मुरारी शब्द में समास (Murari Mein Kaun sa Samas Hai)
मुरारी में प्रयुक्त समास का नाम क्या है?
मुरारी में बहुब्रीहि समास है।
Murari Mein Kaun sa Samas Hai?
Murari Shabd mein Bahuvrihi Samas Hai.
मुरारी का समास विग्रह क्या है?
मुरारी का समास विग्रह वह जो मुर राक्षस का शत्रु है अर्थात् कृष्ण
Murari ka Samas Vigrah kya hai?
Murari ka Samas Vigrah Veh jo mur rakshas ka shatru hai arthath krishan
वह जो मुर राक्षस का शत्रु है अर्थात् कृष्ण का समस्त पद है?
मुरारी
बहुब्रीहि समास की परिभाषा
बहुब्रीहि समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं। यहां पर दोनों पद मिलकर किसी अन्य पद के महत्व को दर्शाते हैं, जहां पर दोनों पदों का महत्त्व ना हो और तीसरे पद को महत्व दिया जाता हो, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
बहुव्रीहि समास में दोनों पद अप्रधान होते हैं। उदहारण के लिए जैसे- दशानन इसका अर्थ है दस है मुख जिसके अर्थात् रावण, यहां पर रावण मुख्य पद के रूप है।
बहुब्रीहि समास में कौन सा पद प्रधान होता है?
बहुब्रीहि समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं, यहां दोनों पद अप्रधान होते हैं। इनके द्वारा बनने वाला तीसरा पद प्रधान होता है, जिसमें दोनों पद प्रधान नहीं हो, बहुब्रीहि समास के अंतर्गत आयेंगे।
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कुछ अन्य उदहारण
- पुण्डरीकाक्ष – कमल के समान आँखें है जिसकी
- वक्रतुण्ड – वक्र है तुण्ड जिसकी -गणेश
- त्नगर्भा – वह जिसके गर्भ में रत्न हैं -पृथ्वी
- रतिकांत – वह जो रति का कांत पति है -कामदेव
- रघुपति – वह जो रघु के पति हैं -राम
- पद्मासना – पद्म है आसन जिसका
- नीलकण्ठ – नीला है कण्ठ जिसका
- रेवतीरमरण – वह जो रेवती के साथ रमण करते हैं -बलराम
- राजरोग – रोगों में राजा -असाध्य रोग, यक्ष्मा
बहुब्रीहि समास का विग्रह
समस्त पद | विग्रह |
शेषशायी | जो शेष नाग पर शयन करते हैं अर्थात विष्णु |
विषधर | जिसने विष का पान किया है अर्थात शिव |
रतिकांत | वह जो रति का पति है अर्थात – कामदेव |
मंदोदरी | जिसका उदर मंद हो वह स्त्री अर्थात – रावण की पत्नी |
इन सभी पदों में बहुब्रीहि समास का विग्रह आता है। यदि यहां दोनों पद मुख्य होते तो यह बहुब्रीहि समास नहीं कहलाता।
समानाधिकरण बहुव्रीहि समास
इसमें सभी शब्द कर्ता कारक की विभक्ति के होते हैं लेकिन समस्त पद के द्वारा जो अन्य उक्त होता है वो कर्म, करण, संप्रदान, अपादान, संबंध, अधिकरण आदि विभक्तियों में भी उक्त हो जाता है, उसे समानाधिकरण बहुव्रीहि समास कहते हैं। जैसे:-
- जितेंद्रियां: जीती गई इंद्रियां है जिसके द्वारा
- दत्तभोजन: दत्त है भोजन जिसके लिए
- कलहप्रिय: कलह है प्रिय जिसको
- दत्तधन: दिया गया है धन जिसके लिए
- पीताम्बर: पीत है अम्बर जिसका
- चौलड़ी: चार हैं लड़ियाँ जिसमें
ऊपर उदाहरण के रूप में जो वाक्य दिए गए हैं, इन वाक्य में आप देख सकते हैं कि इस वाक्य का समास करने पर कर्ता कारक की विभक्ति होती है। अतः यह उदाहरण समानाधिकरण बहू बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आएंगे।
व्याधिकरण बहुव्रीहि समास
समानाधिकरण समास में दोनों पद कर्ता कारक की विभक्ति के होते हैं लेकिन यहां पहला पद तो कर्ता कारक की विभक्ति का होता है, बाद वाला पद संबंध है या अधिकरण कारक का होता है, इसे व्याधिकरण बहुव्रीहि समास कहते हैं। जैसे:-
- शूलपानणि: शूल है पाणि में जिसके
- वीणापाणि: वीणा है पाणि में जिसके
- चन्द्रशेखर: चन्द्र है शेखर पर जिसके
ऊपर दिए गए उधर ने देख सकते हैं कि जब वाक्य का समास किया जाता है तो कर्ता कारक की विभक्ति होती है और पहला पद कर्ता कारक में विभक्त होता है व दूसरा शब्द अधिकरण कारक मे विभक्त होता है। अतः यह उदाहरण व्याधिकरण बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आएगा।
तुल्ययोग बहुव्रीहि समास
जिसमें पहला पद “सह” होता है, वह तुल्ययोग हो बहुव्रीहि समाज कहलाता है। “सह” का अर्थ होता है साथ समास होने की वजह से “सह” के स्थान पर केवल ‘स’ जाता है।
इस समास में इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि विग्रह करते समय जो दूसरा वाला शब्द प्रतीत हो वह समास में पहला पद हो जाता है। जैसे:-
- सपरिवार: जो परिवार के साथ है।
- सबल: जो बल के साथ है।
व्यतिहार बहुव्रीहि समास
जिससे घात या प्रतिघात की सूचना मिले, उसे व्यतिहार बहुव्रीहि समास कहते हैं। इस समास में यह प्रतीत होता है कि इस चीज से और उस चीज से लड़ाई हुई है। जैसे:-
- मुक्कामुक्की: मुक्के-मुक्के से जो लड़ाई हुई
- लाठालाठी: लाठी-लाठी से जो लड़ाई हुई
ऊपर दिए गए इन उदाहरण में घात और प्रतिघात की सूचना मिल रही है। अथवा इन सभी उदाहरण को व्यतिहार बहुव्रीहि समास के अंतर्गत रखा जाएगा।
महत्वपूर्ण शब्दों में समास और समास विग्रह