Mahavir Swami ka Janm Kahan Hua Tha: महावीर स्वामी का नाम अहिंसा के प्रतीक के तौर पर लिया जाता है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में अहिंसा पर अत्यधिक बल दिया था तथा पशुओं की बलि प्रथा का भी विरोध किया। इसके अलावा भगवान महावीर स्वामी ने जाती पाती और भेदभाव के युग कों खत्म करने पर अत्यधिक बल दिया था।
महावीर स्वामी पशुओं पर हो रहे अत्याचार और पशु हत्या का खुलकर बड़े पैमाने पर विरोध करते थे। इसीलिए आज भी जब हम अहिंसा का नाम लेते हैं तो हमारे दिमाग में सबसे पहले महावीर स्वामी का ही नाम आता है।
महावीर स्वामी का जन्म कहां हुआ था? | Mahavir Swami ka Janm Kahan Hua Tha
महावीर स्वामी किस धर्म के थे?
महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थें, जिन्होंने अपने जीवन में त्याग और तपस्या को अपनाया था तथा सुख-समृद्धि, घर गृहस्थी, धन-दौलत, इत्यादि का त्याग करके तपस्या एवं ज्ञान प्राप्त किया और लोगों को जीवन जीने की राह दिखाई।
इसके अलावा उन्होंने अपने जीवन में बड़े पैमाने पर हिंसा का विरोध किया तथा वे अहिंसा के प्रतीक बन गए। समाज में पशुओं को लेकर फैली कुरीतियां, जैसे– देवी देवताओं के सामने पशुओं की बलि चढ़ाना, जीवित पशुओं को मारकर उनका प्रसाद बनाना, इत्यादि प्रथाओं का महावीर स्वामी खुलकर विरोध करते थे।
महावीर स्वामी का जन्म कहां हुआ?
महावीर स्वामी का जन्म कुंडलपुर के पास वैशाली में हुआ था। आज से लगभग ढाई हजार साल पहले महावीर स्वामी का जन्म बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के अंतर्गत आने वाले बसाढ़ गांव में उस समय के वैशाली क्षेत्र में हुआ था। महावीर स्वामी के पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला था, जो अपने माता पिता की तीसरी संतान थें। महावीर स्वामी का बचपन का नाम वर्धमान था। इनका जन्म चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की तेरस को हुआ था।
महावीर स्वामी ने अपने प्रथम गुरु माता पिता से शिक्षा प्राप्त करने के बाद गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त की एवं समाज कल्याण के हित के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। बता दें कि महावीर स्वामी ने कम आयु से ही शिक्षा पर जोर दिया और उन्होंने समाज को नई दिशा प्रदान करने के लिए शिक्षा का प्रचार और प्रसार शुरू कर दिया था।
बड़े पैमाने पर महावीर स्वामी लोगों को जागरूक करते और उन्हें सही जीवन जीने की राह दिखाते थें। महावीर स्वामी कम आयु से ही हिंसा का विरोध करते थे। उन्होंने ना केवल मानव हिंसा बल्कि पशु हिंसा को भी गलत बताया तथा हर जगह में पशु हिंसा का खुलकर विरोध करते थे।
महावीर स्वामी से बड़े उनके एक भाई और एक बहन थी। बड़े भाई का नाम था नंदिवर्धन व बहन का नाम सुदर्शना था। महावीर स्वामी का बचपन राज महल में बीता था। वह बचपन से ही अत्यंत समृद्ध और धनी थें फिर भी उन्होंने राजपाट की बजाए जन और जीवन के हित के लिए संघर्ष को चुना।
महावीर स्वामी ने बढ़ती आयु के साथ यशोदा से विवाह किया जिसके बाद उन्हें एक पुत्री हुई। उनका नाम अयोज्जा था। विवाह के बाद उन्होंने घर गृहस्थी को त्याग कर जैन धर्म के नितिन नियमों का पालन करते हुए अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए लोगों के हितों की रक्षा की आवाज उठाई।
महावीर स्वामी को मुख्य रूप से अहिंसा के पुजारी के तौर पर पूजा जाता है। महावीर स्वामी को ना केवल जैन धर्म के लोग बल्कि संपूर्ण भारतवासी जानते हैं क्योंकि उन्होंने ना सिर्फ जैन समाज बल्कि संपूर्ण भारतीय समाज के लिए लाभकारी कदम उठाए थें, जिनमें पशुओं के हित में बड़े कदम शामिल हैं।
बता दें कि महावीर स्वामी ने भारतीय समाज में हो रही पशुओं पर हिंसा तथा पशु बलि का खुलकर बड़े पैमाने पर विरोध किया था। इसीलिए उन्हें काफी कठिनाइयों और परेशानियों का सामना भी करना पड़ा, फिर भी उनकी खिलाफत से काफी ज्यादा पशुओं की बलि चढ़ाना बंद हो गया।
निष्कर्ष
महावीर स्वामी का जन्म बिहार के वैशाली में हुआ था। इसीलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको पूरी जानकारी के साथ विस्तार से बता चुके हैं कि महावीर स्वामी का जन्म कहां हुआ था? (Mahavir Swami ka Janm Kahan Hua Tha) और उनका जीवन परिचय भी इस आर्टिकल में हम आपको करवा चुके हैं। बता दें कि महावीर स्वामी का नाम अहिंसा के तौर पर लिया जाता है। उन्हें अहिंसा का प्रतीक माना जाता है।
महावीर स्वामी ने ना केवल मानव बल्कि पशु हिंसा पर भी जोर दिया था और उन्होंने सबसे पहले पशु बलि का खुलकर तथा बड़े पैमाने पर विरोध किया था। हमें उम्मीद है यह जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। अगर आपका इस आर्टिकल से संबंधित कोई भी प्रश्न है, तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं। हम पूरी कोशिश करेंगे कि जल्द से जल्द आपके द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर दे सकें।
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