Essay On Teacher In Hindi: आज के आर्टिकल में हम यहां पर शिक्षक पर निबंध शेयर कर रहे है। शिक्षक का दर्जा जीवन में सबसे उच्चा होता है। आज के आर्टिकल में आपको Essay On Teacher In Hindi के बारे में जानकारी दी जाएगी।
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शिक्षक पर निबंध | Essay On Teacher In Hindi
शिक्षक पर निबंध (250 Word)
विद्यार्थी जीवन में शिक्षक का अहम किरदार होता है। अध्यापक एक दीपक के समान होता है, जो खुद जल जाता है लेकिन विद्यार्थियों के भविष्य को पूरी तरह से उज्जवल कर देता है। अध्यापक के बिना हर इंसान की जिंदगी अधूरी है क्योंकि अध्यापक के माध्यम से जो सीखने को मिलता है वह कहीं पर नहीं मिल सकता। शुरुआत के दिनों में हमारी मां अध्यापक के समान होती है, जो हमें छोटी-छोटी बातें सिखाती है और उसके पश्चात हम स्कूल में अध्यापकों से मुलाकात करते हैं।
अध्यापक के रूप में मां का किरदार भी बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। मां को प्राथमिक शिक्षक भी कहा जाता है क्योंकि बच्चे को सबसे पहले शिक्षा मां के जरिए ही मिलना शुरू होती है। मेरे शिक्षक की बात करूं तो मेरी पहली शिक्षक मेरी मां है और उसके पश्चात जब से मैंने स्कूल जॉइन किया तब से हर शिक्षक के साथ मेरा अटूट संबंध रहा है।
आज भी जब मैं उनसे मिलता हूं, तो मुझे बहुत खुशी होती है। मेरे शिक्षक ने मुझे जिंदगी के बारे में बहुत महत्वपूर्ण बातें सिखाई है, जिसके लिए में आज भी उनका ऋणी हूं। शिक्षक के द्वारा हमें जो ज्ञान दिया गया है, जिसको हम किसी भी कीमत पर नहीं चुका सकते हैं। शिक्षकों को ज्ञान का भंडार भी कहा जाता है।
शिक्षक पर निबंध (600 Word)
प्रस्तावना
शिष्य के मन में सीखने की इच्छा जागृत करने वाला और शिक्षा देने वाला शिक्षक कहलाता है। शिक्षक बालक के भविष्य का निर्माता होता है। शिक्षक वह पथ प्रदर्शक है, जो किताबी ज्ञान ही नहीं बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाता है। शिक्षकों का कार्य बहुत ही कठिन और महत्वपूर्ण होता है। एक अच्छे शिक्षक का मिलना दुर्लभ है। गुरु ही नई पीढ़ी को सही मार्गदर्शन देकर समाज और देश के लिए एक आदर्श नागरिक तैयार करता है।
शिक्षक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। यह संस्कारों की जड़ों में खाद देता हैं और अपने श्रम से सींच कर उन्हें शक्ति में परिवर्तित करते हैं। राष्ट्र के वास्तविक निर्माता उस देश के शिक्षक होते हैं। किसी राष्ट्र का मूर्त रूप वहां के नागरिक होते हैं। शिक्षक का कार्य अच्छी शिक्षा देकर राष्ट्र को अच्छे नागरिक प्रदान करना होता है।
शिक्षक का महत्व
अनादि काल से ही गुरु के द्वारा दिये गये ज्ञान के कारण गुरु का गुणगान किया गया है। ऐसे ही ज्ञानी गुरुओं के कारण भारत को जगतगुरु कहलाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक महत्वपूर्ण घटक होते हैं। शिक्षा को लेकर समाज ने जो उद्देश्य इच्छाएं रखी होती है। उन सब की पूर्ति मैं शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षक का दायित्व भगवान जैसा होता है। वह समाज और राष्ट्र के उद्देश्यों की पूर्ति करता है। शिक्षा प्रणाली कोई भी और कैसी भी हो, उसकी सफलता शिक्षक पर निर्भर करती है। बालक के मानसिक विकास में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। निपुण शिक्षक अपनी शिक्षण शैली से नागरिकों में राष्ट्रीयता की भावना जागृत करता है।
शिक्षा वह प्रणाली है, जो बालक के आंतरिक गुण व शक्तियों को प्रदर्शित करती है । एक कुशल शिक्षक वही होता है, जो बालक के आंतरिक गुणों व शक्तियों को पहचान कर उसे विकसित कर सकता है और यह अच्छे शिक्षक बिना संभव नहीं। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे समाज के अनुकूल बनाने का दायित्व शिक्षक का होता है। शिक्षक ही व्यक्ति को उसके सामाजिक मूल्यों व आदर्श से अवगत करवाता है। उसे अपने आदर्शों मूल्यों कर्तव्यों का निर्वहन किस प्रकार करना है, यह शिक्षक ही बताता है।
शिक्षक के कार्य
शिक्षक का महत्व पूर्ण कार्य व्यक्ति के आंतरिक गुणों का विकास करना, अच्छे नागरिक का निर्माण करना, मूल प्रवृत्तियों पर नियंत्रण करना ,अच्छे भविष्य का निर्माण करना, चरित्र निर्माण करना,आदर्श नागरिक के गुणों को विकसित करना, राष्ट्रीय भावनाओं का संचार करना, स्वयं की राष्ट्रीय संस्कृति व गौरव से परिचित करवाना,उद्देश्य पूर्ण शिक्षा से सुंदर भविष्य और समाज का निर्माण करना।
मार्गदर्शक, गुरु होने के साथ-साथ शिक्षक हमारे जीवन में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जो हमारे जीवन में बहुत ही मददगार साबित होती है। वे लोग सौभाग्यशाली होते है, जिनको अच्छा शिक्षक मिलता है। एक शिक्षक का मुख्य कार्य शिक्षा देना होता हैं। वह अपने छात्रों को अच्छे तरीके से सिखाने की कोशिश करता है। शैक्षणिक ज्ञान देने के साथ-साथ वह व्यक्ति को नैतिक ज्ञान भी देता है। एक बेहतर व्यक्ति अच्छा नागरिक बनने की प्रेरणा शिक्षक से ही प्राप्त होती है।
शिक्षक और शिष्य का रिश्ता
एक शिक्षक और शिष्य का रिश्ता सुंदर व महत्वपूर्ण होता है। वेदों में भी गुरु की महिमा का गुणगान गाया गया है। गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम:। इस श्लोक का शाब्दिक अर्थ होता है, गुरु ही ब्रह्मा, गुरु ही विष्णु है, गुरु ही शंकर है, गुरूही परमब्रह्म है और सद्गुरु को प्रणाम। भारत में शिक्षकों का सम्मान करने के लिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
इस दिन भारत के दूसरे राष्ट्रपति व आदर्श शिक्षक डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिवस होता है। इस दिन संपूर्ण भारत में श्रेष्ठ शिक्षकों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है। हर काम आसान हो जाता है, जब श्रेष्ठ शिक्षक का सानिध्य मिलता है। फिर कितने भी आए जीवन में उतार-चढ़ाव, शिक्षक के चरणों में ही ठहराव मिलता है।
किसी ने कहा है कि, “सब धरती कागज करूं लिखनी सब बनराय सात समंदर की मसि करूं गुरु गुण लिखा न जाय” बच्चे अपने माता-पिता के पश्चात सबसे अधिक विश्वास अपने गुरु पर करते हैं। गुरु द्वारा कहे गए शब्द उनके मन में घर कर लेते हैं। इसीलिए अध्यापकों को अपना ज्ञान सदैव बांटते रहना चाहिए। शिक्षक के पास ही वह कला है, जो मिट्टी को सोने में बदल सकती है।
शिक्षक का मेरे जीवन में महत्व
अंत में शिक्षक को समर्पित कुछ शब्द कहना चाह्ता हूँ कि, “आपने बनाया है इस योग्य कि, प्राप्त करूं अपना लक्ष्य दिया है आपने हर समय सहारा, जब जब मुझे लगा कि अब मैं हारा”। जिस प्रकार औरत बालक को जन्म व शिक्षा देकर उसे अच्छा इंसान बनाती हैं, उसी प्रकार गुरु से अच्छी शिक्षा लेकर अच्छा नागरिक बनता है। जिस प्रकार मां बालक को जन्म देती है, उसी प्रकार शिक्षक उसे उचित शिक्षा व मार्गदर्शन देकर उसके सुंदर व उज्जवल भविष्य का निर्माण करता है। परिवार बालक की प्रथम पाठशाला होती है। माता उसकी प्रथम शिक्षिका होती है और उसके पश्चात शिक्षक ही उसके मार्गदर्शक होते हैं।
निष्कर्ष
शिक्षक के रूप में किरदार निभाने वाला आदमी भगवान होता है और वह प्रसाद रूपी ज्ञान बांटता है। हमें इस ज्ञान का अपने जीवन में उपयोग करना चाहिए। भगवान के प्रसाद को कभी मना नहीं कर सकते और उसी प्रकार से शिक्षक द्वारा दिया गया ज्ञान यदि हम नहीं लेते हैं, तो हम आगे नहीं बढ़ सकते। शिक्षक एक ऐसा महात्मा है, जिसके पास ज्ञान का समुंदर भरा होता है।
अंतिम शब्द
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