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हल्दीघाटी का युद्ध किसने जीता था?

Haldighati Ka Yuddh Kisne Jita Tha: भारत की भूमि पर अनेक ऐतिहासिक युद्ध हुए हैं। इतिहास की महानतम युद्धों में शुमार होने वाला ऐसा ही एक ऐतिहासिक युद्ध है हल्दीघाटी का, जो ना केवल भारत अपितु पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।

Haldighati Ka Yuddh Kisne Jita Tha
Image: Haldighati Ka Yuddh Kisne Jita Tha

इतिहासकारों की माने तो इतिहास का सबसे भयावह और बहादुरी की गाथा में सबसे आगे गिना जाने वाला  हल्दीघाटी का युद्ध 1576 में मेवाड़ के महान राजा वीर महाराणा प्रताप मुगल सम्राट अकबर के बीच हुआ था।

हल्दीघाटी का युद्ध किसने जीता था? | Haldighati Ka Yuddh Kisne Jita Tha

हल्दीघाटी और युद्ध

राजस्थान स्थित हल्दीघाटी अपनी पीली मिट्टी के कारण एकदम हल्दी की तरह पीली है। यह घाटी 5 किलोमीटर लंबी और 1 किलोमीटर चौड़ी है। मुगल सेना और राजपूत सेना के बीच युद्ध का बिगुल बजा एक और जहां अकबर की तरफ से शक्तिशाली मुगल सेना के लगभग 1 लाख मुगल सिपाही थे। वहीं दूसरी ओर वीर महाराणा प्रताप की तरफ से केवल 20000 की ही राजपूत सेना थी।

इस युद्ध में अफगानी भी महाराणा प्रताप का साथ दे रहे थे। अपने कम सैनिक होने के बावजूद दिए वीर महाराणा प्रताप ने कुशल रणनीति के तहत सबसे पहले सेनापति को मारने की योजना बनाई। उनके अनुसार यदि सेनापति को ही मार दिया जाए तो सेना का उत्साह निराशा में बदल जाएगा और मुगलों को पराजित करना आसान हो जाएगा।

इसी रणनीति के तहत वीर महाराणा प्रताप की सेना ने काम किया। मेवाड़ सेना का नेतृत्व राम सेन तंवर और उनके बेटे चंद्र सेन कर रहे थे। गौर करने वाली बात यह है कि हल्दीघाटी के इस युद्ध में अकबर ने भाग लिया ही नहीं था। अकबर की ओर से उसके दो सेनापति आसिफ खान और मानसिंह इस युद्ध में भाग ले रहे थे।

भीषण नरसंहार हुआ, युद्ध केवल 4 घंटे तक चला और वीर महाराणा प्रताप की सेना ने विशाल मुगल सेना को चारों खाने चित कर दिया। युद्ध के आरंभ में महाराणा प्रताप की सेना जीत रही थी। मुगल सेना का उत्साह कम हो रहा था। तभी अचानक मुगल सेना में अकबर के आने की खबर फैल गई जिससे निराश मुगल सेना में फिर नया उत्साह भर गया। युद्ध का स्वरूप बदलने लगा। 

महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हाथी पर सवार मानसिंह को मारने के लिए महाराणा प्रताप ने चेतक को आदेश दिया। चेतक पूरे वेग से दौड़ा और  महाराणा प्रताप ने बहुत तेजी से भाला फेंका। निशाना 1 इंच से चूका और मानसिंह  बच गया। 

चेतक को पैर में गंभीर चोट आई। महाराणा प्रताप युद्ध में बहुत घायल हो गए। चेतक बिना रुके दौड़ता गया और कई खाई पार कर वीर महाराणा प्रताप को सुरक्षित पहुंचा दीया और गंभीर चोटों के कारण बहादुर चेतक ने अपने प्राण त्याग दिए। इस तरह  युद्ध का अंत हुआ।

विजेता कौन?

हल्दीघाटी के युद्ध में हुए भीषण नरसंहार और महाराणा प्रताप की वीरता के आगे सभी नतमस्तक थे। यहां तक कि अकबर ने भी महाराणा प्रताप की वीरता और पराक्रम को सलाम किया।

मुगलों ने अब मेवाड़ पर अधिकार करने का विचार त्याग दिया और महाराणा प्रताप ने अगले 20 वर्षों तक अपने मेवाड़ को मुगल साम्राज्य में नहीं मिलने दिया और मुगलों ने भी मेवाड़ का पीछा करना बंद कर दिया। वहां से लूटपाट खत्म करने का निर्णय लिया। इस तरह इस युद्ध में ना कोई जीता और ना ही कोई हारा।

FAQ

हल्दी घाटी कहां स्थित है?

हल्दीघाटी राजस्थान में स्थित है।

हल्दीघाटी का युद्ध किसके बीच हुआ था?

हल्दीघाटी का युद्ध महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुआ था।

हल्दीघाटी के युद्ध में विजेता कौन था?

हल्दीघाटी का युद्ध निष्कर्ष रहित था। इसमें ना तो महाराणा प्रताप हारे और ना ही मुग़ल जीते।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल में हमने हल्दीघाटी का युद्ध किसने जीता था? ( Haldighati Ka Yuddh Kisne Jita Tha) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी है। यदि हल्दीघाटी के युद्ध के परिणाम की बात करें तो यह युद्ध निष्कर्ष रहित था।

इस युद्ध में ना ही महाराणा प्रताप की हार हुई और ना ही मुगलों की जीत। महाराणा प्रताप की वीरता और पराक्रम के आगे अकबर को घुटने टेकने पड़े थे और उसने मेवाड़ पर अधिकार करने का विचार त्याग दिया था।

महाराणा प्रताप के स्वर्गवास के बाद उनके बेटे ने मुगलों से संधि कर ली। ऐसा कहा जाता है कि महाराणा प्रताप की वीरता से अकबर अत्यंत प्रभावित था और उनके अंत पर वह रोया भी था।

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Ripal
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