आपने कहीं ना कहीं IRDA के बारे में जरूर सुना होगा लेकिन आईआरडीए के बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं। हालांकि जो लोग इंश्योरेंस और बीमा कंपनियों से जुड़े हुए हैं, उन्हें आईआरडीए के बारे में अच्छी तरीके से मालूम होता है।
भारत में लगभग ज्यादातर लोग बीमा योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं और यह बीमा कंपनियां देश के आर्थिक विकास में अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
इन बीमा कंपनियों के द्वारा बीमा धारकों के साथ किसी भी प्रकार का धोखाधड़ी ना हो और यदि इस तरह की कोई भी मामले सामने आते हैं और बीमा का पैसा ना मिलने या पैसे फसने जैसी कोई भी समस्या उत्पन्न होती है तो इसके लिए आईआरडीए संगठन कार्यत है।
तो चलिए इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि आईआरडीए की स्थापना कब हुई थी, आईआरडीए का फुल फॉर्म क्या है (IRDA Full Form in Hindi) और आईआरडीए कौन-कौन से कार्य करता है।
IRDA का फुल फॉर्म क्या है? (IRDA Full Form in Hindi)
आईआरडीए का फुल फॉर्म अंग्रेजी में Insurance Regulatory and Development Authority of India होता है। वहीं हिंदी में इसकी फुल फॉर्म भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण होती है।
आईआरडीए क्या है?
आईआरडीए भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अंतर्गत एक संस्था है, जो भारत के विभिन्न ने बीमा कंपनियों को नियंत्रित और निरीक्षण करने का कार्य करती हैं।
आईआरडीए को आप इस तरह समझ सकते हैं, जिस तरह भारत में कई सारी सरकारी बैंक है लेकिन उन तमाम बैंकों में से सबसे ऊपर भारत का रिजर्व बैंक है, जो सभी बैंकों को नियंत्रित करता है।
ठीक इसी तरह भारत में कई सारी बीमा कंपनियां भी है और उन सभी बीमा कंपनियों को नियंत्रित करने का कार्य आईआरडीए करता है। भारत की सभी सरकारी बीमा कंपनियां आईआरडीए के अंतर्गत आती है। यहां तक कि सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी भी आईआरडीए के अंतर्गत ही आती है।
आईआरडीए के द्वारा जो भी नियम और कायदे कानून निकलते हैं, वह भारत के सभी बीमा कंपनियों को मानने पड़ते हैं। आईआरडीए बीमा धारक व्यक्तियों के हितों की सुरक्षा करती हैं, जिस कारण लोगों का बीमा के प्रति रुचि बढ़ती है और वह बिना डरे विश्वास के साथ बीमा कंपनियों में पैसे निवेश करते हैं। इस तरह आईआरडीए बीमा कंपनियों के विकास करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
आईआरडीए का स्थापना
आईआरडीए संस्था का गठन 1999 में किया गया था। आईआरडीए के वर्तमान में अध्यक्ष सुभाष चंद्र खुशियां है।
आईआरडीए का मुख्यालय वर्तमान में हैदराबाद में स्थित है। इससे पहले इसका मुख्यालय दिल्ली में हुआ करता था। 2001 में इसके मुख्यालय का स्थानांतरण किया गया।
आईआरडीए का इतिहास
साल 1993 में भारत सरकार ने देश में बीमा को बेहतर बनाने और उसमें सुधार लाने के लिए एक समिति का गठन किया, जिसके अध्यक्ष आरबीआई के पूर्व गवर्नर राम नारायण मल्होत्रा थे।
उनकी अध्यक्षता में 1994 में समिति के द्वारा एक विस्तृत रिपोर्ट सरकार के सामने प्रस्तुत की गई, जिसमें निजी कंपनियों को बीमा क्षेत्र में आने की अनुमति प्रदान की गई और इसके साथ ही सभी बीमा कंपनियों के नियंत्रण और सही से संचालन करने के लिए आईआरडीए की स्थापना की भी जानकारी दी गई।
जिसके बाद 1999 में आईआरडीए का गठन किया गया। बीमा कंपनियों के कुछ जरूरतों को ध्यान में रखते हुए साल 2000 में आईआरडीए में कुछ संशोधन भी किए गए थे।
IRDA की संरचना
- आईआरडीए के अंतर्गत 10 लोगों का ग्रुप होता है। आईआरडीए के अध्यक्ष और आईआरडीए के मेंबर को भारत की सेंट्रल गवर्नमेंट नियुक्त करती है।
- आईआरडी के अंतर्गत एक अध्यक्ष होता है, जिनका कार्यकाल 5 साल तक का होता है और 60 साल तक की उम्र होती है। इनमें से जो भी पहले हो जाएगा, उन्हें रिटायर होना पड़ेगा।
- इसमें 5 मेंबर पूर्णकालिक होते हैं, जिनका कार्यकाल 5 सालों तक और अधिकतम उम्र 62 वर्ष होती है।
- आईआरडीए में 4 मेंबर अंशकालीन होते हैं, उनका कार्यकाल 5 साल तक का होता है।
आईआरडीए के कार्य और जिम्मेदारी
आईआरडीए के कार्य, उनके कर्तव्य और उनके शक्तियों को इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी अधिनियम 1999 की धारा 14 के अनुसार निर्धारित की गई है। इसके अनुसार आईआरडीए के कार्य और जिम्मेदारी निम्नलिखित है:
- आईआरडीए यह भी सुनिश्चित करता है कि इंश्योरेंस कंपनी के द्वारा सॉल्वेंसी मार्जिन का सही रखरखाव हो।
- भारत के सभी बीमा कंपनी का पंजीकरण व विनियमित करने की जिम्मेदारी आईआरडीए की होती हैं।
- भारत के सभी बीमा इंडस्ट्रीज के विकास को बढ़ावा देने का कार्य की जिम्मेदारी आईआरडीए की होती हैं।
- आईआरडीए ही भारत में बीमा एजेंटों के लिए लाइसेंस जारी करता है और इसके साथ ही बीमा एजेंटों के लिए मानदंडों को भी निर्धारित करता है।
- पॉलिसी धारकों के द्वारा विभिन्न बीमा कंपनियों में निवेश की गई धनराशि को विनियमित करने का काम आईआरडीए करता है।
- आईआरडीए का सबसे पहला कार्य है पॉलिसी धारकों के अधिकारों और इनके हितों की रक्षा हो।
- वित्तीय मार्केट में ट्रांसपेरेंसी और उचित आचार संहिता के ऊपर आईआरडीए कार्य करती हैं।
- पॉलिसी धारकों के द्वारा बीमा कंपनी पर किए गए दावों का तुरंत निपटान करने का कार्य आईआरडीए करता है।
- आईआरडीए भारत के सभी बीमा कंपनियों के नीतियों को बनाने और उस पर निगरानी करने की जिम्मेदारी रखती हैं।
- बीमा कंपनियों के द्वारा धन के निवेश को नियंत्रित करने एवं धोखाधड़ी और बीमा उत्पादकों को गलत वर्तनी को रोकने की सारी जिम्मेदारी आईआरडीए के ऊपर होता है।
- आईआरडीए ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब व पिछड़े वर्ग तक बीमा को पहुंचाने का कार्य करता है।
FAQ
आईआरडीए का मुख्यालय हैदराबाद में स्थित है, जो तेलंगाना राज्य के अंतर्गत आता है। इससे पहले आईआरडीए का मुख्यालय दिल्ली में हुआ करता था।
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण को ही IRDAI या IRDA शोर्ट टर्म्स में बुलाया जाता है।
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आने वाली भारत की बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) के वर्तमान अध्यक्ष सुभाष चंद्र खुटियां हैं।
आईआरडीए का मुख्य उद्देश्य पॉलिसी धारकों के हितों के रक्षक करना है, जो देश में सक्रिय जीवन बीमा और सामान्य बीमा कंपनियों के कामकाज का देखरेख करती हैं।
आईआरडीए के अध्यक्ष का कार्यकाल 5 वर्ष तक और अधिकतम आयु 65 वर्ष तक होती हैं।
निष्कर्ष
भारत में सभी बीमा उद्योगों को नियंत्रित करने वाली भारत सरकार के द्वारा संचालित एजेंसी आईआरडीए के बारे में और आईआरडीए का फुल फॉर्म (IRDA Full Form in Hindi) आज के इस लेख में जाना।
हमें उम्मीद है कि इस लेख के जरिए आपको भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण से संबंधित सारी जानकारी मिल गई होगी।
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