एक समय की बात है। बगदाद के खलीफा हारू हमेशा की तरह रात को वेश बदल कर प्रजा के हालचाल जानने हेतु निकल पड़े लेकिन उस दिन उसके साथ मंत्री जाफर भी थे। घूमते हुए वे नदी के किनारे पहुंचे, जहां पर एक मछुआरा रात के समय रो रहा था।
उन्होंने जाकर मछुआरे से रोने का कारण पूछा। तो मछुआरे ने कहा कि,” दिन भर में एक भी मछली नहीं पकड़ पाए हैं इसलिए अब वह अपने घर वालों के लिए खाने की व्यवस्था कैसे करेंगे? आज भी क्या खाएंगे?”
मछुआरे को परेशान देखकर मंत्री खलीफा ने उससे कहा कि,”एक बार तुम अपना जाल फेंको, तुम्हारे जाल में जो भी आएगा मैं उसे 400 सिक्को में खरीद लूंगा। ऐसा कहते ही मछुआरे ने एक बार फिर से अपने मछली पकड़ने के जाल को तालाब में फेंका और बाहर निकाला तो एक संदूक जाल में फस कर मछुआरे के हाथ लगी।
मछुआरा खुशी से उस संदूक को खोलने लगा। खुलते ही देखा की संदूक के अंदर एक खूबसूरत स्त्री की लाश रखी हुई है। यह नजारा देखते ही मछुआरा डर के मारे कांपने लगा, वहां पर खड़े खलीफा हारू और मंत्री जफर हैरान हो गए।
इस तरह की घटनाएं देखकर खलीफा को काफी दुख हुआ और उन्होंने गुस्से में उसी समय मंत्री को आदेश दिया कि 3 दिन के भीतर भीतर इस स्त्री के हत्यारे को ढूंढ कर लाओ। नहीं तो, मैं तुम्हें अपने 40 रिश्तेदारों के साथ फांसी दे दूंगा। इस तरह का आदेश सुनकर मंत्री जाफर घबरा गया और बिना कुछ खाए पिए ही 3 दिन तक लगातार हत्यारे को ढूंढता रहा। लेकिन 3 दिन बीत जाने के बाद भी वह हत्यारा उसके हाथ नहीं आया।
3 दिन बीत जाने के बाद खलीफा ने मंत्री और उसके साथियों को फांसी देने की खबर पूरे शहर में फैला दी। इस खबर के फैलते ही मंत्री के चाहने वाले लोग उसे देखने के लिए आ गए। लोगों की भीड़ लग गई जैसे ही मंत्री को फांसी देना शुरू किया कि 1 जवान आगे बढ़ा और उसने उस स्त्री की हत्या करने की बात कही।
उसने अपना अपराध स्वीकार किया तो, खलीफा ने उससे अपराध करने की वजह जानने चाही। जवान ने अपराध करने की वजह बताने से पहले खलीफा से अनुरोध किया कि उसकी इस कहानी हो लिखा जाए ताकि लोग इस कहानी से सीख ले।
अपराधी जवान अपनी कहानी सुनाना शुरू करता है और कहता है कि वह अपनी खूबसूरत पत्नी के साथ पिछले 11 वर्षों से सुखमय जीवन यापन कर रहा था। उसकी पत्नी अत्यंत खूबसूरत है और वह एक पतिव्रता पत्नी थी। उसके तीन बेटे थे। उसकी पत्नी अपने पति और बच्चों की हमेशा सेवा करती थी। उनका ख्याल रखती थी लेकिन एक दिन अचानक से उसकी पत्नी बीमार पड़ गई।
जवान ने उसे दवाई लाकर दी, तो वह ठीक हो गई लेकिन एक दिन फिर से वह बीमार पड़ गई, तब उसकी पत्नी ने जवान से बाजार से सेब खरीद कर लाने के लिए कहा। जवान पूरे बाजार में सेव के लिए घूमता रहा लेकिन उसे कहीं पर भी सेब नहीं मिला। थका हारा फिर से घर लौटा और पत्नी को कहा कि,” मुझे कहीं पर भी सेव नहीं मिली।”
जवान की खूबसूरत पत्नी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर उसे सेव नहीं मिले तो वह अत्यंत बीमार पड़ जाएगी। उसकी पत्नी ने कहा कि बसरा बंदरगाह पर सब मिलते हैं। वहां से सेब ले कर आइए। तो उसका पति सेब लेने के लिए जाता है और बसरा के शाही बाग से अपनी पत्नी के लिए 4 दिनार देकर तीन सेब खरीद कर लाता है। सेब लाने के बाद वह अपनी पत्नी को देता है, जिससे उसकी पत्नी खुश हो जाती है। उसकी पत्नी नहाने के लिए जाती है। इसलिए वह उन सेब को बिस्तर के नीचे रख कर पत्नी को बोलकर दुकान पर व्यापार करने के लिए चला जाता है।
वह जवान बगदाद के बाजार में अपने कपड़े की दुकान पर काम कर रहा होता है कि अचानक से उसे सड़क पर एक व्यक्ति हाथ में सेब कुदाते हुए चलता हुआ दिखाई देता है। जिसे पूछने पर वह अपना नाम हब्शी बताता है। जवान ने उसे पूछा कि यह सेब उसे कहां से प्राप्त हुए हैं क्योंकि बगदाद के बाजार में तो सेव नहीं मिलता है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए हब्शी ने कहा कि यह सेब उसकी प्रेमिका ने उसे दिया है। उसकी प्रेमिका ने बताया कि उसका पति 2 दिन की यात्रा करके बसरा शहर से उनके लिए तीन सेव खरीद कर लाया है। यह बात सुनते ही जवान आप बबुला हो गया और अपनी दुकान बंद करके दौड़ता हुआ घर गया।
जवान अत्यधिक गुस्से में था क्योंकि वह हब्शी से उसी की ही कहानी सुन रहा था, जिससे उस जवान को लगा कि उसकी पत्नी ही उसकी प्रेमिका है। वह उसके साथ विश्वासघात कर रही है। ऐसा सोचते हुए वह घर पहुंचा और घर पहुंचते ही बिस्तर के नीचे देखा तो, उसने अपनी पत्नी से पूछा तीसरा सेब वहां गया? तो पत्नी ने नीचे झांककर जवाब दिया कि उसे सेब के बारे में पता नहीं है।
ऐसा करके आंख बंद करके फिर से लेट गई। इस प्रक्रिया से जवान का गुस्सा अधिक बढ़ गया और उसे यकीन हो गया कि उसकी पत्नी का हब्शी के साथ नाजायज संबंध है। वह उसे धोखा दे रही है। गुस्से से आगबबूला होकर जवान ने तलवार से अपनी पत्नी के टुकड़े टुकड़े करके मार डाला।
पत्नी को मारने के बाद उसे डर लगने लगा कि कहीं हमसे हत्या के अपराध में गिरफ्तार ना करें। इसलिए उसने नारियल के बड़े-बड़े पदों में पत्नी के शव को बांध दिया और एक संदूक में डालकर अंधेरा होने के बाद उस संदूक को नदी में फेंक दिया। वापस घर आने पर देखा कि उसका बड़ा बेटा दरवाजे पर बैठ कर रो रहा था और बाकी के दो बच्चे घर में सो रहे थे। जवान ने अपने लड़के से रोने की वजह पूछी तो वहां अपने पिता से माफी मांगते हुए रोने लग गया।
जवान ने फिर से उसे पूरी बात बताने के लिए कहा तो उसने बताया कि आप जो 3 सेब मां के लिए आए थे। उसमें से एक सेब खाने के लिए मैंने ले लिया। परंतु यहां से गुजरते हुए एक हब्शी गुलाम ने मुझसे वह सेब छीन लिया था। मैंने उसे पूरी बात भी बताई की वह सिम उसके पिता ने उसकी बीमार मां के लिए बसरा के शाही बाग से लाए हैं।
अगर मेरी मां को पता चल गया तो, वह मुझे डांटेगी। लेकिन उस हब्शी गुलाम ने मेरी एक भी नहीं सुनी और मुझे मार कर भगा दिया। यह बात सुनते ही जवान अपना सर दीवार से फोड़ने लगा। अपना सर पकड़ कर बैठ गया अब वह पछतावा के सिवा और कुछ नहीं कर सकता।
जवान थोड़ी हिम्मत करके खड़ा हुआ और अपने बेटे को घर के अंदर लेकर गया। दोनों बच्चे सो रहे थे ।वहीं पर बड़े लड़के को भी सुला दिया। बाहर आकर जवान अपना सर पकड़ कर बैठ गया और अपने आप को कोसने लगा वह जोर जोर से रोने लगा कि उसने अपने हाथों से अपनी सीधी-सादी और खूबसूरत पतिव्रता पत्नी को मार डाला।
उसकी पत्नी उसका कितना ध्यान रखती थी। उसकी देखभाल करती थी लेकिन उसने बिना सोचे समझे एक अनजान शख्स के कहने पर अपनी पत्नी पर शक कर दिया और बिना उसे पूछे उसे मार डाला।
जवान रोता हुआ अपनी पत्नी का शोक मना रहा था। तभी उसके चाचा पहुंच गए। उसके चाचा उसकी पत्नी के पिता भी थे, जो अपनी बेटी का हाल चाल पूछने के लिए आए थे। अब वह हिम्मत करके खड़ा हुआ और अपने चाचा को उनकी बेटी के साथ किए गए घटनाक्रम का वाकया सुनाया।
लेकिन उसके बाद वह जवान हैरान हो गया क्योंकि अपनी बेटी की मौत के बाद भी उसके चाचा ने उसे कुछ भी नहीं कहा। केवल अपनी किस्मत को कोसता हुआ चला गया। यह बात उस जवान को काफी हैरान कर रही थी। लेकिन वह अपनी पत्नी को नहीं बोल रहा था। अपने आप को कोसते हुए जोर-जोर से फिर से रोने लग गया।
इस दुख भरी कहानी को सुनाने के बाद वह जवान खलीफा से अनुरोध करने लगा कि इस पाप के लिए उसे फांसी की सजा दे दी जाए क्योंकि इस घटना को घोषित होने के बाद चैन से नहीं हो पाएगा। वह जीवित नहीं रह पाएगा। कहानी सुनने के बाद खलीफा हैरान और आश्चर्यचकित हो गया लेकिन उसने कहा कि अगर कोई व्यक्ति अनजाने में अपराध कर बैठता है। तो वह क्षमा योग्य है।
इसीलिए वे उस व्यक्ति को दंडित नहीं करेंगे। ऐसा कहते ही खलीफा ने मंत्री की तरफ मुड़ कर देखा और मंत्री को कहा कि तुम अभी भी फासी से मुक्त नहीं हुए हैं क्योंकि तुम 3 दिन के भीतर उस हब्शी को ढूंढ कर लाओ। जिसके कारण यह घटना घटित हुई है। अगर तुम 3 दिन के भीतर उसे पकड़कर नहीं ला पाते हो तो, तुम्हें 3 दिन के बाद फिर से फांसी की सजा मेरी जाएगी।
खलीफा का आदेश सुनकर मंत्री फिर से गम के सागर में डूब गया और बिना खाना खाए हैं धूप छांव दिन-रात हर समय उसने घर को ढूंढने में लग गया क्योंकि उसे डर सता रहा था कि अगर वह उस गुनहगार को नहीं पकड़ कर लाया तो, 3 दिन के बाद उसे फांसी पर लटका दिया जाएगा।
3 दिन बीत गए। मंत्री को वहां अपराधी नहीं मिला तो, उसे अपने सिपाहियों के साथ फासी पर लटकाने का फरमान सुनाया गया। मंत्री अपनी बच्ची से काफी प्रेम करता था इसीलिए सैनिकों की मदद से उसने आखिरी बार अपनी बच्ची को बुलाया था कि वह आखिरी बार अपने बच्चों को प्यार कर सके।
जब मंत्री अपनी बेटी को प्यार कर रहा था, तभी उसने देखा कि बच्ची के सीने में एक शाही बाग का मोहर लगा हुआ सेव लटक रहा है। उस मंत्री ने अपनी बेटी से इस बारे में पूछा तो उसने बताया कि यह तो अपने हब्शी गुलाम रेहान ने 4 सीक्को में खरीदा है। यह बात सुनकर मंत्री हैरान हो गया कि जिस अपराधी को वह पूरे शहर में ढूंढ रहा था, वह गुनहगार उसके घर में ही मौजूद हैं।
मंत्री ने गुलाम को डांट लगाते हुए उस सेब के बारे में पूछा। तो गुलाम ने कहा कि वह सब एक बच्चे के हाथ से छीन कर लाया है। उस बच्चे ने कहा था कि यह से उसके पिता ने अपनी बीमार मां के लिए लिया है। उसे पता चलने पर उन्हें डाटेंगे लेकिन फिर भी मैंने यह सब नहीं लौटाया। आखिरकार मंत्री ने गुलाम रेहान को खलीफा के सामने पेश कर दिया।
खलीफा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सारी घटनाएं इस गुलाम रेहान के कारण हुई है। इसलिए इसे मृत्यु दंड दिया जाएगा। जिससे लोगों को इस बात की सीख मिलेगी कि किसी भी तरह का अपराध नहीं करना चाहिए। यह आप लोगों के लिए सीख का एक सबक बनेगा। मृत्युदंड की बात सुनकर मंत्री ने खलीफा से अनुरोध किया कि यह हमारा पुराना गुलाम है।
इसीलिए इसे मृत्युदंड ना दिया जाए। मैं आपको मिस्र के बादशाह और उसके दो मंत्रियों की कहानी सुनाता हूं। अगर आपको यह कहानी अच्छी लगे आपका मनोरंजन हो तो, उसके बदले में आप इस गुलाम रेहान का दर्द कम कर दीजिए। इसे मृत्यु की सजा मत दीजिए। ऐसा कहते हुए अनुमति मिलते ही मंत्री गाने सुनाने लग जाता है।
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