History of Tejaji Maharaj in Hindi: नमस्कार दोस्तों! आज हम आप सभी लोगों को अपने इस महत्वपूर्ण लेख के माध्यम से बताने वाले हैं, राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के प्रांतों में लोक देवता के रूप में पूछे जाने वाले महाराजा वीर तेजाजी के विषय में। वीर तेजाजी महाराज को सभी किसान अपने खेतों की खुशहाली के लिए पूजन करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तेजाजी महाराज के वंशज मध्य भारत के खिलचीपुर से आकर मारवाड़ में बस गए थे।
वीर तेजाजी महाराज धौलाराव के नाम पर धौल्य गोत्र अर्थात नागवंश धावलाराव के गोत्र हैं। वीर तेजाजी महाराज के पूर्वज उदय राज ने अपना कब्जा खेड़ा नाल पर कर लिया और इसे अपनी राजधानी बनाई। उदय राज के द्वारा बनाए गए राजधानी में कुल 24 गांव मौजूद थे। वीर तेजाजी महाराज ने अपनी कृपा से लोगों की डाकुओं से रक्षा की और अपने प्राणों को दांव पर लगाकर इन लोगों की रक्षा की है।
आज हम आप सभी लोगों को अपने इस महत्वपूर्ण लेख के माध्यम से वीर तेजाजी महाराज के जीवन परिचय के विषय में संपूर्ण जानकारी बनाने वाले हैं। वीर तेजाजी महाराज खरनाल गांव के निवासी थे। वीर तेजाजी महाराज के विषय में इस लेख में आप सभी लोगों को विस्तार पूर्वक से जानकारियां जानने को मिलेंगे।
आप सभी लोगों को इसलिए कोई जानने को मिलेगा कि वीर तेजाजी महाराज कौन थे? वीर तेजाजी महाराज का इतिहास, वीर तेजाजी महाराज से जुड़ी कथाएं, वीर तेजाजी महाराज का समाज सुधारक कार्य, वीर तेजाजी महाराज का विवाह, वीर तेजाजी महाराज का खरनाल मेले का आयोजन, वीर तेजाजी महाराज को वीरगति की प्राप्ति इत्यादि के विषय में बड़े ही विस्तार पूर्वक चर्चा करने वाले हैं।
वीर तेजाजी महाराज का परिचय और इतिहास | History of Tejaji Maharaj in Hindi
वीर तेजाजी महाराज कौन थे?
वीर तेजाजी महाराज राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के प्रांतों के लोक देवता के रूप में पूजे जाते हैं। वीर तेजाजी महाराज को सभी किसान अपने खेतों की खुशहाली के लिए पूजन करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तेजाजी महाराज के वंशज मध्य भारत के खिलचीपुर से आकर मारवाड़ में बस गए थे। वीर तेजाजी महाराज धौलाराव के नाम पर धौल्य गोत्र अर्थात नागवंश धावलाराव के गोत्र हैं।
वीर तेजाजी महाराज के पूर्वज उदय राज ने अपना कब्जा खेड़ा नाल पर कर लिया और इसे अपनी राजधानी बनाई। उदय राज के द्वारा बनाए गए राजधानी में कुल 24 गांव मौजूद थे। वीर तेजाजी महाराज ने अपनी कृपा से लोगों के ऊपर हो रही डाकुओं से रक्षा की और अपने प्राणों को दांव पर लगाकर इन लोगों की रक्षा की है।
वीर तेजाजी महाराज को राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के प्रांतों में लोक देवता के रूप में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ पूजा अर्चना की जाती है। इतना ही नहीं वीर तेजाजी महाराज को भगवान शिव के प्रमुख 11 अवतारों में से एक अवतार माना जाता है और इन्हें राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के साथ-साथ हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ रिहायशी इलाकों में लोक देवता के रूप में पूजा जाता है।
वीर तेजाजी महाराज के द्वारा किए गए समाज सुधार कार्य
वीर तेजाजी महाराज भी भगवान श्री कृष्ण की तरह ही बचपन से ही अपने लीलाओं से लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया करते थे। महावीर तेजाजी महाराज ने अपने साहसिक कारनामों से अपने गांव एवं राज्य के सभी लोगों को आश्चर्यचकित कर देते थे। जब वीर तेजाजी महाराज बड़े हुए तो उनके चेहरे पर काफी तेज अर्थात आभा चमकने लगी।
वीर तेजाजी महाराज का बचपन में नाम कुंवर तेजपाल हुआ करता था। वीर तेजाजी महाराज अपने पिता के राज पाठ से सदैव दूर रहा करते थे। वीर तेजाजी महाराज को राज पाठ का कोई लोभ नहीं था। वीर तेजाजी महाराज सदैव गौ सेवा में जुटे रहते थे और इन्होंने गायों को माता के समान माना। वीर तेजाजी महाराज ने कृषकों को कृषि करने की अनेकों नई-नई विधियां बताएं।
वीर तेजाजी महाराज ने कृषकों को बताया कि अपने खेतों को हल की मदद से अच्छे से खोदकर बीज को बोआ कीजिए। पहले जो बीज केवल खेतों को उछाल कर दिया जाता था, उन्हीं बीजों को महाराज तेजाजी ने हल की मदद से जमीन के अंदर खोदकर बोने का उपाय सुझाया। यही कारण है कि वीर तेजाजी महाराज अर्थात कुंवर तेजपाल को कृषि वैज्ञानिक भी कहा जाता है।
महा वीर तेजाजी महाराज ने 11 वीं सदी में गायों की डाकुओं के द्वारा रक्षा की और अनेकों बार अपने प्राणों को दांव पर लगाकर गौमाता को डाकुओं से मुक्त करवाया। प्राचीन समय के डाकू गायों को बंदी बनाते थे और उन्हें बेच दिया करते थे, परंतु महा वीर तेजाजी महाराज ने इस क्रियान्वयन को रोक दिया और गायों को सुरक्षा प्रदान की।
महावीर तेजाजी महाराज सत्यवादी और दिए हुए वचनों पर अटल रहने वाले व्यक्ति थे, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार सत्यवादी और वचनों पर अटल रहने वाले महाराज हरिश्चंद्र थे। महावीर तेजाजी महाराज ने अपने आत्म बलिदान तथा सदाचारी जीवन को अमरत्व प्रदान किया था और उन्होंने अपने धार्मिक विचारों का उपयोग जनसाधारण लोगों को सद मार्ग के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते थे।
यही कारण है कि वीर तेजाजी महाराज के मंदिरों में अलग-अलग वर्गों के पुजारी कार्यरत हैं, अतः समाज सुधार में इतना पुराना और कोई उदाहरण नहीं है। ऐसा भी कहा जाता है कि महावीर तेजाजी महाराज जी विश्व के पहले समाज सुधारक हैं। महावीर तेजाजी की महाराज ने जनसाधारण वर्ग के लोगों के हृदय में हिंदू धर्म के प्रति विशेष युक्ति के विश्वास को पुनः जागृत किया।
वीर तेजाजी महाराज का विवाह
वीर तेजाजी महाराज का विवाह प्राचीन समय में रामचंद्र जाट की पुत्री पेमल के साथ हुआ था। वीर तेजाजी महाराज का विवाह अजमेर जिले के पनेर नामक गांव में रहने वाले एक परिवार में हुआ था।
वीर तेजाजी महाराज की ससुराल यात्रा
एक बार महावीर तेजाजी महाराज एक बार अपने एक मित्र के साथ अपने ससुराल जा रहे थे। तभी उनके ससुराल जाने के बाद तेजाजी महाराज को यह पता चलता है कि मेणा नाम के डाकू ने अपने साथियों के साथ मिलकर उनकी पत्नी पेमल के गांव की सभी गांव गायों को लूट कर लेकर चले जाता है। तब महावीर तेजाजी महाराज अपने साथी के साथ जंगल की तरफ मेणा डाकू से गायों को छुड़ाने के लिए निकल पड़ते हैं।
जाते समय रास्ते में एक बांबी के पास बहुत ही पुराना भाषक नाम का एक नाग (सर्प) उनके घोड़े के सामने आकर खड़ा हो जाता है और उसी क्षण उनका घोड़ा भी तुरंत सामने ही रुक जाता है। वह वीर तेजाजी महाराज को डंक मारना चाहता है। परंतु तेजाजी महाराज को उसे कहते हैं कि तुम अभी रुक जाओ मैं अपने पत्नी के सभी गांव वासियों की गायों को लेकर आ जाता हूं, तब तुम मुझे डस लेना।
महा वीर तेजाजी ने अपने वचन के अनुसार मेणा से सभी गायों को छुड़ाकर वापिस आते हैं। वीर तेजाजी महाराज जब वहां से वापस आते हैं, तो वह पूरी तरह से खून से सने हुए होते हैं। वीर तेजाजी महाराज अपने वचन के अनुसार उस स्थान पर के पास चले जाते हैं। महावीर तेजाजी महाराज की इस अवस्था को देखकर उनसे कहता है कि तुम्हारा पूरा शरीर घायल है, मैं तुम्हें कहां डंक मारू।
तेजाजी महाराज उसे हँसते हुए कहते हैं कि लो तुम मेरी जीभ पर डंक मार लो। वीर तेजाजी की वचनबद्धता को देखकर सांप उन्हें आशीर्वाद देते हुए यह कहता है कि यदि आज के दिन कोई भी व्यक्ति जो सर्पदंश से पीड़ित है, वह यदि तुम्हारे नाम की ताती बांध देगा, तो उसके शरीर का सारा जहर नष्ट हो जाएगा उसी दिन से अर्थात भाद्रपद की शुक्ल दशमी को महावीर तेजाजी के उस स्थान पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है।
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वीर तेजाजी महाराज के द्वारा आयोजित किया गया खरनाल मेले का आयोजन
प्रतिवर्ष भाद्रपद के शुक्ल दशमी को महा वीर तेजाजी महाराज की याद में एक भारी समारोह का आयोजन होता है, महा वीर तेजाजी महाराज की याद में आयोजित इस समारोह को खरनाल मेला के नाम से जाना जाता है। इस दिन इस मेले में लाखों लोगों की तादाद में लोग बड़ी दूर-दूर से बाजे के साथ महावीर तेजाजी महाराज के दर्शन करने के लिए आते हैं।
वीर तेजाजी महाराज का इतिहास
वीर तेजाजी महाराज का बचपन में नाम कुंवर तेजपाल हुआ करता था। वीर तेजाजी महाराज अपने पिता के राज पाठ से सदैव दूर रहा करते थे। वीर तेजाजी महाराज को राज पाठ का कोई लोग नहीं था। वीर तेजाजी महाराज सदैव गौ सेवा में जुटे रहते थे और इन्होंने गायों को माता के समान माना। वीर तेजाजी महाराज ने कृषकों को कृषि करने की अनेकों नई-नई विधियां बताएं।
वीर तेजाजी महाराज राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के प्रांतों के लोक देवता के रूप में पूजे जाते हैं। वीर तेजाजी महाराज को सभी किसान अपने खेतों की खुशहाली के लिए पूजन करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तेजाजी महाराज के वंशज मध्य भारत के खिलचीपुर से आकर मारवाड़ में बस गए थे। वीर तेजाजी महाराज धौलाराव के नाम पर धौल्य गोत्र अर्थात नागवंश धावलाराव के गोत्र हैं।
वीर तेजाजी महाराज को राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के प्रांतों में लोक देवता के रूप में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ पूजा अर्चना की जाती है। इतना ही नहीं वीर तेजाजी महाराज को भगवान शिव के प्रमुख 11 अवतारों में से एक अवतार माना जाता है और इन्हें राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के साथ-साथ हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ रिहायशी इलाकों में लोक देवता के रूप में पूजा जाता है।
महावीर तेजाजी महाराज सत्यवादी और दिए हुए वचनों पर अटल रहने वाले व्यक्ति थे, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार सत्यवादी और वचनों पर अटल रहने वाले महाराज हरिश्चंद्र थे। महावीर तेजाजी महाराज ने अपने आत्म बलिदान तथा सदाचारी जीवन को अमरत्व प्रदान किया था और उन्होंने अपने धार्मिक विचारों का उपयोग जनसाधारण लोगों को सद मार्ग के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते थे।
वीर तेजाजी महाराज 11 वीं सदी में अपने प्राणों को दांव पर लगाकर अनेकों बार लोगों की एवं उनके गायों की रक्षा की। महावीर तेजाजी महाराज को बचपन से ही गायों से काफी लगाव था और यह सदैव गौ सेवा में लीन रहते थे। महावीर तेजाजी महाराज के पिता एक राजा थे, परंतु उन्होंने अपने पिता के राज पाठ पर जरा सा भी ध्यान नहीं दिया और उन्होंने सदैव समाज सुधार एवं विज्ञानिक तरीके के कार्य किए।
जिस समय लोगों को कृषि करनी नहीं आती थी, उस समय महा वीर तेजाजी महाराज ने लोगों को हल की मदद से कृषि करना सिखाया। महावीर तेजाजी महाराज का खरनाल गांव में एक मंदिर बनाया गया है। उस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि जब भाद्रपद मास की शुक्ल दशमी को यदि किसी व्यक्ति को सांप काट लेता है तो वहां पर महावीर तेजाजी महाराज के नाम की ताती बांधने से सर्प का विष पूरी तरह से निरस्त हो जाएगा।
वीर तेजाजी महाराज को वीरगति की प्राप्ति
जैसा हमने आपको ऊपर बताया महावीर तेजाजी एक बार अपने मित्र के साथ अपने ससुराल जा रहे थे, तभी उनके ससुराल में उनकी पत्नी पेमल के गांव कि सभी गायों को डाकुओं के द्वारा चुरा कर ले जा रहा था। तभी वीर तेजाजी महाराज ने अपने प्राणों की चिंता न करते हुए गायों को वापस लाने के लिए डाकुओं से जा भिड़े।
डाकुओं को खोजते समय रास्ते में उनके सामने एक सर्प आ जाता है और सर्प उन्हें काटना चाहता था, परंतु महावीर तेजाजी ने उन्हें यह वचन दिया कि मैं जब गायों को लेकर वापस आऊंगा तब आप हमें काट लीजिएगा। महा वीर तेजाजी महाराज ने सर्प को यह वचन देते ही वहां से चल दिए।
गायों को छुड़ाकर आने के बाद वह पूरी तरह से खून से लथपथ थे। जब वह सांप के पास पहुंचे तो सांप ने उनसे कहा कि तुम्हारे पूरे शरीर पर चोट ही चोट है, मैं तुम्हें कहां काटू। तब महा वीर तेजाजी महाराज ने उस साप को अपने जीभ पर काटने के लिए कहा। वीर तेजाजी महाराज की यह बात सुनकर सांप ने आशीर्वाद देते हुए कहा कि यदि कोई व्यक्ति भाद्रपद मास की शुक्ल दशमी को तुम्हारे इस स्थान पर आकर यदि तुम्हारे नाम की ताती बढ़ेगा तो उसके शरीर का सारा विष निरस्त हो जाएगा और वह व्यक्ति बच जाएगा।
ऐसा कहने के बाद वीर तेजाजी महाराज ने अपनी जीभ आगे की और सांप ने उनकी जीभ पर डस लिया और तभी महा वीर तेजाजी महाराज की मृत्यु हो गई। उसी दिन से उस स्थान पर प्रतिवर्ष करोड़ों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है और ऐसा माना भी जाता है कि महावीर तेजाजी महाराज के नाम की ताती बांधने पर लोग ठीक हो जा रहे हैं।
निष्कर्ष
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