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करत करत अभ्यास जड़मति होत सुजान पर निबन्ध

सफलता एक ऐसी कुंजी है, जिसे निरतंर अभ्यास से पाया जा सकता है। सफलता के लिए कहावत प्रचलित है करत करत अभ्यास जड़मति होत सुजान (Karat Karat Aabhyas ke Jadmati Hot Sujan) जिसे हम कई बार सुनते हैं।

इस कहावत से हमें जीवन में संघर्ष करने के लिए प्रेरित करती है इस कहावत के बारे में इस लेख में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे।

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करत करत अभ्यास जड़मति होत सुजान पर निबन्ध (250 शब्द)

‘करत -करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान,
रसरी आवत-जात ते, सिल पर परत निसान।’

कवि वृंद द्वारा रचे गए इस पंक्ति में निरंतर श्रम का महत्व समझाया गया है। कवि का कहना है कि निरंतर श्रम के कारण असाध्य कार्य भी सिद्ध हो जाते हैं।

इस पंक्ति को समजाते हुए उन्होंने उदाहरण दिया है कि जिस प्रकार कुवे से पानी खींचते समय रस्सी के बार-बार आते-जाते रहने से उसके पत्थर पर निशान बन जाता है। उसी तरह बार-बार अभ्यास और परिश्रम करते रहने से एक निठल्ला और जड़-बुद्धि व्यक्ति भी कुछ करने योग्य बन सकता है।

निरंतर अभ्यास जीवन में साधना का एक रूप है, जिसका सुख साधक को अवश्य मिलता है। हमें हमारे जीवन में कभी भी किसी भी चीज़ को लेकर निराश नहीं होना है।

अगर आप जीवन में किसी भी क्षेत्र में सफलता पाना चाहते हैं तो आपको उसके बारे में बार-बार अभ्यास करते रहना चाहिए। कोई भी चीज़ पहेली बार में परफेक्ट नहीं होती है लेकिन बार-बार अभ्यास करते रहने से आप इसमें महारत हासिल कर सकते हैं।

सफलता का मूलमंत्र अभ्यास है और बार-बार किया गया अभ्यास आपको मजबूत बनाता है। कवि कालिदास को लोग मूर्ख मानते थे और कई बात उनका मजाक भी उड़ाते थे।

फिर उन्होंने संस्कृत का अध्ययन करना शुरू किया और निरंतर अभ्यास के कारण आज वो महान संस्कृत कवि कालिदास बन गए और अपना नाम इतिहास में अमर कर गए।

अभ्यास निरंतरता के साथ-साथ धैर्य भी रखना जरुरी है। सही दिशा में निरंतर अच्छा अभ्यास करने वाला व्यक्ति जीवन में एक बार जरूर यश, धन और सुख प्राप्ति करता है।

Karat Karat Aabhyas ke Jadmati Hot Sujan

करत करत अभ्यास जड़मति होत सुजान पर निबन्ध (600 शब्द)

सफलता पाने की और उनका महत्व समझाने की हमारे साहित्य में कई रचनाएँ की गई है, जो हमें सिखाती है कि सफलता किस प्रकार मिलती है? ऐसी ही पंक्ति कवि वृंद द्वारा रची है, जो हमें निरतंर परिश्रम का महत्व समझाती है।

‘करत -करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान,
रसरी आवत-जात ते, सिल पर परत निसान।’

इस पंक्ति द्वारा कवि हमें सफलता पाने के लिए निरंतर श्रम करने का महत्त्व समझाते हैं। कवि बताते है कि जिस प्रकार कुवे का पानी खींचने वाली रस्सी के आने जाने से कठोर पत्थर पर भी निशान पड़ जाते हैं, ठीक इसी प्रकार निरन्तर परिश्रम से आप किसी भी क्षेत्र में महारत हासिल कर सकते हैं।

हमें तब तक अभ्यास करते रहना है, जब तक हमें सिद्धि प्राप्त ना हो। निरंतर अभ्यास से मूर्ख तथा अनाड़ी व्यक्ति भी कुशल और निपुण बन जाता है। बार-बार रगड़ने पर काठ से अग्नि उत्पन्न हो जाती है। ऐसे ही जो सुजान हैं, वे अभ्यास से विषय विशेष में पारंगत हो जाते हैं।

निरंतर अभ्यास कभी निष्फल नहीं होता और नीरस नहीं होता। शिक्षा और कला, दो ऐसी विद्याएँ हैं, जिसके बार-बार अभ्यास के कारन आप सर्वोतम बन सकते है। लुहार, सुनार, दर्जी जैसे कारीगर भी अपने पहले प्रयास में कभी भी पूर्ण या पारंगत नहीं होते।

अभ्यास सिद्धि का एक मात्र साधन है, जो आपकी सुप्त प्रतिभा जाग्रत करता है। निरंतर अभ्यास आपको यश और ऐश्वर्य की प्राप्ति करवाता है। किसी कवि ने भी कहा है कि, ‘कोशिश करने वालों की कभी भी हार नहीं होती’।

जब एक बच्चा साइकिल चलाना सीखता है तब वह पहली बार खुद से साइकिल पर चढ़ भी नहीं पाता। वो कई बार गिरता है और उठता है। लेकिन निरंतर अभ्यास करने पर वो एक दिन बहुत अच्छा साइकिल चला पाता है।

इस में कोई संदेह नहीं कि इस संसार में कोई भी मनुष्य जन्म से विद्वान बनकर नहीं आता है। माँ की कोख से जन्म लेने वाला बच्चा अनजान और अबोध होते है। यह तो उनके सतत अभ्यास का फल होता है कि वे इस दुनिया के विद्वान या शक्तिशाली बन जाते हैं।

इस संसार के महापुरुषों, वैज्ञानिकों और तपस्वियों की उपलब्धियाँ और सफलताएँ उनके सतत अभ्यास का ही परिणाम हैं।

जिस प्रकार पड़े हुए शस्त्र की धार को जंग खा जाती है, उसी प्रकार अभ्यास के अभाव में मनुष्य का ज्ञान नष्ट हो जाता है। ऐसे कई उदाहरण मौजूद है, जिन्होंने केवल अभ्यास के बल पर ही विशेष सफलता पाई है और इतिहास में अपना नाम अमर किया है।

प्राचीन काल में ऋषि मुनि अपने निरंतर तप की वजह से कई सिद्धियां प्राप्त करते थे। एकलव्य गुरु के अभाव में भी अपने निरंतर अभ्यास के कारण धनुर्विद्या में अर्जुन जैसे पारंगत बन गए। कालिदास मूर्ख थे परन्तु निरंतर अभ्यास बल पर संस्कृत के महान कवि बन गए।

लगातार 50 साल तक रोज़ एक चित्र बनाने वाले दुनिया के सबसे बेहतरीन चित्रकार पाब्लो पिकासो 2-3 मिनट में ही एक आकर्षक चित्र बना देते थे। लगातार अभ्यास के लिए आपको आलस्य को त्यागना होगा और साथ साथ धैर्य भी रखना होगा।

चाहे कैसी भी परिस्थिति हो मनुष्य को कभी भी हार मान कर, निराश होकर नहीं बैठ जाना चाहिए। अपने अध्ययन रूपी रस्सी को समय की शिला पर निरन्तर रगड़ते रहना चाहिए, तब तक लगातार ऐसे करते रहना चाहिए कि जब तक कर्म की रस्सी से बाधा या असफलता की शिला पर घिस कर उनकी सफलता का चिन्ह स्पष्ट न झलकने लगे।

सफलता पाना किसी एक रात का खेल नहीं है। कई वर्षों के अभ्यास और मेहनत के बाद ही सफलता मिलती है। इसलिए विद्यार्थी जीवन में अभ्यास के महत्व को समझना आवश्यक है।

निष्कर्ष

यहां पर करत करत अभ्यास जड़मति होत सुजान (Karat Karat Aabhyas ke Jadmati Hot Sujan) के बारे में विस्तार से बताया है।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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