Kaun Kise Kahate Hain: गणित में विभिन्न प्रकार के अध्याय होते है, उनमें से एक महत्वपूर्ण अध्याय कोण का है। जिसमें आपको यह जानने की आवश्यकता है कि जब दो रेखा आपस में मिलती है तो किस प्रकार की आकृति का निर्माण करती है और कैसे हम उस आकृति से हम विभिन्न प्रकार के बिल्डिंग और घर बना पाते हैं।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि गणित में ऐसा कौनसा अध्याय है, जो हमें दूर रेखाओं के मिलने पर किस प्रकार की आकृति बन रही है इस पर अध्ययन करने का मौका देता है और उस अध्ययन से हम अलग-अलग प्रकार के इंफ्रास्ट्रक्चर को बना पाते हैं। हम इस अध्याय में आपको कोण क्या है? के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी लेने के लिए इस लेख के साथ अंत तक बनी रहे।
कोण किसे कहते है? (परिभाषा और प्रकार) | Kaun Kise Kahate Hain
कोण क्या है?
जब दो रेखाएं आपस में इस तरह मिलती है कि उनके मध्य में एक आकृति का निर्माण हो तो उस आकृति को हम कोण कहते है। दो रेखाओं के मिलने से बनने वाली या आकृति की लंबाई डिग्री में नापी जाती है और अलग-अलग प्रकार के गुण हमारे समक्ष आते हैं।
दो रेखा के मिलने पर सबसे बड़ी आकृति जो उनके मध्य में बन सकती है, वह 360 डिग्री की होती है, जहां दोनों रेखाएं पूरी तरह से सीधी हो जाती है। जब हम उन दोनों रेखाओं के मिलने के बिंदु में आकृति को नापते हैं तो अलग-अलग तरह के मान हमारे समक्ष आते हैं, जिन्हें डिग्री में नापा जाता है और विभिन्न प्रकार के कोण हमें मिलते हैं।
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कोण के प्रकार
आपको बता दें कि गणित में विभिन्न प्रकार के कोण होते हैं। रेखाएं जब मिलती है तो अलग अलग तरह की आकृति बनाती है, जिसके अलग-अलग मनाते हैं और उन सब को विभिन्न प्रकार के गुणधर्म के अनुसार विभाजित करके रखा गया है।
कोण प्रकार दो आधार पर तय किए जाते है:
- दो रेखाओं के मिलने पर बनी आकृति के मान के आधार पर अर्थात उनके मान के आधार पर।
- कोण के स्थान के आधार पर।
कोण के मान के आधार पर
जैसा कि हमने आपको बताया कि कोण का मान दो रेखाओं के मिलने की स्थिति पर निर्भर करता है तो अलग-अलग परिस्थिति में अलग-अलग तरह के खून के मान हमारे समक्ष आते हैं और उनके मान के आधार पर विभिन्न प्रकार के नाम उन्हें दिए गए हैं।
समकोण
जब दो रेखा इस तरह मिलती है कि वह दोनों एक दूसरे को बराबर हिस्से में काटती है तो इस परिस्थिति में हम रेखाओं को समकोण कहते हैं। हम इस तरह भी कह सकते हैं कि दो रेखाएं इस तरह मिलती है कि उनके मध्य में बनी हुई आकृति 90 डिग्री की होती है।
इस तरह के कोण को पहचानने का सबसे आसान तरीका है कि दो रेखाएं प्लस का साइन बनाएंगे या एक रेखा दूसरी रेखा पर पूरी तरह लंबवत या सीधी होगी।
अधिक कोण
हमने आपको बताया समकोण में दो रेखाएं एक दूसरे पर लंबवत होती है, जो रेखा एक दूसरे पर सीधी है वह अगर बाई और झुकने लगे तो हमें एक ऐसा कौन मिलता है, जो 90 डिग्री से अधिक होता है इसे हम अधिक कोण कहते हैं।
किसी भी आकृति में 90 डिग्री से अधिक का बना हुआ कोण अधिक कोण होता है। इस तरह के कोण को पहचानने की सबसे आसान तरीका है कि एक रेखा जो ऊपर से नीचे की ओर आई है, वह सीधी ना होकर बाई ओर झुकी होगी।
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तीव्र कोण
जब दो रेखाएं एक दूसरे को इस तरह मिलती है कि एक दूसरे पर सुधारना होकर जो रेखा ऊपर से नीचे की ओर आ रही है, वह दाहिनी ओर झुकी हो तो इसे हम तीव्र कौन कहते हैं। सरल शब्दों में किसी भी आकृति में दो किरण के मिलने से बना हुआ ऐसा कौन है, जो 90 डिग्री से कम हो हम उसे तीव्र को में कहते हैं।
इस तरह के कोण को पहचानने कोई दिक्कत नहीं होती। क्योंकि इस तरह के गुण ऊपर से नीचे की ओर जो आए हुए हैं, वह दाहिनी और चुके होते हैं। इस वजह से इस तरह के कोण को हम तीव्र कोण कहते हैं।
कोण के स्थान के आधार पर
ऊपर हमने आपको जो प्रकार बताएं वह कोण के मान के आधार पर बने है। मगर अब इस प्रकार के बारे में बताने जा रहे हैं, जो स्थान के आधार पर बने हैं।
पूरक कोण
इस प्रकार के कोण तब बनते है जब हमारे समक्ष एक से अधिक कोण रखे गए हो किसी परिस्थिति में अगर आपको तो कोण दिए जाएं और उन दोनों का योग 90 डिग्री से कम हो तो ऐसे कोण को हम पूरक कोण कहेंगे।
उदाहरण – मान लीजिए हम ऐसी आकृति पर बात कर रहे हैं, जहां आपको दो एंगल मिलते हैं, जो 30 डिग्री और 60 डिग्री के हैं तो अगर उस आकृति के हिसाब किताब करने के दौरान हम उन दोनों पूर्ण को मिलाते हैं तो हमें 90 डिग्री मिलता है और ऐसी कोई भी परिस्थिति जहां दो या दो से अधिक पूर्ण को जोड़ने से 90 डिग्री मिलता हो उसे हम पूरक कोण कहेंगे।
संपूरक कोण
इस प्रकार के कोण है तब बनते है जब हमारे समक्ष एक से अधिक कोण रखे गए हो वह भी ऐसी परिस्थिति में जब उन सभी कोण को जोड़ने पर उनका योग 180 डिग्री से कम होता हो तो ऐसे कौन को हम संपूरक कोण कहेंगे।
उधहरण – मान लीजिए हम एक ऐसी आकृति पर बात कर रहे हैं, जहां आपको दो या दो से अधिक कोण दिए जाते हैं, जिनका मानना 100 डिग्री और 80 डिग्री है तो जब हमें उस आकृति पर किसी भी प्रकार का हिसाब करने के लिए जोड़ेंगे तो हमें 180 डिग्री का मान मिलेगा। इस वजह से इस आकृति पर पाए गए कोण को हम संपूरक कोण कहेंगे।
आसन्न कोण
दो ऐसे कोण का युग्म जिसमें कोई एक भुजा अगेंस्ट हो या हम यूं कह सकते हैं कि जब एक पूर्ण दूसरे कौन पर निर्भर हो जाता है तो ऐसे कौन को आसन कौन कहते हैं।
इससे सरल शब्दों में कहें तो आप दो कौन इस तरह बनाए, जिसमें एक रेखा दोनों कौन के लिए कॉमन हो। तीन रेखा के मिलने पर अगर दो कौन बनेंगे तो उन दोनों कौन को हम आसन कौन कह सकते हैं।
सुन्य कोण
जब केवल एक सीधी रेखा खींची गई हो तो इसके ऊपर किसी भी प्रकार का कौन नहीं बन सकता इस तरह के परिस्थिति को हम शुन्य कौन कहते हैं। अर्थात एक ऐसी परिस्थिति जब हम किसी भी प्रकार के गुण का निर्माण ना कर पाए तो ऐसी रेखा को सुन्य कौन कहा जाता है।
FAQ
जब दो या दो से अधिक रेखा इस तरह मिलती है कि दो रेखा के बीच की आकृति कमान डिग्री में पता चलता है तो हम उसे कोण कहते हैं।
जब कोई आकृति इस प्रकार पूर्ण बनाए जब ऊपर से नीचे आने वाली रेखा बाईं ओर झुक जाए और 90 डिग्री से अधिक का कौन बने तो हम इसे अधिक कोण कहेंगे।
जब किसी आकृति में 90 डिग्री से कम का कोण बने तो हम इसे न्यून कोण कहते है। सरल शब्दों में यह कह सकते हैं कि किसी आकृति में ऊपर से नीचे आने वाली रेखा अगर दाहिनी ओर झुक जाए तो बनने वाला कोण 90 डिग्री से कम होता है तो ऐसी परिस्थिति में इसे न्यून कोण कहा जाता है।
कोण के अनेक प्रकार होते हैं मूलतः किसी भी कोण को दो प्रकार में विभाजित किया गया है पहला उसके स्थान के आधार पर पाए जाने वाले कोण और दूसरा किसी भी आकृति में उनके मान के अनुसार पाए जाने वाले कोण।
निष्कर्ष
हमने अपने आज के इस महत्वपूर्ण लेख में आप सभी लोगों को कोण क्या है? के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की हुई है और हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा प्रस्तुत की गई यह जानकारी आपके लिए काफी उपयोगी सिद्ध हुई होगी और यह जानकारी आपको आसानी से समझ में भी आ चुकी होगी जिससे आपको इस विषय पर कहीं और जानकारी जानने की आवश्यकता भी नहीं होगी।’
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