैं जिसको तुम दोनों ने मेरे पास संभाल कर रखने के लिए दिए थे, जो लगभग चालिस हज़ार चांदी  के सिक्के समान थे और ऐसा बोल कर थोड़ी देर में बबूक उन सिक्कों से भरे एक बैग को ले आया और अपने दोस्तों के सामने रख दिया और कहने लगा चलो इनको गिनना शुरु करते हैं।

जिसके बाद उसके दोस्तों ने सिक्कों को गिनने से मना कर दिया और कहने लगे दोस्त हमें तुम पर पूरा भरोसा है। तुम इन सिक्कों को मत गिनो और इनको अभी तुम अपने पास ही रख दो। वक्त आने पर हम इसको वापस ले लेंगे अपने दोस्तों की बात को सुनकर उन सिक्कों से भरे बैग को वापस अपनी जगह रख आया और बैठकर तीनों दोस्त आपस में खाना खाने लगे।

बबूक और उसके दोस्तों को खाना खाते देख वहां पर छुपे उस चोर को भी भूख लगने लगी और वह भी रोटी चुरा चुरा कर उनसे खाने लगा। जैसे ही वह चोर खाना खाई रहा था, तभी उसके खाना को चबाने की आवाज मेरे भाई और उसके दोस्तों तक पहुंच गई।

जिसके बाद बबूक और उसके दोस्तों को शक हुआ कि हमारे साथ यहां पर कोई और व्यक्ति भी है। तभी बबूक और उसके दोस्तों ने उस चोर को पकड़ कर उसकी पिटाई करना शुरू कर दिया और जोर जोर से चिल्लाने लगे हमारे घर में चोर घुस गया है। चिल्लाने की आवाज सुनकर आसपास में मौजूद सभी व्यक्ति बबूक के घर आ गए।

बहुत सारे व्यक्तियों को देखकर वह चोर डर गया और उसने अपनी जान बचाने के लिए अंधे बनने का नाटक करना शुरू कर दिया। जिसके बाद वहां पर आए व्यक्तियों ने बबूक से पूछा यहां पर क्या हो रहा है? और तुम इतनी कस कस के क्यों चिल्ला रहे थे? तभी बबूक ने बताया कि यह चोर है, जो हमारा धन चुराने आया है जिसके बाद उस चोर ने कहा कि नहीं नहीं ऐसा नहीं है ।

हम चारों देख नहीं सकते हैं। हम लोगों ने जो पैसा कमाया है हम लोग यहां पर उसके बंटवारे के लिए बैठे थे। लेकिन यह लोग अब वह पैसा मुझे नहीं दे रहे हैं इसके बाद वहां पर उपस्थित सभी लोगों ने इन चारों लोगों को अपने आसपास बने हुए पुलिस थाने ले गए जिसके बाद वहां पर उस चोर ने दरोगा साहब को बताया कि साहब हम लोग चोर हैं और हम लोगों ने बहुत मेहनत से पैसा कमाया है।

जिसको एक जगह इकट्ठा करके रखा था और जब हम लोगों ने उस का बंटवारा किया। तब इन लोगों ने मेरा पैसा देने से मना कर दिया है। मेरे भाई ने कहा कि साहब यह झूठ बोल रहा है लेकिन दरोगा साहब ने मेरे भाई की एक बात भी नहीं मानी और सभी को मारने लगे मार पड़ने के कुछ देर बाद उस चोर मैं अपनी सच्चाई बता दी ।

और अपने साथ-साथ मेरे भाई और उनके दोनों दोस्तों को भी फंसा दिया कहने लगा कि सरकार हम लोग अंधे नहीं हैं। अंधे होने का नाटक कर रहे हैं जिस पर मेरे भाई बबूक और उनके दोस्तों ने दरोगा जी से कहा कि सरकार यह झूठ बोल रहा है। हम लोग सच में देख नहीं सकते हैं लेकिन दरोगा साहब में मेरे भाई की एक बात भी नहीं सुनी ।

और इस पूरी दुर्घटना को काजी के सामने ले जाने के लिए कहा जहां पर काजी को भी उस चोर ने अपनी बातों से उलझा दिया। उस काजी ने यह फैसला लिया कि चालिस हजार चांदी के सिक्कों में से दस हजार चांदी के सिक्के इस चोर को दे दिए जाएं और उसके बाद इसको हमारे देश से निकाल दिया जाए। कुछ समय बाद जब मुझे मेरे भाई के साथ हुए इस अन्याय के बारे में पता लगा ।

तब मैंने अपने भाई और उनके दोस्तों को ले जाकर काजी के सामने खड़ा कर दिया और उनको सारी सच्चाई के बारे में बता दिया जिसके बाद काजी ने मेरे भाई और उनके दोस्तों के साथ न्याय करते हुए उस चोर को वापस बुलवा कर उससे सारा धन ले लिया और उसको जेल भेज दिया।

दोस्तों उम्मीद करते हैं आपको यह कहानी रोचक लगी होगी ऐसे बहुत ही कहानियां है जो हमारी वेबसाइट में उपलब्ध हैं। आप इन्हें पढ़ सकते हैं और अपने बच्चों आदि को पढ़ा कर उनका मनोरंजन करवा सकते हैं और इस कहानी को साझा कर हमारा हौसला अफजाई कर सकते हैं और कहानी से संबंधित आपका यदि कोई भी प्रश्न है तो आप कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते हैं।

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