नाई के छठे भाई कबक की कहानी (अलिफ लैला की कहानी) | Nayi Chhathe Bhai Kabak Ki Kahani Alif Laila Ki Kahani
हेलो दोस्तों नमस्कार अलिफ लैला की कहानियों की श्रृंखला में आपका स्वागत है। आज हम आपके लिए अलिफ लैला की प्रसिद्ध नाई के छठे भाई कबक की कहानी – अलिफ लैला को लेकर आएं हैं। आप इस कहानी को अंत तक पढ़िएगा।
नाई ने अपने पांचों भाइयों की कहानी सुनाने के बाद अपने छठवें भाई की कहानी सुनाना शुरू किया और कहने लगा कि मेरा छठवां भाई बहुत मेहनती है। पिताजी के निधन के बाद पिताजी ने जो पैसे सभी को दिए थे उसने उन पैसों का इस्तेमाल सही जगह किया और एक व्यापार खोला, जिससे उसने बहुत पैसा कमाया। मेरे भाई का नाम का कबक था लेकिन कुछ समय बाद मेरे भाई कबक को व्यापार में बहुत नुकसान हुआ, जिसके कारण उसकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई।
जिसके कारण उसने पैसे कमाने के चक्कर में इधर से उधर भटकना शुरू कर दिया और फिर उसने बड़े-बड़े राजा महाराजाओं के महल जाकर उनसे भीख मांगना शुरू कर दिया। वहां जाकर बाहर खड़े नौकरों को कुछ पैसे दे दिया करता था, जिसके कारण महलों के बाहर खड़े नौकर उसको अंदर जाने दिया करते थे। जिसके बाद मेरा भाई का कबक अंदर जाकर बड़े बड़े अमीर व्यक्तियों से भीख मांगा करता था और अपना जीवन यापन करता था।
एक दिन जब वह भीख मांगने के लिए इधर-उधर घूम रहा था। कुछ देर घूमने के बाद उसको एक बहुत अमीर व्यक्ति का बहुत बड़ा महल दिखाई दिया और वहां पर उसने देखा महल के अंदर बहुत सारे नौकर काम कर रहे हैं। तभी मेरे भाई कबक ने उस महल में काम कर रहे नौकरों से पूछा कि यह किसका महल है? और यहां के मालिक का क्या नाम है?
तभी एक नौकर ने उत्तर दिया कि तुम बाहर से आए हो क्या? जो तुम हमारे मालिक को जानते नहीं हो। जिस पर मेरे भाई ने कहा हां मैं बाहर से आया हूं। तभी उस नौकर ने बताया यह महल एक बहुत ही अमीर व्यक्ति जाफर बरमकी का है, जो बहुत ही भोले और दयालु है। तभी मेरे भाई कबक ने उन नौकरों से पूछा की क्या तुम्हारा मालिक मुझे भीख दे सकता है? तभी उस अमीर व्यक्ति के नौकरों ने कहा हां बिल्कुल मेरा मालिक तुम्हें जरूर भीख देगा ।
जिसके बाद उस महल के महाराजा ने मेरे भाई कबक से कहा की अभी तक हम लोगों ने खाने को लेकर जो मजाक किया है। चलो उसको सच में करते हैं। उसने सभी नौकरों को आदेश दिया कि जाओ वह सारा व्यंजन लेकर आओ। जो जो अभी हम लोग मजाक मजाक में खा रहे थे।
तभी महाराजा के सभी नौकरों ने वह खाना लाकर उनके सामने रख दिया। जिसके बाद महाराजा ने मेरे भाई कबक से कहा कि तुम इन स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ उठाओ। मेरे भाई ने उन व्यंजनों को खाना शुरु कर दिया। खाना खाने के बाद महाराजा ने मेरे भाई को नए कपड़े भी दिए और इतना ही नहीं उन्होंने मेरे भाई को अपने महल में रख लिया।
उसके नाम अपनी सारी संपत्ति कर दी। कुछ ही दिनों में महाराजा का निधन हो गया। उस महाराजा के लड़के ने मेरे भाई से सारी संपत्ति छीन ली और उसको लात मार कर बाहर निकाल दिया। जिसके बाद मेरा भाई व्यापार करने के लिए कई समुद्र के व्यापारियों के साथ बाहर चला गया। लेकिन रास्ते में कई गुंडों ने सभी समुद्र के व्यापारियों पर आक्रमण कर दिया और उनको लूट कर अपना बंदी बना लिया।
उनको किसी और को बेच दिया। उसने मेरे भाई के साथ बहुत अत्याचार किए और उसके होठ तक फाड़ डाले और उससे बहुत बहुत सारा काम करवाना शुरू कर दिया। लेकिन जब वह व्यक्ति कहीं बाहर लूटपाट करने जाया करता था तो, वह अपनी सुंदर पत्नी का जिम्मा मेरे ऊपर छोड़ के जाया करता था।
उसकी पत्नी मेरे भाई बहुत ध्यान रखती थी और धीरे-धीरे उसको मेरे भाई से बहुत प्रेम हो गया था। एक दिन वह व्यक्ति कहीं बाहर लूटपाट करने के लिए कहीं बाहर चला गया तभी उसकी पत्नी ने मेरे भाई कबक के साथ संभोग करने लगी। तभी अचानक से वह व्यक्ति आ गया और उसने मेरे भाई और उसकी पत्नी को आपत्तिजनक स्थिति में पाकर उसने मेरे भाई को ऊंट पर बैठा कर बहुत ऊंचे पहाड़ पर छोड़ दिया।
मेरा भाई भूख प्यास से इधर-उधर भटकने लगा और थोड़े ही दिनों में संघर्ष करता हुआ है पहाड़ से नीचे आ गया और सभी उसने देखा कि बहुत से लोग वहां से गुजर रहे हैं और बगदाद की ओर जा रहे हैं। तभी मेरे भाई ने उनको सारी बात बताते हुए उन्हीं के साथ बगदाद आ गया और बगदाद आने के बाद उसने मुझे सारी बात बताई।
नाई ने कहा कि यह सब कथाएँ सुन कर खलीफा बहुत हँसा। उसने मुझे अच्छा इनाम दिया और गंभीर व्यक्ति का खिताब दिया। लेकिन कहा कि तुम बगदाद से निकल जाओ। कुछ वर्षों बाद मैंने सुना कि खलीफा का देहांत हो गया है इसलिए अपने घर वापस आया।
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