प्राचीन समय में एक बहुत ही शक्तिशाली और बहुत ही बुद्धिमान राजा एक शहर में राज करता था, उस शहर का नाम हैरन था। वह राजा बहुत ही नेक दिल इंसान था। प्रजा उससे बहुत खुश रहा करती थी। लेकिन उस राजा को सिर्फ एक बात का ही है दुख था। उसकी कोई संतान नहीं थी, जिसके कारण उसने पचास शादियां कर रखी थी।
लेकिन उसको उनसे कोई लाभ नहीं प्राप्त हो रहा था। जिसके कारण वह बहुत दुखी दुखी रहने लगा था। जब राजा अपने कमरे में सो रहा था तब अचानक से राजा के सपने में एक व्यक्ति आया और कहने लगा कि कल सुबह होते ही तुम अपने खेत से एक अनार मंगवा कर उसमें से एक-एक दाने अपनी पचासों पत्नियों को दे देना।
जिसके बाद सुबह हुई राजा ने वही किया, जो सपने में उस व्यक्ति ने राजा से बोला था। सपने में बोली हुई बात सच हो गई और राजा की उनचास पत्नियों को संतान की प्राप्ति हो गई लेकिन उनमें से एक पत्नी को संतान की प्राप्ति नहीं हुई। उससे राजा बहुत दुखी हो गया और उसने उसको राज्य से बाहर भेजने का फैसला ले लिया।
तभी राजा के मंत्री ने राजा से कहा कि महाराज आप इनको मेरे भतीजे के पास भेज दें, वहां पर अगर इनको मेरे भतीजे से संतान की प्राप्ति होती है तो वह बच्चे को आप ले लीजिएगा। जिसके बाद राजा ने वही किया जैसा उसके मंत्री ने कहा था। उसने एक रानी को मंत्री के भतीजे के पास भेज दिया।
उस रानी का नाम था पिरोज और भतीजे का नाम था सुमेर। कुछ दिन सुमेर के पास रहने के बाद पीरोज को एक संतान की प्राप्ति हुई, जो कि लड़के के रूप में हुई। जिसके बाद सुमेर राजा को खबर दी कि आपकी पत्नी को संतान की प्राप्ति हुई है, उसने एक लड़के को जन्म दिया है।
जिसके बाद उस राजा ने बोला कि अब तुम ही उस बच्चे का ध्यान रखो और उसकी पढ़ाई लिखाई का खर्चा मैं तुमको भेजता रहूंगा। जिसके बाद सुमेर ने राजा की आज्ञा का पालन करते हुए पिरोज़ के बेटे का लालन पालन करना शुरू कर दिया और उसका नाम खुदादाद रखा।
धीरे-धीरे खुदादाद बड़ा होता गया और उसने बहुत कम ही उम्र में शिक्षा दीक्षा और हर कलाओं में निपुण हो गया। एक दिन जब वह अपनी मां के साथ अपने कमरे में बैठा था तब उसने कहा की मां मुझे अपने पिताजी की रक्षा करने जाना है तो कि मुझे यह खबर मिली है कि उनकी जान को खतरा है और हमारा देश खतरे में है।
यह सुनकर खुदादाद की मां ने कहा कि हम लोग तब तक नहीं जा सकते जब तक तुम्हारे पिताजी हम लोगों को बुलाएंगे नहीं। जिसके बाद खुदादाद में अकेले ही अपने पिताजी की रक्षा करने के लिए अपनी मां को बिना बताए वहां से निकल पड़ा।
कुछ दिन इधर उधर घूमने के बाद वह अपने देश हैरन पहुंच गया, जहां पहुंचकर गए अपने पिताजी के महल गया। लेकिन उसने अपने बारे में किसी को नहीं बताया। वहां जाकर उसने अपने पिताजी से कहा राजा मैं आपकी सेवा करने के लिए आया हूं।
क्योंकि मुझे खबर मिली है कि आपके देश और आप पर जान का खतरा है, जिसके बाद मैं यह सुनकर यहां चला आया। राजन राज की बात सुनकर उसको अपना सेनापति बना दिया। जिसके बाद खुदादाद में धीरे-धीरे राजा के सभी सिपाहियों को अस्त्र शास्त्र में निपुण बना दिया।
यह देखकर राजा बहुत खुश हुआ और धीरे-धीरे वह पूरे राज्य में प्रसिद्ध हो गया। सभी लोगों से बहुत प्यार करने लगे लेकिन राजा के उन्चास पत्नियों के लड़के उससे बहुत नफरत करने लगे, जिसका कारण था कि राजा खुदादाद से बहुत प्रसन्न था और वह हमेशा खुदादाद की तारीफें किया करता था और पूरे राज्य में भी सभी उसे बहुत पसंद करते थे।
जिसके कारण सभी भाइयों ने खुदादाद को मारने का निर्णय लिया और खुदादाद को लेकर एक जंगल में पहुंच गए। यहां पर पहुंचने पर वह एक दूसरे से भटक गए, जिसके बाद खुदादाद वापस राजा के पास चला जाता है। दो-तीन दिन गुजर जाने के बाद जब राजा ने अपने लड़कों के बारे में खुदा से पूछा तो उसने कहा कि आपके बेटे शिकार पर गए थे, जो अभी तक नहीं लौटे हैं।
जिसके बाद राजा ने खुदादाद पर क्रोध दिखाना शुरू कर दिया और कहने लगा अगर तुम मेरे लड़कों को वापस नहीं लाएं तो में तुम्हें जान से मार दूंगा। यह सुनकर खुदादाद बहुत डर गया और तुरंत ही अपने भाइयों को ढूंढने के लिए निकल पड़ा। कुछ दिन इधर उधर भटकने के बाद वह एक किले पर पहुंच गया। जहां पहुंचकर उसने देखा कि एक लड़की वहां पर बंदी बनी बैठी है। तभी उस लड़की ने उधर से कहा कि तुम यहां से चले जाओ, नहीं तो तुम्हारी जान चली जाएगी।
जिसको सुनकर खुदादाद ने पूछा कि तू ऐसे यहां क्या कर रही है, जिसके बाद उस लड़की ने बताया कि मुझे एक राक्षस ने बंदी बनाकर रखा है। जो बहुत ही डरावना है, वह मुझसे संभोग करना चाहता है। लेकिन मैंने अभी तक उसको अपने पास नहीं आने दिया है, जिसके कारण उसने मुझे आज मारने का निर्णय लिया है। देखते ही देखते थोड़ी देर में वह राक्षस वहां पर आ गया, उस राक्षस ने वहां पर उधर देखा और उस पर आक्रमण करने लगा।
जैसे ही उस राक्षस ने खुदादाद पर आक्रमण किया खुदादाद में उसके हाथ पैर को काटकर उस राक्षस को जान से मार दिया। जिसके बाद उसने कुछ सुंदर सी स्त्री जिसको उस राक्षस ने बंदी बनाकर रखा था, उसको वहां से मुक्त कराया और उससे पूछा कि तुम कहां की रहने वाली हो।
तब कुछ सुंदर सी कन्या ने बताया कि मैं मैं बगदाद की रहने वाली हूं और मैं यात्रा करने के लिए जा रही थी तभी रास्ते में इस राक्षस ने हमारी सेना पर आक्रमण कर दिया और सारे सैनिकों को मार कर मुझे अपने साथ बंदी बना लाया और यह राक्षस सभी को लाकर एक एक को कमरे में बंद कर देता है, जिसके बाद वह रोज एक को मार कर खा लेता है।
लेकिन तुमने आज हम लोगों की जान बचाई है और हम पर बहुत बड़ा एहसान किया है। इसके बाद खुदादाद में सुंदर स्त्री से पूछा कि बाकी के साथी कहां हैं। मैं उनको भी इस हकीकत से रिहा करना चाहता हूं। जैसे ही खुदादाद सभी बंधुओं को छुड़ाने के लिए उनके कमरे में गया और उसने जैसे ही ताला तोड़ा तो वह अंदर से बहुत तेज रोने की आवाजें आने लगी।
जिसको देखकर वह आश्चर्यचकित हो गया और उसने उस लड़की से पूछा कि यहां पर यह लोग रो क्यों रहे हैं। तब उस सुंदर सी कन्या ने बताया कि वह राक्षस रोज ताला खोलकर एक आदमी को ले जाता था, मारकर खा लेता था। जिसके डर से उनको लग रहा है कि वह फिर से आ गया है। जिसके बाद खुदादाद में ताला तोड़कर सभी को वहां से रिहा कर दिया।
कहने लगा कि आप लोग चिंता ना करें, मैंने उस राक्षस को जान से मार दिया है। यह सुनकर सभी बहुत खुश हुए और खुदादाद को धन्यवाद देने लगे। थोड़ी ही देर में जैसे ही सब उस राक्षस की कैद से बाहर हैं तब उस खुदादाद देखा, उसके सारे भाई भी उन्हीं में थे। जिसको देखकर बहुत खुश हो गया और सभी को एक-एक करके गले लगाने लगा। सभी भाइयों ने अपनी गलती की माफी खुदादाद से मांगी।
जिसके बाद खुदादाद ने उन सभी को हंसते-हंसते माफ कर दिया। जिसके बाद वह अपने भाइयों को उस राक्षस की कैद से बचाकर ले आया। एक एक कर सभी बंदी बने आदमियों और औरतों सब को अपने घर छोड़ता हुआ वापस अपने राज्य हैरन राजा के पास पहुंच गया और राजा को उनके सभी लड़के वापस सही सलामत दे दिए, जिसके बाद राजा बहुत खुश हुए और उन्होंने खुद आपको बहुत सारा इनाम तोहफे के रूप में दिया।
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