Essay on Unemployment in Hindi: हम यहां पर बेरोजगारी की समस्या पर निबंध हिंदी में शेयर कर रहे है। इस निबंध में बेरोजगारी की समस्या के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।
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बेरोजगारी की समस्या पर निबंध | Essay on Unemployment in Hindi
बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (250 शब्द)
भारी जन संख्या के कारण भारत देश कई प्रकार की समस्या से घेरा हुआ है। उन में से बेरोजगारी की समस्या ने सरकार और प्रजा दोनों की नींद उड़ाकर रख दी है। बेरोजगारी किसी भी देश के विकास में एक बाधक है। बेरोजगारी अपने साथ गरीबी तथा दरिद्रता जैसी कई ओर समस्याओं को जन्म देती है। किसी व्यक्ति को उसकी योग्यता के अनुसार रोजगार ना मिलना, उसे बेरोजगारी कहते है।
जनसंख्या वृद्धि, मशीनीकरण, शिक्षा तथा योग्यता में कमी, आरक्षण नीति, मंदा आर्थिक विकास, कुटीर उद्योग में गिरावट और मौसमी व्यवसाय जैसे बेरोजगारी के लिए कई कारण जवाबदार है। बेरोजगारी के भी कई प्रकार होते है जैसे कि चक्रीय बेरोजगारी, घर्षण बेरोजगारी, शिक्षित बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, छुपी हुई बेरोजगारी।
वैसे तो बेरोजगारी दूर करना आसान काम नहीं है लेकिन अगर हम थोड़े निति-नियम बनाकर चले तो यह थोड़ी कम हो सकती है। सरकार ने हर परिवार के कम से कम एक सदस्य को नौकरी देने का जरुर प्रयास करना चाहिए। शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा भी देना चाहिए, जिससे विद्यार्थी को भिन्न भिन्न प्रकार के क्षेत्र में रोजगार मिल सके।
विदेश से आयात करने वाली चीज़ों पर रोक लगाना चाहिए और देश में ही ऐसे चीजों का उत्पादन करना चाहिए। जिससे देश के लोगों को काम मिल सके। बेरोजगारी ने भ्रष्टाचार, आतंकवाद, चोरी, डकैती, अशांति तथा अपहरण जैसी अनेक घातक गुनाह को जन्म दिया है।
बेरोजगारी एक ऐसी समस्या है, जो आजादी के समय से हमारे साथ जुड़ी हुई है। सरकार ने इस समस्या को दूर करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं पर अभी तक कोई सफलता हासिल नहीं कर पाई है।
बेरोजगारी पर निबंध 300 शब्दों में (Berojgari ki Samasya Par Nibandh)
आज के समय में हमारे देश में बेरोजगारी एक प्रमुख समस्या मानी जा रही है। भारत में बेरोजगारी का यह मुद्दा दिन प्रतिदिन गंभीर होता जा रहा है। देश में बेरोजगारी की समस्या बढ़ने के पीछे कई कारण है। देश में बेरोजगारी शिक्षा के अभाव की वजह से बढ़ रही है। साथ ही साथ रोजगार के अवसरों की कमी और जनसंख्या अधिक होने की वजह से भी बेरोजगारी बढ़ती जा रही है।
बेरोजगारी के बहुत सारे कारण है और बेरोजगारी को खत्म करने के लिए सरकार द्वारा कई कदम भी उठाए गए हैं। लेकिन फिर भी बेरोजगारी कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। मुख्य रूप से जो विकासशील देश में होते हैं, उन में बेरोजगारी की समस्या आम तौर पर देखी जाती है और इन्हीं में भारत का नाम भी शामिल है।
भारत भी एक विकासशील देश है और भारत में बेरोजगारी की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। दिन प्रतिदिन बेरोजगारी का इस तरह से बढ़ना देश के विकास और देश की उन्नति में नकारात्मक प्रभाव डालता है। बेरोजगारी के बहुत सारे कारण हैं, जिसमें जनसंख्या वृद्धि भी एक मुख्य कारण है। देश में लगातार जनसंख्या वृद्धि की वजह से बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो रही है।
हमारे देश में मौसम आधारित व्यवसाय अधिक होने की वजह से देश में बेरोजगारी बनी रहती है। क्योंकि यहां की जनसंख्या अधिकतर कृषि पर निर्भर है और कृषि एक मौसम के आधार पर निर्भर बिजनेस है। औद्योगिक क्षेत्र की धीमी गति की वजह से भी रोजगार के अवसर नहीं मिल पाते हैं।
सरकार को रोजगार के अवसर प्रदान करवाने के लिए कई प्रकार के प्रयास करने चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण पर मुख्य रूप से काम करना चाहिए। शिक्षा व्यवस्था को और अधिक सुचारु रुप से चलाने की कोशिश करनी चाहिए और औद्योगीकरण को बढ़ावा देना चाहिए ताकि वहां से नए-नए रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके और देश का हर व्यक्ति बेरोजगारी से मुक्त हो सके।
बेरोजगारी पर निबंध 400 शब्दों में (Berojgari ki Samasya Nibandh)
प्रस्तावना
आज के समय में भारत में बेरोजगारी की एक मुख्य समस्या देखने को मिल रही है। भारत देश इस समस्या से पूरी तरह से जूझ रहा है। देश का हर व्यक्ति बेरोजगारी जैसी विकट समस्या का सामना कर रहा है। देश में बेरोजगारी के बहुत सारे कारण है, जिसमें बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिकीकरण विकास में कमी भी मुख्य कारण है।
बेरोजगारी क्यों बढ़ रही है?
देश भर में आज के समय में बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। बेरोजगारी बढ़ने के पीछे कई कारण है, जिसकी जानकारी हम आपको नीचे कुछ इस तरह से प्रदान करवा रहे हैं:
नए रोजगार के अवसर मिलना
आज के समय में गवर्नमेंट जॉब के चक्कर में लाखों लोग तैयारियां कर रहे हैं और बेरोजगार बैठे हैं। लेकिन सरकारी भर्तियां बिल्कुल कम निकल रही है। जितने लोग तैयारियां कर रहे हैं, उनके मुकाबले सिर्फ एक पर्सेंट ही सरकारी भर्ती निकलती है। चपरासी जैसी पोस्ट के लिए भी एमए और पीएचडी डिग्री किए हुए विद्यार्थी आवेदन लगा देते हैं और एक पोस्ट के लिए 500 लोगों की प्रतिस्पर्धा बनी हुई हैं। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि देश में बेरोजगारी का क्या हाल है।
देश की बढ़ती जनसंख्या
देश में बेरोजगारी की मुख्य वजह बढ़ती जनसंख्या भी है। क्योंकि जन संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। लेकिन रोजगार के अवसर उपलब्ध ना होने की वजह से बेरोजगारी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही है।
देश में औद्योगीकरण की वृद्धि कम होना
भारत देश में ऐसे तो हर क्षेत्र में औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन धीमी गति से औद्योगिकीकरण देश में चल रहा है, जिसकी वजह से सीमित लोगों को ही नौकरी मिल पाती है। ऐसे में बेरोजगारी कम होने का कोई चांस ही नहीं है।
शिक्षा का अभाव
आज के समय में भी शिक्षा का अभाव देशभर में है और इसी वजह से रोजगार के नए अवसर लोगों को नहीं मिल रहे हैं।
बेरोजगारी को कम करने के लिए क्या करें?
- देश में बढ़ रही बेरोजगारी को कम करना बहुत ही जरूरी है। सरकार भी इसके लिए प्रयास कर रही है और हम सभी को बेरोजगारी कम करने का प्रयास करना चाहिए।
- बेरोजगारी को कम करने के लिए सबसे पहले हमें अपने बच्चों को और अपने आसपास के बच्चों को शिक्षित करवाना चाहिए। शिक्षा से बेरोजगारी की समस्या से 90% तक हल हो जाएगी।
- जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करना हम सभी का फर्ज है। हालांकि सरकार भी इसके बारे में विचार विमर्श कर रही है और सरकार द्वारा भी इसके बारे में कई कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन फिर भी हम सभी को मिलकर जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करना होगा।
- औद्योगिक विकास को लेकर सरकार द्वारा किए जाने वाले प्रयास सराहनीय है। लेकिन अभी भी इसमें और अधिक विकास तीव्र होने की आवश्यकता है और उसी से बेरोजगारी को नियंत्रित किया जा सकता है।
निष्कर्ष
देश में बढ़ रही बेरोजगारी चिंता का विषय है। लेकिन यदि देश में हम शिक्षा पर ध्यान देंगे और जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान देंगे तो नए रोजगार के अवसर भी मिलने शुरू हो जाएंगे और बेरोजगारी भी धीरे-धीरे कम हो जाएगी।
बेरोजगारी पर निबंध 500 शब्दों में (Berojgari ki Samasya Essay in Hindi)
प्रस्तावना
हमारे देश में दिन-प्रतिदिन बेरोजगारी देश के लिए एक गंभीर समस्या बन रही है। सरकार के द्वारा कई तरह से प्रयास भी किए जा रहे हैं। लेकिन बेरोजगारी को अब तक नियंत्रण में नहीं लाया जा सका है। बेरोजगारी को लेकर सरकार के द्वारा भी चिंता जताई गई है। क्योंकि पिछले कई सालों में बेरोजगारी की दर में काफी बढ़ोतरी हुई है।
इसे देखते हुए सरकार ने बेरोजगारी भत्ता जैसी कई सुविधाएं देने का प्रयास किया है। लेकिन सिर्फ सरकारी भत्ता मिलने से बेरोजगारी खत्म नहीं हो सकती है।
पिछले सालों के बेरोजगारी के आंकड़े
देश में बेरोजगारी की दर दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। साल 1982 से लेकर 2013 के बीच बेरोजगारी की दर 7.32 प्रतिशत थी। उसके पश्चात बेरोजगारी की दर में काफी कमी देखने को मिली और बेरोजगारी की दर 5% से नीचे दर्ज हुई।
लेकिन साल 2015 के बाद एक बार फिर बेरोजगारी की दर में जबरदस्त उछाल दर्ज हुआ और यह देश के लिए चिंता का विषय बन गया है। आज के समय में बेरोजगारी की दर 9% से आगे पहुंच गई है।
बेरोजगारी को कम कैसे करें?
देशभर में जिस प्रकार से बेरोजगारी बढ़ रही है, उसी को देखते हुए सरकार के द्वारा बेरोजगारी को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन सरकार के साथ-साथ हम सभी को बेरोजगारी कम करने में अपना हाथ आगे बढ़ाना चाहिए। बेरोजगारी कम करने के लिए शिक्षा के अभाव को कम करना होगा और शिक्षा के अभाव को कम करने से बेरोजगारी को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
साथ ही साथ जनसंख्या नियंत्रण पर भी हम सभी को देश में जागरूकता फैलानी होगी और जनसंख्या नियंत्रण के प्रति सख्त कदम उठाने होंगे। देश में जनसंख्या नियंत्रण होने से बेरोजगारी कई हद तक कम हो जाएगी।
अगर ऐसे ही बेरोजगारी बढ़ी तो देश में क्या होगा?
आज जिस प्रकार से देश में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है, उसी प्रकार की देश में यदि भविष्य में भी बेरोजगारी बढ़ती गई तो भविष्य में देश में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होगी। हालांकि इन समस्याओं का सामना आज के समय में भी हमारा देश कर रहा है, जो कुछ इस प्रकार से हैं
देश में गरीबों की संख्या में वृद्धि होगी
आज भी भारत देश में लाखों की संख्या में गरीब लोग बैठे हैं। लेकिन इस प्रकार से बेरोजगारी बढ़ती गई तो देश में गरीब लोगों की संख्या बढ़ जाएगी, जो भविष्य के लिए देश के लिए एक सबसे बड़ा चिंता का विषय बन जाएगा।
अपराध में बढ़ोतरी होगी
देश के कई कोनों में आज के समय में भी अपराध दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं और इसी प्रकार से बेरोजगारी बढ़ने से भविष्य में अपराध में और अधिक बढ़ोतरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है। क्योंकि जब नौकरी की तलाश करते करते व्यक्ति थक जाता है तो व्यक्ति को कोई न कोई गलत रास्ता मिलता है और ऐसे में चोरी, डकैती जैसे मामले बढ़ जाएंगे।
मानसिक बीमारी में बढ़ोतरी होगी
शुरुआत में विद्यार्थी सरकारी नौकरी पाने की चाह में बहुत कोशिश करता है। लेकिन नौकरी नहीं मिलने की वजह से विद्यार्थी के दिमाग पर मानसिक प्रेशर बढ़ जाता है और ऐसे में व्यक्ति मानसिक तनाव और मानसिक बीमारियों का शिकार हो जाता है और भविष्य में भी इन बीमारियों का सामना हम सभी को करना पड़ेगा।
उपसंहार
देश में इस प्रकार से बढ़ रही बेरोजगारी देश के लिए एक चिंता का विषय है। सरकार के द्वारा भी अधिकारी को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। हम सभी को सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बेरोजगारी को कम करने का प्रयास करना चाहिए।
बेरोजगारी की समस्या पर निबंध 800 शब्दों में (Berojgari ki Samasya Per Nibandh)
प्रस्तावना
लगभग दुनिया के सभी देशों में बढ़ती जनसंख्या ने बेरोजगारी को आज विस्फोटक स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। बेरोजगारी के आंकड़े दिन ब दिन बढ़ते ही जा रहे है। अब बेरोजगारी इतना विकराल और भयावह रूप धारण कर चुका है कि इसका सामना करना हमारे लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है।
उन लाखों युवाओं के लिए कोई रोजगार नहीं है, जो हर साल शिक्षण संस्थानों में से पढ़कर बाहर हो रहे हैं। हमारी सरकार और योजनाकारों के सामने बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है। बेरोजगारी का राष्ट्रीय संकट भारत की एक बड़ी आबादी को विशेष रूप से युवा पीढ़ी को प्रभावित करता है।
बेरोजगारी का अर्थ
एक कुशल और प्रतिभाशाली व्यक्ति को कई कारणों से उचित नौकरी नहीं मिलना यह स्थिति बेरोजगारी को संदर्भित करती है।
बेरोजगारी के कारण
बेरोजगारी का मुख्य कारण जन संख्या है। देश की जनसंख्या में जिस गति के साथ वृद्धि हो रही है, लेकिन उसी गति से औद्योगिक उन्नति और राष्ट्रीय आय में वृद्धि नही हो रही है। देश की शिक्षित जन संख्या के मुकाबले में नौकरी की सीट काफी कम है। बिज़नेस के लिए कठिन निति-नियम होने के कारण देश के युवा नौकरी करना ज्यादा पसंद करते है।
वर्षो से हमारी शिक्षा व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। हमारी यह शिक्षा प्रणाली सिर्फ डिग्रीयां तक ही सीमित है। उच्च शिक्षा प्राप्त होने के बाद भी योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिल पाती है। वर्तमान समय में बढ़ते टेक्नोलॉजी की वजह से मशीन ने आदमी की जगह ले ली है, जिसने काफी लोगों की रोजगारी छीन ली है।
पूंजी की कमी, निवेश की कमी, कम उत्पादन, व्यापार चक्र में गिरावट, उद्योगों की अव्यवस्था, प्रौद्योगिकी का उपयोग आदि जैसे कारक बेरोजगारी के मूल कारण हैं।
बेरोजगारी के प्रकार
बेरोजगारी के मुख्यत्व दो प्रकार है। स्वैच्छिक और अनैच्छिक बेरोजगारी। स्वैच्छिक बेरोजगारी तब उत्पन्न होती है जब कोई व्यक्ति काम न करने की इच्छा से किसी रोजगार के आधीन नहीं होता है और वह अपने काम के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करना चाहता है।
अनैच्छिक बेरोजगारी में विभिन्न प्रकार की बेरोजगारी जैसे की प्रच्छन्न बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, खुली बेरोजगारी, तकनीकी बेरोजगारी, संरचनात्मक बेरोजगारी शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ अन्य बेरोजगारी जैसे की चक्रीय बेरोजगारी, शिक्षित बेरोजगारी, अल्प रोजगार, घर्षण बेरोजगारी, पुरानी बेरोजगारी और आकस्मिक बेरोजगारी भी है।
बेरोजगारी के दुष्परिणाम
बेरोजगारी हमारे देश के लिए अभिशाप बन गई है, वो देश के युवा लोगों की मानसिक शांति छीन लेती है। देश के युवानों को तनावग्रस्त जीवन जीने पर मजबूर कर देती है। बेरोजगारी के कारण देश के कई लोग निर्धनता और भुखमरी के शिकार हो जाते है। युवाओं में बढ़ता आक्रोश चोरी, डकैती, हिंसा, अपराध और आत्महत्या जैसे अपराध करने पर मजूर कर देता है।
बेरोजगारी निराशा और असंतोष का कारण बनती है। यह सनक को जन्म देता है और विनाशकारी दिशाओं में युवाओं की ऊर्जा को नष्ट कर देता है। बेरोजगारी के कारण मानसिक स्थिति से बचने के लिए लोग ड्रग्स और शराब की बुरी आदतों से ग्रस्त हैं।
बेरोजगारी दूर करने के उपाय
बेरोजगारी को संपूर्ण दूर नही किया जा सकता। सही दिशा में कुछ प्रयास करने से वो कम हो सकती है। सबसे पहले हमें जन संख्या को काबू करना होगा। जन संख्या काबू में करने के लिए हमें खुद से जागरूक होना पड़ेगा। सरकार को छोटे छोटे बिज़नेस को बढ़ावा देना होगा। इसके लिए कई निति नियम बनाने होंगे। यदि ज्यादा मात्रा में छोटे छोटे बिज़नेस को बढ़ावा दिया जाएगा तो युवायों को ज्यादा मात्रा में नौकरीया मिलेंगी।
स्व-रोजगार को सरकारी सहायता के साथ और अधिक प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। भारत एक कृषि प्रधान देश है। सरकार को प्रत्येक क्षेत्र विशेष रूप से कृषि के सुधार पर ध्यान देना चाहिए। बेहतर सिंचाई सुविधाएं, बेहतर कृषि उपकरण, बहु फसल चक्रण और फसल प्रबंधन के बारे में ज्ञान के प्रसार पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
हमें अपनी पुरानी शिक्षा नीति को बदलना पड़ेगा। व्यावसायिक तथा तकनीकी शिक्षा पर अधिक जोर देना होगा। भारत सरकार ने बेरोजगारी दर को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और राजीव गांधी स्वावलंबन रोजगार योजना जैसी योजनाएं भारत में बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए सरकार द्वारा की गई पहलों के उदाहरण हैं।
निष्कर्ष
भारत सरकार बेरोजगारी को दूर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम भी उठा रही है। समय आ गया है कि भारत के लोग सरकार के साथ मिलकर एकता के साथ इस समस्या का सामना करें।
वर्तमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी युवाओं के कौशल विकास पर जोर दिया है ताकि वे राष्ट्र निर्माण के मिशन को पूरा कर सकें। देश को अपने वर्तमान परिदृश्य पर गंभीरता से विचार करने और बेरोजगारी की विशाल समस्या का सामना करने के लिए कुछ गंभीर उपचारात्मक उपायों के बारे में सोचने की जरूरत है। अंततः यह समस्याराष्ट्र के पतन की ओर ले जाएगा।
बेरोजगारी की समस्या पर निबंध pdf
हमने यहाँ पर भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध को पीडीऍफ़ के रूप में उपलब्ध किया है। इसे आप आसानी से डाउनलोड कर सकते है और अपने प्रोजेक्ट आदि में प्रयोग में ले सकते है।
अंतिम शब्द
हमने यहां पर बेरोजगारी पर निबंध 250 शब्दों में, 300 शब्दों में, 400 शब्दों में, 500 शब्दों में और 800 शब्दों में (Essay on Unemployment in 250 Words) शेयर किये है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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